फूलों की राजकुमारी थंबलीना की कहानी | Thumbelina Story In Hindi
June 17, 2024 द्वारा लिखित Bhupendra Verma
कुछ समय पहले, एक शहर में एक औरत अकेली रहती थी। उसका अपना कोई नहीं था। इस बात से वह काफी दुखी थी। एक दिन वह अपनी परी दोस्त से मिलने गई और उसे कहा कि मुझे एक बेटी चाहिए। परी ने उसकी बात सुनकर उसे एक बीज दिया और बोली कि तुम इस बीज को तुम अपने घर के एक गमले में लगा देना।
परी से बीज लेने के बाद महिला घर पहुंची और उसके बताए अनुसार बीज को अपने घर के गमले में लगा दिया। अगले दिन जब वह गमले के पास गई, तो उसने देखा कि उसमें एक सुंदर-सा फूल खिला था। वह एक जादुई फूल था, जिसका नाम ट्यूलिप था। उसकी पंखुड़ियां आधी ही खुली थी।
उस औरत ने जब उस फूल को चूमा, तो उसकी पंखुड़ियां पूरी तरह से खिल गईं। फूल के खिलते ही उसमें से एक बहुत खूबसूरत लड़की बाहर निकली। वह लड़की फूल की ही तरह बेहद कोमल थी और उसका आकार अंगूठे जितना था, इसलिए उस औरत ने उसका नाम थंबलीना रखा।
महिला ने थंबलीना से कहा, ‘बेटी मैं तुम्हारी मां हूं। अब से मैं ही तुम्हारा पालन करूंगी और तुम्हें बहुत प्यार से रखूंगी।’ यह सुनकर थंबलीना भी काफी खुश हो गई और खुशी-खुशी उसी घर में रहने लगी।
एक दिन थंबलीना खेल रही थी। तभी मेंढक की नजरें उस पर पड़ी। मेंढक ने अपने मन में सोचा कि क्यों न इससे मैं अपने बेटे की शादी करा दूं। यह सोचकर मेंढक थंबलीना को उठाकर अपने बेटे के पास ले गया। मेंढक का बेटा थंबलीना को देखकर उससे शादी करने के लिए तैयार हो गया। मेंढक ने थंबलीना को तालाब के पास एक पत्ते पर रखकर शादी की तैयारियों में जुट गया।
तालाब के बीच एक पत्ते में बैठी थंबलीना चाहकर भी वहां से भाग नहीं पा रही थी। आखिर में वो रोने लगी। तभी एक तितली ने थंबलीना को देखा। उसने उसे वहां से उठाया और फूलों के नगर में ले गई। यहां तितली में थंबलीना को अपने साथ रखा और उसके खाने-पीने का इंतजाम करने में जुट गई। तभी एक झींगुर की नजर थंबलीना पर पड़ी। वह भी उसकी खूबसूरती देखकर उसका कायल हो गया।
वह थंबलीना को अपने दिल की बात बताने पहुंचा। यह सुनकर थंबलीना ने उसे समझाया कि हम दोनों एक नहीं हो सकते। हम अलग-अलग जीव हैं। इस पर झींगुर के मित्रों ने भी कहा, ‘दोस्त! यह थोड़ी अजीब है। ये लड़की हमारे जैसी नहीं है।’
यह बात झींगुर समझ गया और उसने थंबलीना को छोड़ दिया। इसके बाद थंबलीना अपने घर का रास्ता ढूंढने लगी। तभी वह भटक कर एक बिल में जा घुसी। उस बिल की रानी एक चुहिया था, जो बहुत बूढ़ी थी।
चुहिया ने थंबलीना को सहारा दिया और बदले में उससे घर के सारे काम कराने लगी। एक दिन उसके घर छछूंदर आया, जिसका नाम मिस्टर मोल था। वो भले ही देख नहीं सकता था, लेकिन वो थंबलीना की आवाज पर फिदा हो गया।
मिस्टर मोल ने बूढ़ी चुहिया से कहा कि वो थंबलीना से शादी करना चाहता है और दोनों की शादी चुहिया ने तय भी कर दी। तभी घर से बाहर मिस्टर मोल को छोड़ने जाते हुए थंबलीना को एक चिड़िया मिली, जो घायल और बेहोश थी। थंबलीना तुरंत उसकी मदद करने लगी।
बूढ़ी चुहिया और मिस्टर मोल ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन थंबलीना नहीं मानी। उसने दिन रात एक करके चिड़िया की देखभाल की। कुछ दिनों के बाद चिड़िया पूरी तरह से ठीक हो गई। चिड़िया के ठीक होने से थंबलीना खुश थी, लेकिन शादी के दिन नजदीक आ रहे थे, इसलिए बेचैन हो गई।
थंबलीना ने चिड़िया को सारी बातें बताई। यह सुनकर चिड़िया ने कहा कि जल्दी से मेरी पीठ पर बैठ जाओ। मैं तुम्हें यहां से बहुत दूर ले जाऊंगी। थंबलीना तुरंत उस चिड़िया के पीठ पर बैठ गई।
चिड़िया थंबलीना को वहां से बहुत दूर एक फूलों के देश में लेकर पहुंची। यहां फूलों के राजकुमार की नजर थंबलीना पर पड़ी। राजकुमार ने उसे देखते ही पूछा, ‘क्या तुम मुझसे शादी करके यहां की रानी बनोगी?’
थंबलीना को कुछ समझ नहीं आ रहा था। तभी चिड़िया वहां पहुंची और उसने बताया कि ये फूलों के राजकुमार हैं और अच्छे दिल के इंसान हैं। यह सुनकर थंबलीना ने शादी के लिए हां कर दी। शादी के बाद थंबलीना को फूलों के देश से पंख भी मिल गई और थंबलीना फूलों की राजकुमारी कहलाने लगी।
कहानी से सीख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा दूसरों का भला करना चाहिए।