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कुछ लोगों को काम करते-करते अचानक दौरे पड़ने शुरू हो जाते हैं, सुध-बुध खो बैठते हैं और शरीर अकड़ जाता है। आम भाषा में इसे मिर्गी के लक्षण कहा जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसे वक्त में पीड़ित व्यक्ति के साथ क्या करना चाहिए? शायद आप में से कम ही लोगों को इसकी जानकारी होगी। दरअसल, इस बीमारी के कुछ आम लक्षणों से तो सभी अवगत हैं, लेकिन यह बीमारी असल में है क्या और इसके होने के कारण क्या हैं, यह बहुत कम लोग ही जानते हैं। लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करने और इसके सही इलाज से अवगत कराने के उद्देश्य से ही हम स्टाइलक्रेज के माध्यम से इस विषय को उठा रहे हैं। आइए, इस बीमारी से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात को समझने का एक प्रयास करते हैं।
लेख में हम मिर्गी के प्रकार और मिर्गी के लक्षण तो जानेंगे ही, लेकिन उससे पहले इस बीमारी को अच्छी तरह से समझ लेते हैं।
मिर्गी क्या है? – What is Epilepsy in Hindi
मिर्गी एक प्रकार का मस्तिष्क विकार है, जिसमें तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) प्रभावित होता है। इस बीमारी में रोगी की तंत्रिका प्रणाली में अवरोध पैदा होता है। इस कारण दिमाग शरीर के अन्य भाग में सही संदेश नहीं भेज पाता। नतीजतन, उसकी संवेदनाएं और भावनाएं प्रकट करने की क्षमता कुछ समय के लिए खत्म हो जाती है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति अजीब व्यवहार करता है। मांसपेशियों में ऐंठन होने लगती है। बेहोशी आ सकती है। व्यक्ति को झटके भी महसूस हो सकते हैं। इसे ही मिर्गी का दौरा कहा जाता है (1)। यह मानव दिमाग में पैदा होने वाली ऐसी स्थिति हैं, जैसे किसी घर में शार्ट सर्किट की वजह से अचानक बिजली चली जाए।
मिर्गी क्या है, यह तो आपने जान लिया। आइए, अब हम मिर्गी के प्रकार भी जान लेते हैं।
मिर्गी के प्रकार – Types of Epilepsy in Hindi
मिर्गी के प्रकार की बात करें, तो मुख्य रूप से इसके दौरों को दो भागों में बांटा गया है। आइए, उनके बारे में थोड़ा विस्तार से जान लेते हैं (2)।
1. जनरलाइज्ड सीजर्स
यह मिर्गी के दौरे का एक अहम प्रकार है। इसमें दिमाग के दोनों भाग प्रभावित होते हैं। मिर्गी दौरे के इस प्रकार को दो भागों में बांटा गया है :
- एब्सेंस सीजर्स- दौरे के इस प्रकार में रोगी कुछ समय के लिए अपनी सुध-बुध खो देता है और आकाश की ओर एक टक घूरने लगता है।
- टॉनिक क्लोनिक सीजर्स- मिर्गी दौरे के इस प्रकार में चिल्लाना, बेहोशी आना, मांसपेशियों का अकड़ना और अचेत होकर जमीन पर गिरना जैसे लक्षण रोगी में दिखाई देते हैं। वहीं, दौरा खत्म होने के बाद रोगी को थकान महसूस हो सकती है।
2. फोकल सीजर्स
मिर्गी दौरे का यह प्रकार केवल दिमाग के एक विशेष हिस्से को प्रभावित करता है। इसी कारण इसे आंशिक दौरे के नाम से भी जाना जाता है।
- सिंपल फोकल सीजर्स- दौरे का यह प्रकार दिमाग के बहुत छोटे हिस्से को प्रभावित करता है। इस कारण यह दौरे जैसा बिलकुल भी प्रतीत नहीं होता। इसमें स्वाद और गंध में बदलाव के साथ शरीर में झनझनाहट जैसा अनुभव होता है।
- कॉम्प्लेक्स पार्शियल सीजर्स- दौरे के इस प्रकार में रोगी में कुछ देर के लिए भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है। वहीं, कुछ मामलों में उसकी सोचने-समझने की क्षमता खत्म हो सकती है।
- सेकंडरी जनरलाइज्ड सीजर्स- मिर्गी दौरे के इस प्रकार में सबसे पहले रोगी के दिमाग का एक बहुत छोटा हिस्सा प्रभावित होता है। बाद में यह धीरे-धीरे दिमाग के दोनों हिस्सों तक फैल जाता है।
नोट- मिर्गी का दौरा कुछ मिनट के लिए भी हो सकता है और लंबे समय के लिए भी। दोनों ही स्थितियों में आपको अपने चिकित्सक से संपर्क जरूर करना चाहिए।
मिर्गी के प्रकार तो आपने जान लिए अब बारी है इसके कारणों को जानने की।
मिर्गी के कारण – Causes of Epilepsy in Hindi
मिर्गी की समस्या के कई कारण हो सकते हैं। इनमें कई बीमारियों के साथ किसी हादसे की वजह से लगने वाली दिमागी चोट भी शामिल है। आइए, इनमें से कुछ अहम कारणों के बारे में जानते हैं (3)।
- ट्रांसिएंट इस्कीमिक अटैक (दिमाग में खून के बहाव का रुकना) के कारण।
- किसी हादसे में मानसिक क्षति होने के कारण।
- गर्भ में ही किसी हादसे के कारण चोट लगने की वजह से।
- जन्म के समय दिमागी विकास में कमी के कारण।
- जन्म के समय उपापचय संबंधी विकार होने के कारण।
- मस्तिष्क में असामान्य ब्लड वेसेल्स (रक्त वाहिकाएं) होने के कारण।
कारण जानने के बाद अब हम मिर्गी रोग के लक्षण के बारे में आपको बताने जा रहे हैं।
मिर्गी के लक्षण – Epilepsy Symptoms in Hindi
मिर्गी के लक्षण की बात करें, तो हर रोगी में यह अलग-अलग तरह से प्रदर्शित हो सकते हैं। आइए, हम इसके कुछ आम लक्षणों के बारे में जानने का प्रयास करते हैं (2) (3)।
- सुध-बुध खोना
- बेहोश होना
- चक्कर आना
- मांसपेशियों में अकड़न
- स्वाद और गंध में बदलाव
- त्वचा में झनझनाहट
- सोचने-समझने की क्षमता का खत्म होना
- मुंह से झाग आना
- भ्रम की स्थिति पैदा होना
लेख के अगले भाग में हम मिर्गी के जोखिम कारकों की बात करेंगे।
मिर्गी रोग के जोखिम कारक – Risk Factors of Epilepsy in Hindi
मिर्गी के जोखिम कारकों को आप निम्न बिंदुओं के माध्यम से आसानी से समझ सकते हैं (3)।
- डिमेंशिया (मानसिक क्षमता का कमजोर होना) और अल्जाइमर (मानसिक कमजोरी के कारण भूलने की समस्या) की बीमारी की वजह से।
- दिमागी संक्रमण, जैसे – दिमाग की नसों में सूजन व फोड़ा होने के कारण।
- एड्स, जिसमें शरीर की प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है। यह भी मिर्गी के जोखिम कारणों में से एक है।
- ब्रेन ट्यूमर भी इसका एक जोखिम कारक हो सकता है।
- कोई अन्य बीमारी, जो दिमाग के टिश्यू को कमजोर करती हैं या नष्ट करती है।
- आनुवंशिक यानी पारिवारिक इतिहास भी मिर्गी के जाेखिम कारणों में शामिल है।
मिर्गी के जोखिम कारकों के बाद अब हम आपको बताएंगे कि मिर्गी का उपचार करने के लिए डॉक्टर से सलाह कब लेनी चाहिए।
मिर्गी के लिए डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए?
वैसे तो मिर्गी रोग के लक्षण पहली बार दिखाई देने पर ही आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, लेकिन यहां हम आपको कुछ स्थितियां बताने जा रहे हैं, जिनके होने पर आपको मिर्गी का उपचार करने में जरा भी देर नहीं करनी चाहिए (3)।
- जब व्यक्ति को सामान्य से अधिक यानी लंबे समय तक मिर्गी का दौरा आए।
- जब मिर्गी के दौरे जल्दी-जल्दी आने लगे।
- कुछ मिनट के अंतराल में एक से अधिक बार मिर्गी का दौरा आना।
- जब दौरे आने के साथ व्यक्ति की मानसिक स्थिति बिगड़ने लगे।
मिर्गी का उपचार होने से पूर्व इसका निदान बहुत जरूरी है। आइए, अब इससे संबंधित कुछ आवश्यक जानकारी भी हासिल कर लेते हैं।
मिर्गी रोग का निदान – Diagnosis of Epilepsy in Hindi
अगर आप मिर्गी की समस्या से परेशान हैं, तो डॉक्टर सबसे पहले आपकी शारीरिक जांच करेंगे। साथ ही वह आपसे बात करके यह जानने की कोशिश करेंगे कि आपको यह समस्या कब से है। वहीं, इस बीमारी के आनुवंशिक होने के बारे में पता लगाने के लिए आपके पारिवारिक इतिहास को खंगालने की कोशिश की जाएगी। इसके बावजूद, मिर्गी का मुख्य कारण नहीं पता चलने की स्थिति में आपको अन्य टेस्ट कराने की सलाह दी जाएगी (3)।
- ईईजी – मिर्गी के निदान के लिए ईईजी (Electroencephalogram) टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। इस टेस्ट में रोगी को एक दिन या फिर एक हफ्ते के लिए ईईजी रिकॉर्डर पहनाया जाता है। यह दौरे के दौरान आपके मस्तिष्क में होने वाले बदलावों को रिकॉर्ड किया जाता है कि यह दिमाग के किस हिस्से को प्रभावित कर रहा है।
- वीडियो ईईजी- कुछ मामलों में रोगी को कुछ दिनों के लिए हॉस्पिटल में ही रखा जाता है। यहां विशेष उपकरणों (जैसे – ईईजी रिकॉर्डर और कैमरा) की सहायता से दौरा पड़ने के समय दिमाग के साथ शारीरिक लक्षणों को बारीकी से परखा जाता है। मिर्गी रोग के निदान की इस प्रक्रिया को वीडियो ईईजी कहा जाता है।
यह तो हो गईं आम जांच, जिन्हें मिर्गी का उपचार करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। वहीं, कुछ मामलों में कई अन्य जांच भी कराई जाती हैं, जो मिर्गी के अन्य कारणों को पता लगाने में मददगार साबित होती हैं। आइए, उन पर भी डालते हैं एक नजर।
- खून की जांच
- ब्लड शुगर की जांच
- कम्प्लीट ब्लड काउंट
- किडनी फंक्शन टेस्ट
- लिवर फंक्शन टेस्ट
- रीढ़ की हड्डी की जांच
- संक्रामक बीमारियों की जांच
- सीटी स्कैन
- एमआरआई स्कैन
इस रोग के निदान के बारे में जानने के बाद अब हम मिर्गी का इलाज कैसे किया जाए, इस बारे में जानकारी हासिल करेंगे।
मिर्गी का इलाज – Treatment of Epilepsy in Hindi
मिर्गी का इलाज कैसे किया जाए? अगर आपके मन में यह सवाल पनप रहा है, तो बता दें कि अधिकतर मामलों में इसे केवल नियंत्रित किया जा सकता है (1)। आइए, अब हम मिर्गी के इलाज के लिए अपनाए जाने वाले कुछ तरीकों पर नजर डालते हैं (3)।
- शुरुआती दौर में मिर्गी को नियंत्रित करने के मिर्गी की दवाई का उपयोग किया जाता है। इसके लिए डॉक्टर एंटीकॉनवल्सेंट (Anticonvulsants, दिमागी क्षति को सुधारने वाली) दवा लेने की सलाह देते हैं। समय के हिसाब से इसकी मात्रा कम या ज्यादा की जा सकती है।
- अगर ट्यूमर, एब्नार्मल ब्लड वेसेल्स (असामान्य रक्त वाहिकाएं) या फिर दिमाग में रक्त स्त्राव (खून बहना) के कारण मिर्गी की समस्या है, तो मिर्गी रोग का इलाज करने के लिए प्रभावित स्थान की सर्जरी कर इस समस्या को दूर किया जा सकता है।
- कई मामलों में डॉक्टर मिर्गी रोग का इलाज करने के लिए एब्नार्मल ब्लड वेसेल्स (असामान्य रक्त वाहिकाएं) को ऑपरेट कर हटा भी सकते हैं।
- दिमाग में वैगल नर्व स्टिमुलेटर (Vagal Nerve Stimulator) लगाया जा सकता है। वैगल नर्व स्टिमुलेटर हृदय में लगाए जाने वाले पेस मेकर की तरह एक कृत्रिम उपकरण है, जो मिर्गी के दौरों को नियंत्रित करता है।
- वहीं, खासकर बच्चों के मामले में मिर्गी रोग का इलाज करने के लिए डॉक्टर कीटोजेनिक डाइट (अधिक वसा और प्रोटीन के साथ कम कार्बोहाइड्रेट वाला आहार) लेने की सलाह देते हैं।
मिर्गी की दवाई और मिर्गी रोग का उपचार जानने के बाद अब इससे संबंधित कुछ घरेलू उपाय जान लेते हैं।
मिर्गी रोग के घरेलू उपचार – Remedies for Epilepsy in Hindi
1. नारियल का तेल
सामग्री :
- नारियल का तेल (आवश्यकतानुसार)
कैसे इस्तेमाल करें :
- खाना पकाने में रिफाइंड ऑयल की जगह नारियल तेल का इस्तेमाल करें।
- आप सलाद में भी इसका उपयोग कर सकते हैं।
कितनी बार इस्तेमाल करें :
- आप इसे नियमित रूप से इस्तेमाल में ला सकते हैं।
कैसे है उपयोगी :
नारियल तेल में प्रभावशाली एंटीऑक्सीडेंट गुण के साथ-साथ फैटी एसिड भी मौजूद होता है। इन गुणों के कारण नारियल तेल को मिर्गी की समस्या को कम करने में सहायक माना जाता है (4)।
2. सीबीडी ऑयल
सामग्री :
- 10 ग्राम दवा के रूप में उपलब्ध सीबीडी (Cannabidiol) ऑयल
कैसे इस्तेमाल करें :
- 10 ग्राम सीबीडी ऑयल को ड्रॉपर की मदद से जीभ के नीचे रखें और एक मिनट तक मुंह में रोकने के बाद इसे निगल लें।
- ध्यान रहे कि इसे लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
कितनी बार इस्तेमाल करें :
- इसे दिन में एक बार इस्तेमाल किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक
विशेषज्ञों के मुताबिक सीबीडी ऑयल में एंटी-एपिलेप्टिक प्रभाव पाया जाता है, जो दिमाग की क्षति को दूर कर मिर्गी की समस्या को दूर करने में सहायक साबित हो सकता है (5)।
3. विटामिन
मिर्गी की समस्या में सहायक विटामिन की बात की जाए, तो विटामिन बी-6, विटामिन ई, फोलिक एसिड (विटामिन बी-9), विटामिन डी, विटामिन के और बायोटिन (विटामिन बी-7) की कमी भी मिर्गी के दौरे का एक कारण हो सकती है। इस कारण पोषक तत्वों की कमी से होने वाले मिर्गी के दौरे को दूर करने के लिए इन विटामिन से युक्त खाद्य पदार्थों को लेने की सलाह दी जाती है (6)। आप चाहें तो इन विटामिन्स के सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं।
घरेलू उपचार जानने के बाद अब हम आपको इस समस्या में फायदेमंद और नुकसानदायक खाद्य पदार्थों के बारे में बताएंगे।
मिर्गी में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए
मिर्गी की समस्या और इसके दौरों की संख्या में कमी के लिए अक्सर डायटीशियन कम कार्बोहाइड्रेट और अधिक वसा वाले आहार लेने की सलाह देते हैं। एक शोध के मुताबिक, एटकिन्स और कीटोजेनिक डाइट मिर्गी की समस्या में काफी हद तक राहत पहुंचाने में सहायक मानी गई है (7)।
खाए जाने वाले आहार
कम कार्बोहाइड्रेट और अधिक वसा और प्रोटीन वाले कुछ खाद्य पदार्थ निम्न हैं, जिनके सेवन से मिर्गी की समस्या को दूर करने में सहायता मिल सकती है (8)।
- बीफ
- चीज़
- ब्रोकली
- दूध
- बादाम
- ऑलिव ऑयल
- सीसम (Sesame oil) ऑयल
आहार जिनसे रहें दूर
- मिर्गी की समस्या में मुख्य रूप से हाई ग्लाइसेमिक प्रभाव प्रदर्शित करने वाले आहार (जैसे:- पिज्जा, सॉफ्ट ड्रिंक्स, चावल, पास्ता और चिप्स) से दूर रहने की सलाह दी जाती है (9)।
- वहीं, कुछ सब्जियां और फल भी हैं, जो हाई ग्लाइसेमिक प्रभाव प्रदर्शित करते हैं, जैसे :- आम, केला, किशमिश, खजूर और मसला हुआ आलू। आपको इन सभी से दूर रहने की सलाह दी जाती है (9)।
- हालांकि, मिर्गी का आयुर्वेदिक इलाज करने में गिंको बिलोबा को हर्बल औषधि के रूप में इस्तेमाल किए जाने का जिक्र मिलता है, लेकिन कुछ मामलों में यह मिर्गी के दौरों को बढ़ाने का भी कारण साबित हुई है। इस कारण मिर्गी की समस्या में गिंको बिलोबा को न लेने की सलाह दी जाती है (10)।
- वहीं, मिर्गी की समस्या में अल्कोहल का सेवन हानिकारक साबित हो सकता है, इस कारण मिर्गी में इसे न लेने की सलाह दी जाती है (3)।
लेख के अगले भाग में हम मिर्गी से बचाव के कुछ उपायों को जानने की कोशिश करेंगे।
मिर्गी के बचाव के उपाय – Prevention Tips for Epilepsy in Hindi
मिर्गी से बचाव की बात करें, तो इसका कोई भी विकल्प नहीं हैं, लेकिन कुछ बातों को ध्यान में रख आप इसके जोखिमों को कम जरूर कर सकते हैं (3)।
- संतुलित आहार लें।
- पर्याप्त नींद लें।
- नशीले पदार्थों (ड्रग्स) का उपयोग न करें।
- गाड़ी चलाते वक्त हेलमेट का इस्तेमाल करें, ताकि एक्सीडेंट होने पर दिमागी चोट लगने का जोखिम कम रहे।
मिर्गी की समस्या इतनी जटिल है कि इसे पूरी तरह से समझा पाना आसान नहीं है। इसके बावजूद, लेख में हमने इसे बखूबी बताने का प्रयास किया है। लेख में हमने इसके कारण, लक्षण और घरेलू उपाय संबंधी कुछ जानकारियां भी दी हैं, जो इस बीमारी से राहत पाने में बड़ी काम आने वाली हैं। वहीं, लेख में सुझाए गए निदान और उपचार के तरीकों को अपनाकर भी आप इस समस्या में काफी लाभ पा सकते हैं। बशर्ते कोई भी कदम उठाने से पूर्व आप लेख में दी गई सभी जानकारियों को एक बार अच्छे से पढ़ लें। उसके बाद ही किसी उचित निष्कर्ष तक पहुंचे। आशा करते हैं कि यह लेख मिर्गी का इलाज ढूंढ रहे कई रोगियों के लिए मददगार साबित होगा।
और पढ़े:
- हैजा रोग (कॉलरा) के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय
- वर्टिगो के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज
- ब्रोंकाइटिस (श्वसनीशोथ) के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय
- मलेरिया के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज
- डायरिया के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय
References
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- Epilepsy
https://medlineplus.gov/epilepsy.html - Types of Seizures
https://www.cdc.gov/epilepsy/about/types-of-seizures.htm - Epilepsy
https://medlineplus.gov/ency/article/000694.htm - Effects of ketogenic diets on the occurrence of pilocarpine-induced status epilepticus of rats
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/25005004/ - Efficacy and Safety of Cannabidiol in Epilepsy: A Systematic Review and Meta-Analysis
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/30390221/ - Natural approaches to epilepsy
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/17397265/ - The Ketogenic and Atkins Diets Effect on Intractable Epilepsy: A Comparison
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4135275/ - Ketogenic Diet for Children with Epilepsy: A Practical Meal Plan in a Hospital
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4731863/ - Efficacy of low glycemic index treatment in epileptic patients: a systematic review
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/29368115/ - Fatal seizures due to potential herb-drug interactions with Ginkgo biloba
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/16419414/
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