मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी: गरीब का झोला
June 17, 2024 द्वारा लिखित nripendra
तुर्की के महान दार्शनिक मुल्ला नसरुद्धीन बहुत चालाक और मजेदार आदमी थे। एक बार की बात है मुल्ला जी कहीं जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने एक गरीब आदमी को देखा। गरीब आदमी बिल्कुल फटे हाल था और उसके पास एक झोला था। वह बहुत ही दुखी दिखाई दे रहा था और अपने नसीब को कोस रहा था। मुल्ला नसरुद्धीन ने उस आदमी से बात करना शुरू कर दिया।
मुल्ला नसरुद्धीन – “अरे भाई! क्या हुआ? तुम बड़े परेशान दिखाई दे रहे हो।”
आदमी बोला – “क्या कहूं मुल्ला जी, इस दुनिया में कितना कुछ है, फिर भी मेरी झोली खाली है। मुझसे ज्यादा बदनसीब कोई नहीं है।”
मुल्ला नसरुद्दीन गरीब का झोला देखकर बोले, “यह तो बहुत ही बुरी बात है और उस गरीब का झोला लेकर भाग गए।”
आदमी चिल्लाते हुए मुल्ला नसरुद्धीन के पीछे भागा – “अरे मेरा झोला! अरे मेरा झोला!”
थोड़ी दूर तक आदमी को भगाने के बाद मुल्ला नसरुद्धीन ने वो झोला सड़क के बीचों-बीच रख दिया और खुद छुप गए। आदमी ने झोला सड़क पर देखा, तो बहुत खुश हुआ। वह झोला उठाकर खुशी से झूमने लगा।
मुल्ला नसरुद्दीन गरीब का झोला छुपकर देख रहे थे, वो भी मन ही मन मुस्कुराये और सोचने लगे – थोड़ा टेढ़ा ही सही, लेकिन आदमी को खुश करने का अच्छा तरीका है।
कहानी से सीख
हमारे पास जो भी है, हमें उसमें संतुष्ट रहना चाहिए, क्योंकि कुछ लोगोंं के पास उतना भी नहीं होता है।