शेखचिल्ली की कहानी : चिट्ठी का किस्सा | Chitthi Ka Kissa In Hindi
June 17, 2024 द्वारा लिखित nripendra
शेखचिल्ली का यह किस्सा उसके भाई से जुड़ा है। शेख अपने भाई से खूब प्यार करता था। दोनों कुछ घंटों की दूरी पर अलग-अलग गांव में रहते थे। एक दूसरे का हाल खबर जानने के लिए दोनों चिट्ठी का सहारा लिया करते थे। एक दिन शेखचिल्ली को पता चला कि उसका भाई बीमार हो गया है। उसके मन में हुआ कि अब जल्दी से भाई को चिट्ठी लिखकर उसका हाल जान लेता हूं। उसने ऐसा ही किया और करीब एक घंटे बैठकर बड़ा सा खत लिख लिया।
उस समय डाक पहुंचाने की सुविधा नहीं थी, इसलिए लोग एक गांव से दूसरे गांव जाने वाले व्यक्ति के हाथ में चिट्ठी और कुछ पैसे देकर उसे पहुंचाने के लिए कह देते थे। शेखचिल्ली का भाई जिस गांव में था वहां एक नाई का आना-जाना लगा रहता था। वो तुंरत उस नाई के पास गया और कहने लगा कि आप मेरे भाई तक इस चिट्ठी को पहंचा दो।
नाई ने खांसते हुए कहा कि देखो भाई! मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है, इसलिए मैं कुछ दिनों तक उस गांव में नहीं जाने वाला हूं। तुम किसी और के हाथ इस चिट्ठी को भिजवा दो। शेखचिल्ली ने अपने गांव से भाई के गांव जाने वाले हर इंसान से पूछा, लेकिन सबने चिट्ठी पहुंचाने से मना कर दिया। कोई बीमार था, किसी को जरूरी काम थे और कुछ लोग अभी दूसरे गांव जाना नहीं चाहते थे।
काफी कोशिशों के बाद भी चिट्ठी पहुंचाने का इंतजाम न होने पर गुस्से में शेखचिल्ली खुद ही अपने भाई के गांव निकल गया। पूरे एक दिन पैदल चलने के बाद वो अपने भाई के घर पहुंचा। उसने वहां पहुंचकर भाई के घर का दरवाजा खटखटाया। जैसे ही भाई बाहर आया, तो उसने उसके हाथों में खुद की लिखी चिट्ठी थमा दी और वापस लौटने लगा।
शेखचिल्ली को रोकते हुए उसके भाई ने कहा, ”अरे, तुम कहा जा रहे हो। इतनी दूर से यहां आए हो, कुछ देर बैठो और मेरे साथ बातें करो।” शेखचिल्ली ने उसकी एक न सूनी। तब उसके भाई ने पूछा, “क्या तुम मुझसे नाराज हो।”
जवाब देते हुए शेखचिल्ली ने बताया कि मैं तुम्हें चिट्ठी भिजवाने के लिए बहुत से लोगों के घर गया, लेकिन कोई भी तुम्हारे पास चिट्ठी लेकर आने को तैयार नहीं हुआ। आखिर में परेशान होकर मैं खुद ही नाई की जगह तुम्हें चिट्ठी देने के लिए आया हूं। अब मैं नाई की जगह तुम्हारे घर आया हूं, तो मैं तुम्हारे साथ व्यवहार भी वैसा ही करूंगा।
अगर मुझे तुमसे मिलने आना होता, तो मैं खुद ही नहीं आ जाता। मैं नाई की जगह चिट्ठी देने के लिए क्यों तुम्हारे पास आता। शेखचिल्ली की बातें उसके भाई के बिल्कुल भी समझ नहीं आ रही थी। उसके मन में हुआ कि ये आया तो खुद ही है, लेकिन कहता है कि नाई की जगह आया हूं, इसलिए तुमसे मिलूंगा नहीं। इतने में शेखचिल्ली ने कहा कि तुम इस चिट्ठी को अच्छे से पढ़ लेना और इसका जवाब अपने भाई को भिजवा देना। अब मैं नाई की जगह यहां आया हूं, तो मैं वापस चलता हूं। इतना कहकर शेखचिल्ली अपने घर की ओर निकल गया।
कहानी से सीख :
हमें हमेशा अपने दिमाग का इस्तेमाल करना चाहिए। साथ ही किसी बात पर डटे रहने की जगह सामने वाले की बात को सुनकर समझने की कोशिश करनी चाहिए।