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गर्भावस्था वह पल होता है, जो उत्साह के साथ खुशियां भी लाता है। यह वो सुखद समय होता है, जो एक महिला की जिंदगी को पूरी तरह बदल देता है। दुनिया में नया जीवन लाने की खुशी के साथ एक गर्भवती महिला इस दौरान होने वाले असहनीय दर्द और भय को भी स्वीकार करती है। इसी के साथ कुछ ऐसी समस्याएं भी होती हैं, जो एक गर्भवती के लिए चिंता का विषय बन सकती हैं, जैसे मोलर प्रेगनेंसी। यह ऐसी अवस्था है, जब सामान्य तौर पर गर्भ विकसित नहीं हो पाता। माॅमजंक्शन के इस आर्टिकल में हम जानेंगे मोलर प्रेगनेंसी के उपचार, कारण और लक्षण के बारे में।
आइए, सबसे पहले जानते हैं कि किसे कहते हैं मोलर प्रेगनेंसी।
दाढ़ गर्भावस्था (मोलर प्रेगनेंसी) क्या है?
कभी-कभी गर्भावस्था के समय कुछ परेशानियां हो सकती हैं। उन्हीं परेशानियों में एक है मोलर प्रेगनेंसी, जो जीडीपी यानी जेस्टेशनल ट्रोफोब्लास्टिक डिजीज (गर्भाशय के अंदर विकसित होने वाली समस्याएं) का एक रूप है। यह एक गैर-कैंसर (सौम्य) ट्यूमर है, जो गर्भाशय की दीवार पर विकसित होता है और उसे नुकसान पहुंचाता है। इंफेक्टेड मोलर प्रेगनेंसी का अपने आप गर्भपात सिर्फ विलक्षण परिस्थितियों में होता है। अमूमन इसे सर्जिकल प्रक्रिया के जरिए ही बाहर निकाला जाता है (1)।
आइए, अब यह जान लेते हैं कि मोलन प्रेगनेंसी होती कितने प्रकार की है।
मोलर प्रेगनेंसी के प्रकार
जीटीडी का सामान्य रूप हाईडेटीडीफॉर्म मोल, जिसे मोलर प्रेगनेंसी या दाढ़ गर्भावस्था के रूप में भी जाना जाता है, ये दो प्रकार के होते हैं (2)।
- कम्पलीट मोलर प्रेगनेंसी : इसमें प्लेसेंटा टिश्यू असामान्य अवस्था में सूज जाता है और साथ ही किसी तरल पदार्थ से भरा हुआ अल्सर जैसा दिखाई देता है।
- आंशिक मोलर प्रेगनेंसी : इस गर्भावस्था में असामान्य प्लेसेंटल टिशू के साथ सामान्य प्लेसेंटल टिशू भी बन सकता सकते हैं। साथ ही भ्रूण का निर्माण भी हो सकता है, लेकिन भ्रूण जीवित नहीं रह पाता है और आमतौर पर गर्भावस्था में जल्दी गर्भपात हो जाता है।
दोनों ही अवस्था में भ्रूण जीवित नहीं रह पाता। पहली अवस्था में भ्रूण का निर्माण ही नहीं हो पाता, लेकिन दूसरी अवस्था में भ्रूण का निर्माण होकर भी वो जीवित नहीं रहता।
आगे जानते हैं कि मोलर प्रेगनेंसी कितनी सामान्य है।
क्या मोलर प्रेगनेंसी सामान्य हैं?
नहीं, मोलर प्रेगनेंसी सामान्य नहीं है। गर्भवती महिलाओं में इसकी उपस्थिति बहुत कम पाई जाती है। एक शोध के अनुसार, भारत में करीब 10,000 गर्भवती महिलाओं में मोलर प्रेगनेंसी की दर 19.1 प्रतिशत दर्ज की गई है (3)। फिर भी अगर इसके लक्षण देखने में आते हैं, तो इसका इलाज करना जरूरी है।
अब जानते हैं कि मोलर प्रेगनेंसी होने के क्या-क्या करण हो सकते हैं।
मोलर प्रेगनेंसी के कारण
मोलर गर्भावस्था के कारणों पर अभी और शोध की आवश्यकता है। फिर कुछ शोध के जरिए जाे कारण सामने आए हैं, वाे इस प्रकार हैं (1)।
- आहार में फोलेट, बीटा-कैरोटीन या प्रोटीन की कमी।
- 20 वर्ष से कम और 40 वर्ष से अधिक उम्र वाली महिलाओं के गर्भवती होने पर उन्हें यह हो सकता है।
- पहली गर्भावस्था में ट्रोफोब्लास्टिक नाम के रोग का होना।
- अंडे का असामान्य तरीके से निषेचित (Fertilization) होना (2)।
मोलर गर्भधारण के कारणों के बाद जानते हैं, इसके लक्षणों के बारे में।
मोलर प्रेगनेंसी के लक्षण
मोलर प्रेगनेंसी की अवस्था को जानने के लिए इसके लक्षणों की जानकारी होना जरूरी है। यहां हम मोलर गर्भधारण के सामान्य लक्षणों के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार हैं (4), (1) :
- प्रारंभिक गर्भावस्था के दौरान योनि से खून बहना। पहली तिमाही में मोलर टीश्यू के अलग होने के कारण रक्तस्राव होता है।
- हाइपरमेसिस (मतली और उल्टी)।
- गर्भाशय का बढ़ा होना।
- उच्च रक्तचाप के साथ बहुत ज्यादा पसीना, घबराहट और थकावट महसूस होना।
- 20 सप्ताह से कम की गर्भावस्था में प्री-एक्लेमप्सिया के लक्षण दिखाई देना भी मोलर प्रेगनेंसी का एक अहम लक्षण हो सकता है।
- इस गर्भावस्था में भ्रण की कोई हलचल नहीं होती है।
- भ्रूण का दिल नहीं धड़कता है।
- मॉर्निंग सिकनेस का गंभीर रूप से होना।
आएइ, अब जानते हैं कि कैसे इसका निदान किया जाए।
दाढ़ गर्भावस्था का निदान कैसे किया जाता है?
मोलर प्रेगनेंसी (दाढ़ गर्भावस्था) भ्रूण को बनने या विकसित होने से रोकती है और इससे गर्भपात होता ही है। इसलिए, इसका निदान होना बहुत जरूरी है। नीचे जानिए मोलर प्रेगनेंसी का निदान किस प्रकार किया जा सकता है (5), (2)।
- अल्ट्रासाउंड: अल्ट्रासाउंड के जरिए प्रारंभिक गर्भावस्था में ही इसकी मौजूदगी को जाना जा सकता है।
- खून की जांच: डॉक्टर खून की जांच के जरिए ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन ( एचसीजी ) हार्मोन के स्तर को जानकर इसका पता लगाने की कोशिश करेगा।
- ब्लड टेस्ट: इसके अलावा, रक्त गणना (सीबीसी) और रक्त के थक्कों के परीक्षण के साथ-साथ किडनी व लीवर फंक्शन का टेस्ट भी किया जा सकता है।
इसके निदान के बाद जानते हैं कि दाढ़ गर्भावस्था का उपचार कैसे किया सकता है।
मोलर गर्भधारण का उपचार
मोलर गर्भावस्था एक सामान्य गर्भावस्था का रूप नहीं है। इसमें गर्भपात होना निश्चित है। डॉक्टर गर्भपात करने के लिए कुछ तरीकों का इस्तेमाल करते हैं, जिसके द्वारा डाक्टर असामान्य मोलर टिश्यू को निकाल देते हैं। यहां हम मोलर गर्भावस्था को दूर करने के कुछ तरीकों के बारे में बता रहे हैं (1)।
- डाइलेशन और क्यूरेटेज (D&C): डाइलेशन और क्यूरेटेज के जरिए गर्भाशय में मौजूद मोलर टिश्यू को निकाल दिया जाता है। इससे भविष्य में इससे होने वाले खतरे को रोका जा सकता है।
- हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी: हिस्टरेक्टमी सर्जरी के जरिए गर्भाशय को निकाल दिया जाता है। यह सर्जरी तब की जाती है, जब मोलर गर्भाशय में गहराई तक होता है और डाइलेशन और क्यूरेटेज के बाद भी पूरी तरह से बाहर नहीं निकलता। साथ ही गर्भवती महिला को अधिक रक्तस्राव होने लगता है।
- एचसीजी (hCG) की मॉनिटरिंग: मोलर टिश्यू को हटा दिए जाने के बाद डॉक्टर आपके एचसीजी स्तर की जांच को सामान्य होने तक दोहराएगा। अगर आपके रक्त में एचसीजी मौजूद है, तो आपको अतिरिक्त उपचार की आवश्यकता हो सकती है। अगर इसके बाद भी एचसीजी का स्तर सामान्य नहीं होता और मोलर प्रेगनेंसी नहीं रुकती है, तो इसके बढ़ते हुए प्रभाव को मद्देनजर रखते हुए डॉक्टर आपको कीमियोथैरेपी की सलाह दे सकता है।
आइए, इस भाग में जानते हैं कि दाढ़ गर्भावस्था के बाद सामान्य गर्भावस्था की क्या संभावना है।
दाढ़ गर्भावस्था के बाद सामान्य गर्भावस्था होने की संभावना
मोलर टिश्यू को हटा दिए जाने के बाद कुछ सावधानियों के साथ 6 से 12 महीने बाद फिर से गर्भाधारण किया जा सकता है। डॉक्टरी परामर्श पर 6 से 12 महीनों की अवधी पूरी होने के बाद महिलाएं गर्भनिरोधक बंद कर सकती हैं। साथ ही गर्भधारण से पहले एचसीजी हार्मोन (hCG) की मॉनिटरिंग अल्ट्रासोनोग्राफी द्वारा की जानी चाहिए (5)।
अब जानते हैं कि कैसे दाढ़ गर्भावस्था की रोकथाम की जाए।
दाढ़ गर्भावस्था की रोकथाम
किसी भी जोखिम को रोकने के लिए, उसके बारे में जानकारी होना जरूरी है। ठीक ऐसे ही दाढ़ गर्भावस्था को रोकने के लिए जरूरी है, इसके बारे में सही जानकारी का होना (6)।
- गर्भावस्था के पहले और गर्भावस्था के दौरान अपनी नियमित जांच करवाते रहें।
- अगर पहले मोलर प्रेगनेंसी हुई है, तो दोबारा गर्भधारण करने के पहले अपने चिकित्सक से परामर्श कर लें।
- साथ ही दोबारा गर्भधारण करने के लिए कम से कम 6 महीने का इंतजार करें। इससे दोबारा मोलर प्रेगनेंसी का खतरा बहुत कम हो जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
मोलर प्रेगनेंसी के इलाज के बाद गर्भधारण कब कर सकते हैं?
मोलर प्रेगनेंसी के उपचार के बाद 6 से 12 महीने के बाद फिर से गर्भाधारण किया जा सकता है, लेकिन अच्छा होगा इस विषय पर अपने डॉक्टर से सलाह लें (5)।
दोबारा दाढ़ गर्भावस्था होने की आशंका क्या है?
मोलर प्रेगनेंसी का इलाज करने के बाद अगर 6 महीने से पहले गर्भधारण किया गया, तो दोबारा दाढ़ गर्भावस्था होने की आशंका बढ़ सकती है (5)।
यह तो स्पष्ट हो गया है कि मोलर प्रेगनेंसी एक गंभीर रोग है और सटीक इलाज के अभाव में यह गंभीर मेडिकल कंडीशन का कारण बन सकती है। इसलिए, मोलर प्रेगनेंसी का पता लगते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इस आर्टिकल में हमने मोलर प्रेगनेंसी से जुड़ी जानकारी के साथ-साथ इसका उपचार, निदान और संबंधित सावधानियों को आपके साथ साझा किया है। आप इस आर्टिकल को अपने रिश्तेदारों व दोस्तों साथ जरूर शेयर करें।
References
1. Molar pregnancy By betterhealth
2. Hydatidiform mole By medlineplus
3. Gestational trophoblastic disease: study on incidence and management at a tertiary centre By ijbamr
4. Hydatidiform Mole By NCBI
5. Management of molar pregnancy By NCBI
6. Molar Pregnancy By Harvard Health Publishing
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