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सालों से आयुर्वेद में कई तरह की जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता रहा है। इनमें कई जड़ी बूटियां तो हमारे सामने ही होती हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में हम इनका सही इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। ऐसी ही एक जड़ी बूटी है कटेरी यानी भटकटैया, जिसका उपयोग शरीर को कई बीमारियों से दूर रखने में मदद कर सकता है। यही वजह है कि स्टाइलक्रज के इस लेख में हम कटेरी के फायदे लेकर आए हैं। यही नहीं, यहां हम भटकटैया का औषधीय गुण भी बताएंगे। तो चलिए बिना देर किए जानते हैं, भटकटैया के फायदे क्या हैं।
शुरू करते हैं लेख
सबसे पहले समझ लीजिए कि आखिर कटेरी है क्या।
कटेरी क्या है – What is Kateri in Hindi
कटेरी एक कांटेदार जड़ी बूटी है। इसका वैज्ञानिक नाम सोलनम जैंथोकार्पम (Solanum xanthocarpum) है, जो सोलानासेया (Solanaceae) परिवार से आता है। अंग्रेजी में इसे येल्लो बेरीड नाइटशेड (Yellow berried nightshade) के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा भी इस जड़ी बूटी के अन्य नाम हैं, जैसे – कंटकारी, क्षुद्र, कांतकारिका, धवानी, वाइल्ज एगप्लांट, कटाई आदि। कटेरी के फल आकार में गोल होते हैं, जो खाने योग्य होते हैं। वहीं, इसके फूल नीले रंग के होते हैं, जो कभी-कभी दिखाई देते हैं। जबकि इसकी पत्तियों का आकार अंडाकार होता है, जो कांटों से भरी होती हैं (1)। लेख में आगे हमने भटकटैया का औषधीय गुण बताने के साथ इसके फायदों के बारे में विस्तार से चर्चा की है।
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कटेरी को समझने के बाद कटेरी के फायदे जानिए।
कटेरी के फायदे – Benefits of Kateri in Hindi
यहां हम क्रमवार तरीके से कटेरी के फायदे बता रहे हैं, लेकिन इससे पहले हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि कटेरी को किसी भी गंभीर बीमारी का संपूर्ण इलाज समझने की भूल न करें। यह केवल कुछ हद तक बीमारियों से बचाव व उसके लक्षणों को कम कर सकती है। अब पढ़ें बेनिफिट्स ऑफ कटेरी :
1. मिर्गी में लाभकारी
मिर्गी एक मस्तिष्क विकार है, जिसके कारण बार-बार दौरे पड़ने लगते हैं (2)। ऐसे में इस समस्या से बचाव के लिए कटेरी के फायदे देखे जा सकते हैं। इससे जुड़े एक शोध में साफ तौर से यह बताया गया है कि कटेरी के पौधे का उपयोग मिर्गी के इलाज के लिए किया जा सकता है। दरअसल, कटेरी में सोलासोडीन (solasodine) नामक कंपाउड मौजूद होता है, जिससे मिर्गी के उपचार में काफी मदद मिल सकती है। इसके अलावा इस पौधे की पत्तियां एंटी कोनव्यूलसेंट (anti-convulsant – मिर्गी के दौरो को रोकने वाला) गुण प्रदर्शित कर सकती हैं, जिससे मिर्गी के दौरे को रोकने में कुछ हद तक मदद मिल सकती है (3)। हालांकि यह शोध चूहों और चुजों पर किया गया है, इंसानों पर इसके प्रभाव के लिए अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।
2. खांसी के लिए
खांसी की समस्या के उपचार के लिए कटेरी को बेहद लाभकारी माना जा सकता है। इस पर हुए शोध में बताया गया है कि कटेरी की जड़ में एक्सपेक्टोरेंट (Expectorant) यानी कफ निकलने के गुण होते हैं, यही वजह है कि खांसी के इलाज के लिए आयुर्वेदिक दवा के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा, कटेरी के बीज में भी कफ निकालने की क्षमता की पुष्टि हुई है (1)। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि खांसी से राहत पाने के लिए छोटी कटेरी का उपयोग लाभकारी साबित हो सकता है।
3. लिवर के लिए
कटेरी के फायदे लिवर संबंधी समस्याओं के लिए भी देखे जा सकते हैं। बताया जाता है कि कंटकरी लिवर के लिए बहुत अच्छा टॉनिक हो सकता है। इससे बना काढ़ा लिवर की सूजन और इन्फेक्शन को दूर करने में फायदेमंद साबित हो सकता है (1)। इसके अलावा, एनसीबीआई के एक अन्य रिसर्च में पाया गया है कि कटेरी हेपेटोप्रोटेक्टिव (Hepatoprotective-लिवर को स्वस्थ रखना) गतिविधि प्रदर्शित कर सकता है, जो लिवर क्षति से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है (4)। इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि कटेरी लिवर को स्वस्थ रखने में सहायक सिद्ध हो सकता है।
4. गर्भावस्था में फायदेमंद
प्रगनेंसी के दौरान मॉर्निंग सिकनेस यानी मतली और उल्टी की समस्या बेहद आम मानी जाती है (5)। ऐसे में इस समस्या से आराम पाने के लिए कटेरी के फायदे देखे जा सकते हैं। इससे संबंधित शोध से यह जानकारी मिलती है कि गर्भावस्था के दौरान मतली और उल्टी की समस्या में कटेरी का इस्तेमाल उपयोगी साबित हो सकता है। साथ ही, यह भी बताया गया है कि कटेरी गर्भधारण करने की संभावना में भी सुधार कर सकता है (1)। वहीं, एक अन्य शोध के अनुसार कटेरी के बीज में एबोर्टीफेसीएंट (Abortifacient) पदार्थ होता है यानी इससे गर्भपात हो सकता है (6)। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान कटेरी के सेवन से पहले एक बार डॉक्टरी सलाह जरूर लें।
5. दांत दर्द के लिए
एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध की मानें तो दांत दर्द से छुटकारा पाने के लिए भी कटेरी फायदेमंद साबित हो सकती है। इस रिसर्च में बताया गया है कि कटेरी का इस्तेमाल दांत दर्द से राहत दिला सकता है (7)। इसके अलावा, एक अन्य शोध में इस बात का जिक्र है कि कटेरी में एनाल्जेसिक यानी दर्द निवारक गुण मौजूद होते हैं। इसके बीज के धुएं का उपयोग दांत दर्द के साथ-साथ मसूड़े की सूजन व दर्द से भी निजात दिलाने में लाभकारी साबित हो सकता है (8)।
6. बुखार के लिए
एंटीपाइरेटिक (antipyretic) भी भटकटैया का औषधीय गुण है, जो बुखार को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इससे संबंधित शोध की मानें तो कटेरी की जड़ बुखार के इलाज में लाभकारी साबित हो सकती है। यही नहीं, शोध में यह भी बताया गया है कि इसके रस का उपयोग अगर मट्ठा और अदरक के साथ मिलाकर किया जाए तो भी बुखार से आराम पाया जा सकता है (1)।
7. अस्थमा के लिए
कटेरी का उपयोग दमा की समस्या से भी राहत दिलाने में मददगार साबित हो सकता है। इससे जुड़े शोध में इस बात की पुष्टि होती है। इस शोध में बताया गया है कि एंटी अस्थमैटिक गुण (दमा के लक्षणों को कम करने वाला) भटकटैया का औषधीय गुण माना जाता है (1)। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि कटेरी का इस्तेमाल अस्थमा या दमा के लक्षणों को काफी हद तक कम करने में उपयोगी हो सकता है।
8. एलर्जी से बचाव के लिए
एलर्जी की समस्या से बचाव के लिए भी सफेद कटेरी या छोटी कटेरी का उपयोग किया जा सकता है। दरअसल, इस बारे में एक शोध से जानकारी मिलती है, जिसमें बताया गया है कि कटेरी में एंटी एलर्जिक गुण यानी एलर्जी का बचाव करने वाला गुण मौजूद होता है (9)। यही वजह है कि कटेरी को एलर्जी की समस्या से बचाव के लिए लाभकारी माना गया है।
9. कैंसर से बचाव
कटेरी को कैंसर जैसी गंभीर समस्या से बचाव में भी लाभकारी पाया गया है। इस बारे में एनसीबीआई की वेबसाइट पर एक रिसर्च प्रकाशित है, जिसमें बताया गया है कि कटेरी एंटी ऑक्सीडेंट गुण (मुक्त कणों से बचाने वाला) के साथ-साथ एंटी कैंसर गुण (कैंसर को बढ़ने से रोकने वाला) भी प्रदर्शित कर सकता है (10)। वहीं, बता दें कि कैंसर एक गंभीर बीमारी है, ऐसे घरेलू इलाज को इसका संपूर्ण इलाज समझने की भूल न करें। इससे बचाव के लिए डॉक्टरी इलाज जरूरी है।
10. बालों के लिए
बालों की देखभाल के लिए भी भटकटैया के फायदे देखे जा सकते हैं। इस पर हुए शोध में साफतौर से इस बात का जिक्र मिलता है कि बालों के झड़ने की समस्या को कम करने के लिए कटेरी का इस्तेमाल लाभकारी हो सकता है (1)। हालांकि, इसके पीछे इसका कौन सा गुण काम करता है फिलहाल इस बारे में अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।
आगे पढ़ें
भटकटैया के फायदे जानने के बाद इसके पौष्टिक तत्व के बारे में भी जान लीजिए।
कटेरी के पौष्टिक तत्व – Kateri Nutritional Value in Hindi
कटेरी में कई प्रकार के पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं, जैसे कॉपर (copper), आयरन (iron), जिंक (zinc), लीड (Lead ), कैडमियम (Cadmium ), फ्लेवोनोइड्स (flavonoids), सैपोनिन्स (saponin ), अलक्लॉइड्स (alkaloids), आइसोक्लोरोजेनिक (isochlorogenic), नियोक्रोनोजेनिक (neochronogenic), क्रोनोजेनिक (chronogenic ), कैफिक एसिड (caffeic acids), सोलासोनिन (solasonine) सोलामार्जिन (solamargine), सोलानोकार्पिन (solanocarpine), बीटा-सोलामार्जिन ( beta -solamargine) और सोलानोकार्पिडीन (solanocarpidine) आदि (1)।
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लेख के इस हिस्से में जाने कटेरी खाने का तरीका।
कटेरी खाने का सही तरीका – How to Use Kateri in Hindi
कटेरी या सफेद कटेरी का सेवन नीचे बताए गए तरीकों से किया जा सकता है –
- कटेरी के फल को धोकर सीधे तौर पर भी खाया जा सकता है।
- कटेरी के फल को सुखाकर भी खाया जा सकता है।
- काढ़े के रूप में भी कटेरी का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- कटेरी का सेवन चूर्ण के रूप में भी किया जा सकता है।
कब खाएं और कितना खाएं : भटकटैया के फायदे प्राप्त करने के लिए इसका सेवन सुबह, दोपहर या फिर रात में किया जा सकता है। वहीं बात करें, इसके सेवन की मात्रा की तो 5,00 mg/kg तक इसका सेवन किया जा सकता है (8)। हालांकि व्यक्ति के स्वास्थ और उम्र के अनुसार इसमें बदलाव हो सकता है। ऐसे में बेहतर होगा कि सफेद कटेरी या छोटी कटेरी के सेवन से पहले इस बारे में एक बार डॉक्टरी सलाह जरूर लें।
अभी बाकी है जानकारी
अब बारी है कटेरी के नुकसान के बारे में जानने की।
कटेरी के नुकसान – Side Effects of Kateri in Hindi
भटकटैया का औषधीय गुण किस प्रकार स्वास्थ को लाभ पहुंचा सकता है, इस बारे में तो आप समझ ही चुके हैं। वहीं अगर कटेरी के नुकसान की बात की जाए तो, इस पर मिले-जुले परिणाम देखने को मिलते हैं। एक शोध में साफतौर से इस बात का जिक्र मिलता है कि भटकटैया का उपयोग दवा के रूप में करने से कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है (9)। वहीं, एक अन्य शोध में बताया गया है कि कुछ स्थितियों से इसके सेवन से विषाक्ता हो सकती है (11)। इसके अलावा, कटेरी के पत्तों के अर्क में रक्त शर्करा कम करने का प्रभाव होता है। इसलिए, मधुमेह का इलाज करा रहे लोगों को इसका सेवन करने से पहले डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए (12)।
आमतौर पर छोटी-मोटी शारीरिक समस्याओं को कटेरी जैसी जड़ी-बूटियों के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। यही वजह है कि हम अपने पाठकों को जड़ी-बूटियों के औषधियों गुणों के बारे में जानकारी देते रहते हैं। यहां हमने भटकटैया के फायदे और भटकटैया का औषधीय गुण दोनों बताया है, जिससे आपको यह समझ में आ गया होगा कि किस प्रकार इसका इस्तेमाल शरीर को लाभ पहुंचा सकता है। हालांकि, हमारी सलाह है कि गंभीर समस्या से जूझ रहे लोग इसके सेवन से पहले डॉक्टरी परामर्श जरूर लें।
अब आगे हम पाठकों द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब दे रहे हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या रोजाना कटेरी का सेवन किया जा सकता है?
हां, रोजाना कटेरी का सेवन किया जा सकता है।
कटेरी के नुकसान क्या हैं?
कटेरी पर हुए शोधों की माने तो इसके नुकसान न के बराबर है (9)। हालांकि, गंभीर समस्या से जूझ रहे लोगों को इसके सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।
क्या कटेरी का सेवन खाली पेट कर सकते हैं?
कटेरी का सेवन खाली पेट कर सकते हैं या नहीं, फिलहाल इस बारे में शोध की कमी है। ऐसे में खाली पेट इसके सेवन से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें।
कटेरी का असर कितने समय में होता है?
कटेरी का असर कितने समय में हो सकता है, यह बता पाना थोड़ा मुश्किल है। दरअसल, यह समस्या की गंभीरता पर निर्भर करता है। अगर कटेरी का सेवन किसी छोटी समस्या के लिए किया जा रहा हो तो यह थोड़े समय में ही ठीक हो सकता है।
References
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- A Holistic Approach on Review of Solanum virginianum. L.
https://www.researchgate.net/publication/292138201_A_Holistic_Approach_on_Review_of_Solanum_virginianum_L - Epilepsy
https://medlineplus.gov/epilepsy.html - Pharmacological Aspects of Solasodine Found in Solanum xanthocarpum and khasianum: A Review
https://www.researchgate.net/publication/351688880_Pharmacological_Aspects_of_Solasodine_Found_in_Solanum_xanthocarpum_and_khasianum_A_Review - Hepatoprotective effect of Solanum xanthocarpum fruit extract against CCl4 induced acute liver toxicity in experimental animals
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/22118032/ - Morning sickness
https://medlineplus.gov/ency/article/003119.htm - A Few Traditional Medicinal Plants Used As Antifertility Agents By Ethnic People Of Tripura India
https://innovareacademics.in/journal/ijpps/Vol6Issue3/8461.pdf - The Genus Solanum: An Ethnopharmacological, Phytochemical and Biological Properties Review
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6426945/ - Phytochemical and pharmacological activities of Solanum surattense Burm. f.–A review
https://www.japsonline.com/admin/php/uploads/2882_pdf.pdf - An updated overview of Solanum xanthocarpum Schrad and Wendl
https://www.researchgate.net/publication/285641554_An_updated_overview_of_Solanum_xanthocarpum_Schrad_and_Wendl - Medicinal attributes of Solanum xanthocarpum fruit consumed by several tribal communities as food: an in vitro antioxidant, anticancer and anti HIV perspective
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/24678980/ - Solanum xanthocarpum (Yellow Berried Night Shade): A review
https://www.researchgate.net/publication/267367491_Solanum_xanthocarpum_Yellow_Berried_Night_Shade_A_review - Ethnomedicinal Plants and their Traditional Use for Treatment of Diabetes in Kokrajhar District of Assam, India
https://www.ijcmas.com/10-1-2021/P.%20Sarmah,%20et%20al.pdf
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