तेनालीराम की कहानी: तेनाली राम और जादूगर
June 17, 2024 द्वारा लिखित nripendra
एक बार की बात है राजा कृष्णदेव राय के महल में एक जादूगर आया और तरह-तरह के जादू दिखाकर सबका मनोरंजन करने लगा। दरबार में मौजूद हर व्यक्ति उसके जादू को देखकर खुश हो गया।
उस जादूगर को अपने जादुई करतब पर बहुत घमंड था। उसने जादू दिखाने के बाद वहां बैठे लोगों को चुनौती दी कि क्या किसी में इतना दम है कि उसे कोई जादू में हरा सके? वहां बैठा हर व्यक्ति चुपचाप एक-दूसरे को सिर्फ देखता रहा। कोई भी उस जादूगर की चुनौती स्वीकार करने आगे नहीं आया। दरबार में बैठा तेनालीराम भी इन सभी चीजों को देख रहा था। जब कोई भी व्यक्ति आगे नहीं आया, तब तेनाली राम ने उठकर जादूगर की चुनौती को स्वीकार किया।
तेनाली राम ने जादूगर को कहा, ‘जो चीज मैं बंद आंखों से कर सकता हूं, क्या तुम वो खुली आंखों से कर सकोगे?’ घमंडी जादूगर हंसते हुए कहा, ‘इसमें कौन-सी बड़ी बात है, मैं निश्चित खुली आंखों से कर सकता हूं।’
जादूगर की बात सुनने के बाद तेनाली राम द्वारपाल के पास गया और उसके कानों में कुछ कहा। तेनाली की बात सुनकर द्वारपाल बाहर गया और अपने साथ मुट्ठीभर लाल मिर्च का पाउडर ले आया। फिर तेनाली ने अपनी आंखें बंद की और अपने आंखों पर मिर्च का पाउडर डालने लगा। मिर्च डालते वक्त तेनाली मंद-मंद मुस्कुराता भी रहा। फिर थोड़ी देर बाद तेनाली ने अपनी बंद आंखों को धोया और आंखें खोलने के बाद जादूगर की तरफ देखकर बोला, ‘अब आपको यह खुली आंखों से करना है।’
जादूगर ने अपनी हार मान ली और वो वहां से सिर झुकाकर चला गया। महाराज समेत दरबार में बैठा हर व्यक्ति तेनाली से खुश हो गया। महाराज ने खुश होकर तेनाली को कई उपहार भी भेंट में दिए।
कहानी से सीख
कभी भी अपने प्रतिभा पर घमंड नहीं करना चाहिए। व्यक्ति का अहंकार हमेशा उसे हराता है।