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हर माता-पिता के लिए उनका शिशु सबसे खास होता है। हर पल उन्हें उसके स्वास्थ्य और वजन को लेकर चिंता बनी रहती है। ऐसे में वह कई बार अन्य बच्चों से अपने शिशु की तुलना करने लगते हैं। हालांकि, यह एक आम मानवीय व्यवहार है, लेकिन आपको यह मालूम होना चाहिए कि हर बच्चा दूसरे से अलग होता है। उसका विकास, वजन और बढ़ने की प्रक्रिया दूसरों से भिन्न हो सकती है। ऐसे में आपको बस यह देखने की जरूरत होती है कि आपका बच्चा चुस्त, तंदुरुस्त और सक्रिय है कि नहीं। अगर आपका जवाब हां में है, तो समझ लीजिए कि आपका बच्चा एकदम ठीक है और उसका विकास सही से हो रहा है। वहीं, अगर आपका जवाब न में है, तो यह चिंता का विषय हो सकता है। ऐसे में आपको अपने बच्चे के खान-पान पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

मॉमजंक्शन के इस लेख में हम आपको बच्चे के सही वजन और उसे बढ़ाने संबंधी कई जानकारियां देंगे, जिनकी सहायता से आप अपनी कई परेशानियों को खुद हल करने में सफल हो पाएंगी।

बच्चे के वजन को बढ़ाने संबंधी उपायों को जानने से पहले जरूरी होगा कि बच्चे के सही वजन का आंकलन कैसे किया जाए इस तथ्य को अच्छे से समझ लिया जाए।

बेबी का वेट कितना बढ़ना चाहिए?

बच्चे के वजन के संबंध में बात करें, तो इसके बढ़ने की प्रक्रिया समय और उम्र के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है। इसे हम निम्न बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं (1)

  • पहली तिमाही में बच्चे का वजन हर हफ्ते 200 ग्राम तक बढ़ सकता है। वहीं, अगले तीन हफ्तों में बच्चे के वजन में 150 ग्राम प्रति हफ्ता बढ़ोतरी देखी जा सकती है। इसके अलावा, अगले 6 महीनों में बच्चे के वजन में करीब 100 ग्राम प्रति हफ्ते की दर से इजाफा हो सकता है।
  • सामान्य विकास की बात करें, तो चौथे महीने में बच्चे का वजन, जन्म के वक्त के वजन का दो गुना होना चाहिए। वहीं, एक साल का पूरा होने पर बच्चे का वजन जन्म के वजन का करीब तीन गुना होना चाहिए। साथ ही दो साल की उम्र तक बच्चे का वजन जन्म के वजन का करीब चार गुना होना चाहिए।
  • इसके बाद छह साल की उम्र तक बच्चे का वजन हर साल दो किलो तक बढ़ना आवश्यक है। वहीं, इसके बाद किशोर अवस्था में प्रवेश करने तक बच्चे का वजन हर साल तीन किलो तक बढ़ना चाहिए।

बच्चे का वजन कितना बढ़ना चाहिए, यह जानने के बाद हम जानेंगे कि बच्चे का वजन सही होना क्यों जरूरी है।

बच्चों का वजन का सही होना क्यों जरूरी है?

बच्चों का वजन ठीक होना बेहद जरूरी होता है। इसे हम निम्न बिंदुओं के माध्यम से बेहतर तरीके से समझ सकते हैं (2) :

  • उम्र के हिसाब से अनुमानित औसत वजन में कमी कुपोषण को दर्शाती है।
  • वजन में कमी के कारण बच्चे में विकास धीमा होता है और शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता सामान्य के मुकाबले काफी कमजोर हो जाती है।
  • प्रतिरोधक क्षमता में कमी के कारण बच्चा कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आसानी से आ सकता है। इससे उसके बार-बार बीमार होने की आशंका भी बढ़ जाती है।
  • अगर इस विषय में समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो कुछ मामलों में बच्चे की मौत होने का भी खतरा पैदा हो सकता है।

लेख के आगे के भाग में हम आपको कुछ आसान से उपाय बताएंगे, जिनसे आपको बच्चे का वजन बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

बच्चों का वजन कैसे बढ़ाएं?

दैनिक दिनचर्या और खान-पान पर विशेष ध्यान देकर बच्चे के वजन में सुधार किया जा सकता है। उम्र के आधार पर बच्चों में वजन बढ़ाने के लिए आप क्या उपाय अपना सकते हैं, आगे हम इसी बारे में बता रहे हैं।

नवजात शिशु का वजन बढ़ाने के उपाय | Bache ka vajan kaise badhaye

अगर आप नवजात के कम वजन से परेशान हैं, तो आपको बता दें कि इसका एकमात्र विकल्प मां का दूध ही है। विशेषज्ञों के मुताबिक मां के दूध में वो सभी पोषक तत्व और खनिज पदार्थ मौजूद होते हैं, जो शिशु के बेहतर विकास के लिए जरूरी माने जाते हैं। ऐसे में बस आपको जरूरत हैं, जो बच्चे के हाव-भाव और उसकी भूख को समझने की। इसके लिए आपको नवजात को लगभग हर दो-दो घंटे में दूध पिलाना होगा। साथ ही यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चे का पेट पूरी तरह से भरा है या नहीं। इसके लिए आप हमेशा बच्चे को दोनों स्तनों से दूध पिलाने की कोशिश करें।

इससे अलग अगर आपका बच्चा प्रीमेच्योर (समय से पूर्व) हुआ है, तो कुछ मामलों में वह मां का दूध पी पाने में असमर्थ होता है। ऐसे में आप ब्रेस्ट पम्पिंग (स्तनों से दूध निकालने की मशीन) के माध्यम से अपना दूध निकाल कर उसे पिला सकती हैं। वहीं, कुछ मामलों में ऐसा भी संभव है कि स्तनों में दूध न उतरे। ऐसी स्थिति में डॉक्टर आपको फॉर्मूला मिल्क पिलाने की सलाह दे सकते हैं।

इन दोनों ही स्थितियों में आप बच्चे को हर दो-दो घंटे में दूध पिलाने का प्रयास करें और यह सुनिश्चित करें कि बच्चे का पेट पूरी तरह से भर चुका है। इस दौरान आपको उसके मल त्याग पर भी विशेष ध्यान देना होगा। अगर नवजात दिन में 6 से 8 बार मल त्याग करता है, तो इसका मतलब यह है कि बच्चे को आवश्यक पोषण मिल रहा है (1)

6-12 महीने के बच्चों को मोटा करने के लिए क्या खिलाएं?

जन्म के छह माह बाद बच्चों को कई जरूरी पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, जो सिर्फ दूध पर निर्भर रहने से नहीं मिल पाते। इसलिए, डॉक्टर छह माह से बड़े बच्चों को दूध के अलावा अनाज, दाल, सब्जियां, फल और घर में बने सीरियल्स खिलाने की सलाह देते हैं।

6 से 8 माह के बच्चों के आहार में आप स्मूदी को शामिल कर सकते हैं, ताकि उसकी आंतों पर ज्यादा जोर न आए और वह इन खाद्य पदार्थों को आसानी से हजम कर सके। ध्यान रखने वाली बात यह है कि 6 से 8 माह के बच्चों के आहार में फल प्रतिदिन 30 ग्राम और सब्जियां प्रतिदिन 480 ग्राम से अधिक नहीं शामिल करनी चाहिएं। वहीं, 8 माह से बड़े बच्चों को आप नरम और मुलायम आहार सीधे खाने के लिए दे सकते हैं, ताकि वह खुद से खाना सीखें और भोजन के प्रति उनमें रुझान बढ़े (3)

अगर आप भी अपने बच्चे के वजन को लेकर परेशान हैं, तो हम आपको कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें आप अपने बच्चे के आहार में शामिल कर सकते हैं।

1. सेहत से भरपूर है केला

बच्चों का वजन बढ़ाने के लिए केले को एक बेहतरीन विकल्प माना गया है। यह एनर्जी, कार्बोहाइड्रेट और फैट का अच्छा स्रोत होता है। इन तीनों तत्वों की मौजूदगी इसे वजन बढ़ाने का एक उत्तम आहार बनाती है। इसके अलावा, इसमें प्रोटीन और फाइबर के साथ कई जरूरी मिनरल और विटामिन भी मौजूद रहते हैं, जो बच्चे के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं (4) (5)। खास यह है कि आप इसे बच्चे के आहार में बड़ी आसानी से शामिल कर सकते हैं। सीधा इस्तेमाल के साथ-साथ इसे स्मूदी, शेक, केक या पुडिंग बनाकर भी बच्चे को दिया जा सकता है।

2. वजन बढ़ाने में मददगार है रागी

कैल्शियम व आयरन के साथ फाइबर, प्रोटीन और विटामिन भी बच्चों के विकास के लिए जरूरी हैं। इसके अलावा, एनर्जी, कार्बोहाइड्रेट और फैट भी वजन बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं (4) (6)पोषक तत्वों से भरपूर रागी आसानी से पच जाती है, इसलिए चिकित्सक भी इसे बच्चों के आहार में शामिल करने की सलाह देते हैं। बच्चे को खिलाने के लिए आप इसे हलवे या खिचड़ी में शामिल कर सकते हैं।

3. दही देता है जरूरी पोषण

विटामिन ए, बी, सी, डी, ई, फोलेट और नियासिन के साथ कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम और मैग्नीशियम जैसे कई अन्य पोषक तत्व दही में मौजूद होते हैं। वहीं, कम फैट के साथ अच्छी मात्रा में ऊर्जा और प्रोटीन भी इसमें पाया जाता है। इस कारण इसे बच्चे का वजन बढ़ाने के लिए सहायक माना जा सकता है (4) (7)

4. ओट्स से बढ़ाएं बच्चे का वजन

जहां इसमें मौजूद एनर्जी, फैट और कार्बोहाइड्रेट मिश्रित रूप से बच्चे का वजन बढ़ाने में सहायक होते हैं, वहीं इसमें विटामिन बी-6, फोलेट, राइबोफ्लेविन, थियामिन और नियासिन के साथ पोटैशियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम और कैल्शियम की मौजूदगी बच्चे के विकास में सहयोग करती है (4) (8)

5. आलू बनाए तंदुरुस्त

बच्चों का वजन बढ़ाने के लिए आप आलू को भी इस्तेमाल में ला सकती हैं। इसमें एनर्जी व कार्बोहाइड्रेट के साथ कुछ मात्रा में फैट भी उपलब्ध होता है, जो वजन बढ़ाने में कारगर माना जाता है। इसके अलावा, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, फास्फोरस और पोटैशियम के साथ इसमें विटामिन बी-6, सी, राइबोफ्लेविन, थियामिन, नियासिन और फोलेट भी मौजूद होते हैं, जो बच्चों के पोषण में सकारात्मक परिणाम देते हैं। बच्चों के आहार में शामिल करने के लिए आप आलू का भरता बनाकर या उसे उबालकर दूध में मैश करके भी दे सकते हैं। दाल, सब्जी या खिचड़ी के साथ भी इसे इस्तेमाल में लाया जा सकता है (4) (9)

6. शक्करकंद से बनाएं बच्चे की सेहत

आलू की ही तरह शक्करकंद को भी बच्चों के आहार में शामिल करना बेहत आसान है। आप इसे उबाल कर बच्चों को सीधा खाने के लिए दे सकते हैं। अगर आप चाहे तो दूध के साथ मैश करके भी इसे बच्चों को दे सकते हैं। एनर्जी और कार्बोहाइड्रेट का अच्छा स्रोत होने के कारण इसे बच्चे का वजन बढ़ाने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। वहीं, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन और मैग्नीशियम के साथ विटामिन-सी, नियासिन व फोलेट और अन्य कई जरूरी विटामिन और पोषक तत्व भी इसमें भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहते हैं, जो बच्चे के विकास में लाभकारी माने जाते हैं (4) (10)

7. दालें हैं पोषण का खजाना

दालें प्रोटीन का अच्छा स्रोत मानी जाती हैं। साथ ही इसमें आयरन, मैग्नीशियम, जिंक और फोलेट जैसे मिनरल और कई जरूरी विटामिन पाए जाते हैं। प्रोटीन मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है और मिनरल व विटामिन बच्चे के विकास में प्रभावी सहयोग प्रदान करते हैं। इस कारण यह कहा जा सकता है कि दालों को बच्चों के आहार में शामिल करने से उनके बेहतर विकास में मदद मिल सकती है (4) (11)

8. एवोकाडो से दें जरूरी पोषण

जैसा कि हमने आपको लेख में पहले भी बताया है कि बच्चे का वजन बढ़ाने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले खाद्य पदार्थों में फैट, कार्बोहाइड्रेट और वसा का संयोजन लाभकारी परिणाम देता है। ठीक वैसे ही एवोकाडो में भी इन तीनों के साथ मिनरल्स और विटामिन भरपूर मात्रा में उपलब्ध होते हैं, जो बच्चे के विकास में सहायक माने जाते हैं (4) (12)। 6 से 9 महीने तक के बच्चों को इसकी प्यूरी बनाकर दी जा सकती है। वहीं, 9 महीने से बड़े बच्चे को इसे मैश करके खिलाया जा सकता है।

9. अंडा है वजन बढ़ाने में मददगार

अंडा फैट, कार्बोहाइड्रेट और एनर्जी के साथ मिनरल और विटामिन का अच्छा स्रोत होता है। इस कारण इसे बच्चे के आहार में शामिल करना काफी लाभकारी सिद्ध हो सकता है। इससे बच्चों का वजन तो बढ़ता ही है, साथ ही यह बच्चों को अन्य जरूरी पोषक तत्व भी प्रदान करता है (4) (13)। ध्यान देने वाली बात यह है कि कुछ बच्चों में इसके कारण एलर्जी भी हो सकती है। इसलिए, एक बार अंडा देने के बाद आप तीन दिन तक इसके पड़ने वाले प्रभाव को अच्छे से परख लें। उसके बाद ही इसे बच्चे के नियमित आहार में शामिल करें। अगर एलर्जिक प्रभाव दिखाई दें, तो डॉक्टर से तुरंत सलाह लें।

10. पनीर का उपयोग है लाभकारी

पनीर कम वसा वाला एनर्जी का अच्छा स्रोत है। इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेशियम और सोडियम के साथ अधिकतर विटामिन थोड़ी-थोड़ी मात्रा में उपलब्ध होते हैं। इस कारण यह बच्चे का वजन बढ़ाने में सहायक माना जा सकता है (4) (14)। पनीर के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर बच्चों को खाने के लिए दिए जा सकते हैं, लेकिन इसके इस्तेमाल में भी आपको तीन दिन के लिए एलर्जिक रिएक्शन वाला नियम पालन करने की आवश्यकता है। कुछ बच्चों में इसका उपयोग एलर्जी पैदा कर सकता है।

11. ड्राई फ्रूट्स से बढ़ेगा बच्चों का वजन

वजन बढ़ाने के लिए बच्चों के आहार में ड्राई फ्रूट्स शामिल करना एक उत्तम विकल्प साबित हो सकता है। दरअसल, इनमें एनर्जी भरपूर मात्रा में पाई जाती है, जो वजन बढ़ाने में सहायक होती है (4) (15)। बच्चों को आप इसकी प्योरी या स्मूदी बनाकर दे सकते हैं।

12. फ्रूट जूस है सहायक

बच्चों के आहार में फ्रूट जूस को शामिल करना भी वजन बढ़ाने में आपकी मदद कर सकता है। इनमें एनर्जी, कार्बोहाइड्रेट और शुगर की आवश्यक मात्रा पाई जाती है। वहीं, इसे मिनरल और विटामिन का भी अच्छा स्रोत माना जाता है, जो बच्चे का वजन बढ़ाने के साथ-साथ उनके पोषण में भी मदद कर सकता है (4) (16)। आप 9 माह से बड़े बच्चों को गूदेदार फल सीधे खाने के लिए भी दे सकते हैं।

बच्चों का वजन बढ़ाने संबंधी जानकारी हासिल करने के बाद लेख के आगे के भाग में हम बच्चों के वजन में कमी के अन्य कारणों के बारे में जानेंगे।

क्या करें अगर बच्चों का वजन न बढ़ रहा हो?

आवश्यक पोषण के अलावा बच्चों का वजन कम होने के कई और कारण भी हो सकते हैं, जिनके बारे में आपको जानना जरूरी है। इन कारणों को हम कुछ बिंदुओं के माध्यम से समझाएंगे। अगर आपको अपने शिशु में इसमें से कोई भी कारण नजर आए, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें (17)

  • पेट में कीड़े होने की वजह से बच्चों का वजन कम हो सकता है।
  • जीन से संबंधित समस्या होने पर भी वजन कम होने की समस्या हो सकती है।
  • हार्मोन संबंधी समस्या भी इसका एक बड़ा कारण हो सकती है।
  • अंगों का विकसित न होना भी इस समस्या का बड़ा कारण हो सकता है।
  • नर्वस सिस्टम से जुड़े विकार भी वजन कम होने की वजह हो सकते हैं।
  • एनीमिया जैसी खून से संबंधित बीमारी भी इसकी वजह हो सकती है।

लेख के आगे के भाग में हम बच्चों का वजन बढ़ाने संबंधी कुछ जरूरी बाते बताएंगे, जिन्हें ध्यान में रखना जरूरी है।

बच्चों का वजन बढ़ाने संबंधी इन बातों को जरूर ध्यान में रखें

बच्चों का वजन बढ़ाने संबंधी कुछ जरूरी बातों को आप नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं (17)

  • बच्चों के साथ माता-पिता का भावनात्मक संबंध अच्छा होना चाहिए।
  • माता-पिता को बच्चे के मूड और उसकी भूख को अच्छे से समझने की जरूरत होती है।
  • बच्चे को इन्फेक्शन से बचाना चाहिए है और ध्यान देना चाहिए कि बच्चा ऐसी कोई भी चीज न खाए जो हानिकारक हो।
  • खाने के प्रति रूझान को बढ़ाने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है।
  • किसी भी नए आहार को देने से पहले तीन दिन उससे होने वाली एलर्जी को जरूर परख लें।

अब तो आप बच्चे के वजन संबंधी सभी आवश्यक बातों को अच्छे से समझ ही गई होंगी। साथ ही आपको यह भी पता चल गया होगा कि किन कारणों की वजह से बच्चे का वजन कम हो सकता है। लेख के माध्यम से आपको इस समस्या को दूर करने के लिए कुछ घरेलू खाद्य पदार्थों और उनके उपयोग को भी समझाया गया है। साथ ही कुछ जरूरी बातें भी बताई गई हैं, जिन्हें ध्यान में रखना आपके लिए जरूरी है। ऐसे में अगर आप भी बच्चों के वजन को लेकर परेशान हैं, तो यह लेख आपके बड़े काम आने वाला है। इसके लिए जरूरी होगा कि लेख में दी गई सभी जानकारियों को पहले अच्छे से पढ़ें, उसके बाद दिए गए सुझावों को अमल में लाएं।

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