पंचतंत्र की कहानी: संगीतमय गधा | The Musical Donkey In Hindi

June 17, 2024 द्वारा लिखित

बहुत समय पहले की बात है, किसी गांव में एक धोबी रहा करता था। उसके पास एक गधा था, जिसका नाम मोती था। चूंकि, धोबी स्वाभाव से बहुत ही कंजूस था, इसलिए वह अपने गधे को जान बूझकर चारा पानी नहीं देता था और उसे चरने के लिए बाहर भेज दिया करता था। इस कारण गधा बहुत ही कमजोर हो गया था। जब एक दिन धोबी ने उसे घास चरने के लिए छोड़ा, तो वह चरते-चरते कहीं दूर जंगल में निकल गया। जंगल में उसकी मुलाकात एक गीदड़ से हुई।

गीदड़ ने पूछा, “गधे भाई तुम इतने कमजोर क्यों हो?” तो गधे ने जवाब दिया, “मुझसे दिनभर काम करवाया जाता है और मुझे कुछ खाने के लिए भी नहीं दिया जाता है। यही वजह है कि मुझे इधर-उधर भटक-भटक कर अपना पेट भरना पड़ता है। इस कारण मैं बहुत कमजोर हो गया हूं।” गधे की यह बात सुनकर गीदड़ कहता है, “मैं तुम्हें एक उपाय बताता हूं, जिससे तुम बहुत ही स्वस्थ और शक्तिशाली हो जाओगे।”

गीदड़ कहता है, “यहां पास में ही एक बहुत बड़ा बाग है। उस बाग में हरी-भरी सब्जियां और फल लगे हुए हैं। मैंने उस बाग में जाने का एक खुफिया रास्ता बना रखा है, जिससे मैं रोज रात को जाकर बाग में हरी-भरी सब्जियां और फल खाता हूं। यही वजह है कि मैं एकदम तंदुरुस्त हूं।” गीदड़ की बात सुनते ही गधा उसके साथ हो लेता है। फिर गीदड़ और गधा दोनों ही साथ मिलकर बाग की ओर चल देते हैं।

बाग में पहुंच कर गधे की आंखे चमक उठती हैं। इतने सारे फल और सब्जियां देखकर गधा अपने आप को रोक नहीं पाता है और बिना देर किए वह अपनी भूख मिटाने के लिए रसीले फल और सब्जियों का आनंद लेने लगता है। गीदड़ और गधा जी भर के खाने के बाद उसी बाग में सो जाते हैं।

अगले दिन सूरज निकलने से पहले गीदड़ उठ जाता है और फौरन बाग से निकलने को कहता है। गधा बिना सवाल किए गीदड़ की बात मान लेता है और दोनों वहां से रवाना हो जाते हैं।

फिर वो दोनों रोज मिलते और इसी तरह बाग में जाकर हरी-भरी सब्जियां और फल खाते। धीरे-धीरे समय बीतता गया और गधा तंदुरस्त हो गया। रोज भर पेट खाना खाकर अब गधे के बाल चमकने लगे थे और उसकी चाल में भी सुधार हो गया था। एक दिन गधा खूब खाकर मस्त हो गया और जमीन पर लोटने लगा। तभी गीदड़ ने पूछा, “गधे भाई तुम्हारी तबीयत तो ठीक है न?” तो गधा कहता है, “आज मैं बहुत खुश हूं और मेरा गाना गाने का मन कर रहा है।”

गधे की यह बात सुनकर गीदड़ घबराया और बोला, “न गधे भाई, यह काम भूलकर भी मत करना। भूलो मत हम चोरी कर रहे हैं। कहीं बाग के मालिक ने तुम्हारा बेसुरा गाना सुन लिया और यहां आ गया, तो बड़ी मुसीबत हो जाएगी। भाई इस गाने-वाने के चक्कर में मत पड़ो।”

गीदड़ की यह बात सुनकर गधा बोला, “तुम क्या जानो गाने के बारे में। हम गधे तो खानदानी गायक हैं। हमारा ढेंचू राग तो लोग बड़े शौक से सुनते हैं। आज मेरा गाने का बहुत मन है, इसलिए मैं तो गाऊंगा।”

गीदड़ समझ जाता है कि गधे को गाने से रोक पाना अब बहुत मुश्किल है। गीदड़ को अपनी गलती का आभास हो जाता है। गीदड़ बोला, “गधे भाई तुम सही कह रहे हो, गाने-वाने के बारे में हम क्या जाने। अब तुम बता रहे हो, तो मुमकिन है कि तुम्हारी सुरीली आवाज सुनकर बाग का मालिक फूल माला लेकर तुम्हें पहनाने जरूर आएगा।” गीदड़ की बात सुनकर गधा खुशी से गद-गद हो जाता है। गधा कहता है, “ठीक है, फिर मैं अपना गाना शुरू करता हूं।”

तभी गीदड़ कहता है, “मैं तुम्हें फूल माला पहना सकूं, इसलिए तुम अपना गाना मेरे जाने के 15 मिनट बाद शुरू करना। इससे मैं तुम्हारा गाना खत्म होने से पहले यहां वापस आ जाऊंगा।”

गीदड़ की यह बात सुनकर गधा और भी ज्यादा फूला नहीं समाता है और कहता है, “जाओ भाई गीदड़ मेरे सम्मान के लिए फूल माला लेकर आओ। मैं तुम्हारे जाने के 15 मिनट बाद ही गाना शुरू करूंगा।” गधे के इतना कहते ही गीदड़ वहां से नौ दो ग्यारह हो जाता है।

गीदड़ के जाने के बाद गधा अपना गाना शुरू करता है। गधे की आवाज सुनते ही बाग का मालिक लाठी लेकर   वहां पहुंच जाता है। वहां गधे को देख बाग का मालिक कहता है कि अब समझ आया कि तू ही है, जो मेरे बाग को रोज चर के चला जाता है। आज मैं तुझे नहीं छोड़ूंगा। इतना कहते ही बाग मालिक लाठी से गधे की खूब जमकर पिटाई करता है। बाग मालिक की पिटाई से गधा अधमरा हो जाता है और बेहोश होकर जमीन पर गिर जाता है।

कहानी से सीख :

संगीतमय गधा कहानी से सीख मिलती है कि अगर कोई हमारी भलाई के लिए कुछ बात समझाता है, तो उसे मान लेना चाहिए। कभी-कभी हालात ऐसे हो जाते हैं कि दूसरों की बात न मानने से हम मुसीबत में पड़ सकते हैं।

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