मूर्ख राजा और चतुर मंत्री की कहानी | A Foolish King And A Clever Minister Story In Hindi
June 17, 2024 द्वारा लिखित Bhupendra Verma
कई सालों पहले नदी के किनारे पर एक दियत्स नामक नगरी हुआ करती थी। इस नगरी में शासन करने वाला राजा बहुत ही मुर्ख था। वहीं, राजा का मंत्री बहुत चतुर था। एक दिन शाम के समय राजा और मंत्री दोनों नदी किनारे टहलते हुए शाम का आनंद ले रहे थे। तभी राजा ने मंत्री से एक सवाल पूछा, “क्या तुम बता सकते हो कि यह नदी किस दिशा में और कहां तक बहकर जाती है”।
मंत्री ने राजा को तुंरत जवाब देते हुए कहा कि यह नदी पूर्व की दिशा में बहती है और यह पूरब देश तक जाती है। इस पर राजा ने कहा कि वह नहीं चाहता कि हमारे देश का पानी पूरब के देशवासी इस्तेमाल करें। राजा ने मंत्री को नदी का पानी रोकने के लिए दीवार खड़ी करने का आदेश दिया। तभी मंत्री ने राजा से कहा कि ऐसा करने पर हमारा ही नुकसान होगा। राजा ने गुस्से में कहा कि पानी हमारा है और पूरब देश वाले मुफ्त में इसका इस्तेमाल कर रहे हैं और तुम बोल रहे हो कि हमारा नुकसान होगा। इसमें हमारा कुछ नुकसान नहीं होगा। तुम जल्दी से जल्दी नदी में दीवार बनवाने का काम शुरू कराओ।
मंत्री राजा की आज्ञा का पालन करते हुए कारीगरों को बुलाता है और नदी के पास दीवार बनवाने का काम शुरू करवा देता है। नदी में दीवार बनाने का काम तेजी से चलने लगा और कुछ दिनों में दीवार बनकर तैयार हो गई। यह देखकर राजा बहुत प्रसन्न होते हैं, परंतु उनकी मुर्खता के कारण कुछ दिन बाद जब बारिश का मौसम दस्तक देता है, तो नदी का पानी पूरे गांव में भरने लगता है। धीरे-धीरे पानी लोगों के घरों में घुसना शुरू हो जाता है। इससे परेशान होकर सारे नगरवासी एकत्रित होकर मंत्री के पास आते हैं। मंत्री उन्हें आश्वासन देता है कि वह इस समस्या का हल ढूंढ निकालेगा।
लोगों की परेशानी सुनकर मंत्री समाधान निकालने के लिए एक योजना बनाता है। उन्होंने राज महल में समय को बताने के लिए घंटा बजाने वाले शख्स को इसमें शामिल किया। वह समय के अनुसार घंटा बजाता था, जिससे लोगों को समय पता चलता था। मंत्री ने उसे कहा कि आज तुम प्रति घंटे की बजाय हर आधे घंटे में घंटा बजाना। उस आदमी ने मंत्री ने जैसा कहा वैसा ही किया। इससे जब सुबह के तीन बज रहे थे, तो उसने छह बार घंटा बजाया।
छह घंटे सुनकर राजा और सभी नगरवासियों को लगा कि छह बज गए हैं और सुबह हो गई है। राजा उठकर बाहर आता है, तो वहां मंत्री पहले से मौजूद होता है। बाहर अंधेरा देखकर राजा मंत्री से पूछता है कि अभी तक सूर्योदय क्यों नहीं हुआ है।
राजा के सवाल का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा, “महराज प्रातःकाल हो चुकी है, पर हमने पूर्व दिशा वालों के यहां पानी को जाने से रोक दिया है, तो शायद इसलिए उन्होंने हमारे यहां सूर्य की रोशनी को आने से रोक दिया है। इसलिए सूर्य उदय तो हुआ है, पर हमारे देश तक रोशनी नहीं पहुंची है। ऐसा लग रहा है कि अब हमारे देश में सूरज की रेशनी कभी नहीं पहुंच पाएगी। यह सुनकर राजा चिंता में पड़ जाता है और मंत्री से पूछता है कि क्या इसका कोई उपाय नहीं है। तब मंत्री उत्तर देता है कि महाराज अगर आप नदी का पानी छोड़ देते हैं, तो हो सकता है कि वो भी सूरज को छोड़ देंगे। इससे राज्य में फिर से रोशनी आ जाएगी।
राजा मंत्री को तुरंत नदी की दीवार तुड़वाने का आदेश देता है। मंत्री कारीगरों को नदी पर ले जाकर उन्हें दीवार तोड़ने के लिए कहता है। कुछ घंटों में कारीगरों ने दीवार गिरा दी और तब तक सूरज के निकलने का समय भी हो गया था। सूर्य उदय हो गया। सूर्य की लालिमा देखकर राजा बहुत खुश हुआ और मंत्री को इनाम देने की घोषणा की। राजा ने मंत्री की तारीफ करते हुए कहा कि तुम्हारे कारण हमारे राज्य में फिर से सूर्य उदय हो पाया है और तुमने हमारे राज्य को अंधकार से बचाया है। इसके बाद मंत्री कहता है कि महराज यह तो राज्य के लिए प्रति मेरा फर्ज था।
कहानी से सीख – कभी भी दूसरों का बुरा नहीं करना चाहिए और न ही उनकी तरक्की देखकर उनसे जलन की भावना रखनी चाहिए।