Dr. Zeel Gandhi, BAMS
Written by , (शिक्षा- बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मीडिया कम्युनिकेशन)

मेटाबॉलिज्म के बारे में सुनते ही संतुलित वजन, पौष्टिक आहार, बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता के बारे में बात की जाती है। आपका डॉक्टर भी आपसे कई बार इस बारे में जिक्र करता होगा, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मेटाबॉलिज्म क्या होता है और यह स्वास्थ्य के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है? असल में, शरीर को स्वस्थ रखने के लिए शरीर में होने वाली कई गतिविधियां मेटाबॉलिज्म से जुड़ी होती हैं, लेकिन खराब जीवनशैली के चलते मेटाबॉलिज्म का स्तर गड़बड़ा जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि कैसे, तो इसी बारे में हम स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में विस्तार से बता रहे हैं। इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप यह जरूर कहेंगे कि मेटाबॉलिज्म तो काम की चीज है। इस लेख में जानेंगे कि मेटाबॉलिज्म कम होने के लक्षण क्या हैं। साथ ही मेटाबॉलिज्म कैसे ठीक करें के जवाब भी इसी लेख में मिलेंगे।

शुरू करते हैं लेख

आइए, सबसे पहले जानते हैं कि मेटाबॉलिज्म क्या है।

मेटाबॉलिज्म क्या है – What is Metabolism in Hindi

शरीर में हो रही रासायनिक प्रतिक्रियाओं को मेटाबॉलिज्म (चयापचय) कहा जाता है। ये रासायनिक प्रतिक्रिया खाने को ऊर्जा में बदलने का काम करती हैं। दरअसल, चयापचय शरीर में होने वाली लगभग हर गतिविधि के लिए जिम्मेदार होता है, जैसे (1):

  • सांस लेना
  • रक्त संचार
  • शरीर के तापमान को नियंत्रित करना
  • मांसपेशियों को सिकोड़ना
  • भोजन और पोषक तत्वों को पचाना
  • मूत्र और मल के माध्यम से शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना
  • मस्तिष्क और तंत्रिकाओं का सुचारु रूप से काम करना

आपको प्रतिदिन के काम करने के लिए सीमित मात्रा में ऊर्जा की जरूरत होती है। जब आप इस सीमित ऊर्जा के लिए जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं, तो वह फैट के रूप में जमा होने लगता है और मोटापे का कारण बनता है। आपको एक दिन में कितनी ऊर्जा की आवश्यकता होती है, उसे ही शरीर की मेटाबॉलिज्म दर कहा जाता है। इसे तीन भागों में बांटा जा सकता है, जो इस प्रकार है (2):

  • बेसल मेटाबॉलिक रेट (Basal metabolic rate): यह वह ऊर्जा होती है, जिसका उपयोग शरीर तब करता है, जब व्यक्ति आराम करता है। यह ऊर्जा सारे तंत्रों को ठीक से काम करने में मदद करती है। यह पूरी ऊर्जा का लगभग 50 से 80 प्रतिशत होता है।
  • शारीरिक गतिविधि के दौरान उपयोग की जाने वाली ऊर्जा: अगर कोई औसतन एक बार में 30 से 45 मिनट शारीरिक गतिविधि करता है, तो इस दौरान कुल ऊर्जा का लगभग 20 प्रतिशत उपयोग होगा।
  • भोजन का थर्मिक प्रभाव: खाना खाने से लेकर पचाने तक की प्रक्रिया में पूरी ऊर्जा का लगभग 5 से 10 प्रतिशत उपयोग होता है।

सभी के शरीर में मेटाबॉलिज्म दर विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है, जो इस प्रकार है (2):

  • शरीर का आकार।
  • शरीर में फैट की मात्रा।
  • डाइटिंग करने से या भूखे रहने से मेटाबॉलिज्म दर कम हो सकती है।
  • बढ़ती उम्र के साथ मेटाबॉलिज्म दर कम हो सकती है।
  • 30 की उम्र के बाद मांसपेशियां, लिवर, किडनी और दूसरे अंगों से कोशिकाएं कम होने लगती हैं। इस वजह से भी मेटाबॉलिज्म दर कम हो सकती है।
  • महिलाओं के अपेक्षा पुरुषों की मेटाबॉलिज्म दर ज्यादा होती है।
  • मेटाबॉलिज्म दर आनुवंशिक भी हो सकती है।
  • बीमारी के दौरान शरीर को नए टिश्यू बनाने और रोगों से लड़ने के लिए ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है।
  • यह दर शारीरिक गतिविधियों पर भी निर्भर करती है।
  • कुछ प्रकार की दवाइयां, कैफीन और शरीर में निकोटीन की मात्रा।
  • किसी पोषक तत्व की कमी।
  • हार्मोनल असंतुलन के कारण होने वाली थायराइड की समस्या

पढ़ते रहें

आगे हम मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने के लिए कुछ उपायों के बारे में बता रहे हैं।

मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के उपाय – How To Increase Metabolism in Hindi

ऊपर आपने जाना कि शरीर के लिए मेटाबॉलिज्म कितना जरूरी है। अगर यह ठीक नहीं रहा, तो उसका सीधा असर शरीर पर पड़ सकता है। अब नीचे मेटाबॉलिज्म ठीक करने के उपाय बता रहे हैं, जो आसान और असरदार साबित हो सकते हैं। वहीं, इस बात का ध्यान रखें कि नीचे बताए जा रहे घरेलू नुस्खे मेटाबॉलिज्म से जुड़ी समस्या का इलाज नहीं हैं। इनका सेवन कुछ हद तक मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने में सहायक हो सकता है। अब पढ़ें आगे :

1. ग्रीन टी

ग्रीन टी में एपिगैलोकैटेचिन-3-गैलेट (epigallocatechin-3-gallate) नाम का एक तत्व पाया जाता है, जो मेटाबॉलिज्म बढ़ाने में मदद करता है। इससे हृदय रोग और मधुमेह का जोखिम कम हो सकता है। इसके अलावा, ग्रीन टी मेटाबॉलिज्म पर भी असर करती है और यह ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म में भी सुधार कर सकती है, जिससे डायबिटीज के मरीजों को लाभ मिल सकता है। इसके अलावा, ग्रीन टी में एंटीओबेसिटी गुण मौजूद होते हैं, जो मोटापे की समस्या से भी बचाव कर सकते हैं (3)।

कैसे इस्तेमाल करें:

इसे दिन में दो बार सुबह और शाम के समय पी सकते हैं।

2. नट्स

एक शोध के अनुसार, मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करने वाले कारणों को कम करने में नट्स मदद कर सकते हैं, जैसे मेटाबोलिक सिंड्रोम और अधिक मोटापा। मेटाबोलिक सिंड्रोम से ह्रदय रोग, टाइप 2 मधुमेह व स्ट्रोक जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है, जिससे मेटाबॉलिज्म दर कम हो सकती है। फिलहाल, इस पर अभी कम शोध हुए हैं कि नट्स के कौन से गुण लाभदायक हो सकते हैं (4)।

कैसे इस्तेमाल करें:

सुबह नाश्ते में चार-छह भीगे हुए बादाम का सेवन करें। चाहें, तो दही के साथ 15-20 इन-शेल पिस्ता (अनसाल्टेड) या कुछ अखरोट आदि डाल कर खा सकते हैं।

3. कॉफी

मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के प्रयास कर रहे हैं, तो चाय की जगह कॉफी पीना फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, कॉफी शरीर के मेटाबॉलिज्म दर को बढ़ाकर फैट ऑक्सीकरण को बढ़ा सकती है। इसका मतलब यह है कि कॉफी ऑक्सीजन के साथ मिलकर खाने को ऊर्जा के रूप में बदलती है और उसे फैट के रूप में जमा होने से बचा सकती है। एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, अगर अधिक वजन वाले लोग सीमित मात्रा में कैफीन युक्त कॉफी का सेवन करते हैं, तो मोटापा कुछ हद तक कम हो सकता है (5)।

कैसे इस्तेमाल करें:

रोज दो कप ब्लैक कॉफी पिएं।

4. ताजे फल

शोध के अनुसार, मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के आहार में ताजे फल शामिल करने के बहुत फायदे हैं। कुछ फलों में एंटी-ओबेसिटी गुण पाए जाते हैं, जो मोटापा कम करने में मदद करके मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने का काम करते हैं (6)। फलों में फाइबर और पानी की भरपूर मात्रा होती है, जिससे इन्हें पचाना आसान हो सकता है। अधिकांश फलों में फैट और कैलोरी की मात्रा कम होती है, लेकिन ये आसानी से पेट भर देते हैं (7)। कुछ फलों में शुगर की मात्रा पाई जाती है, जिससे मधुमेह के बढ़ने का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए, मधुमेह के मरीज फलों का सेवन करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लें।

कैसे इस्तेमाल करें:

मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के भोजन में निम्नलिखित फलों को शामिल किया जा सकता है (7) :

  • एक मध्यम आकार का सेब (72 कैलोरी)
  • एक मध्यम आकार का केला (105 कैलोरी)
  • 1 कप ब्लूबेरी (83 कैलोरी)
  • 1 कप अंगूर (100 कैलोरी)

चाहें, तो इन फलों का जूस बना कर भी पी सकते हैं, लेकिन डॉक्टर जूस की जगह फल को खाना ज्यादा फायदेमंद मानते हैं। ध्यान रखें कि इन्हें खाते वक्त इनमें चीनी न मिलाएं।

5. प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ

एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, आहार में फैट की मात्रा कम करके और प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने से वजन नियंत्रित करने में सहायता मिल सकती है। इसके लिए नियमित रूप से व्यायाम करें और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें। प्रोटीन युक्त आहार लेने से अधिक समय तक भूख नहीं लगती है। इससे वजन को नियंत्रित करने के साथ मेटाबॉलिज्म के स्तर में सुधार हो सकता है। खाने से मिलने वाली ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत प्रोटीन होता है (8)।

कैसे इस्तेमाल करें:

चयापचय बढ़ाने के भोजन में लीन प्रोटीन स्रोत जैसे- मछली, सोया, मशरूम, टोफू, फलियां, बीन्स, अंडे, दूध, दही व चीज़ आदि का सेवन कर सकते हैं (9)।

6. सब्जियां

मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के भोजन यानि मेटाबोलिक डाइट चार्ट में सब्जियों को शामिल करने के बहुत फायदे हैं। सब्जियों में फाइटोकेमिकल्स व एंटी-ओबेसिटी एजेंट होते हैं, ये मोटापा बढ़ाने वाले एडिपोस टिश्यू (adipose tissue) को बढ़ने से रोकते हैं और मेटाबॉलिज्म बढ़ाने में सहायक होते हैं। साथ ही सब्जियां एडिपोस टिश्यू की वजह से होने वाले ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस और इन्फ्लेमेशन से भी बचाती हैं (10)।

इसके अलावा, फलों की ही तरह ज्यादातर सब्जियों में फैट और कैलोरी की मात्रा भी कम होती है और वे आसानी से पेट भर देती हैं (7)। इससे भूख कम लगती है और वजन नियंत्रित रहता है। लेख में ऊपर बताया जा चुका है कि वजन संतुलित रहने से मेटाबॉलिज्म भी बेहतर रहता है। तो मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के लिए ताज़ी सब्जियों का सेवन ज़रूर करें।

कैसे इस्तेमाल करें:

प्याज, सलाद पत्ता, शिमला मिर्च, गोभी, शकरकंद व ब्रोकली जैसी सब्जियों को आहार में शामिल कर सकते हैं (10) (11)। इसके अलावा, अपने डॉक्टर से बात करके एक डाइट चार्ट भी बनवा सकते हैं, जिसमें क्या, कब और कितना खाना है, इसकी जानकारी दी जाएगी।

7. फुल-फैट दही

दही में लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो आंत के लिए अच्छे हो सकते हैं और बेहतर पाचन में सहायता कर सकते हैं। ये भूख को नियंत्रित करने के साथ ब्लड शुगर को भी संतुलित करने में मदद कर सकते हैं। इसलिए, शरीर का वजन नियंत्रित करने, ऊर्जा संतुलन और टाइप 2 मधुमेह से निपटने के लिए दही की सहायता ले सकते हैं (12)।

कैसे इस्तेमाल करें:

मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के आहार में एक बाउल दही शामिल कर लें। दही का सेवन दिन में दो बार कर सकते हैं। चाहें, तो बाजार से ग्रीक योगर्ट लाकर, उसका भी सेवन कर सकते हैं। नाश्ते में ग्रीक योगर्ट का सेवन करना ज्यादा लाभकारी हो सकता है।

8. डार्क चॉकलेट

मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के उपायों में से एक है डार्क चॉकलेट। एक शोध के अनुसार, 14 दिन तक रोज 40 ग्राम डार्क चॉकलेट का सेवन करने से मेटाबॉलिज्म दर बेहतर हो सकती है। इसके गुण स्ट्रेस हार्मोन को नियंत्रित कर तनाव जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं (13)। इसके अलावा, डार्क चॉकलेट में कोको होता है, जिसमें एंटी-ओबेसिटी गुण होते हैं। इसलिए, यह मोटापे को कम करने में मदद कर सकती है (14)। मधुमेह में भी इसका उपयोग किया जा सकता है। दरअसल, डार्क चॉकलेट में मौजूद कोको में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ा सकते हैं और टाइप 2 डायबिटीज से आराम पाने में लाभदायक हो सकते हैं (15)।

कैसे इस्तेमाल करें:

जब भी तनाव या नकारात्मक महसूस करें, तो डार्क चॉकलेट का एक टुकड़ा खा लें।

9. हल्दी

हल्दी में एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जिन्हें मेटाबॉलिज्म ठीक करने के उपाय के रूप में उपयोग किया जा सकता है। हल्दी के गुण मोटापे और मेटाबोलिक रोग जैसे ह्रदय रोग, स्ट्रोक, टाइप 2 मधुमेह आदि से बचाने में सहायक हो सकते हैं (16)।

कैसे इस्तेमाल करें:

मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने के लिए रात को सोने से पहले हल्दी वाला दूध पी सकते हैं। चाहें, तो हल्दी की चाय भी बना कर पी सकते हैं और स्वाद के लिए उसमें शहद भी मिला सकते हैं।

10. सेब का सिरका

मेटाबॉलिज्म तेज करने के उपाय में सेब का सिरका लाभदायक साबित हो सकता है। सेब के सिरके में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस से आराम दिला सकते हैं। साथ ही, इसका उपयोग मोटापे की वजह से होने वाले ह्रदय रोग से भी बचा सकता है। इतना ही नहीं, सेब के सिरके के सेवन से रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने में भी सहायता मिल सकती है (17)।

कैसे इस्तेमाल करें:

रोजाना खाने से पहले एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका मिलाकर पी सकते हैं। इसका सेवन दिन में दो से तीन बार कर सकते हैं। अगर एसिडिटी की समस्या है, तो इसे प्रयोग करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लें।

11. मिर्च

मिर्च स्वाद के साथ सेहत भी देती है। दरअसल, मिर्च में कैपसाइसिन (Capsaicin) नाम का एक सक्रिय पदार्थ पाया जाता है, जो वजन कम करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, मिर्च शरीर में इंसुलिन के स्तर के साथ वजन को नियंत्रित कर ओबेसिटी, मधुमेह व हृदय रोग जैसी बीमारियों के जोखिम को कम कर सकती है (18)।

कैसे इस्तेमाल करें:

मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के आहार में प्रतिदिन एक या दो हरी मिर्च को शामिल कर सकते हैं। इसके अलावा, लाल मिर्च पाउडर को स्वादानुसार अपने खाने में उपयोग कर सकते हैं। अगर पेट संबंधी समस्या है, तो मिर्च खाने से पहले एक बार अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के अन्य उपाय जानने के लिए पढ़ते रहिए यह आर्टिकल।

12. मेथी के बीज

मेथी के बीज के गुण शरीर में फैट टिश्यू को कम करके और पाचन एंजाइम, एंटीऑक्सीडेंट, ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करके और इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाकर मेटाबॉलिज्म में सुधार करने में मदद कर सकते हैं। साथ ही ये ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस से आराम दिलाने व रक्तचाप को नियंत्रित रखने में सहायक हो सकते हैं (19)। इसलिए, ऐसे में मेथी के बीज का उपयोग मेटाबॉलिज्म में सुधार के लिए फायदेमंद हो सकता है।

कैसे इस्तेमाल करें:

मेटाबॉलिज्म तेज करने के उपाय के लिए दो चम्मच मेथी के बीज को रात भर के लिए पानी में भिगो कर रख दें। फिर सुबह पानी को छान लें और उसका सेवन करें। चाहें, तो मेथी को खाना बनाते वक्त मसाले की तरह सब्जी में भी उपयोग कर सकते हैं।

13. लसहुन

लहसुन का सेवन रक्त में ट्राइग्लिसराइड, लिपिड और हानिकारक कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है। लहसुन में एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने के साथ मोटापे व मधुमेह जैसी बीमारी से आराम दिला सकते हैं (20)।

कैसे इस्तेमाल करें:

रोज सुबह लहसुन की एक कली खा सकते हैं। चाहें तो मेटाबॉलिज्म ठीक करने के उपाय के लिए लहसुन को सूप और सब्जियों में भी डाल कर खा सकते हैं।

14. दालचीनी

क्या कभी सोचा था कि जो सामग्री खाने का स्वाद बढ़ाती है, वो वजन नियंत्रित करने में भी मदद कर सकती है? जी हां, शोध के अनुसार दालचीनी मेटाबोलिक सिंड्रोम जैसे ह्रदय रोग, मधुमेह व स्ट्रोक आदि से आराम दिलाने में मदद कर सकती है। इसमें सिनेमल्डीहाइड (cinnamaldehyde), सिनामेट (cinnamate), सिनामिक एसिड और यूजेनॉल (eugenol) जैसे यौगिक होते हैं, जो ब्लड शुगर, मोटापे और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं (21)।

कैसे इस्तेमाल करें:

दालचीनी के पाउडर को चाय, जूस, सलाद व सूप आदि में मिलाकर उसका सेवन कर सकते हैं। दालचीनी का उपयोग खाना बनाते वक्त भी कर सकते हैं ।

15. मसूर की दाल

मसूर की दाल प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। यह दाल फाइबर, खनिज और विटामिन से भी भरपूर होती है। यह अपने बायोएक्टिव कंपाउंड्स की वजह से मोटापे, मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसी विभिन्न बीमारियों से बचाने में मदद कर सकती है। साथ ही मसूर की दाल में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीडायबिटीक, एंटीकैंसर, एंटी-ओबेसिटी गुण भी मौजूद हैं, जो मेटाबॉलिज्म ठीक करने के उपाय की तरह काम कर सकते हैं। मसूर की दाल में पॉलीफेनोल नाम के तत्व पाए जाते हैं, जो मेटाबोलिक सिंड्रोम जैसे मधुमेह, ओबेसिटी व ह्रदय रोग आदि का खतरा कम करने में उपयोगी साबित हो सकते हैं (22)। इन सभी बीमारियों की वजह से मेटाबॉलिज्म दर में कमी हो सकती है।

कैसे इस्तेमाल करें:

मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के आहार में मसूर की दाल को शामिल कर सकते हैं और चाहें, तो दाल का पानी भी पी सकते हैं ।

16. अजवायन

अजवाइन में एंटीऑक्सीडेंट व एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो मेटाबॉलिज्म बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। ये शरीर में ऊर्जा का व्यय बढ़ाते हैं और भूख को कम करके भोजन का सेवन कम करने में मदद कर सकते हैं। ये प्रोस्टाग्लैंडीन (Prostaglandin) के स्तर को नियंत्रित रख कर रक्तचाप और कोलेस्ट्रोल को भी नियंत्रित रखने में सहायक हो सकते हैं (23)। प्रोस्टाग्लैंडीन एक तरह का रासायनिक कंपाउंड है, जो शरीर में हार्मोन की तरह काम करता है।

कैसे इस्तेमाल करें:

सूप, सलाद व स्मूदी में अजवाइन का सेवन कर सकते हैं या इसे अपने आहार में भी शामिल कर सकते हैं।

17. सरसों

मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के तरीके की बात करें, तो सरसों भी फायदेमंद हो सकता है। सरसों के तेल में डायसेलिग्लिसरॉल (Diacylglycerol) नामक तत्व पाया जाया है, जो वजन कम करने में मदद कर सकता है (24)। इसके अलावा, सरसों में पाए जाने वाला इरुसिक एसिड (Erucic acid) हानिकारक कोलेस्ट्रोल को कम करने में लाभकारी हो सकता है (25)। इन तत्वों की वजह से सरसों मेटाबॉलिज्म बढ़ने में उपयोगी हो सकता है।

कैसे इस्तेमाल करें:

खाना बनाने में सरसों का उपयोग कर सकते हैं। चाहें तो सरसों का साग बनाकर उसका सेवन कर सकते हैं।

18. हर्ब्स

तनाव भी वजन बढ़ने का एक अहम कारण होता है, जिससे मेटाबॉलिज्म कम हो सकता है। ऐसे में हर्ब्स मदद कर सकती हैं। इनमें एंटी-एंग्जायटी गुण पाए जाते हैं, जो तनाव को कम करके रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करने के साथ ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म को ठीक और ऊर्जा बढ़ाने में लाभकारी हो सकते हैं। हर्ब्स तनाव कम करके ब्लड शुगर और रक्तचाप को नियंत्रित रखने में मदद कर सकती हैं (26)।

कैसे इस्तेमाल करें:

नीचे बताई गई हर्ब्स को अरोमाथेरेपी के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए इन हर्ब्स के एसेंशियल ऑयल की कुछ बूंदें डिफ्यूजर में डाल कर कमरे में रख दें। ये निम्नलिखित हर्ब्स काम आ सकती हैं जैसे :

  • शिजण्ड्रा (schizandra)
  • अश्वगंधा (ashwagandha)
  • मुलेठी (licorice)
  • कोडोनोपसिस (codonoposis)
  • वेलेरियन (Valerian)
  • कृष्णकमल (passionflower)
  • कैलिफोर्निया खसखस (California poppy)
  • हॉप्स (hops)
  • नींबू बाम (lemon balm)

19. जैतून का तेल

एक शोध के अनुसार, जैतून के तेल में 30 फेनोलिक कंपाउंड पाए जाते हैं। ये कंपाउंड शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस और हृदय रोग सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं (27)। वहीं, एक शोध में जिक्र मिलता है कि ऑलिव ऑयल का उपयोग कोलेस्ट्रॉल मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है और साथ ही ऑक्सीडेटिव तनाव में सुधार का काम भी कर सकता है (28)। इस आधार पर हम कह सकते हैं कि जैतून के तेल का उपयोग कुछ हद तक मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में सहायक हो सकता है।

कैसे इस्तेमाल करें:

मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के भोजन में साधारण तेल की जगह जैतून के तेल का उपयोग कर सकते हैं।

20. ऊलौंग चाय

ऊलौंग चाय को वजन कम करने के लिए फायदेमंद बताया गया है। शोध के अनुसार, यह चाय फैट ऑक्सीडेशन और मेटाबोलिक दर को बढ़ाने में सहायक होती है (29)। इसमें मौजूद पोलीमराइज्ड पॉलीफेनोल्स (polymerized polyphenols) नाम के आर्गेनिक कंपाउंड शरीर में ऊर्जा को बढ़ाकर, मेटाबोलिक दर को बेहतर करने में मदद कर सकते हैं (30)। ऊलौंग चाय में एंटी-स्ट्रेस गुण भी पाए जाते हैं, जिसका प्रभाव प्लाज्मा टॉयगलेसीराइड मेटाबोलिज्म (plasma TG metabolism) पर पड़ सकता है

कैसे इस्तेमाल करें:

अधिकतम लाभ पाने के लिए भोजन से पहले ऊलौंग चाय पिएं।

21. ओमेगा-3 फैटी एसिड

ओमेगा-3 पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण और हाइपेरिग्लीसेरिडेमिक गुण (रक्त में एक तरह के फैट को बढ़ने से रोकने वाले) पाए जाते हैं। ये वजन कम करने में शायद लाभदायक न हों, लेकिन वजन बढ़ने की समस्या को रोकने में सहायता कर सकते हैं (32)। जिन खाद्य पदार्थों में ओमेगा-3-फैटी एसिड की अच्छी मात्रा होती है, वो मेटाबॉलिज्म दर सुधारने में मदद कर सकते हैं (33)। इसलिए अपने मेटाबोलिक डाइट चार्ट में ओमेगा-3 फैटी एसिड को ज़रूर शामिल करें।

कैसे इस्तेमाल करें:

चयापचय बढ़ाने के भोजन में मछली के तेल, मछली (त्वचा के साथ), सन बीज, पालक, सोयाबीन, अखरोट, चिया बीज, कद्दू के बीज और अंडे की जर्दी का सेवन करें।

22. आयरन समृद्ध भोजन

शोध के अनुसार, शरीर में आयरन की कमी से मेटाबॉलिज्म दर कम हो सकती है। यह न सिर्फ बेसल मेटाबोलिक रेट को कम कर सकता है, बल्कि शारीरिक गतिविधि के दौरान इस्तेमाल होने वाली ऊर्जा को भी कम कर सकता है (34)। इसलिए मेटाबॉलिज्म में सुधार के लिए आहार में आयरन समृद्ध खाद्य सामग्रियों को जरूर शामिल करें।

कैसे इस्तेमाल करें:

चयापचय बढ़ाने के भोजन यानी मेटाबोलिक डाइट चार्ट में आयरन से समृद्ध आहार जैसे- हरी पत्तेदार सब्जियां, समुद्री भोजन, बीन्स, मटर, चुकंदर, दाल, डार्क चॉकलेट, किशमिश और पिस्ता का सेवन कर सकते हैं ।

मेटाबॉलिज्म ठीक करने के उपाय के अलावा कुछ और बातों पर भी ध्यान देने की जरूरत है, जिनके बारे में लेख के अगले भाग में बताया गया है।

जारी रखें पढ़ना

आगे जानिए मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के कुछ अन्य उपाय।

मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के लिए कुछ और टिप्स – Other Tips To Increase Metabolism in Hindi

निम्नलिखित टिप्स की मदद से जानिए मेटाबॉलिज्म को कैसे ठीक किया जा सकता है :

23. तनाव कम करना

तनाव के कारण कई सेहत संबंधी समस्याएं जैसे – मोटापा, डायबिटीज व शरीर में सूजन हो सकती है। इन सारे कारणों से मेटाबॉलिज्म दर कम हो सकती है (35)। इसलिए, जितना हो सके तनाव से दूर रहने की कोशिश करें। तनाव कम करने के लिए अपनी मनपसंद चीजें करें, जैसे – पढ़ना, घूमना, फिल्म देखना, खाना बनाना, या जो भी पसंद हो। तनाव कम करने के लिए योग का सहारा भी लिया जा सकता है (36)।

24. खूबू पानी पिएं

पानी वजन कम करने में मदद कर सकता है। एक शोध के अनुसार, 500 मिली लीटर पानी मेटाबोलिक दर को 30 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है और ऑक्सीडेशन को कम कर सकता है (37)। एक दिन में कम से कम 2 लीटर पानी पिएं और अपनी मेटाबॉलिज्म दर को बढ़ाएं।

25. शराब का सेवन न करें

शरीर पर शराब के दुष्प्रभाव के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन शराब से वजन बढ़ता है, इस बारे में कभी सुना है। जी हां, एक रिपोर्ट के अनुसार शराब खाने को ऊर्जा में परिवर्तित होने से रोक सकती है, जिससे वह फैट के रूप में जमा होने लगता है। इसके अलावा, नशे में खाने से पेट भरने की संतुष्टि नहीं होती, जिस वजह से लोग जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं (38)। इसलिए, मेटाबॉलिज्म तेज करने के उपाय में बेहतर होगा कि शराब का सेवन करने से बचें। हालांकि, अभी तक यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि शराब के सेवन से वजन बढ़ने का कितना खतरा हो सकता है, लेकिन बेहतर यह है कि इसका सेवन न करें।

26. नाश्ता न छोड़ें

कई लोगों का ऐसा मानना है कि खाना छोड़ने से उनका वजन कम हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं है। नाश्ता ऐसा आहार है, जिसे न खाना वजन बढ़ने का कारण हो सकता है। शोध की मानें, तो नाश्ता दिन भर के कामों के लिए पर्याप्त ऊर्जा देता है। इसके अलावा, यह दिमाग के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हो सकता है (39)। नाश्ता छोड़ने से टाइप 2 डायबिटीज और ह्रदय रोग का खतरा भी बढ़ सकता है (40)। आप नाश्ते में लीन प्रोटीन, डाइटरी फाइबर और स्वस्थ फैट युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें, जैसे – फल व नट्स के साथ ग्रीक दही, प्रोटीन पैनकेक, अंडे के साथ एवोकाडो टोस्ट व होल ग्रेन टोस्ट आदि।

27. हेल्दी स्नैक्स खाएं

कोशिश करें कि एक बार में पेट भर कर न खाएं और हर दो घंटे में कुछ न कुछ खाते रहें। ऐसे में ट्रांस-फैट से भरे खाद्य पदार्थ खाने से बचें, जैसे – आलू वेफर्स व डीप फ्राई आहार आदि। ये मोटापे और टाइप 2 मधुमेह के खतरे को बढ़ा सकते हैं और मेटाबोलिक दर को कम कर सकते हैं (41)। ऐसे में दही, पिस्ता, बेबी गाजर, फल, ग्रीन टी, ऊलौंग चाय, ब्लैक कॉफी व नारियल पानी आदि का सेवन किया जा सकता है। ये खाद्य पदार्थ फाइबर और फाइटोन्यूट्रिएंट्स से भरपूर होते हैं, जो पेट को देर तक भरा हुआ रखते हैं, जिससे जल्दी भूख नहीं लगती। इस तरह ये चयापचय दर को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।

28. आलस में न रहें

आजकल की जीवनशैली में हम आराम के इतने आदी हो चुके हैं कि हम स्वयं से कुछ करना ही नहीं चाहते। सीढ़ियों की जगह लिफ्ट का इस्तेमाल करते हैं, थोड़ी दूर जाने के लिए भी गाड़ी का उपयोग करते हैं, पूरा दिन डेस्क जॉब पर बैठ कर काम करना, देर से सोना और देर तक सोना, ये सब हमारी जीवनशैली का हिस्सा बन गया है। इससे शरीर में फैट की मात्रा बढ़ सकती है और मेटाबॉलिज्म दर प्रभावित हो सकती है।

इसलिए बेहतर होगा कि लिफ्ट की जगह सीड़ियों का उपयोग करें, छोटी दूरी के लिए चल कर जाएं, दिन भर में कोई न कोई शारीरिक गतिविधि करते रहें। इससे ऊर्जा का उपयोग होगा और फैट की मात्रा कम होगी। इसके अलावा एक्सरसाइज करने से टाइप 2 डायबिटीज, स्ट्रोक, तनाव, अवसाद व उच्च रक्तचाप आदि समस्याओं से राहत सकती है (42)।

29. पर्याप्त नींद लें

नींद की कमी ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म और मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने वाले हार्मोस में बदलाव ला सकती है, यानी लेप्टिन का स्तर कम हो जाता है और घ्रेलिन हार्मोन (ghrelin hormone) के स्तर में वृद्धि होती है। घ्रेलिन हार्मोन भूख बढ़ाता है और शरीर में फैट जमा कर सकता है (43)। ऐसे में दिमाग को यह संदेश नहीं मिल पाता कि कितना खाना खाना है और शरीर में कितना फैट जमा है। यह वजन बढ़ने का एक कारण बन सकता है, जिससे मेटाबॉलिज्म दर कम हो सकती है। इसलिए, प्रतिदिन आठ से दस घंटे की नींद जरूर लें।

30. खूब हंसे

मेटाबॉलिज्म तेज करने के उपाय में हंसना सबसे आसान उपायों में से एक है। हंसी योग (laughter yoga) के बारे में तो सुना ही होगा। यह योग मूड को बेहतर करने के साथ ऊर्जा व्यय व हृदय गति को बढ़ा सकता है। इससे तनाव जैसी समस्याओं से भी राहत मिल सकती है, जिससे मेटाबोलिक दर बेहतर होने में भी मदद हो सकती है (44) (45)।

अब तो आप मेटाबॉलिज्म के बारे में सब कुछ अच्छी तरह समझ गए होंगे। ये क्या होता है और इसमें कमी क्यों आती है। साथ ही आपको यह भी पता चल गया होगा कि मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के लिए क्या करें। अगर आपने ध्यान दिया हो, तो मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के ये सारे उपाय बहुत आसान हैं, जिन्हें आप आराम से अपने दैनिक जीवन में शामिल कर सकते हैं। आप आज से ही मेटाबॉलिज्म तेज करने के उपाय को अपनाएं और शरीर को सुंदर व सुडौल बनाएं। साथ ही, इस लेख को अपने करीबियों के साथ साझा करना न भूलें।

References

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Dr. Zeel Gandhi is an Ayurvedic doctor with 7 years of experience and an expert at providing holistic solutions for health problems encompassing Internal medicine, Panchakarma, Yoga, Ayurvedic Nutrition, and formulations.

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Saral Jain
Saral Jainहेल्थ एंड वेलनेस राइटर
सरल जैन ने श्री रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, राजस्थान से संस्कृत और जैन दर्शन में बीए और डॉ.

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