भूत की कहानी : उल्लू और भूतों के सरदार का सपना | Ullu Or Bhooton Ke Sardar Ka Sapna Story In Hindi

June 17, 2024 द्वारा लिखित

दिनकर नामक जंगल में एक पुराना-सा बरगद का पेड़ हुआ करता था, जिसमें उल्लू का घर भी था। उसी पेड़ के नीचे एक हाथी भी रहता था, जिसका नाम झनकू था। एक जगह पर रहने की वजह से उल्लू और झनकू हाथी के बीच अच्छी दोस्ती थी।

इधर, हाथी सारा दिन जंगल में मस्ती करता था। कभी वो गन्ने खाता, तो कभी अपनी सूंड में पानी भरता और अपने ऊपर फेंकता। उधर, उल्लू सारा दिन सोता और रात होते ही झनकू के पास जाकर ढेर सारी बातें करता था। ऐसे ही दोनों का समय अच्छे से कट जाता था।

एक दिन हाथी घूमकर शाम के समय बरगद के पेड़ के पास लौट रहा था, तभी उसने कुछ भूतों को बातें करते हुए देखा। उसने सुना कि भूत आसपास के लोगों को डराना की सोच रहे हैं।

उसी वक्त भूतों के सरदार ने झनकू को देख लिया। वो जोर से चिल्लाया पकड़ लो इस हाथी को। कुछ भूत झनकू को पकड़ने के लिए उसके पीछे भागने लगे।

भूतों के सरदार के पास खड़े कुछ भूतों ने पूछा, “ये कौन था सरदार।”

सरदार ने जवाब दिया, “मैंने कल रात सपने में एक हाथी को पूरा खाया था। ये हाथी बिल्कुल मेरे सपने के हाथी जैसा ही था। इसे देखकर लग रहा है कि सपने सच हो सकते हैं। इसे पकड़कर आज मैं अपना सपना सच करके ही रहूंगा। ”

तभी हाथी को भूत पकड़कर सरदार के पास ले आए। झनकू ने पहली बार भूतों को देखा था। उन्हें देखकर वो डर गया। कांपते हुए झनकू हाथी की तरफ भूतों का सरदार अपना सपना सच करने के लिए बढ़ने लगा। झनकू के हाथ-पैर ठंडे पड़ चुके थे। ताकत तो झनकू के पास काफी थी, लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि भूतों से कैसे निपटे।

उसी समय झनकू का दोस्त उल्लू वहां पहुंचा। चिल्लाते हुए उल्लू हाथी के सिर पर बैठ गया और कहने लगा, “आज मेरा सपना पूरा होगा। यही है वो जिसे मैंने अपने सपने में देखा था। हां, यही है वो।”

उल्लू की ऐसी बातें सुन भूतों के सरदार ने पूछा, “अरे! क्या हुआ है तुम्हें? क्यों चिल्ला रहे हो और क्या कहना चाहते हो? कौन यही और कौन सा सपना?”

जवाब में उल्लू ने कहा कि देखिए मैंने कल रात सपना देखा था कि मेरी शादी हो गई है। मैंने जिसे अपने सपने में देखा था उसका चेहरा आपके बगल में जो खड़ी है उससे मिलता है। अब मैं इससे विवाह करके अपना सपना पूरा करूंगा।

तभी उल्लू सरदार ने बताया कि वो भूतों की रानी है और तुम्हारा ये सपना सच नहीं हो सकता है।

उसी वक्त भूतों की रानी भी चिल्लाते हुए कहने लगी कि मैं एक उल्लू से शादी कभी भी नहीं करूंगी।

भूतों के सरदार ने उस रानी से कहा कि चिंता करने की कोई बात नहीं है। यह है ही उल्लू, इसलिए ऐसी बातें कह रहा है। सपने सच थोड़ी होते हैं। मैंने पिछली रात को सपने में इस हाथी को खा लिया था। सच में थोड़ी मैं इसे खाऊंगा, क्योंकि सपने सच नहीं होते हैं। सपनों को सपना ही रहने देना चाहिए।

इतनी बात सुनते ही झनकू तेजी से अपने बरगद के पेड़ की तरफ भाग गया।

हाथी के वहां से जाते ही उल्लू ने भूतों के सरदार से कहा, “आप लगते तो हैं उल्लू ही, लेकिन बातें और काम समझदारी की ही करते हैं। मुझे अच्छा लगा आपकी बातें सुनकर।”

इतना कहकर उल्लू वहां से उड़कर बरगद के पेड़ पर पहुंच गया।

अपने दोस्त उल्लू को देखते ही हाथी ने उसे धन्यवाद कहा और उल्लू जोर-जोर से हंसने लगा।

हाथी ने पूछा क्या हुआ, “उल्लू ने कहा कि मैंने भूत की बातें सुन ली थी। वो तुम्हें अपने सपने की वजह से खाना चाहता था, इसलिए मैंने भी उसे झूठा सपना सुनाकर बेवकूफ बना दिया।”

फिर उल्लू ने हाथी से कहा कि दोस्त! तुम्हें न तो मुझे धन्यवाद कहने की जरूरत है और न ही उससे डरने की। दोस्ती में धन्यवाद की जगह नहीं होती है।

तब कहीं जाकर हाथी को राहत की सांस आई और दोनों दोस्त मिलकर भूतों के सरदार की नासमझी पर हंसने लगे।

कहानी से सीख :

दोस्ती अगर सच्ची हो तो, वो हर मसुबित में आपके साथ खड़े रहते हैं।

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