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सेहत के लिए दूध कितना फायदेमंद है, आप शायद बचपन से सुनते आ रहे होंगे। दूध के स्वास्थ्य फायदों को देखते हुए इसे दैनिक आहार में शामिल करने की सलाह दी जाती है। वहीं, बात करें इसके स्रोत की तो गाय और भैंस को इसका मुख्य स्रोत माना जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है। विश्व भर के कई देशों में गाय-भैंस के अलावा ऊंटनी के दूध का भी सेवन किया जाता है। पहले ऊंटनी के दूध का इस्तेमाल रेगिस्तानी क्षेत्रों में ही ज्यादा किया जाता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में ये काफी लोकप्रिय हो गया है। वजह इसका औषधीय महत्व है, इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक और सैचुरेटेड फैट कम होता है। जानकर हैरानी होगी कि शरीर के लिए ऊंटनी के दूध के फायदे कई सारे हैं। यही वजह है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम ऊंटनी के दूध के लाभ साझा करने जा रहे हैं।
लेख के अंत में ऊंटनी के दूध के नुकसान पर भी प्रकाश डाला गया है। पाठक इस बात पर भी ध्यान दें कि ऊंटनी का दूध लेख में शामिल की गईं बीमारियों के प्रभाव को वैकल्पिक रूप से कम करने में मदद कर सकता है, इसे इनका इलाज किसी भी तरीके से समझा न जाए।
लेख विस्तार से पढ़ें
तो आइये लेख की शुरुआत ऊंटनी के दूध के लाभ जानने से करते हैं।
ऊंटनी के दूध के फायदे – Benefits of Camel Milk in Hindi
1. लिवर के लिए फायदेमंद
अमेरिकन जर्नल ऑफ एथनोमेडिसिन द्वारा प्रकाशित एक शोध में पाया गया है कि ऊंटनी के दूध का उपयोग लिवर को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। दरअसल, लिवर की कार्यप्रणाली में कुछ खास एंजाइम को रक्त में डालना भी शामिल है। वहीं, जब किसी वायरस अटैक की वजह से लिवर डैमेज की स्थिति बनती है, तो इन एंजाइम का स्तर बढ़ जाता है। हेपेटाइटिस-सी के मरीजों पर किए गए अध्ययन में देखा गया है कि ऊंटनी का दूध लिवर एंजाइम्स के बढ़े हुए स्तर को कम करने में मदद कर सकता है, जो कि लिवर स्वास्थ्य की दृष्टि से एक सकारात्मक संकेत है। वहीं, दूसरी ओर शोध में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि ऊंटनी का दूध बढ़े हुए ग्लोब्युलिन (ब्लड में मौजूद एक प्रकार के प्रोटीन) के स्तर को कम कर सकता है और लिवर की बीमारी के दौरान कम होने वाले टोटल प्रोटीन, प्लेटलेट्स (एक प्रकार के ब्लड सेल्स) और एल्ब्यूमिन (लिवर द्वारा बनाए जाने वाले प्रोटीन) के स्तर को बढ़ाने में भी मदद कर सकता है (1)।
2. मधुमेह को नियंत्रित करे
ऊंटनी के दूध के लाभ ब्लड शुगर (खून में शक्कर का स्तर) को नियंत्रित करने में भी मिल सकते हैं, क्योंकि इसमें एंटीहाइपरग्लाइसेमिक प्रभाव (ब्लड शुगर को कम करने वाला गुण) पाए जाते हैं (2)। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म द्वारा की गई रिसर्च में यह पाया गया है कि ऊंटनी का दूध लिपिड प्रोफाइल में सुधार करके और इन्सुलिन रेजिस्टेंस (जब कोशिकाएं इंसुलिन को प्रतिक्रिया देना बंद कर देती हैं, जिससे ब्लड शुगर बढ़ता है) को कम करके मधुमेह के घरेलू उपचार के रूप में काम कर सकता है (3)।
3. कैंसर से बचाव में मददगार
ऊंटनी का दूध कैंसर से बचाव कर सकता है। दरअसल, एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध से पता चलता है कि ऊंटनी के दूध का उपयोग ऑटोफैगी (Autophagy) को बढ़ावा देकर आंत और स्तन कैंसर कोशिकाओं पर एंटीप्रोलिफेरेटिव प्रभाव (बढ़ती कोशिकाओं को रोकने का प्रभाव) डाल सकता है। बता दें कि ऑटोफैगी सेल्स से जुड़ी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें कोशिकाएं स्वयं से अनावश्यक घटकों को हटाने का काम करती हैं (4)। पाठक ध्यान दें कि घरेलू उपचार कैंसर के जोखिम को कुछ हद तक कम करने में मददगार हो सकते हैं। अगर काई व्यक्ति कैंसर की चपेट में आ गया है तो डॉक्टरी इलाज करवाना सबसे जरूरी है।
4. किडनी के लिए ऊंटनी का दूध
ऊंटनी का दूध अप्रत्यक्ष रूप से किडनी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, इस बात को कम ही लोग जानते हैं कि जेंटामाइसिन (बैक्टीरियल इन्फेक्शन के लिए उपयोग में लाई जाने वाली एंटीबायोटिक) का दुष्प्रभाव नेफोटॉक्सिक प्रभाव (किडनी को नुकसान पहुंचाने वाला) का कारण बन सकता है। यहां ऊंटनी का दूध प्रभावी रूप से सामने आ सकता है। एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक स्टडी में पाया गया है कि ऊंटनी का दूध इस प्रभाव को कम कर सकता है और इसके कारण होने वाले किडनी फेल्योर और सेल डैमेज से बचाने में मदद कर सकता है (5)।
5. आटिज्म के लक्षणों को कम करे
आटिज्म, तंत्रिका और विकास संबंधी एक विकार है, जो संचार और बातचीत की क्षमता को बाधित करता है। यह बचपन में शुरू होता है और यह जीवन भर रह सकता है (6)। इसके होने के पीछे कई कारण हैं, जिनमें एक नाम ऑक्सीडेटिव तनाव का भी है। यहां ऊंटनी के दूध के लाभ देखे जा सकते हैं, क्योंकि इसमें शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट विटामिन (ए, सी और ई) और मिनरल्स (मैग्नीशियम और जिंक) पाए जाते हैं, जो एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव को बढ़ा कर आटिज्म के लक्षण को कम करने में मदद कर सकते हैं (7)। फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध की आवश्यकता है। वहीं, आटिज्म से संबंधित पेशेंट रिपोर्ट में ऊंटनी के दूध का उपयोग से पीड़ित एक बच्चे में व्यवहारिक (Behavioral), भावनात्मक (Emotional) और बातचीत (Communication) से जुड़े सकारात्मक परिवर्तन देखे गए हैं (8)।
6. माइक्रोबियल संक्रमण से आराम दिलाए
स्वास्थ्य के लिए कई तरह से लाभदायक होने के साथ, ऊंटनी के दूध के फायदे माइक्रोबियल इंफेक्शन से लड़ने में भी देखे जा सकते हैं। इस दूध में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण एक नहीं बल्कि कई तरह के बैक्टीरिया जैसे ई.कोलाई और एस.औरियस से लड़ने में सहायक हो सकते हैं। साथ ही, ऊंटनी के दूध में पाया जाने वाला लैक्टोपेरोक्सिडेस, (Lactoperoxidase – एक तरह का एंजाइम) एंटीबैक्टीरियल गतिविधि को बढ़ाकर ग्राम नेगेटिव बैक्टीरिया को खत्म करने का काम कर सकता है (9)। ऊंटनी के दूध में पाए जाने वाले लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया में भी एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं, जो कई तरह के माइक्रोबियल संक्रमण फैलाने वाले जीवाणुओं को खत्म करने में मदद कर सकते हैं (10)।
7. आंत से जुड़ी समस्या से आराम
आंत से जुड़ी समस्या में भी ऊंटनी का दूध लाभदायक साबित हो सकता है। दरअसल, एक शोध में जिक्र मिलता है कि ऊंटनी का दूध पेट और आंतों से जुड़े विकारों से आराम दिलाने में मदद कर सकता है। साथ ही यह इम्यून सिस्टम को मजबूती देने में भी सहयोग कर सकता है, जिससे आंतों से जुड़ी समस्याओं से लड़ने में शरीर को मदद मिल सकती है (11)। वहीं, एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में जिक्र मिलता है कि ऊंटनी के दूध में सायटोप्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं, जो म्यूकोसल बैरियर (पेट का एक गुण, जो इसे पाचन के लिए आवश्यक गैस्ट्रिक एसिड सुरक्षित रखने में मदद करता है) को मजबूत करने का काम कर सकता है, जिससे अल्सर जैसी समस्या से आराम मिल सकता है (12)।
8. एलर्जी से आराम दिलाए
ऊंटनी के दूध के फायदे बैक्टीरिया और फंगस से होने वाली एलर्जी से आराम दिलाने में मदद कर सकते हैं। दरअसल, इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल एवं एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं, जो एलर्जी फैलाने वाले इन जीवाणुओं को खत्म करने में मदद करते हैं। साथ ही, इस दूध में एंटीइन्फ्लामेट्री गुण भी मौजूद होता है। यह एलर्जी के कारण होने वाली सूजन को कम करने में लाभदायक साबित हो सकता है (13)।
वहीं, देखा जाता है कि कई शिशुओं व बच्चों को गाय के दूध से एलर्जी होती है, जिस कारण वे उसका सेवन नहीं कर पाते। ऐसे में, ऊंटनी के दूध का उपयोग किया जा सकता है। दरअसल, जिन लोगों को लैक्टोज इनटॉलेरेंस की समस्या होती है वे ऊंटनी के दूध का सेवन कर सकते हैं क्योंकि ऊंटनी के दूध में लैक्टोज की मात्रा गाय के दूध की तुलना मे कम होती है। वहीं, इलेक्ट्रॉन फिजिशियन नामक एक संस्था द्वारा किए गए शोध में पाया गया है कि ऊंटनी के दूध में गाय के दूध से अलग प्रोटीन पाया जाता है, जो बच्चों को नुकसान नहीं पहुंचाता (14)।
आगे है और जानकारी
9. ऑटोइम्यून रोगों से आराम
जब शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगता है, तो इसके कारण होने वाले रोगों को ऑटोइम्यून रोग कहा जाता है। ऑटोइम्यून रोग के कारणों के बारे में साफ तौर से कुछ नही कहा जा सकता, पर माना जाता है कि कुछ खास तरह की दवाइयां, बैक्टीरिया और वायरस, इम्यून सिस्टम की इस नकारात्मक प्रतिक्रिया का कारण बन सकते हैं (15)। यहां ऊंटनी के दूध के सकारात्मक प्रभाव देखे जा सकते हैं। माना जाता है कि ऊंटनी का दूध ऑटोइम्यून रोगों से आराम दिलाने में मदद कर सकता है। फिलहाल, इस लाभ के पीछे ऊंटनी के दूध में मौजूद कौन से गुण काम करते हैं, यह जानने के लिए अभी और शोध की आवश्यकता है (7)।
सेहत के लिए ऊंटनी के दूध एक फायदे जानने के बाद, लेख के अगले भाग में जानिए ऊंटनी के दूध में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के बारे में।
ऊंटनी के दूध का पोषक तत्व – Camel Milk Nutritional Value in Hindi
ऊंटनी के दूध में विटामिन, मिनरल और कई जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो सेहत को लाभ पहुंचाने का काम करते हैं। इसमें 3.4 प्रतिशत प्रोटीन, 3.5 प्रतिशत फैट, 4.4 प्रतिशत लैक्टोज और पानी 87 प्रतिशत पाया जाता है (16) :
इसके अलावा, ऊंटनी के दूध की प्रति 100 ग्राम मात्रा में नीचे बताए गए मिनरल, बताई गई मात्रा में पाए जाते हैं –
जिंक : 0.53 मिलीग्राम
मैंगनीज : 0.05 मिलीग्राम
मैग्नीशियम : 10.5 मिलीग्राम
आयरन : 0.29 मिलीग्राम
सोडियम : 59 मिलीग्राम
पोटेशियम : 156 मिलीग्राम
कैल्शियम : 114 मिलीग्राम
इन सभी मिनरल्स के साथ, ऊंटनी का दूध कई तरह के विटामिन से भी समृद्ध होता है, जैसे विटामिन-ए, बी, सी, डी और विटामिन-ई।
उपयोग पढ़ें
आगे जानिए ऊंटनी के दूध को उपयोग में किस तरह लाया जा सकता है।
ऊंटनी के दूध का उपयोग – How to Use Camel Milk in Hindi
कैसे उपयोग करें :
ऊंटनी के दूध का उपयोग पीने के साथ ही, कॉफी, चाय, स्मूदी, सॉस, सूप, मैक एंड चीज, पैनकेक और वैफल्स बनाने में किया जा सकता है। इसके अलावा, ऊंटनी के दूध की मदद से पनीर, योगर्ट और बटर भी बनाया जा सकता है।
कितना उपयोग करें :
डाइटिशियन के परामर्श पर एक स्वस्थ व्यक्ति दिन में एक से दो कप ऊंटनी के दूध का सेवन कर सकता है। किसी स्वास्थ्य समस्या में इसका उपयोग करने से पहले डॉक्टरी परामर्श जरूर लें।
लेख अभी बाकी है
लेख के अंत में जानिए क्या ऊंटनी के दूध के नुकसान भी हो सकते हैं?
ऊंटनी के दूध के नुकसान – Side Effects of Camel Milk in Hindi
- एम.बोविस (Mycobacterium Bovis) एक प्रकार का बैक्टीरिया है, जो मवेशियों में टी.बी (Tuberculosis) का कारण बनता है। एनसीबीआई के एक शोध में मवेशियों के साथ ऊंटों में भी इस बैक्टीरिया के फैलने की बात कही गई है। वहीं, बहुत से संक्रमण जानवरों से इंसानों में प्रवेश करते हैं और ऐसे में ऊंटनी का दूध एम.बोविस के प्रसार का एक जोखिम कारक हो सकता है, जिससे इंसान भी संक्रमित हो सकते हैं। फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है (17)।
- ऊंटनी के कच्चे दूध का सेवन जूनोटिक संक्रमण (जानवरों से इंसानों में) का कारण बन सकता है, इसलिए इसके कच्चे दूध का सेवन न करने की सलाह दी जाती है (18)।
उम्मीद करते हैं कि इस लेख के जरिए आपको ऊंटनी के दूध के फायदे अच्छी तरह समझ आ गए होंगे। दैनिक आहार में शामिल कर ऊंटनी के दूध के लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। लेख में ऊंटनी के दूध का उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है, इस विषय में भी बताया गया है। साथ ही ऊंटनी के दूध के नुकसान से बचने के लिए हम यही सलाह देंगे कि इसका सेवन हमेशा उबाल कर ही करें। आशा करते हैं कि यह लेख आपके लिए लाभकारी होगा।
References
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https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5701391/ - Medicinal values of bioactive constituents of camel milk: A concise report
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5669503/ - Nutritional and Therapeutic Characteristics of Camel Milk in Children: A Systematic Review
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https://medlineplus.gov/ency/article/000816.htm - Chemical Composition and Medicinal Values of Camel Milk
https://www.semanticscholar.org/paper/Chemical-Composition-and-Medicinal-Values-of-Camel-Tegeng/4526d645147659c0ffc734538d7d1611f68eab7f?p2df - Prevalence of bovine tuberculosis in cattle, goats, and camels of traditional livestock raising communities in Eritrea
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5842630/ - Camel milk-associated infection risk perception and knowledge in French Hajj pilgrims
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/23725087/
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