कछुए और खरगोश की कहानी | Kachua Aur Khargosh Ki Kahani

June 17, 2024 द्वारा लिखित

एक वक्त की बात है, किसी घने जंगल में एक खरगोश रहता था, जिसे अपने तेज दौड़ने पर बहुत घमंड था। उसे जंगल में जो दिखता, वो उसी को अपने साथ दौड़ लगाने की चुनौती दे देता। दूसरे जानवरों के बीच वो हमेशा खुद की तारीफ करता और कई बार दूसरे का मजाक भी उड़ाता।

एक बार उसे एक कछुआ दिखा, उसकी सुस्त चाल को देखते हुए खरगोश ने कछुए को भी दौड़ लगाने की चुनौती दे दी। कछुए ने खरगोश की चुनौती मान ली और दौड़ लगाने के लिए तैयार हो गया।

जंगल के सभी जानवर कछुए और खरगोश की दौड़ देखने के लिए जमा हो गए। दौड़ शुरू हो गई और खरगोश तेजी से दौड़ने लगा और कछुआ अपनी धीमी चाल से आगे बढ़ने लगा। थोड़ी दूर पहुंचने के बाद खरगोश ने पीछे मुड़कर देखा, तो उसे कछुआ कहीं नहीं दिखा। खरगोश ने सोचा, कछुआ तो बहुत धीरे-धीरे चल रहा है और उसे यहां तक पहुंचने में काफी वक्त लग जाएगा, क्यों न थोड़ी देर आराम ही कर लिया जाए। यह सोचते हुए वह एक पेड़ के नीचे आराम करने लगा।

पेड़ के नीचे सुस्ताते-सुस्ताते कब उसकी आंख लग गई, उसे पता भी नहीं चला। उधर, कछुआ धीरे-धीरे और बिना रुके लक्ष्य तक पहुंच गया। उसकी जीत देखकर बाकी जानवरों ने तालियां बजानी शुरू कर दी। तालियों की आवाज सुनकर खरगोश की नींद खुल गई और वो दौड़कर जीत की रेखा तक पहुंचा, लेकिन कछुआ तो पहले ही जीत चुका था और खरगोश पछताता रह गया।

कहानी से सीख

इस कहानी से यही सीख मिलती है कि जो धैर्य और मेहनत से काम करता है, उसकी जीत पक्की होती है और जिन्हें खुद पर या अपने किए हुए कार्य पर घमंड होता है, उसका घमंड कभी न कभी टूटता जरूर है।

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