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कैसा लगता है जब आप सोना चाहते हैं, लेकिन आपको नींद नहीं आती? जाहिर सी बात है आपको चिड़चिड़ाहट होती होगी। नींद न आने की इस समस्या को अनिद्रा कहा जाता है, जो बड़ों के साथ-साथ शिशुओं को भी हो सकती है। कई बार माता-पिता बच्चों की इस समस्या को समझ नहीं पाते, लेकिन अनिद्रा को लेकर शिशुओं पर ध्यान न देने के मामले गंभीर भी हो सकते हैं। इसलिए, मॉमजंक्शन के इस लेख में हम आपको शिशुओं में अनिद्रा की समस्या के बारे में जानकारी देंगे। इस लेख में हम न सिर्फ छोटे बच्चे को नींद न आने के कारण बताएंगे, बल्कि उन सटीक तरीकों के बारे में भी जानकारी देंगे, जो आपके नन्हे को सुलाने में मदद करेंगे।
सबसे पहले लेख के इस भाग में यह जानना जरूरी है कि शिशुओं में अनिद्रा क्या होती है या इसका क्या मतलब है।
शिशुओं में अनिद्रा का क्या मतलब है? | Baby Ko Neend Na Aana
सबसे पहले यह जानें कि अनिद्रा क्या है। रात को नींद आने में परेशानी या देर रात तक नींद न आना और सुबह जल्दी नींद खुल पाने का मतलब होता है अनिद्रा (1)। कई बार ऐसा शिशुओं और बच्चों के साथ भी होता है (2)। ज्यादातर बच्चे बेड पर जाने के 15 से 20 मिनट के अंदर सो जाते हैं, लेकिन कुछ बच्चों को लगातार सोने में दिक्कत आती है। वो देर तक जागते रहते हैं, रोते-चिड़चिड़ाते हैं और कई बार थोड़ी देर में ही सोकर उठ जाते हैं और दोबारा सोना नहीं चाहते हैं। अगर यह लगातार होता है, तो हो सकता है कि बच्चे को अनिद्रा की समस्या है। यह न सिर्फ शिशु के लिए, बल्कि उनके माता-पिता के लिए भी परेशानी का कारण हो सकता है (3)।
आगे जानिए कि छोटे बच्चे को नींद न आने के क्या-क्या कारण हो सकते हैं।
छोटे बच्चे को नींद न आने का कारण
अगर बच्चों में नींद की समस्या को दूर करना है, तो उसका कारण जानना भी जरूरी है। इसलिए, नीचे हम आपको छोटे बच्चे को नींद न आने की वजह बता रहे हैं (4)।
- डर (Bedtime Fears) : कभी-कभी बच्चों की नींद खराब होने की वजह डर भी हो सकता है। बच्चे को अंधेरे से डर या अकेले सोने का डर उनकी नींद खराब कर सकता है। हो सकता है बच्चा अचानक किसी आवाज से डर जाए और जब उसकी नींद खुले, तो अपने आसपास किसी को न पाकर घबरा जाए। इस कारण बच्चे को नींद आने में परेशानी हो सकती है।
- बुरे सपने (Nightmares) : बड़ों की तरह ही बच्चों को भी सपने आ सकते हैं। दो साल की उम्र से बच्चों को बुरे सपने भी आ सकते हैं (5)। ऐसे में बच्चे को सोने में परेशानी हो सकती है। वो बुरे सपने देखकर डर सकते हैं।
- सांस की तकलीफ (Apnea of Prematurity) : अगर शिशु को सोते वक्त सांस लेने में तकलीफ हो, तो उसे नींद आने में परेशानी हो सकती है (6)। एपनिया ऑफ प्री मैच्योरिटी (Apnea of Prematurity) में शिशु की सांस 15 से 20 सेकंड के लिए बंद हो जाती है। इसके अलावा, इसमें हृदय गति धीमी होने के साथ-साथ ऑक्सीजन का स्तर कम होने का खतरा भी हो सकता है। ऐसे में यह शिशु के लिए जानलेवा भी हो सकता है (7)। ऐसा सिर्फ प्रीमैच्योर शिशुओं के साथ होता है और कभी-कभी ही होता है।
- भूख : शिशु का पेट अगर सही तरीके से न भरा हुआ हो, तो उसे रात को नींद आने में परेशानी हो सकती है। इसलिए, शिशु को अच्छे से दूध पिलाकर सुलाएं (8)।
- दर्द या बीमारी : शारीरिक तकलीफ (कान दर्द, बुखार या दांत आने की वजह से कोई दिक्कत) की वजह से भी शिशु को नींद आने में परेशानी हो सकती है (8)।
- वातावरण या अन्य समस्या : जरूरत से ज्यादा गर्मी या ठंड, सोने की जगह में बदलाव, आसपास के वातावरण से परेशानी, अधिक शोर, कमरे में लाइट और नैपी के गीले होने की वजह से भी शिशु को नींद आने में परेशानी हो सकती है (8)।
- अलग होने का डर : शिशु की बढ़ती उम्र के साथ-साथ उनमें समझ भी विकसित होती है। ऐसे में उनमें माता-पिता या किसी करीबी व्यक्ति से बिछड़ने का डर मन में आने लगता है। इस स्थिति में बच्चा रात में नींद से जाग सकता है (9)।
आगे जानिए क्यों शिशु को पर्याप्त नींद लेनी जरूरी है।
नवजात शिशु को पर्याप्त मात्रा में सोना क्यों जरूरी है?
हर किसी को आराम की जरूरत होती है। ठीक उसी तरह नवजात को भी ज्यादा से ज्यादा आराम की जरूरत होती है। नीचे हम आपको इसके कारण के बारे में बता रहे हैं (10) (11)।
- शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए नींद जरूरी है।
- सोने से शिशु स्वस्थ और ऊर्जावान महसूस करते हैं।
- उनकी लंबाई पर भी इसका असर होता है।
- उनके हॉर्मोन्स पर सोने का प्रभाव पड़ता है।
- उनकी याददाश्त पर भी इसका असर होता है।
आगे जानिए शिशु को एक दिन में कितनी नींद की जरूरत होती है।
नवजात शिशु को एक दिन में कितने समय तक सोना चाहिए?
नवजात को 24 घंटे में से 14–17 घंटे की नींद की जरूरी है। हालांकि, कुछ नवजात 18–19 घंटे भी सो सकते हैं। नवजात खाने के लिए हर कुछ घंटे में जागते हैं। स्तनपान करने वाले बच्चे ज्यादा जाग सकते हैं, वहीं बोतल से दूध पीने वाले बच्चे कम उठते हैं। जो नवजात लंबे वक्त तक सोते हैं, उन्हें दूध पिलाने के लिए पूरे दिन में बीच-बीच में उठाना चाहिए। उन्हें रात में अधिक वक्त तक सोने देना ठीक है (12)।
लेख के इस भाग में जानिए कि अगर शिशु की नींद पूरी नहीं होती है, तो क्या-क्या समस्याएं होती हैं।
अगर बच्चों की नींद पूरी न हो तो क्या होता है?
अगर बच्चे की नींद न पूरी हो, तो आगे चलकर उसे कई परेशानियां हो सकती हैं, जिसके बारे में हम नीचे आपको बता रहे हैं (13)।
- ऊर्जा की कमी
- थकावट
- दिन के वक्त अधिक सोना
- व्यवहार में चिड़चिड़ापन होना
- मोटापा
- दिमागी विकास में परेशानी
- ह्रदय संबंधी समस्या
- डायबिटीज
शिशुओं में अनिद्रा के कई लक्षण हो सकते हैं, जिसके बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं।
शिशुओं में अनिद्रा के लक्षण
शिशुओं में अनिद्रा के सामान्य लक्षण कुछ इस प्रकार हैं (14)।
- चिड़चिड़ा हो जाना
- पूरे दिन रोना
- रात को सोने में परेशानी
- दिन में झपकी लेना या सोना
- सुबह उठने के बाद भी नींद में होना (Groggy)
आगे हम शिशु को सुलाने के कुछ आसान उपाय बता रहे हैं।
नवजात शिशु को सुलाने के उपाय | Baby Ko Sulane Ke Tips | Newborn Baby Ko Raat Ko Kaise Sulaye
नीचे बताए गए टिप्स से आपको अपने नवजात को सुलाने में मदद मिल सकती है (8)।
- अपने बच्चे के सोने का एक रूटीन बना लें, ताकि हर रोज आप अपने शिशु को उस तय वक्त पर ही सुलाएं।
- अपने बच्चे को सुलाने से पहले नहलाएं, मालिश करें या लोरी सुनाएं।
- शिशु को सुलाने से पहले उसके कपड़े बदले, उसकी नैपी चेक करें और साथ ही उसके बेड की सफाई का ध्यान रखें।
- ध्यान रहे कमरे में कोई शोर न हो, रोशनी कम से कम होनी चाहिए, बच्चे के आसपास कोई फोन या गैजेट नहीं होने चाहिए। अगर बच्चा अंधेरे में सोने से डरता है, तो हल्की रोशनी वाला नाइट बल्ब कमरे में लगा सकते हैं।
- उनके सोने की जगह पर ज्यादा चीजें न हो और अगर आप उन्हें कंबल या चादर ओढ़ा रही हैं, तो ध्यान रहे कि उनका मुंह न ढकें।
- अपने बच्चे को पीठ के बल सुलाएं।
क्या शिशु को सुलाने के लिए किसी दवाई की सहायता ले सकते हैं? | Bacho Ko Sulane Ki Medicine
नहीं, शिशु बहुत छोटे होते हैं, इसलिए उन्हें सुलाने के लिए किसी भी तरह की दवाई देना हानिकारक हो सकता है। अगर उन्हें नींद नहीं आ रही है, तो इसका कारण जानने की कोशिश करें और उसी के अनुसार डॉक्टर से बात करें व अन्य विकल्प देखें।
डॉक्टर के पास कब जाएं?
अगर आपका शिशु बिलकुल सो नहीं पा रहा है और लगातार रो रहा है, तो उसे बिना देर करते हुए डॉक्टर के पास ले जाएं।
इस लेख से आप इतना तो जान ही गए हैं कि अनिद्रा सिर्फ बड़ों में ही नहीं, बल्कि बच्चों को भी हो सकती है। ऐसे में अगर किसी के शिशु में ऊपर बताए गए लक्षण नजर आएं, तो इस लेख में बताए गए टिप्स से शिशु की समस्या कम करने में मदद मिल सकती है। हां, अगर शिशु में अनिद्रा की समस्या गंभीर होने लगे, तो बिना देरी किए शिशु विशेषज्ञ से राय जरूर लें।
References
1. Insomnia – overview By Medlineplus
2. Insomnia in Infants and Young Children By NCBI
3. Sleep problems in children By Pregnancy By Birth
4. What to Do if You Can’t Sleep By Kidshealth
5. Sleep – children and nightmares By Better health
6. Sleep disorders in the newborn By NCBI
7. What Is Apnea of Prematurity? By Kidshealth
8. Sleep and your baby By Better health
9. All About Sleep By Kidshealth
10. Infant sleep and its relation with cognition and growth: a narrative review By NCBI
11. Sleep and Infant Learning By Kidshealth
12. Sleep and Your Newborn By Kidshealth
13. Sleep deprivation By Better health
14. Sleep deprivation By Better health
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