श्री कृष्ण और कालिया नाग की कहानी | Shri Krishna Aur Kaliya Naag
June 17, 2024 द्वारा लिखित nripendra
श्री कृष्ण की बाल लीलाओं से जुड़े कई रोचक किस्से हैं। ऐसा ही एक किस्सा है कालिया नाग का। श्री कृष्ण ने अपनी लीला से उसका घमंड चूर-चूर कर दिया था, तो चलो यही कहानी सुनते हैं।
यह बात तब की है जब यशोदा के लला कंहैया गोकुल में रहा करते थे। गोकुल के पास ही युमना नदी बहती है। एक बार यमुना को कालिया नाग ने अपना घर बना लिया और नदी के पानी को अपने विष से जहरीला कर दिया। उस पानी को पीकर पशु-पक्षी और गांव के लोग मरने लगे थे।
एक बार श्री कृष्ण अपने दोस्तों के साथ खेलते-खेलते यमुना नदी के किनारे पहुंच गए और खेलते-खेलते अचानक से उनकी गेंद नदी में गिर जाती है। अब यमुना नदी के पानी और उसमें रहने वाले कालिया नाग के बारे में सभी को मालूम था। इसलिए, मौत के डर से कोई भी नदी में जाने को तैयार नहीं हुआ।
तब श्री कृष्ण ने कहा कि मैं गेंद लेकर आता हूं। सभी बच्चों ने उन्हें नदी में जाने से रोका, लेकिन वह नहीं माने और नदी में छलांग लगा दी। सभी बच्चे डर के मारे घर पहुंचे और यशोदा मैया को कंहैया के नदी में कूदने की बात बता दी। यह सुनते ही यशोदा मैया डर गईं और फूट-फूट कर रोने लगीं। यह बात धीरे-धीरे पूरे गाेकुल धाम में जंगल की आग की तरह फैल गई।
सभी दौड़े-दौड़े यमुना नदी किनारे आए गए, लेकिन कृष्ण अभी तक वापस नहीं आए थे। वहीं, नदी में कृष्ण को देखकर कालिया नाग की पत्नियों ने उन्हें वापस जाने को कहा, लेकिन कृष्ण नहीं माने और तभी कालिया नाग जाग गया। कृष्ण ने कालिया नाग को यमुना नदी छोड़ने का आदेश दिया, लेकिन कालिया नाग ने मना कर दिया और कृष्ण को मारने के इरादे से उन पर हमला कर दिया। कृष्ण और कालिया नाग की जोरदार लड़ाई हुई। कुछ समय के बाद कालिया नाग हार गया और कृष्ण उसके फन पर नाचने लगे।
कालिया नाग थकने के बाद कृष्ण से अपने प्राण बचाने के लिए प्रार्थना करने लगा। तब कृष्ण ने उसे अपने स्थान पर वापस जाने को कहा। कालिया ने कहा कि वहां पर गरुड़ मुझे मार डालेगा, मैं वहां कैसे जाऊं। इस पर कृष्ण ने कहा कि मेरे चरणों के निशान तुम्हारे फन पर हैं, उसे देखकर गरुड़ तुमको नहीं मारेगा।
इसके बाद कालिया नाग श्री कृष्ण को अपने फन पर उठाकर यमुना नदी से बाहर आ गया और इसके बाद अपनी पत्नियों के साथ अपने स्थान पर चला गया। कृष्ण को सही सलामत वापस पाकर सभी बहुत खुश हुए और गोकुल में उत्सव मनाया गया।