Written by , (शिक्षा- बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मीडिया कम्युनिकेशन)

क्या आपको पता है कि छोटा-सा मच्छर भी आपकी जान का दुश्मन बन सकता है? मच्छर से कई तरह की बीमारियां होती हैं और मलेरिया उन्हीं में से एक है। मलेरिया के कारण कई हैं, लेकिन गंदगी सबसे बड़ा कारण है। आसपास फैली गंदगी से मच्छर होते हैं और यही मच्छर मलेरिया रोग का कारण बनते हैं। अगर वक्त रहते मलेरिया का इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा भी हो सकता है। यही वजह है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम मलेरिया के लक्षण और मलेरिया के प्रकार के साथ मलेरिया ट्रीटमेंट के बारे में बताने जा रहे हैं। इसके अलावा, लेख में मलेरिया से बचाव के घरेलू उपाय भी शामिल हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी होगा कि ये उपाय मलेरिया से केवल राहत दिला सकते हैं। पूर्ण इलाज डॉक्टरी परामर्श पर ही निर्भर करता है।

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तो आइए, सबसे पहले मलेरिया क्या है, हम इस बारे में जान लेते हैं।

मलेरिया क्या है – What is Malaria in Hindi

अगर लोगों से पूछा जाए कि मलेरिया क्या है, तो कई लोग यही कहते हैं कि मलेरिया एक तरह का बुखार होता है, जो मच्छर के काटने से होता है। इसमें मरीज को ठंड लगती है और तेज बुखार आता है। हालांकि, यह सही है, लेकिन यह पूरी तरह से मलेरिया की परिभाषा नहीं है। इससे पहले कि हम मलेरिया के लक्षण बताएं, पाठकों का यह जानना जरूरी है कि मलेरिया क्या है? ‘मलेरिया’ इटालियन शब्द ‘माला आरिया’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है खराब हवा, क्योंकि पहले ऐसा माना जाता था कि यह खराब हवा के कारण होता है, लेकिन ऐसा नहीं है।

चिकित्सकीय रूप से मलेरिया एक प्रोटोजोआ परजीवी (जो दूसरे जीवों पर आश्रित होते हैं) के कारण होने वाली संक्रामक बीमारी है। मादा एनोफिलीज मच्छर इस परजीवी के लिए वाहक का काम करते हैं। मादा मच्छर स्थिर पानी में प्रजनन कर, परजीवी को मनुष्य तक फैलाते हैं। जब ये मच्छर किसी व्यक्ति को काटते हैं, तो परजीवी उसके शरीर में प्रवेश करता है और शुरू में कुछ दिनों के लिए लिवर में बढ़ने लगता है। फिर यह लाल रक्त कोशिकाओं को क्षति पहुंचाना शुरू करते हैं। ऐसा ज्यादातर गर्म स्थानों में होता है, जिस कारण गर्म जगहों पर रहने वाले लोग इससे जल्दी प्रभावित हो जाते हैं (1) (2)।

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लेख के अगले भाग में अब हम मलेरिया के प्रकार के बारे में बात करेंगे।

मलेरिया के प्रकार – Types of Malaria in Hindi

कई लोगों को लगता होगा कि मलेरिया बस एक ही बीमारी है, लेकिन इसके कई प्रकार भी होते हैं। नीचे हम आपको मलेरिया के प्रकार के बारे में बता रहा हैं। संक्रमण की गंभीरता के आधार पर, दो प्रकार के मलेरिया होते हैं – अनकॉमप्लिकेटेड मलेरिया और सीवियर मलेरिया।

1. अनकॉमक्लिकेटेड मलेरिया (Uncomplicated Malaria)

इसमें मलेरिया का बुखार तीन तरीके से हो सकता है (3) :

  • ठंड लग के या कंपकंपी के साथ बुखार।
  • या फिर गर्मी लग के बुखार।
  • पसीने और थकान के साथ बुखार की समस्या।

इस प्रकार के मलेरिया बुखार के लक्षण हम नीचे आपके साथ शेयर कर रहे हैं।

  • बुखार
  • ठंड लगना
  • पसीना
  • सिरदर्द
  • मतली और उल्टी
  • थकान
  • शरीर में दर्द

नोट : जिन देशों में मलेरिया के मामले अधिक नहीं होते हैं, वहां इन लक्षणों को इन्फ्लुएंजा, सर्दी या अन्य सामान्य संक्रमणों के तौर पर देखा जाता है

2. सीवियर मलेरिया

यह मलेरिया का सबसे गंभीर रूप होता है। यह तब होता है, जब मलेरिया शरीर के विभिन्न अंगों में फैलकर उन्हें प्रभावित करने लगता है। इसमें कई अंग काम करना बंद कर देते हैं और इससे भी अधिक गंभीर लक्षण हो सकते हैं। इस मलेरिया के कुछ और लक्षण हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं (3) :

  • सेरेब्रल या दिमागी मलेरिया – दौरे आना, कोमा व अन्य न्यूरोलॉजिकल असामान्यताएं
  • गंभीर एनीमिया
  • रक्त जमावट की प्रक्रिया में असामान्यताएं
  • किडनी की समस्या
  • श्वसन संबंधी समस्याएं
  • निम्न रक्तचाप

सीवियर मलेरिया में ऐसी ही कई अन्य समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, सीवियर मलेरिया के लिए तुरंत इलाज बहुत जरूरी है।

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लेख के अगले भाग में अब मलेरिया कैसे होता है? यह जान लेते हैं। इसके बाद हम मलेरिया के लक्षण क्या हैं? इस बारे में भी बात करेंगे।

मलेरिया के कारण – Causes of Malaria Hindi

मलेरिया के प्रकार जानने के बाद आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि मलेरिया किस कारण से होता है? मलेरिया प्रोटोजोआ परजीवी के कारण होता है, जिसे प्लास्मोडियम कहा जाता है। इस परजीवी की पांच प्रमुख प्रजातियां हैं, जो मनुष्यों को संक्रमित करती हैं। इन प्रजातियों के बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं।

  • प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium falciparum) – अफ्रीका में प्रमुख
  • प्लास्मोडियम विवैक्स (Plasmodium vivax) – एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका के कुछ क्षेत्रों में प्रमुख
  • प्लास्मोडियम ओवले (Plasmodium ovale) – पश्चिम अफ्रीका और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में प्रमुख
  • प्लास्मोडियम मलेरिया (Plasmodium malariae) – दुनिया भर में प्रमुख
  • प्लास्मोडियम नॉलेसी (Plasmodium knowlesi) – दक्षिण पूर्व एशिया में प्रमुख

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मलेरिया कैसे होता है? यह जानने के बाद अब हम आपको मलेरिया बुखार के लक्षण के बारे जानकारी देने जा रहे हैं।

मलेरिया के लक्षण – Symptoms of Malaria in Hindi

मलेरिया के लक्षणों को समझ मलेरिया ट्रीटमेंट की दिशा में कदम बढ़ाया जा सकता है। तो आइए, निम्न बिंदुओं के माध्यम से हम मलेरिया के कुछ आम लक्षणों के बारे में जान लेते हैं (4)।

  • एनीमिया (शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी)।
  • मल में खून आना।
  • ठंड लगना, बुखार आना और पसीना आना।
  • कोमा।
  • कन्वल्संस (एक प्रकार का दौरा, जिसमें हाथ-पैर ऐंठते हैं)
  • सिर दर्द।
  • पीलिया।
  • मांसपेशियों में दर्द।
  • मतली और उल्टी।

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लेख में आगे हम मलेरिया ट्रीटमेंट के बारे में भी जानेंगे। उससे पहले हम मलेरिया के घरेलू उपचार के बारे में जानकारी हासिल कर लेते हैं।

मलेरिया का घरेलू इलाज – Home Remedies for Malaria in Hindi

इसमें कोई दो राय नहीं है कि अगर वक्त रहते मलेरिया का इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। फिर भी मलेरिया का इलाज आसानी से संभव है। आजकल डॉक्टर भी मलेरिया रोग के लिए दवाई के साथ-साथ प्राकृतिक एवं घरेलू उपचार की सलाह देते हैं। यहां हम आपको मलेरिया से बचाव के लिए कुछ घरेलू उपचार बता रहे हैं।

1. अदरक

सामग्री :

  • एक इंच अदरक का टुकड़ा
  • एक या डेढ़ कप पानी

बनाने और सेवन करने की विधि :

  • अदरक को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर पानी में थोड़ी देर के लिए उबाल लें।
  • फिर इसे छान लें और थोड़ा ठंडा कर पिएं।
  • स्वाद के लिए इसमें शहद भी मिला सकते हैं।

कितनी बार सेवन करें?

  • हर रोज एक से दो कप इस मिश्रण का सेवन कर सकते हैं।

कैसे फायदेमंद है?
मलेरिया के घरेलू उपचार में अदरक को इस्तेमाल में लाना फायदेमंद साबित हो सकता है (5)। अदरक में मौजूद घटक जैसे – जिन्जेरॉल (gingerol) में एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इसमें मौजूद ये गुण मलेरिया के दौरान होने वाले दर्द व मतली से राहत दिला सकते हैं। साथ ही पाचन शक्ति को भी बढ़ा सकते हैं (6)। इसके अलावा, अदरक में एंटी-मलेरिया गुण भी होते हैं, जिस कारण मलेरिया से बचाव हो सकता है (7)। इन तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि अदरक का उपयोग मलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से जल्द छुटकारा पाने के लिए भी सहायक साबित हो सकता है।

2. तुलसी

सामग्री :

  • 12 से 15 तुलसी के पत्ते
  • आधा चम्मच काली मिर्च पाउडर

बनाने और सेवन करने की विधि :

  • पत्तियों को कुचल लें और फिर इन्हें निचोड़ कर रस निकाल लें।
  • इस रस में काली मिर्च पाउडर डालकर अच्छी तरीके से मिलाएं।

कितनी बार सेवन करें?

  • इस रस को दिन में तीन बार पिएं, खासकर बीमारी के शुरुआती चरणों में।

कैसे फायदेमंद है?
मलेरिया के घरेलू उपचार के लिए तुलसी का उपयोग भी कारगर माना जाता है। तुलसी से संबंधित एक शोध के मुताबिक इसमें एंटी-मलेरिया गुण होता है। यही वजह है कि संक्रमण के दौरान नियमित रूप से सेवन करने पर मतली, उल्टी, दस्त व बुखार जैसे लक्षणों से भी राहत मिल सकती है (8)। ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि मलेरिया के घरेलू उपाय के रूप में तुलसी का उपयोग कर मलेरिया की समस्या से राहत पाई जा सकती है।

3. दालचीनी

सामग्री :

  • एक चम्मच दालचीनी पाउडर
  • एक चुटकी काली मिर्च पाउडर
  • एक चम्मच शहद
  • एक गिलास पानी

बनाने और सेवन करने की विधि :

  • दालचीनी पाउडर और काली मिर्च पाउडर को कुछ मिनट के लिए पानी में उबालें।
  • फिर पानी को छानकर उसमें शहद मिला लें।

कितनी बार सेवन करें?

  • इसका दिनभर में एक से दो बार सेवन कर सकते हैं।

कैसे फायदेमंद है?
मलेरिया के लक्षणों के इलाज के लिए दालचीनी भी प्रभावी घरेलू उपचार है। दालचीनी में मौजूद सिनामाल्डिहाइड (cinnamaldehyde) के कारण इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल, एंटीसेप्टिक, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुण मौजूद होते हैं। इसके साथ ही दालचीनी में एंटीप्लास्मोडियल (परजीवी को नष्ट करने वाला) गुण भी पाए जाते हैं। इस गुण के कारण दालचीनी प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium falciparum) के लिए रूकावट का काम कर सकती है। इसलिए, इसके सेवन से मलेरिया में राहत मिल सकती है (9)।

4. नींबू का रस

सामग्री :

  • एक नींबू
  • एक गिलास गर्म पानी

बनाने और सेवन करने की विधि :

  • एक गिलास गर्म पानी में नींबू का रस निचोड़कर उसका सेवन करें।
  • ध्यान रहे पानी ज्यादा गर्म न हो, बल्कि गुनगुना हो।

कितनी बार सेवन करें?

  • बुखार के वक्त एक से दो बार इसका सेवन कर सकते हैं।

कैसे फायदेमंद है?
मलेरिया के घरेलू उपचार में नींबू का उपयोग भी शामिल है। हर किसी को पता होगा कि नींबू पानी शरीर के विषैले पदार्थों को निकाल सकता है। ठीक उसी तरह अगर मलेरिया में दवाइयों के साथ नींबू का जूस लिया जाए, तो यह शरीर से मलेरिया के परजीवी को निकालने में ज्यादा तेजी से असर कर सकता है (10)। फिर भी मलेरिया के घरेलू उपाय के रूप में इसे प्रयोग करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लें।

5. पपीते की पत्तियां

सामग्री :

  • लगभग चार से छह ताजा पपीते की पत्तियां
  • नींबू (आवश्यकतानुसार)
  • शहद (स्वादानुसार)

बनाने और सेवन करने की विधि :

  • इन पत्तियों को अच्छी तरह से धोकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।
  • 15 से 20 मिनट के लिए पत्तियों को उबालें (इसमें नींबू के दो से तीन टुकड़े भी मिला सकते हैं) और छान लें।
  • इसमें स्वादानुसार शहद भी मिला सकते हैं।

कितनी बार सेवन करें?

  • दिनभर में दो से तीन बार इसका सेवन कर सकते हैं।

कैसे फायदेमंद है?
पपीता का पत्ता मलेरिया का घरेलू इलाज माना जा सकता है। यह एंटी-मलेरिया की तरह काम कर सकता है। इसके लिए पश्चिमी कैमरून में पपीते के पत्ते और लेमन ग्रास को मिलाकर एक मिश्रण तैयार किया जाता है, जिसे मरीजे को पीने के लिए दिया जाता था। हालांकि, इस पर अभी और शोध होना बाकी है। इसके अलावा, पपीता का भी सेवन मलेरिया के दौरान लाभकारी हो सकता है, क्योंकि कई बार मलेरिया में खून की कमी हो जाती है और ऐसे में पपीते का सेवन फायदेमंद हो सकता है (11)।

6. मेथी बीज

सामग्री :

  • थोड़ा मेथी दाना
  • एक गिलास पानी

बनाने और सेवन करने की विधि :

  • रातभर मेथी दानों को पानी में भिगोकर रखें।
  • फिर सुबह खाली पेट इस पानी का सेवन करें।

कितनी बार सेवन करें?

  • जब तक मलेरिया ठीक न हो जाए, इसका सेवन रोज करें।

कैसे फायदेमंद है?
बुखार के कारण मलेरिया के रोगी अक्सर कमजोरी महसूस करते हैं। इससे निपटने के लिए मेथी के दाने सबसे अच्छा प्राकृतिक उपचार हो सकते हैं। ये इम्यून सिस्टम को बढ़ाकर मलेरिया फैलाने वाले परजीवियों से लड़ने का काम कर सकते हैं। दरअसल, मेथी के बीजों में एंटी-प्लाज्मोडियल प्रभाव पाया जाता है, जिससे मलेरिया से जल्दी ठीक होने में मदद मिल सकती है। इसलिए, मलेरिया के मरीजों को मेथी खाने की सलाह भी दी जाती है (12)।

7. ग्रेपफ्रूट (चकोतरा)

सामग्री :

  • एक चौथाई चकोतरा
  • आधा गिलास पानी

बनाने और सेवन करने की विधि :

  • चकोतरे को पानी में उबाल लें।
  • फिर इसे छानकर इसका सेवन करें।

कितनी बार सेवन करें?

  • हर दिन इसका सेवन कर सकते हैं।

कैसे फायदेमंद है?
अगर मलेरिया के दौरान इसका जूस लिया जाए, तो इससे मलेरिया की दवा – अर्टेमेथर का प्रभाव बढ़ाने में मदद मिल सकती है (13)। हालांकि, इस पर अभी और अध्ययन की जरूरत है। इसलिए, विटामिन-सी युक्त इस फल का सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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8. ग्रीन टी

सामग्री :

  • एक ग्रीन टी बैग
  • एक इमली का छोटा टुकड़ा
  • एक कप गर्म पानी

बनाने और सेवन करने की विधि :

  • गर्म पानी में ग्रीन टी बैग और इमली को भिगोएं।
  • अब टी बैग को निकालें और चाय को छानें।
  • फिर इसका सेवन करें।

कितनी बार सेवन करें?

  • हर रोज दो बार इस हर्बल चाय का सेवन करें।

कैसे फायदेमंद है?
ग्रीन टी में एपिगैलोकैटेचिन-3-गैलेट और एपिकैटेचिन गैलेट नाम के दो खास तत्व पाए जाते हैं। इन तत्वों की मौजूदगी के कारण ग्रीन टी में एंटी-मलेरिया गुण पाया जाता है। इस गुण के कारण ग्रीन टी मलेरिया से राहत दिला सकती है (14)। इसके अलावा, इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण इम्यून सिस्टम को स्वस्थ कर सकता है और अन्य बीमारियों से भी बचाव कर सकता है (15)। इन तथ्यों को देखते हुए कहा जा सकता है कि मलेरिया के घरेलू उपाय के तौर पर ग्रीन टी के फायदे काफी हद तक सहायक साबित हो सकते हैं।

9. कलौंजी

सामग्री :

  • आधा चम्मच कलौंजी पाउडर
  • एक गिलास पानी

बनाने और सेवन करने की विधि :

  • कलौंजी पाउडर को मुंह में रखें और ऊपर से पानी पी लें।

कितनी बार सेवन करें?

  • प्रतिदिन सुबह खाने से पहले इसे खाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

कैसे फायदेमंद है?
कलौंजी के बीज में एंटी-मलेरियल गतिविधि पाई गई है। ऊपर बताए गए तरीके के अलावा, इसे खाना पकाने के तेल के रूप में या एक स्मूदी में मिलाकर भी आहार में शामिल किया जा सकता है। इससे शरीर को संक्रमण से बेहतर तरीके से लड़ने में मदद मिल सकती है। इसका तेल या पाउडर डॉक्टर द्वारा निर्धारित मलेरिया दवाओं के लिए एक अद्भुत सप्लीमेंट के रूप में कार्य कर सकता है। यह मलेरिया की दवा जैसे – क्लोरोक्वीन के असर को बढ़ाने में मदद कर सकता है। साथ ही इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण मलेरिया के प्लाज्मोडियम संक्रमण से भी लड़ सकता है (16) (17)।

10. सेब का सिरका

सामग्री :

  • दो चम्मच सेब का सिरका
  • एक गिलास पानी

बनाने और सेवन करने की विधि :

  • सेब के सिरके को अच्छे से पानी में घोल लें।
  • अब इस मिश्रण को पी जाएं।

कितनी बार प्रयोग करें?

  • मलेरिया के दौरान इसका सेवन प्रतिदिन सुबह खाने से करीब एक घंटे पहले किया जा सकता है।

कैसे फायदेमंद है?
सेब के सिरके में एंटीऑक्सीडेंट के साथ ही एंटी माइक्रोबियल और एंटीपैथोजेनिक (रोगजनकों के खिलाफ लड़ने वाला) गुण पाए जाते हैं। इन गुणों के कारण यह संक्रमण पैदा करने वाले परजीवियों को नष्ट करने में मदद कर सकता है। ऐसे में मलेरिया की समस्या में भी इसे उपयोगी माना जा सकता है, जो कि परजीवी के कारण होने वाले एक समस्या है (18)। हालांकि, स्पष्ट प्रमाणों की कमी के कारण यह कहना थोड़ा मुश्किल है कि यह मलेरिया से राहत दिलाने में कितना कारगर साबित हो सकता है।

11. चिरायता

सामग्री :

  • 15 ग्राम चिरायता
  • 250 मिलीलीटर पानी
  • दो लौंग
  • एक चम्मच दालचीनी पाउडर

बनाने और सेवन करने की विधि :

  • चिरायता को लौंग और दालचीनी के पाउडर के साथ गर्म पानी में डालकर दो से तीन मिनट तक रहने दें।
  • अब इसे छान लें और तीन चम्मच मिश्रण का सेवन करें।

कितनी बार सेवन करें?

  • दिनभर में चार से छह बार इसका सेवन करें।

कैसे फायदेमंद है?
चिरायता में मौजूद एंटी-मलेरिया गुण मलेरिया को कम करने में मददगार साबित हो सकता है। कई वर्षों से इसे मलेरिया, एनीमिया, लिवर, बुखार और त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए औषधि के रूप में उपयोग किया जाता आ रहा है (19)।

12. हल्दी

सामग्री :

  • एक चम्मच हल्दी पाउडर
  • एक गिलास गर्म दूध

बनाने और सेवन करने की विधि :

  • दूध में हल्दी डालकर अच्छी तरह मिलाएं।
  • सोने से पहले इसका सेवन करें।

कितनी बार सेवन करें?

  • प्रतिदिन रात को सोने से पहले इसका सेवन किया जा सकता है।

कैसे फायदेमंद है?
हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन मलेरिया के इलाज में उपयोगी हो सकता है। यह मलेरिया परीजीवी को कम या खत्म कर सकता है (20)। साथ ही हल्दी एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल एजेंट है। यह प्लास्मोडियम संक्रमण के कारण पैदा होने वाले विषाक्त पदार्थों को शरीर से साफ कर सकती है और परजीवी को मारने में भी मदद कर सकती है। हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, जो मलेरिया के लक्षणों को कम कर सकते हैं, जैसे मांसपेशियों में दर्द और जोड़ों में दर्द आदि (21)।

13. फिटकरी

सामग्री :

  • एक ग्राम फिटकिरी
  • दो ग्राम चीनी

बनाने और सेवन करने की विधि :

  • पहले फिटकरी को भूनकर पाउडर बना लें।
  • अब इसको चीनी के साथ मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें।
  • बुखार आने की आशंका होने पर आधा चम्मच इस मिश्रण का सेवन करें।

कितनी बार सेवन करें?

  • लक्षणों से तत्काल राहत के लिए मलेरिया के बुखार के पहले और बाद में इसका सेवन कर सकते हैं।
  • इसके अलावा, बुखार होने पर हर दो घंटे में आधा चम्मच लेने की सलाह दी जाती है (22)।

कैसे फायदेमंद है?
फिटकरी में मॉस्किटो लार्विसाइडल (Mosquito larvicidal) क्षमता होती है, जो मलेरिया फैलाने वाले मच्छर एनोफीलज (Anopheles) को निशाना बनाकर मलेरिया से छुटकारा दिला सकते हैं (23)।

नोट: इसका सेवन और इसकी मात्रा के बारे में एक बार डॉक्टर से जरूर पूछ लें, क्योंकि हर किसी का शरीर और उनकी जरूरत अलग-अलग होती है। इसके अलावा, अगर एलर्जी की परेशानी है, तो भी इसका सेवन विशेषज्ञ की राय के बाद ही करें।

14. नीम

सामग्री :

  • मुट्ठी-भर नीम के पत्ते
  • चार काली मिर्च
  • एक गिलास पानी

बनाने और सेवन करने की विधि :

  • नीम के पत्तों को काली मिर्च के साथ पीस लें।
  • अब इस पाउडर को पानी में मिला लें।
  • फिर इसे छानकर पिएं।

कितनी बार सेवन करें?

  • प्रतिदिन इसका सेवन मलेरिया में बुखार होने पर कर सकते हैं।

कैसे फायदेमंद है?
नीम के एंटी-मलेरियल और एंटी-प्लाज्मोडियल गुणों के कारण यह काफी हद तक मलेरिया में बुखार होने पर आराम दे सकता है (24) (25)। इसे लेने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें, क्योंकि यह दवाइयों पर भी निर्भर करता है कि इसका सेवन करना चाहिए या नहीं।

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लेख के अगले भाग में अब हम जानेंगे कि मलेरिया के लिए डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए।

मलेरिया के लिए डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए?

अगर मरीज को बुखार के साथ सिर दर्द की समस्या हो रही है, तो बिना देर किए उसे डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए (4)।

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लेख के अगले भाग में अब हम मलेरिया का निदान जानने का प्रयास करेंगे।

मलेरिया का निदान – Diagnosis of Malaria in Hindi

मलेरिया का निदान करने के लिए डॉक्टर निम्न प्रक्रियाओं का सहारा ले सकता है (4) :

भौतिक परीक्षण : भौतिक परीक्षण कर डॉक्टर बढ़े हुए लिवर या स्प्लीन (तिल्ली) का अनुमान लगा सकता है।

ब्लड टेस्ट :

  • छह से 12 घंटे के अंतर पर मरीज का ब्लड टेस्ट कर उसमें मौजूद मलेरिया परजीवी की पुष्टि की जा सकती है।
  • वहीं, समस्या की गंभीरता को समझने के लिए डॉक्टर कम्प्लीट ब्लड काउंट टेस्ट भी करा सकता है।

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लेख के अगले भाग में हम मलेरिया का इलाज कैसे किया जाता है, इसे समझने की कोशिश करेंगे।

मलेरिया का इलाज – Treatment For Malaria in Hindi

  • मलेरिया का इलाज करने के लिए डॉक्टर स्थिति के आधार पर निम्न मलेरिया की दवा को इस्तेमाल करने के लिए कह सकता है, जो कुछ इस प्रकार हैं (4):
    क्लोरोक्वीन (Chloroquine)।
  • आर्टेमिसिनिन (Artemisinin) के साथ आर्टेमेथर (artemether) और लुमेफैनट्रिन (lumefantrine) का उपयोग
  • एटोवोक्यून (Atovaquone) और प्रोगुआनिल (proguanil)।
  • डॉक्सीसाइक्लिन (doxycycline) या क्लिंडामाइसिन (clindamycin) के साथ क्यूनाइन (Quinine)।
  • आर्टेसुनेट (artesunate) या डॉक्सीसाइक्लिन (doxycycline) के साथ मेफ्लोक्वीन (Mefloquine)।

नोट : यह सभी मलेरिया की दवा डॉक्टर मलेरिया की गंभीरता को देखते हुए लेने का सुझाव दे सकते हैं, इसलिए बिना डॉक्टर से परामर्श किए इन दवाओं को उपयोग में नहीं लाना चाहिए। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर डॉक्टर किसी तरल पदार्थ के साथ दवाओं को सीधे नसों में चढ़ाने पर जोर दे सकता है।

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मलेरिया में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं? लेख के अगले भाग में हम इस विषय पर बात करेंगे।

मलेरिया में क्या खाना चाहिए – Foods to Eat for Malaria in Hindi

मलेरिया की स्थिति में विशेषज्ञ विटामिन, मिनरल्स और माइक्रोन्यूट्रीएंट्स से युक्त खाद्य पदार्थ लेने की सलाह देते हैं, जो उपापचय प्रक्रिया को सुधारने का काम कर सके, ताकि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा हो और शरीर मलेरिया परजीवी से लड़ने में सक्षम हो सके (27)। इसी का ध्यान रखते हुए हम यहां बता रहे हैं कि मरीज को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए, जो महज नमूना मात्र है और सामान्य जानकारी पर आधारित है।

क्या खाएं :

  • मलेरिया में ऐसा खाना खाएं, जो जल्दी पचे जैसे – खिचड़ी व दलिया आदि।
  • खाने में गाजर, चुकंदर व पपीता आदि का सेवन करें।
  • सादा खाना जैसे दाल-रोटी व हरी सब्जियों का सेवन करें।
  • जो मांसाहारी हैं, वो अंडे का सेवन कर सकते हैं, लेकिन इस बारे में एक बार डॉक्टर से सलाह लें।
  • प्रोटीन युक्त आहार लें, जैसे – मछली आदि
  • सूप, नारियल पानी व इलेक्ट्रॉल पानी पिएं।
  • विटामिन युक्त आहार का सेवन करें, लेकिन विटामिन-सी युक्त आहार के सेवन से पहले एक बार डॉक्टर से पूछ लें।
  • सलाद का सेवन भी कर सकते हैं।

क्या न खाएं :

  • तेल-मसाले या फैट वाले खाद्य पदार्थ न खाएं।
  • बाहरी खाना न खाएं।
  • मलेरिया में ठंडी चीज या तरल पदार्थ का सेवन न करें।
  • ठंडी तासीर के फल या खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
  • चाय व कॉफी का सेवन न करें।
  • ज्यादा भारी खाना जैसे – मीट व चिकन का सेवन न करें।
  • सॉस और अचार का सेवन न करें
  • केक और पेस्ट्री का सेवन न करें।

नोट : ऊपर बताएं गए खाद्य केवल नमूना मात्र हैं, जिन्हें सामान्य जानकारी के आधार पर दिया गया है। इसलिए, मलेरिया की स्थिति में अपने डॉक्टर से ली जाने वाली डाइट के विषय में जानकारी अवश्य हासिल कर लें।

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लेख के अगले भाग में अब हम मलेरिया से बचाव के बारे में जानकारी देंगे।

मलेरिया से बचाव – Prevention Tips for Malaria in Hindi

मलेरिया के लक्षण व उपचार तो हम जान ही गए हैं, लेकिन मलेरिया से बचाव के बारे में भी जानना जरूरी है। मलेरिया रोग न हो उसके लिए मलेरिया से बचाव के तरीके अगर पहले ही जान जाएंगे, तो यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा होगा। इससे मलेरिया रोग के चपेट में आने से बचा जा सकता है। नीचे जानिए कि मलेरिया से बचाव कैसे करें (4) :

  • कहीं भी अपने आसपास के वातावरण में पानी को ज्यादा दिनों तक स्टोर करके न रखें। कई बार गर्मियों में कूलर में कई-कई दिनों तक पानी को बदला नहीं जाता है। इसलिए, हर रोज कूलर का पानी बदलें और पानी को बदलना संभव नहीं है, तो कूलर में थोड़ा-सा मिट्टी का तेल डाल दें। साथ ही बाल्टी व अन्य बर्तनों में पानी अधिक दिन तक स्टोर करके न रखें। ज्यादा दिनों तक स्थिर पानी में ही एनोफिलीज यानी मलेरिया के मच्छर अंडे देने लग सकते हैं।
  • अपने आस-पास की जगह व घर में साफ-सफाई रखें और कीटाणुनाशक जैसे – फिनायल आदि से साफ करें।
  • रात को सोते वक्त मच्छर मारने वाले कोइल को लगाकर सोएं। अगर इन चीजों से एलर्जी है, तो मच्छरदानी लगाकर सोएं।
  • बाहर जाने से पहले या किसी खुली जगह जैसे – पार्क या रोड पर जाने से पहले मच्छर भगाने वाली क्रीम को अपने व अपने बच्चों के शरीर पर लगा दें।
  • कोशिश करें कि कपड़े ऐसे पहनें, जिससे हाथ व पैर पूरी तरह कवर हो जाएं।
  • साफ पानी पिएं, खासकर तब जब आप बाहर कहीं यात्रा कर रहे हों।

मलेरिया के लक्षणों से घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि सही मलेरिया के लक्षण क्या हैं? यह समझने की जरूरत होती है, ताकि मलेरिया बुखार के लक्षण जानकर सही मलेरिया ट्रीटमेंट किया जा सके। उम्मीद है कि घर में ही मलेरिया उपचार करने से जुड़ी सभी जानकारियां आपको मिल गई होंगी। वहीं, लेख में शामिल कारण और बचाव संबंधी उपायों को भी आपने अच्छे से समझ लिया होगा। ऐसे में आप चाहें, तो मलेरिया का आयुर्वेदिक उपचार भी करा सकते हैं। उम्मीद है लेख में शामिल जानकारी मलेरिया की रोकथाम और इलाज करने की दिशा में काफी हद तक सहायक साबित होगी। ऐसी ही अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जुड़ी रोचक बातें जानने के लिए पढ़ते रहें स्टाइलक्रेज।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या मलेरिया एक वायरस है?

मलेरिया प्लास्मोडियम नामक परजीवी के कारण होने वाली बीमारी है। यह एक एकल-कोशिका यानि सिंगल सेल वाला जीव है, जो वायरस नहीं है (1)।

मलेरिया से कौन से अंग प्रभावित होते हैं?

प्रारंभिक चरण में यह परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं को ही प्रभावित करता है, लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, यह लिवर को भी प्रभावित करना शुरू कर देता है। गंभीर मामलों में यह मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है और मस्तिष्क संबंधी मलेरिया (cerebral malaria) का कारण बन सकता है (3)।

मलेरिया परजीवी का असर कितने समय में दिखाई दे सकता है?

यह मलेरिया पैदा करने वाले परजीवी के प्रकार पर निर्भर करता है, जो 7 से लेकर 30 दिन तक हो सकता है (3)।

मलेरिया मानव शरीर को कैसे प्रभावित करता है?

शुरू में परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं में निष्क्रिय रहता है। फिर धीरे-धीरे लाल रक्त कोशिकाओं में बढ़ना शुरू कर देता है। हर 48-72 घंटों में कोशिकाएं फटती हैं और उसमें से और ज्यादा परजीवी निकलते हैं। यह वह समय है, जब किसी व्यक्ति को मलेरिया बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं। इस स्थिति में मरीज को बुखार, ठंड लगना, मतली, उल्टी, सिरदर्द, थकान और आमतौर पर शरीर में दर्द का अनुभव होता है (4)।

क्या मलेरिया गर्भवती महिलाओं में गर्भपात का कारण बन सकता है?

एक गर्भवती महिला में मलेरिया और इसके लक्षण अधिक स्पष्ट हो सकते हैं। सही समय पर लक्षण न समझकर इसका सही इलाज न करने पर गर्भपात की आशंका बढ़ सकती है (27)।

क्या मलेरिया के कारण जोड़ों का दर्द हो सकता है?

हां, यह जोड़ों के दर्द का कारण बन सकता है (27)।

क्या मलेरिया संक्रामक है?

मलेरिया व्यक्ति से व्यक्ति में नहीं फैलता है। अगर मलेरिया का मच्छर एक संक्रमित व्यक्ति को काटता है और वही मच्छर अगर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो संक्रमित व्यक्ति से परजीवी स्वस्थ व्यक्ति में आ सकता है और उसे भी मलेरिया हो सकता है। इसलिए, इसे संक्रामक नहीं कहा जा सकता ।

मलेरिया से उबरने में कितना समय लगता है?

आमतौर पर सही दवा लेने की स्थिति में मलेरिया से उबरने में लगभग दो सप्ताह लगते हैं। हालांकि, यह मरीज की स्थिति और उपचार पर भी निर्भर करता है।

मलेरिया से मृत्यु कितने समय में हो सकती है?

मलेरिया के कारण मृत्यु व्यक्तिपरक है। यह रोगी की वर्तमान स्थिति पर निर्भर करता है कि वह किस अवस्था में है। इसका कोई निश्चित वक्त नहीं है। हां, अगर मरीज का उपचार न किया जाए, तो मलेरिया एनीमिया, हाइपोग्लाइसीमिया और मस्तिष्क संबंधी मलेरिया का रूप ले सकता है। इसके अलावा, मरीज कोमा में भी जा सकता है। मलेरिया की गंभीर स्थिति मौत का कारण भी बन सकती है (3)।

मलेरिया वैक्सीन का असर कब तक के लिए रहता है?

मलेरिया के वैक्सीन पर अभी परीक्षण चल रहा है। इसलिए, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि यह किस अवधि के लिए प्रभावी होगी (28)।

क्या मलेरिया प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है?

हां, मलेरिया के कारण मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है (3)।

References

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  1. Malaria
    https://www.cdc.gov/malaria/about/biology/index.html
  2. Malaria
    https://medlineplus.gov/malaria.html
  3. Malaria Disease
    https://www.cdc.gov/malaria/about/disease.html
  4. Malaria
    https://medlineplus.gov/ency/article/000621.htm
  5. Traditional herbal medicines for malaria
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC527695/
  6. The Amazing and Mighty Ginger
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK92775/
  7. [Forty-two cases of malaria treated with ginger-partitioned moxibustion in the Republic of Congo]
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/21739708/
  8. Tulsi – Ocimum sanctum: A herb for all reasons
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4296439/
  9. The Effect of Aqueous Extract of Cinnamon on the Metabolome of Plasmodium falciparum Using 1HNMR Spectroscopy
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4745969/
  10. Effects of lime juice on malaria parasite clearance
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/21413089/
  11. The Antimalarial Potential of Medicinal Plants Used for the Treatment of Malaria in Cameroonian Folk Medicine
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2816552/
  12. In Vitro Anti-plasmodial activity of Trigonella foenum–graecum L.
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2892350/
  13. Medicinal importance of grapefruit juice and its interaction with various drugs
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  14. Antimalarial properties of green tea
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/17174271/
  15. Beneficial effects of green tea: A literature review
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  16. Dietary supplementation of chloroquine with nigella sativa seed and oil extracts in the treatment of malaria induced in mice with plasmodium berghei
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4078332/
  17. Antimalarial and antioxidant activities of methanolic extract of Nigella sativa seeds (black cumin) in mice infected with Plasmodium yoelli nigeriensis
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/21153838/
  18. The Effect of Various Vinegars on Infectious Diseases and Body Metabolism
    https://digitalcommons.liu.edu/cgi/viewcontent.cgi?article=1058&context=post_honors_theses
  19. A Review of Swertia chirayita (Gentianaceae) as a Traditional Medicinal Plant
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4709473/
  20. Curcumin for malaria therapy
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/15582601/
  21. Turmeric, the Golden Spice
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK92752/
  22. MALARIA:TREATMENT THROUGH NATURE
    https://www.ijser.org/paper/MALARIA-TREATMENT-THROUGH-NATURE.html
  23. Mosquito larvicidal potential of potash alum against malaria vector Anopheles stephensi (Liston)
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/21966124/
  24. An antimalarial neem leaf extract has both schizonticidal and gametocytocidal activities
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/18356629/
  25. Antimalarial effect of Neem leaf and Neem stem bark extracts on plasmodium berghei infected in the pathology and treatment of malaria
    https://www.researchgate.net/publication/258886115_Antimalarial_effect_of_Neem_leaf_and_Neem_stem_bark_extracts_on_plasmodium_berghei_infected_in_the_pathology_and_treatment_of_malaria
  26. Role of nutrition in the management and control of malaria infection: a review
    http://www.worldscientificnews.com/wp-content/uploads/2018/08/WSN-107-2018-58-71.pdf
  27. Malaria and Pregnancy: A Global Health Perspective
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2760896/
  28. Vaccines
    https://www.cdc.gov/malaria/malaria_worldwide/reduction/vaccine.html

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Saral Jain
Saral Jainहेल्थ एंड वेलनेस राइटर
सरल जैन ने श्री रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, राजस्थान से संस्कृत और जैन दर्शन में बीए और डॉ.

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