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जब शिशु का जन्म होता है, तो हर कोई उसके वजन को लेकर चिंतित रहता हैं, क्योंकि जन्म के समय शिशु का वजन सामान्य होना जरूरी है। अगर कम वजन है, तो शिशु को कई समस्याओं का सामना करना पढ़ सकता है। आखिर क्या कारण होता है कि जन्म के समय कुछ शिशुओं का वजन कम रह जाता है। मॉमजंक्शन के इस लेख में इसी विषय की जानकारी देंगे।
जन्म के समय बच्चे का वजन कितना होना चाहिए?
स्वस्थ्य शिशु का जन्म 37 से 40 सप्ताह के बीच होता है। जन्म के समय शिशुओं का वजन 2.5 किलो से 4 किलो के बीच हो सकता है (1)।
लो बर्थ वेट बेबी के प्रकार
जन्म के समय कुछ शिशुओं का वजन सामान्य से कम हो सकता है। ऐसे शिशुओं को निम्न रूप से दो वर्गों में बांटा गया है (1) :
कम वजन शिशु
अगर जन्म के समय शिशु का वजन 2.5 किलो से कम है, तो उसे कम वजन की श्रेणी में रखा जाएगा। हर 12 शिशु में से कोई एक कम वजनी हो सकता है।
बहुत कम वजन शिशु
जब किसी शिशु का वजन 1.5 किलो से कम होता है, तो उसे बहुत कम वजन वाला शिशु कहा जाता है। ऐसे शिशुओं का जन्म समय से पूर्व हो जाता है।
लेख का अगले भाग में समय-पूर्व जन्मे शिशु और कम वजन वाले शिशु में अंतर बता रहे हैं।
समय-पूर्व जन्मे शिशु और कम वजन वाले शिशु में क्या अंतर है?
इन दोनों के बारे में हम यहां अलग-अलग करके बात करते हैं (1) :
समय पूर्व जन्मे शिशु : 37वें सप्ताह से पहले पैदा होने वाले शिशु को गर्भ में विकसित होने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता है। इस कारण शिशु के वजन और आकर में कमी हो सकती है। ऐसे शिशुओं को विशेष रूप से देखभाल की जरूरत होती है।
कम वजन वाले शिशु : 37वें से 40वें सप्ताह के बीच पैदा होने वाले कुछ शिशुओं का वजन कम हो सकता है। ये सामान्य शिशुओं के मुकाबले कमजोर होते हैं। ऐसा गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त पोषण न मिलने के कारण होता है। 2.5 किलो से कम वजन वाले शिशु इस श्रेणी में आते हैं।
इस लेख के आगे के भाग में शिशु के वजन में कमी होने के कारणों की जानकारी देंगे।
शिशु के वजन में कमी होने के कारण क्या हैं?
शिशु के कम वजन के साथ जन्म लेने के दो मुख्य कारण हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं (2) :
- अक्सर शिशुओं का अधिकतर वजन गर्भावस्था के अंतिम समय में बढता है, खासकर 34वें हफ्ते के बाद। इसलिए, अगर शिशु का जन्म गर्भावस्था के 34वें सप्ताह से पहले होता है, तो इस कारण उसका वजन कम हो सकता है।
- कम वजन का एक अन्य कारण इंट्रायूटरिन ग्रोथ रेस्ट्रिक्शन (आईयूजीआर) है। इसका मतलब यह है कि गर्भ में पल रहे भ्रूण का विकास अच्छी तरह से नहीं हो रहा है। ऐसा प्लेसेंटा (अपरा) में कुछ समस्या या फिर मां और शिशु के स्वास्थ्य में कुछ गड़बड़ी के कारण होता है।
आगे हम कम वजन वाले शिशु को होने वाली जटिलताएं के बारे में बात करेंगे।
कम वजन वाले बच्चे के लिए जटिलताएं
शिशु के वजन कम होने से उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जो शिशु के लिए नुकसानदायक हो सकता है। ये जटिलताएं लो बर्थ वेट (LBW) और एक्सट्रीमली लो बर्थ वेट (ELBW), दोनों प्रकार के शिशुओं को हो सकती हैं, लेकिन गर्भावस्था के 32वें हफ्ते से पहले पैदा होने वाले एक्सट्रीमली लो बर्थ वेट शिशुओं को इसका सामना ज्यादा करना पड़ता है। ऐसे शिशुओं इन जटिलताओं से बचाने के लिए लंबे समय तक निओनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट में रखा जा सकता है। ये जटिलताएं कुछ इस प्रकार की हैं (3) :
- शिशु को लाल रक्त कोशिकाओं से सम्बंधित समस्या हो सकती हैं।
- सांस लेने में भी दिक्कत हो सकती है, जिसके कारण ह्रदय की गति कम हो सकती है और त्वचा के पीला या नीला पढ़ने का खतरा बढ़ सकता है।
- शिशुओं में बिलीरुबिन का स्तर बढ़ सकता है, जिससे उसे पीलिया यानी जॉन्डिस हो सकता है। इसे मेडिकल भाषा में हाइपरबिलीरुबिनमिया (Hyperbilirubinemia) कहा जाता है।
- नेक्रोटाइजिंग एंट्रोकोलाइटिस की समस्या हो सकती है। यह आंतों से जुड़ी गंभीर बीमारी है।
- पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस का सामना करना पड़ सकता है। यह शिशुओं को होने वाली ह्रदय से संबंधित बीमारी है। इसमें शिशु के शरीर में अतिरिक्त रक्त वाहिकाओं का निर्माण हो जाता है।
- शिशु को आंख के रेटिना से संबंधित बीमारी भी हो सकती है। इसे चिकित्सीय भाषा में रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमैच्योरिटी कहते हैं। इससे शिशु अंधेपन का भी शिकार हो सकता है।
- शिशु को संक्रमण भी हो सकता है, जो शिशु को मां से मिलता है।
आइए, अब जानते हैं कि जन्म से पहले ही शिशु के वजन को कैसे ठीक किया जाए।
गर्भावस्था के दौरान शिशु के वजन में कमी का निदान कैसे करें?
प्रसव से पूर्व गर्भवती की नियमित रूप से जांच कराना शिशु के विकास की जानकारी के लिए जरूरी होता है। गर्भावस्था के दौरान शिशु के आकार का अलग-अलग अनुमान लगाया जाता है (2)।
- डॉक्टर गर्भवती महिला के वजन से अंदाजा लगा सकते हैं कि भ्रूण का विकास सही प्रकार से हो रहा है या नहीं।
- इसके अलावा, फंडल हाइट को भी चेक किया जाता है। इसके लिए डॉक्टर प्यूबिक बोन (पेल्विक एरिया का हिस्सा) के ऊपरी हिस्से से लेकर गर्भाशय तक के एरिया को मांपते हैं। इसे सेंटीमीटर में मापा जाता है। उदाहरण के लिए अगर गर्भावस्था के 24वें हफ्ते में फंंडल हाइड 24 सेमी है, तो सब सामान्य माना जाता है। वहीं, अगर यह हाइट इससे कम है, तो माना जाता है कि शिशु का वजन कम है।
- डॉक्टर आपके भ्रूण की वृद्धि और विकास की जांच करने के लिए अल्ट्रासाउंड भी कर सकते हैं। अल्ट्रासाउंड से आपके भ्रूण की तस्वीर बनाने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है। यह प्रक्रिया फंडल हाइट के मुकाबले अधिक सटीक है। इसमें भ्रूण के सिर, पेट और टांगों की हड्डियों का माप लिया जाता है।
इस लेख के आगे के भाग में शिशु के वजन में कमी की रोकथाम की जानकारी देंगे।
क्या करें कि जन्म के समय शिशु का वजन कम न हो?
- प्रसव पूर्व गर्भवती की देखभाल जन्म से कम वजन शिशुओं की समस्या को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
- समय-समय पर मां और होने वाले शिशु का स्वास्थ्य चेक करवाते रहना जरूरी है।
- गर्भवती के दौरान स्वस्थ आहार शिशु को उचित मात्रा में वजन प्राप्त करने में मदद करता है।
- गर्भवती महिला के लिए शराब, सिगरेट और अवैध दवाओं का सेवन शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है। यह अन्य जटिलताओं के साथ भ्रूण के विकास में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
आगे इस विषय में आपको कुछ और जानकारियां मिलेंगी।
अगर मेरा बच्चा कम वजन का है, तो मैं अपने बच्चे की मदद कैसे कर सकती हूं?
नियमित चेकअप: अगर आपका शिशु कम वजन के साथ पैदा हुआ है, तो यह आपके जरूरी है कि उसको नियमित रूप से चेकअप किया जाए और कम वजन वाले बच्चे के विकास के चार्ट को भी डॉक्टर से बनवा लें।
स्तनपान: मां के दूध में सभी तरह के पोषक तत्व होते हैं। इसलिए, कम वजन वाले शिशु को स्तनपान जरूर करवाना चाहिए। जितनी बार संभव हो उसे स्तनपान कराएं, ताकि उसका वजन सही तरीके से बढ़ सके।
ठोस खाद्य पदार्थ दें: अपने शिशु के विकास और वृद्धि में मदद करने के लिए छह महीने की उम्र के बाद ठोस खाद्य पदार्थों को आहार चार्ट में शामिल करना चाहिए। शिशु से संबंधित कोई भी निर्णय लेने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।
खान-पान पर ध्यान: हर माता-पिता चाहते हैं कि उसके शिशु का वजन बढ़े। शिशु के वजन को बढ़ाने के लिए किसी भी प्रकार का कृत्रिम खाद्य पदार्थ न दें।
धैर्य रखें: अगर आप संयम रखेंगे, तो न सिर्फ शिशु का वजन बढ़ेगा, बल्कि वह स्वस्थ भी रहेगा।
कंगारू मदर केयर– एक्सट्रीमली लो बर्थ वेट वाले बच्चों की देखभाल के लिए इस विशेष तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इसमें मां बच्चे को कंगारू की तरह सीने से चिपका कर रखती हैं।
इस लेख के आगे के भाग में शिशु के वजन में कमी के लिए उपचार की जानकारी देंगे।
शिशुओं के वजन में कमी के लिए उपचार
शिशु के जन्म से वजन में कमी होने पर डॉक्टर निम्न प्रकार के उपचार कर सकते हैं (2):
- सबसे पहले डॉक्टर भ्रूण की आयु, उसकी सेहत व मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता करेंगे।
- इसके बाद न्यूबोर्न इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआईसीयू) में शिशु की देखभाल की जाएगी।
- शिशु को तापमान नियंत्रित बेड पर लेटाया जाएगा।
- अगर शिशु को आहार लेने में समस्या होती है, तो उसे नली के जरिए विशेष खाद्य पदार्थ दिए जाएंगे।
नवजात शिशु के कम वजन को सही आहार व उचित देखभाल के जरिए ठीक किया जा सकता है। न सिर्फ गर्भावस्था के समय, बल्कि जन्म के बाद भी सही खान-पान पर ध्यान देना जरूरी है। इससे न सिर्फ शिशु स्वस्थ रहता है, बल्कि आप भी चिंता मुक्त हो सकते हैं। कम वजनी शिशु के उपचार व आहार आदि के संबंध में कोई निर्णय लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। आशा करते हैं कि यह लेख आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगा।
References
1. Your Newborn’s Growth by Kidshealth
2. Low Birth Weight by URMC
3. When Your Baby’s Born premature by kidshealth
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