तेनालीराम और लाल मोर की कहानी | Tenaliram Aur Lal Mor
June 17, 2024 द्वारा लिखित nripendra
विजयनगर राज्य के राजा थे कृष्णदेव राय, जिन्हें पशु-पक्षियों के साथ-साथ अद्भुत और अनोखी चीजों का भी बहुत शौक था। यही कारण था कि मंत्रियों से लेकर दरबारी, हमेशा अनोखी चीजों की खोज में लगे रहते थे। वे उन अनोखी चीजों को देकर न सिर्फ महाराज को खुश करना चाहते थे, बल्कि उनसे उपहार और पैसे ऐंठना भी उनका मकसद था।
एक बार की बात है, महाराज का एक दरबारी उनको खुश करने के लिए एक अनोखा लाल रंग का मोर रंगाई करने वाले से रंगवा कर लेकर आया। वह दरबारी उसे सीधे महाराज के पास ले आया और बोला, ‘महाराज मैंने यह अनोखा मोर मध्य प्रदेश के घने जंगलों से मंगवाया है।’ महाराज ने भी उस मोर को देखा और वो आश्चर्यचकित हो गए। उन्होंने बोला, ‘लाल मोर, यह तो सच में बहुत अद्भुत है और यह शायद ही कहीं मिल पाएगा। इसे मैं अपने बगीचे में बहुत ही सावधानीपूर्वक रखवाऊंगा। अच्छा, अब यह बताओ कि इसे मंगाने में तुम्हारे कितने पैसे खर्च हुए?’
दरबारी अपनी बढ़ाई सुनकर काफी खुश हुआ और बोला, ‘महाराज आपके लिए यह अनोखा मोर ढूंढने के लिए मैंने अपने दो सेवकों को लगाया था। वो दोनों पूरे देश की यात्रा पर निकले हुए थे। कई सालों तक इस अद्भुत चीज को ढूंढते रहे। सालों की खोज के बाद अब जाकर इन्हें यह लाल रंग का मोर मिला है। इन सब में मेरे करीब 25 हजार रुपये खर्च हुए हैं।’
यह सुनने के बाद राजा ने तुरंत कहा, ‘दरबारी को 25 हजार रुपये दे दिए जाएं।’
इसके साथ ही राजा ने यह भी कहा कि ‘यह तो वो रुपये हैं, जो आपने खर्च किए हैं। इसके अलावा, एक हफ्ते बाद आपको पुरस्कार भी दिया जाएगा।’ यह सुनकर दरबारी खुश हो गया और तेनाली की तरफ देखकर मुस्कुराने लगा। उसकी इस मुस्कुराहट से तेनाली सारी बात समझ गया, लेकिन उसने मौके को देखकर चुप रहना ही सही समझा। तेनाली यह भी जानता था कि लाल रंग का मोर कहीं भी नहीं पाया जाता है। वो समझ चुका था कि यह दरबारी की कोई चाल है।
उसके अगले ही दिन तेनाली ने उस रंगाई करने वाले व्यक्ति को ढूंढ निकाला, जिसने मोर को लाल रंग से रंगा था। तेनाली उसके पास चार और मोर लेकर गया और उसे रंगवाकर दरबार में ले आया। उसने दरबार में कहा, ‘महाराज, हमारे दरबारी दोस्त पच्चीस हजार में बस एक ही मोर लेकर आए थे, लेकिन मैं पचास हजार में उससे भी सुंदर चार मोर लेकर आया हूं।’ राजा उन मोर को देखकर आकर्षित हो गए, क्योंकि वो मोर सच में काफी सुंदर और सुर्ख लाल थे। इसके बाद राजा ने तेनाली को पच्चास हजार रूपये देने का आदेश दिया।
यह सुनते ही तेनाली ने दरबार में बैठे एक आदमी की तरफ इशारा करते हुए कहा, ‘इस इनाम का हकदार मैं नहीं बल्कि यह कलाकार है। इसी कलाकार ने नीले मोर को लाल रंग में बदला है। यह किसी भी चीज के रंग को बदल सकता है, इसमें यह कला है।’ यह सुनते ही महराज सबकुछ समझ गए कि दरबारी ने उन्हें ठगने की कोशिश की है।
राजा ने तुरंत दरबारी को दिए गए पच्चीस हजार लौटाने का आदेश दिया और साथ ही पांच हजार का जुर्माना भी लगाया। इसके साथ ही उसने कलाकार को पुरस्कार भी दिया।
कहानी से सीख
बच्चों, देखा जाए तो इस कहानी में दो सीख है। पहली कि कभी भी लालच नहीं करना चाहिए और दूसरी बात कि कभी भी किसी खूबसूरत चीज को देख जल्दबाजी में फैसला नहीं करना चाहिए।