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नवजात शिशु के अच्छे स्वास्थ्य के लिए जितना जरूरी मां का दूध होता है, उतना ही जरूरी होता है उसकी नियमित रूप से मालिश करना। भारत में शिशु की मालिश की परंपरा सदियों से चली आ रही है। वहीं, अब डॉक्टर भी शिशु की मालिश करने के लिए कहते हैं। यह न सिर्फ शिशु के अच्छे स्वास्थ के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह मां का बच्चे को प्यार करने का बेहतरीन तरीका भी है।
मॉमजंक्शन के इस लेख में हम शिशु की मालिश के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। जानेंगे कि इसके क्या लाभ होते हैं, साथ ही शिशु की मालिश करने के तरीके भी बताएंगे।
शिशु की मालिश क्या है?
नवजात शिशु की मालिश उसकी मां या घर का कोई अन्य सदस्य करता है। वहीं, आजकल कुछ लोग शिशु की मालिश के लिए विशेष रूप से किसी महिला को नियुक्त करते हैं। इस दौरान बच्चे की मालिश के लिए बने तेल या लोशन का इस्तेमाल कर शिशु को सहलाया जाता है। इससे शिशु का शारीरिक विकास तो होता ही है, साथ ही अभिभावक और शिशु के बीच बेहतर तालमेल भी बनता है।
शिशु की मालिश करने से क्या लाभ होता है?
शिशु की नियमित रूप से मालिश करने से उसे कई लाभ होते हैं, जिनके बारे में हम नीचे बता रहे हैं। आइए जानते हैं कि शिशु की मालिश करने से क्या लाभ होते हैं (1) :
- बच्चे को नींद अच्छी आती है : अच्छी नींद आने में मालिश अहम भूमिका निभाती है। सोने से पहले शिशु की मालिश करने से शिशु के शरीर में अधिक मेलाटोनिन उत्पन्न होता है। यह हार्मोन अच्छी नींद के लिए जरूरी माना जाता है।
- मांसपेशियों को आराम मिलता है और तनाव कम होता है : मालिश करने से शिशु का तनाव भी कम होता है। मालिश से शरीर में खुशी उत्पन्न कराने वाला हार्मोन ऑक्सीटॉक्सिन जारी होता है और तनाव उत्पन्न करने वाला हार्मोन कम होने लगता है। वहीं, मालिश से मांसपेशियों को आराम भी मिलता है।
- मानसिक और सामाजिक विकास बढ़ाने में सहायक : अध्ययन में यह बात साबित हो चुकी है कि बच्चे को किया स्पर्श उसके मानसिक और सामाजिक विकास पर असर डालता है।
- तंत्रिका तंत्र उत्तेजित होता है : शिशु की मालिश करने से उसका तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) उत्तेजित होता है और मांसपेशियों के तालमेल में भी सुधार होता है।
- पाचन, रक्त संचार और सांस लेने में फायदा : शिशु की मालिश करने से शिशु का रोना कम हो जाता है और उसका पाचन व रक्त संचार दुरुस्त होता है। साथ ही उसे श्वसन संबंधी फायदे भी होते हैं। इसके अलावा, शिशु की मालिश करने से गैस व कब्ज जैसी समस्याएं भी दूर होती हैं।
आइए, अब जानते हैं कि शिशु की मालिश कब शुरू करनी चाहिए।
शिशु की मालिश कब शुरू करें?
विशेषज्ञों की मानें तो जन्म के चार सप्ताह बाद शिशु की मालिश शुरू की जा सकती है, क्योंकि इस दौरान शिशु की त्वचा ठीक से विकसित हो जाती है और नाभि ठूंठ भी टूटकर ठीक हो जाती है। ध्यान रहे कि शिशु की नाभि ठूंठ टूटकर गिरने और सूखने के बाद ही आप उसके पेट पर मालिश करें (2)।
शिशु की मालिश करने का सबसे अच्छा समय
शिशु की मालिश करने का सबसे अच्छा समय वो होता है, जब वो न तो थका हुआ हो और न ही भूखा हो। ऐसे में वो मालिश का अच्छी तरह से आनंद उठा पाएगा। आप उसकी मालिश दिन में कभी भी कर सकते हैं। इसके अलावा, उसकी मालिश उसे नहालाने के समयानुसार, स्तनपान और सोने व जागने के समय के अनुसार तय कर सकती हैं।
संभव हो तो आप शिशु की दैनिक क्रिया का रोजाना के लिए एक निर्धारित क्रम बना लें। उदाहरण के तौर पर पहले आप शिशु की मालिश करें, फिर उसे नहलाएं और बाद में उसे सुला दें। ऐसा करने से शिशु दिनचर्या को समझने लगेगा।
बेशक, यह प्रक्रिया लंबी है और शिशु के लिए इसे अपनाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इस बीच उसे फिर से भूख लग सकती है। इसलिए, शुरुआत में बच्चे की मालिश और नहाने के बीच के समयांतराल को कम रखें। आप रात को सोने से पहले भी शिशु की मालिश कर सकती हैं, क्योंकि इससे उसकी थकान उतरती है और उसे नींद अच्छी आती है। वहीं, अगर शिशु अधिक रो रहा है, तो शाम के समय मालिश करना फायदेमंद हो सकता है।
शिशु की मालिश कैसे करनी चाहिए? | Baby Ki Malish Kaise Kare
शिशु की मालिश करना दिखने में आसान लगता है, लेकिन इसे काफी सावधानी से करना चाहिए। नवजात शिशु का शरीर बेहद नाजुक होता है, इसलिए मालिश का सही तरीका पता रहना जरूरी है। ध्यान रहे कि शुरुआती छह महीने में तेज दबाव डालकर मालिश न करें। नीचे हम बता रहे हैं कि शिशु की मालिश कैसे करनी चाहिए।
स्टेप 1- शिशु को मालिश के लिए तैयार करें
- शिशु की मालिश शुरू करने से पहले आपको उसे इसके लिए तैयार करना होगा। ऐसे में जरूरी है शिशु शांत और अच्छे मूड में रहे। इसके लिए आप शिशु की हथेलियों पर हल्का-हल्का तेल लगाएं और फिर पेट व कानों के पीछे तेल लगाएं। ऐसा करने से वो इस प्रक्रिया को समझने लगेगा। अगर इस बीच वो रोने लगे और हाथ-पैर झटकने लगे, तो समझ जाएं कि वो अभी मालिश करवाने के लिए तैयार नहीं है। वहीं, अगर इस दौरान वो शांत रहे, तो मालिश शुरू कर देनी चाहिए।
स्टेप 2- शिशु के पैरों की मालिश
- जब लगे कि बच्चा मालिश के लिए तैयार है, तो सबसे पहले उसके पैरों की मालिश करें। आप अपनी हथेलियों पर थोड़ा तेल लें और उसके तलवों पर हल्के हाथों से मालिश करें। उसके पैरों की उंगलियों और एड़ियों पर मालिश करें। फिर हथेली से पैर के नीचे और ऊपर हल्का हाथ फेरें। फिर धीरे-धीरे पंजों और पैरों के नीचे अंगूठे को गोल घुमाते हुए मालिश करें।
- फिर एक पैर को ऊपर उठाएं और टखने पर हल्के-हल्के हाथ फेरें। फिर हाथ को जांघों पर ले जाएं। ऐसे ही आप दूसरे पैर पर भी मालिश करें।
- अब हाथों से बच्चे की जांघों को हल्के-हल्के दबाएं।
- अब शिशु की टांगों को घुटने से मोड़ते हुए घुटनों को हल्के हाथों से पेट पर दबाएं। ऐसा करने से शिशु के पेट से गैस बाहर निकल जाएगी।
स्टेप 3- शिशु के हाथों की मालिश
- पैरों के बाद शिशु के हाथों की मालिश करें। इसके लिए शिशु के हाथ पकड़ें और उसकी हथेलियों पर हाथ फेरें।
- अब तेल से उसकी हथेलियों से लेकर उंगलियों के पोरों तक हल्की मालिश करें।
- अब धीरे से बच्चे के हाथों को मोड़ें और धीरे-धीरे उसके हाथ के पिछले हिस्से से कलाई तक मालिश करें।
- अब कलाई पर हाथों को गोल-गोल घुमाते हुए (जैसे चूड़ी पहनाई जाती है) मालिश करें।
स्टेप 4- शिशु के सीने और कंधों की मालिश
- अब बारी आती है शिशु के सीने और कंधों की मालिश करने की। इसके लिए आप शिशु के दोनों कंधों के से सीने तक धीरे-धीरे मालिश करें।
- इस प्रक्रिया को दो से तीन बार दोहराएं।
- फिर हल्के हाथों से सीने के बीच में हाथ रखते हुए बाहर की तरफ मालिश करें।
स्टेप 5- शिशु के पेट की मालिश
- पेट काफी नाजुक होता है, इसलिए उस पर दबाव न डालें। आप सीने के नीचे से पेट की मालिश करना शुरू करें।
- फिर दोनों हाथों को गोल घुमाते हुए शिशु के पेट और नाभि के पास मालिश करें।
स्टेप 6- शिशु के सिर और चेहरे की मालिश
- इसके लिए आप शिशु के माथे पर तर्जनी उंगली रखें और हल्के दबाव से उसके चेहरे पर मालिश करना शुरू करें।
- फिर ठोड़ी से अपनी उंगलियों को गालों की ओर ले जाते हुए सर्कुलर मोशन में मालिश करें। दो से तीन बार इस प्रक्रिया को दोहराएं।
- इसके बाद बच्चे के बालों की जड़ों में तेल लगाकर इस तरह मालिश करें, जैसे शैंपू करते हैं। बच्चे का सिर बेहद नाजुक होता है, इसलिए बेहद हल्के हाथों से मालिश करें।
स्टेप 7- शिशु की पीठ की मालिश
- इसके लिए बच्चे को पेट के बल लिटाएं और बच्चे के हाथों को सामने की ओर रखें।
- अब उंगलियों के पोरों को शिशु की पीठ के ऊपरी हिस्से पर रखें, फिर गोल-गोल घुमाते हुए नीचे की ओर लेते जाएं। इस प्रक्रिया को दो से तीन बार दोहराते हुए बच्चे की पीठ की मा्लिश करें। ध्यान रहे कि रीढ़ की हड्डी पर उंगलियों को न रखें।
मुझे अपने बच्चे की मालिश कितनी बार करनी चाहिए?
कुछ परिवारों में शुरुआती तीन महीने तक दिन में दो बार शिशु की मालिश की जाती है। वहीं, कुछ लोग शिशु को नहलाने से पहले या नहलाने के बाद मालिश करते हैं। उसकी कितनी बार मालिश करनी चाहिए, इस बारे में ठीक-ठीक बताना मुश्किल है। यह इस पर निर्भर करता है कि बच्चे को मालिश का कितना मजा आ रहा है और आपके पास कितना समय है।
शिशु की मालिश के लिए कुछ जरूरी टिप्स और ध्यान देने योग्य बातें
बच्चे की मालिश करने से उसके शरीर का विकास ठीक तरह से होता है। इसलिए, नीचे हम बेबी मालिश से जुड़े कुछ खास टिप्स बता रहे हैं, जो आपके काम आएंगे। इसके अलावा, कुछ खास बाते बताएंगे जिन पर ध्यान देना जरूरी है :
- शिशु की मालिश के लिए बहुत ठंडे तेल का इस्तेमाल न करें। अगर ठंड का मौसम है, तो आप तेल को हल्का गर्म कर सकती हैं।
- मालिश करते समय आप अपने बच्चे की आंखों में देखें। इससे बच्चा आपकी तरफ देखेगा और आप दोनों का रिश्ता मजबूत होगा।
- तेल मालिश के बाद बच्चे को कम से कम 10-15 मिनट के बाद ही नहलाएं। इससे ज्यादा देर तक शरीर पर तेल लगा न छोड़ें।
- ध्यान दें कि शिशु की मालिश करते समय तेल उसकी आंखों में न जाए। इससे उसकी आंखों में जलन हो सकती है।
- मालिश करने के बाद शिशु को गुनगुने पानी से नहलाएं। इससे तेल अच्छी तरह हट जाएगा।
- बच्चे के भोजन और मालिश के बीच 30 से 45 मिनट का अंतराल रखें। खाने या दूध पिलाने के तुरंत बाद मालिश करने से उसे उल्टी हो सकती है।
- बच्चे को चटाई या नरम तौलिये पर लिटाकर मालिश करें।
- इस बात का ध्यान जरूर रखें कि बच्चे का मूड कैसा है। मालिश करते समय शिशु पूरी तरह से शांत हो और उसका मूड अच्छा हो, तभी उसकी मालिश करें। ऐसे मालिश न करें कि बच्चा असहज महसूस करे।
बच्चों की मालिश के लिए खास तेल
बच्चे की मालिश के लिए सही तेल चुनना जरूरी है। नीचे हम बता रहे हैं कि आप अपने शिशु की मालिश के लिए किस-किस तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं :
नारियल तेल : शिशु की मालिश के लिए नारियल तेल बेहतर विकल्प है। नारियल के तेल में एंटी-फंगल व एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। शिशु की त्वचा के लिए यह बेहतर विकल्प है।
जैतून का तेल : जैतून का तेल बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी इस तेल को मालिश के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
बादाम का तेल : आप बादाम के तेल से भी शिशु की मालिश कर सकते हैं। बादाम के तेल में विटामिन-ई होता है, जो बच्चे को पोषण देकर त्वचा को मुलायम बनाता है।
सरसों का तेल : मालिश के लिए सरसों का तेल भी फायदेमंद होता है। यह शरीर में गर्माहट लाता है। हालांकि, यह शरीर पर ज्यादा चिकनाहट ला सकता है, इसलिए इसे किसी अन्य तेल में मिलाकर ही शिशु की मालिश करें।
अरंडी का तेल : शिशु को नहलाने से पहले अरंडी के तेल से मालिश करना फायदेमंद रहता है। यह त्वचा से रूखापन दूर कर पोषण देता है।
तिल का तेल : तिल का तेल भी शिशु की मालिश के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह आपको आसानी से बाजार में मिल जाएगा।
सनफ्लावर ऑयल : वहीं, अगर आपके बच्चे की त्वचा काफी संवेदनशील है, तो आप सनफ्लावर ऑयल से भी उसकी मालिश कर सकते हैं। इसमें विटामिन-ई और फैटी एसिड होते हैं, जो शिशु की त्वचा को पोषण देते हैं।
टी ट्री ऑयल : संवेदनशील त्वचा वाले बच्चों की मालिश के लिए आप टी-ट्री ऑयल का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह त्वचा को पोषण भी देता है और इसमें एंटीसेप्टिक गुण भी होते हैं।
बेबी ऑयल: आप बाजार में मौजूद अच्छी गुणवत्ता वाले बेबी ऑयल से भी बेबी की मालिश कर सकती हैं।
शिशु की मालिश कब नहीं करनी चाहिए?
अगर शिशु के शरीर पर रैशेज हैं, तो डॉक्टर की सलाह लिए बिना उसकी त्वचा पर कोई तेल या क्रीम न लगाएं। अगर आपको लगे कि किसी तेल के इस्तेमाल से शिशु की त्वचा पर कुछ निशान पड़ रहे हैं, तो इसका इस्तेमाल रोक देना चाहिए। ऐसे में आप डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही मालिश करने का फैसला लें।
वहीं, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि शिशु को बुखार होने पर या उसकी तबीयत खराब होने पर मालिश नहीं करनी चाहिए। दूसरी तरफ कुछ डॉक्टर कहते हैं कि बुखार होने पर हल्की मालिश करने से शिशु को दर्द से राहत मिलती है। ऐसे में बेहतर है कि शिशु का स्वास्थ्य खराब होने पर या उसे बुखार आने पर मालिश करने से पहले डॉक्टर की सलाह ले लें। हो सकता है कि इस अवस्था में डॉक्टर मालिश के लिए मना कर दें।
मुझे बच्चे की मालिश कब बंद करनी चाहिए?
शिशु की मालिश कब तक करनी चाहिए, इसकी कोई निश्चित आयु नहीं है। जब तक आप चाहें, तब तक अपने शिशु की मालिश कर सकती हैं। हां, आपको यह नोट करना होगा कि आपका शिशु इसका कितना आनंद उठा पाता है। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि किस परिवार में कब तक बच्चे की मालिश की जाती है। कई परिवारों में शिशु के पांच-छह साल का हो जाने पर भी मालिश करना बंद नहीं किया जाता। इतनी आयु के बच्चों की मालिश सप्ताह में तीन से चार बार की जाती है। बहरहाल, आपको शिशु की मालिश कब तक करनी है, यह आप पर निर्भर करता है।
क्या सोते हुए बच्चे की मालिश करना सही है?
जब बच्चा सो रहा हो, तो उसकी मालिश न ही करें तो बेहतर होगा। सोते समय उसकी मालिश करने से उसकी नींद टूट सकती है और वो चिड़चिड़ा होकर रोने लग सकता है। इसलिए, जब बच्चे की नींद पूरी हो और वो अच्छे मूड में हो, तभी उसकी मालिश करें।
ये थे शिशु की मालिश से जुड़े कुछ जरूरी सवालों के जवाब, जो आपके काम आएंगे। इन सभी जानकारियों से आपको अपने नन्हे की मालिश ठीक से और सही समय पर करने में मदद मिलेगी। हम उम्मीद करते हैं कि इस लेख में दी जानकारी आपके काम आए और इसका आपको व आपके शिशु को लाभ मिले।
References
1. Baby massage By Salford city council
2. Effects of infant massage on jaundiced neonates undergoing phototherapy By Ncbi
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