विश्वासघात- राजा रानी की कहानी | Betrayal Story Of King And Queen In Hindi
June 17, 2024 द्वारा लिखित Sweta Shrivastava
सालों पहले लखनपुर नाम के राज्य में भीमा नाम के राजा का शासन हुआ करता था। वह बहुत महत्वकांक्षी था और अपनी प्रजा से बहुत प्यार करता था। उनके राज्य में चारों ओर खुशहाली थी, लेकिन राजा-रानी खुद हमेशा दुखी रहते थे। उनके पास धन, दौलत, शोहरत सब कुछ था, लेकिन उनकी संतान न थी। संतान पाने के लिए राजा और रानी पूजा-पाठ, जप-तप सब करके देख चुके थे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
एक दिन महर्षि के कहने पर राजा ने महायज्ञ कराने का फैसला किया। यज्ञ और भगवान के प्रताप से राजा को एक बहुत सुंदर कन्या की प्राप्ति हुई। राजा-रानी के साथ पूरी प्रजा खुशी से झूमने लगी। राज्य में चारों तरफ चारों तरफ खुशी का माहौल छा गया। राजा ने सारे नगर वासियों को पिता बनने की खुशी में भोज पर आमंत्रित किया।
धीरे-धीरे समय बीतने लगा। राजकुमारी बड़ी होने लगी। वह काफी सुंदर और गुणवान थी। राजा-रानी उसे देखकर ही खुश रहने लगे, लेकिन एक दिन उनकी खुशी को मानो जैसे नजर लग गई। राजकुमारी बीमार पड़ गई। बड़े-बड़े वैध, नीम-हकीम सब इलाज में जुटे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। दिन-प्रतिदिन राजकुमारी की हालत बिगड़ती जा रही थी। राजकुमारी के ऊपर कोई दवा असर नहीं कर रही थी। राजा को लगने लगा कि एक बार वे फिर निसंतान हो जाएंगे।
एक दिन दूर देश से एक वैध राजा के महल पहुंचा। देखने में वह अजीब सा था और उसने ठीक तरह से कपड़े भी नहीं पहने हुए थे, जिस वजह से सैनिकों ने उसे राजमहल में प्रवेश करने से रोक दिया। वैध ने राजा से एक बार मिलने की बहुत गुजारिश करते हुए कहा कि मैं राजकुमारी को ठीक कर सकता हूं, लेकिन किसी ने उसकी बात पर यकीन नहीं किया।
सैनिक उस वैद्य को राजा के पास लेकर गए। वैध ने सबसे पहले राजा को अपना परिचय दिया और कहा कि मैं आपकी बेटी को ठीक कर सकता हूं। राजा उसकी बात सुनकर प्रसन्न हुआ, लेकिन उसका रहन-सहन देखकर राजा ने भी उस पर यकीन नहीं किया। उधर, राजकुमारी की तबियत दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही थी। इसलिए, राजा किसी वैद्य पर यकीन नहीं कर पा रहे थे, लेकिन उस वैद्य का आत्मविश्वास देखकर राजा ने उसे एक मौका देने का फैसला किया।
राजा ने वैद्य को बोला कि अगर राजकुमारी ठीक नहीं हुई तो अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना। इस पर वैद्य ने बोला- ठीक है, लेकिन अगर राजकुमारी ठीक हो गई तो मुझे क्या मिलेगा।
राजा ने कहां- जो मांगोगे मिलेगा। वैद्य राजी हो गया।
राजा खुद उस वैद्य को लेकर राजकुमारी के पास गया। राजकुमारी बिस्तर पर बेजान सी लेटी हुई थी। ऐसा लग रहा था, जैसे किसी ने उसका सारा नूर निकाल लिया हो। चेहरा दर्द में डूबा पीला पड़ गया था। वैद्य राजकुमारी के करीब पहुंचा और नब्ज टटोलने लगा। फिर उसने थैले से जड़ीबूटियों से तैयार दवा की पुड़िया निकाली और राजकुमारी के मुंह में डाल दी।
वैद्य ने राजा और रानी से बोला कि आपकी बेटी जल्दी ठीक हो जाएगी। वैद्य की बात सुनकर राजा रानी के मन में बेटी के ठीक होने की एक उम्मीद की किरण जाग उठी। ऐसे ही इलाज करते हुए 2 महीने बीत गए। धीर-धीरे राजकुमारी की हालत में सुधार होने लगा। उसके चेहरे की चमक लौटने लगी। राजा-रानी के चेहरे की खुशी भी झलकने लगी। एक दिन वैद्य ने राजा से कहा- महाराज, राजकुमारी अब ठीक हो गई हैं। ये एक महीने की पुड़िया बनाकर दे रहा हूं। इसे समय पर राजकुमारी को देते रहना। इसके बाद राजकुमारी पूरी तरह स्वस्थ्य हो जाएंगी। यह बीमारी दोबारा उनके पास भी नहीं फटकेगी।
अगले दिन राजा ने वैद्य को अपने पास बुलाया और कहा कि वादे के मुताबिक मैं तुम्हे तुम्हारा इनाम देना चाहता हूं। बताओ तुम्हे क्या चाहिए।
वैद्य बोला- सोच लीजिए राजा जी, आप अपने वादे पर कायम रह पाएंगे।
राजा ने बोला- तुमने मेरी बेटी को स्वस्थ किया है। बोलो क्या मांगते हो।
वैद्य ने मुस्कुराते हुए कहा- आपका आधा राज्य और बेटी का हाथ।
इतना सुनते ही राजा आगबबूला हो गया। उसने कड़कते हुए कहा- तुम होश में तो हो। अगर तुमने मेरी बेटी के प्राणों की रक्षा न की होती तो तुम अब तक यमलोक पहुंच गए होते। उसने सैनिकों को आदेश दिया कि इसे राज्य से बाहर निकाल दिया जाए। वैद्य कुटिलता से मुस्कुराते हुए वहां से चला गया।
इस घटना के कुछ दिन ही बीते थे कि एक दिन फिर राजकुमारी की हालत बिगड़ गई। उसका शरीर नीला पड़ गया। आनन-फानन में राजवैद्य को बुलाया गया। राजवैद्य ने बताया कि राजकुमारी को जहर दिया गया है। इसका तोड़ किसी के पास नहीं है। कुछ देर बाद राजकुमारी ने दम तोड़ दिया। पूरे राज्य में मातम छा गया। राजा-रानी शोक में डूब गए।
छानबीन में पता चला कि वैद्य ने राजकुमारी को एक महीने खाने के लिए जो पुड़िया दी थी, उनमें से ही एक पुड़िया में जहर था। वैद्य को पहले ही शक था कि राजा उसकी बात नहीं मानेगा। इसलिए उसने एक पुड़िया में जहर भरकर रखा था। उसने सोचा कि अगर राजा शादी के लिए मान जाता है, तो वह जहर वाली पुड़िया हटा देगा, लेकिन अगर नहीं माना तो इसकी सजा राजकुमारी को भुगतनी होगी। वैद्य की चाल कामयाब हो गई।
कहानी से सीख : अगर किसी से कोई वादा किया है, तो उसे पूरा जरूर करना चाहिए।