विक्रम बेताल की इक्कीसवीं कहानी: सबसे ज्यादा प्रेम में अंधा कौन था?
June 17, 2024 द्वारा लिखित nripendra
सम्राट विक्रमादित्य ने योगी को दिए वचन को पूरा करने के लिए एक बार फिर बेताल को पेड़ से उतारकर अपने कंधे पर बैठा दिया। इसके बाद वह योगी के पास चल दिए। रास्ता तय करने के लिए बेताल ने एक नई कहानी शुरू की। बेताल बोला…
बहुत समय पहले की बात है। विशाला नाम के राज्य में पदमनाभ नाम का एक राजा राज किया करता था। उसी के राज्य में एक साहूकार रहता था। उस साहूकार का नाम था अर्थदत्त। अर्थदत्त की एक सुंदर लड़की थी, अनंगमंजरी। अनंगमंजरी जब बड़ी हुई तो साहूकार ने मणिवर्मा नाम के एक धनी साहूकार से उसका विवाह कर दिया। मणिवर्मा, अनंगमंजरी को काफी चाहता था, लेकिन अनंगमंजरी, मणिवर्मा को बिल्कुल भी पसंद नहीं करती थी।
एक दिन मणिवर्मा किसी काम से अपने राज्य से बाहर गया था और अनंगमंजरी अकेली थी। इसलिए वह अपने घर से कुछ दूर टहलने के लिए निकली। तभी रास्ते में अनंगमंजरी ने राजपुरोहित के लड़के कमलाकर को देखा। कमलाकर को देखते ही अनंगमंजरी को उससे प्रेम हो गया। वहीं, दूसरी ओर कमलाकर भी अनंगमंजरी को मन ही मन चाहने लगा था।
अनंगमंजरी बिना देर किए महल के बाग में जाती है और चंडी देवी को प्रणाम करती है। अनंगमंजरी चंडी देवी से हाथ जोड़कर प्रार्थना करती है, “हे माता, अगर मैं इस जन्म में कमलाकर को नहीं पा सकी, तो अगले जन्म में मैं उनकी ही पत्नी बनूं।”
इतना कहते हुए अनंगमंजरी ने अपना दुपट्टा खींचा और पेड़ पर दुपट्टे से फांसी लगाने की तैयारी करने लगी। तभी राज्य की दासी और अनंगमंजरी की सहेली वहां आ गई। सहेली ने कहा, “अनंगमंजरी तुम ये क्या कर रही हो।” इस पर अनंगमंजरी उसे अपनी मन की बात बताती है। यह सुनने के बाद सहेली कहती है, “तुम बिल्कुल भी परेशान न हो। जल्द ही मैं कमलाकर से तुम्हारी मुलाकात करा दूंगी।” सहेली की यह बात सुनकर अनंगमंजरी रुक गई।
अगले ही दिन अनंगमंजरी की सहेली ने कमलाकर के साथ उसकी मुलाकात का प्रबंध किया। दोनों एक-दूसरे से मिलने बाग में पहुंचे। दोनों ने एक-दूसरे को देखा और खुद को रोक न सके। कमलाकर बेताब होकर अनंगमंजरी की ओर दौड़ा। कमलाकर को अपने नजदीक आते देख अनंगमंजरी की धड़कने तेज हो गईं और मारे खुशी के उसकी धड़कने ही रुक गईं। अनंगमंजरी को मरा देख कमलाकर भी बहुत दुखी हुआ, जिससे उसका दिल फट गया और वह भी मर गया।
इस बीच मणिवर्मा भी वहां पहुंच गया और अपनी पत्नी को दूसरे आदमी से साथ मृत पड़ा देख बहुत दुखी हुआ। वह अनंगमंजरी को बहुत चाहता था। इसलिए उससे अपनी पत्नी का वियोग सहा नहीं गया और उसने भी प्राण छोड़ दिए। यह सब देख चंडी देवी स्वयं वहां प्रकट हुईं और सबको दोबारा जीवित कर दिया।
इतना कहकर बेताल बोला, “बता बिक्रम इन तीनों में सबसे ज्यादा प्रेम में अंधा कौन था।”
जब विक्रम कुछ नहीं बोला तो बेताल ने फिर कहा, “बता विक्रम प्रेम में अंधा कौन था।”
बेताल के बार-बार पूछने पर विक्रम ने कहा, “सुनो बेताल, सबसे ज्यादा प्रेम में अंधा था मणिवर्मा। वजह यह है कि अनंगमंजरी और कमलाकर अचानक मिले और वह उस खुशी के कारण मरे। वहीं, मणिवर्मा यह देख कर शोक में मर गया कि उसकी पत्नी किसी दूसरे से प्रेम करती थी और अपने प्रेम से मिलने की खुशी में मर गई।”
यह सुनते ही बेताल बोला, “हां राजन, तुमने बिल्कुल सही जवाब दिया, लेकिन तू बोला तो मैं चला। इतना कहकर बेताल एक बार फिर विक्रम के कंधे से उड़कर पेड़ पर फिर जा लटकता है। इसी के साथ प्रेम में अंधा कौन विक्रम बेताल कहानी समाप्त होती है।
कहानी से सीख :
किसी भी चीज की अति नुकसानदायक हो सकती है, इसलिए इंसान को हमेशा अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए।