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मां बनना हर महिला के लिए सुखद पल होता है। वहीं, इसके लिए महिलाओं को कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इन्हीं में से एक ओवुलेशन है। यह प्रत्येक मासिक चक्र का ऐसा स्तर होता है, जो महिला के गर्भवती होने के लिए सबसे जरूरी है। इसके बावजूद अधिकतर महिलाओं को ओवुलेशन के बारे में या तो जानकारी होती नहीं है और अगर होती भी है, तो वो पूरी तरह से सही नहीं होती। इस कारण उन्हें गर्भधारण करने के लिए सही समय का पता नहीं चल पाता है। इस मुद्दे के महत्व को देखते हुए ही मॉमजक्शंन के इस लेख हम ओवुलेशन से जुड़ी जरूरी जानकारियां लेकर आए हैं। यकीन मानिए इससे उन महिलाओं को जरूर लाभ होगा, जो गर्भधारण करने के बारे में सोच रही हैं।
आइए, सबसे पहले जान लेते हैं कि आखिर ओवुलेशन होता क्या है।
ओवुलेशन क्या है? | What Is Ovulation?
ओवुलेशन मासिक धर्म का ही एक हिस्सा है। किसी भी महिला की प्रजनन प्रणाली के लिए यह महत्वपूर्ण प्रक्रिया मानी जाती है। जब मासिक चक्र के दौरान महिला के ओवरी से अंडा निकलता है, तो वह ओवुलेशन कहलाता है (1)। यह अंडा फैलोपियन ट्यूब में जाता है। यहां पर यह शुक्राणु के साथ मिलने पर फर्टिलाइज हो सकता है। फर्टिलाइजेशन कई चरणों की प्रक्रिया है, जो 24 घंटों में पूरी होती है (2)।
अब जानते हैं कि महिला के ओव्यूलेट होने का तय समय क्या होता है।
महिलाएं आमतौर पर कब ओव्यूलेट करती हैं?
आमतौर पर मासिक धर्म चक्र के 14वें दिन ओवुलेशन होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। यहां हम स्पष्ट कर दें कि प्रत्येक महिला की मासिक धर्म की अवधि एक जैसी नहीं होती है। किसी के मासिक धर्म की अवधि 28 दिन की, तो किसी की 32 दिन की हो सकती है। इसलिए, हर महिला के मासिक चक्र के हिसाब से उनके ओव्यूलेट होने का सटीक समय अलग-अलग हो सकता है। अगर किसी का मासिक धर्म 28 दिन का है, तो उसके 14वें दिन ओव्यूलेट होने की संभावना हो सकती है (1)।
लेख के इस भाग में हम बताएंगे कि महिलाओं में प्रजनन क्षमता कब ज्यादा रहती है।
महिला की प्रजनन क्षमता कब ज्यादा होती है?
महिला की प्रजनन क्षमता उनके मासिक धर्म की अवधि के साथ-साथ उनके उम्र पर भी निर्भर करती है। जैसा कि हमने ऊपर बताया कि अगर किसी महिला की मासिक धर्म की अवधि 28 दिनों की है, तो वो 14वें दिन ओव्यूलेट कर सकती है। वहीं, ओवुलेशन से पहले के पांच दिन प्रजनन क्षमता अधिक रहती है। इन दिनों को ‘फर्टाइल विंडो’ कहा जाता है। इन 5 दिन में अगर महिला शारीरिक संबंध बनाती है, तो फर्टिलाइजेशन की संभावना अधिक हो सकती है। वहीं, ओवुलेशन से पहले के दो दिनों को ‘पीक डेज’ कहा जाता है, क्योंकि इस दौरान फर्टिलाइजेशन की संभावना सबसे अधिक रहती है (3)।
वहीं, अगर उम्र के हिसाब से बात करें, तो महिलाओं की प्रजनन क्षमता बढ़ती उम्र के साथ-साथ कम होती जाती है। एक शोध के मुताबिक 35 साल के बाद महिलाओं की प्रजनन क्षमता में तेजी से कमी आने लगती है (4)।
अब हम ओवुलेशन चक्र की अवधि के बारे में भी बात करेंगे।
ओवुलेशन साइकिल चक्र कितने दिन का होता है?
आमतौर पर ओवुलेशन मासिक धर्म शुरू होने से पहले दो सप्ताह के आसपास या फिर बीच चक्र में होता है। जब अंडा एक बार ओवरी से निकल जाता है, तो वह 24 घंटे तक ही जीवित रहता है। इसके बाद वह नष्ट हो जाता है (5)। यहां यह भी समझना जरूरी है कि महिलाओं के शरीर में शुक्राणु तीन से पांच दिन तक जीवित रहता है (6)। इस जानकारी के साथ और ‘फर्टाइल विंडो’ की समझ के साथ महिला गर्भवती होने की संभावना को बढ़ा सकती हैं।
लेख के अगले भाग में जानते हैं कि ओवुलेशन पीरियड के लक्षण क्या होते हैं।
ओवुलेशन के लक्षण क्या हैं? | Ovulation Ke Lakshan In Hindi
ओवुलेशन के लक्षणों के बारे में भी जानकारी होनी जरूरी है, तभी इसकी सटीक पहचान की जा सकेगी। इसलिए, नीचे हम क्रमवार तरीकों से कुछ लक्षणों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जो ओवुलेशन के दौरान दिख सकते हैं –
ओवुलेशन के आम लक्षण
- सर्वाइकल म्यूकस में परिवर्तन : ओवुलेशन प्रक्रिया के दौरान सर्वाइकल म्यूकस (गर्भाशय ग्रीवा से निकलने वाला तरल पदार्थ) में परिवर्तन दिखने लगता है। जैसे ही ओवुलेशन होता है, म्यूकस की चिपचिपाहट बढ़ जाती है। यह कच्चे अंडे के सफेद रंग जैसा दिख सकता है (7)।
- बेसल बॉडी टेम्परेचर (बीबीटी) : ओवुलेशन के दौरान शरीर के तापमान में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। दरअसल, जब एक अंडा ओवरी से निकला है, तो प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन बढ़ने लगता है। इस कारण शरीर का तापमान बढ़ने लगता है। इसे बेसल बॉडी टेम्परेचर (बीबीटी) कहा जाता है (7)।
- पेल्विक पेन : पेल्विक क्षेत्र यानी पेट के निचले हिस्से में दर्द होना भी ओवुलेशन का लक्षण हो सकता है (8)।
- पल्स रेट में वृद्धि : ओवुलेशन के दौरान पल्स रेट में वृद्धि हो सकती है (9)। यह भी ओवुलेशन का एक आम संकेत हो सकता है।
ओव्युलेशन के सेकेंडरी लक्षण
- लाइट स्पॉटिंग : कभी-कभी ओवुलेशन के दौरान हल्की-हल्की स्पॉटिंग हो सकती है (10)। यह सामान्य तौर पर गुलाबी और हल्के भूरे रंग जैसी हो सकती है।
- मासिक धर्म आने से पहले के लक्षण : ओवुलेशन के दौरान मासिक धर्म शुरू होने से पहले के लक्षण नजर आ सकते हैं। जैसे – स्तन का बढ़ना, मूड स्विंग्स या पेट का फूलना आदि (11)।
- सुखद शरीर की गंध : ओवुलेशन के दौरान शरीर से अच्छी खुशबू आ सकती है। एक अध्ययन में पुरुषों को ओव्यूलेटरी चरण और ल्यूटल (यानी गैर-अंडाकार) चरण के दौरान महिलाओं द्वारा पहनी गई टी-शर्ट को सूंघने के लिए कहा गया। पुरुषों ने ओव्यूलेटरी चरण के दौरान पहनी गई टी-शर्ट की खुशबू को अधिक सुखद बताया (12)।
लेख के इस भाग में हम ओवुलेशन अवधि की गणना करने का तरीका बताएंगे।
ओवुलेशन अवधि की गणना कैसे करें? | Ovulation Calculator In Hindi
ओवुलेशन अवधि की गणना निम्नलिखित तरीकों से की जा सकती है –
- मैनुअल ट्रैकिंग : इसके लिए महिलाएं एक कैलेंडर पर अपने मासिक धर्म की अवधि को चिह्नित कर सकती है। ध्यान रहे कि यह प्रक्रिया सिर्फ उन महिलाओं के लिए है जिनका मासिक धर्म एकदम नियमित है क्योंकि सभी महिलाओं की मासिक धर्म अवधि बराबर नहीं होती। इसे नीचे दिए गए उदाहरण से समझ सकते हैं। अगर किसी महिला का मासिक धर्म चक्र 28 दिन का है और 1 मार्च को मासिक धर्म शुरू हुआ है, तो वह 14 मार्च के आसपास ओवुलेशन कर सकती है और उसकी फर्टाइल पीरियड अवधि 9 से 14 मार्च की हो सकती है। इस हिसाब से उस महिला को कैलेंडर पर 28 दिन को चिह्नित करना चाहिए। फिर अपनी मासिक धर्म अवधि के पहले दिन से गिनकर 14वें दिन को चिह्नित करना चाहिए, क्योंकि आमतौर पर 14वें दिन ही ओवुलेशन होता है। इसके अतिरिक्त महिलाएं अपने ओवुलेशन से संबंधित एक नोट भी तैयार कर सकती हैं।
- ओवुलेशन कैलकुलेटर : ओवुलेशन अवधि की गणना के लिए इस ओवुलेशन कैलकुलेटर का उपयोग किया जा सकता है। इसके उपयोग से ‘फर्टाइल विंडो’ के संबंध में जानकारी मिल सकती है। इस कैलकुलेटर में कुछ जानकारी देनी पड़ती है, जैसे अंतिम मासिक धर्म की पहली तारीख और मासिक धर्म चक्र की औसत लंबाई (13)। बता दें कि ओवुलेशन कैलकुलेटर केवल औसत पर आधारित होता है, इसलिए इसे सटीक नहीं माना जा सकता है। इसके अलावा, अगर किसी को पिछले मासिक धर्म के बारे में या अनियमित चक्र के बारे में उचित जानकारी नहीं है, तो परिणाम सही नहीं हो सकते हैं। कैलकुलेटर केवल संभावित ओवुलेशन समय के बारे में बता सकता है।
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- ओवुलेशन किट : ओवुलेशन किट का उपयोग करके भी ओवुलेशन अवधि की गणना की जा सकती है। यह किट ओवुलेशन का पता लगाने में सुविधा प्रदान कराती है। इसका इस्तेमाल शरीर में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (एलएच) की बढ़ती मात्रा को मापने के लिए किया जाता है (14)। जब कोई महिला ओव्यूलेट करने वाली होती है, तो एलएच की मात्रा यूरिन में बढ़ जाती है और ओवुलेशन किट के जरिए एलएच की बढ़ी हुई मात्रा का पता लगाया जा सकता है। ओव्यूलेट होने के दिनों में महिलाएं इसका इस्तेमाल कर सकती हैं, जिससे उन्हें ओवुलेशन अवधि की गणना में मदद मिल सकती है।
- अन्य तरीका : ओवुलेशन अवधि की गणना के लिए महिलाएं डॉक्टर की सलाह भी ले सकती हैं। इसके लिए ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड भी कराया जा सकता है (11)। वहीं, दूसरी तरफ ओवुलेशन की गणना के लिए कई तरह के मोबाइल एप्लिकेशन भी मौजूद हैं, जिससे महिलाएं मदद ले सकती हैं। फिलहाल, इन ऐप की सटीकता से जुड़ा कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
स्क्रॉल करके पढ़ें ओवुलेशन न होने के लक्षण से जुड़ी जानकारी।
ओवुलेशन न होने के लक्षण या ओवुलेशन से जुड़ी समस्या होने के संकेत
ओवुलेशन न होने के लक्षण को समझने से पहले दो चीजों को समझते हैं। पहला – एनोव्यूलेशन और दूसरा ऑलिगॉव्यूलेशन।
एनोव्यूलेशन (यानी एक असफल ओव्यूलेशन) – यह वो समय होता है, जब कोई महिला ओव्यूलेट नहीं कर रही होती है। ऐसे में गर्भधारण नहीं किया जा सकता है (15)।
ऑलिगॉव्यूलेशन – यह वो समय होता है, जब महिलाओं में अनियमित रूप से ओवुलेशन हो रहा होता है, इस दौरान गर्भधारण करना मुश्किल हो सकता है (16)।
आइए, अब जानते हैं ओवुलेशन न होने के लक्षण –
- अनियमित मासिक धर्म चक्र : अगर किसी का मासिक धर्म चक्र अनियमित हैं, तो यह ओवुलेशन न होने के लक्षण हो सकता है। इसके पीछे ‘पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम’ हो सकता है, जिसमें महिला के शरीर में एंड्रोजेन नामक हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। यह विकार ओवरी से अंडा रिलीज होने में दिक्कत पैदा कर सकता है (17)।
- लघु या लंबा मासिक धर्म चक्र : एक सामान्य मासिक धर्म की अवधि 28 से 29 दिन की होती है (5)। अगर मासिक धर्म की अवधि बहुत छोटी या बहुत ज्यादा बड़ी है, तो ओवुलेशन में दिक्कत आ सकती है।
- लंबे समय तक मासिक धर्म का न होना : अगर कई महीनों से मासिक धर्म नहीं आ रहे हैं, तो यह ओवुलेशन न होने का संकेत हो सकता है।
- नकारात्मक ओवुलेशन परीक्षण का परिणाम : जैसा कि हमने ऊपर बताया कि एक ओवुलेशन किट ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (एलएच) हार्मोन के बढ़े हुए स्तर का पता लगाता है। अगर इसका परिणाम नकारात्मक पाया गया, तो यह ओवुलेशन न होने का लक्षण हो सकता है।
नोट – ओवुलेशन न होने के लक्षण से जुड़ी जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। इससे जुड़ी सटीक जानकारी के लिए संबंधित डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
नीचे स्क्रॉल करके पढ़ें ओवुलेशन समस्याओं का उपचार कैसे किया जा सकता है।
ओवुलेशन समस्याओं के लिए उपचार
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि अनियमित मासिक धर्म चक्र ओवुलेशन न होने के जोखिम को बढ़ा सकता है। ऐसे में डॉक्टर मासिक धर्म चक्र को सामान्य करने के लिए दवाइयां दे सकते हैं या इससे जुड़े अन्य इलाज कर सकते हैं।
वहीं, हमने ऊपर बताया कि ‘पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम’ भी ओवुलेशन न होने का एक कारण हो सकता है (17)। ऐसे में डॉक्टर इस विकार का इलाज भी कर सकते हैं। इस बात का ध्यान जरूर रखें कि इस समस्या का इलाज पूरी तरह से डॉक्टरी परामर्श पर निर्भर करता है। इसलिए, महिला के स्वास्थ्य और समस्या की गंभीरता के आधार पर ही इसका उपचार कराना जरूरी है।
अब जानेंगे कि ओवुलेशन की संभावना बढ़ाने के लिए क्या किया जा सकता है।
ओवुलेशन की संभावना कैसे बढ़ाएं?
ओवुलेशन की संभावना बढ़ाने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। इसकी जानकारी विस्तार से नीचे दी गई है (11) –
- अपनी उम्र और हाइट के हिसाब से खुद को स्वस्थ रखें। अधिक वजन या कम वजन से ओवुलेशन की समस्या हो सकती है।
- बहुत अधिक व्यायाम ओवुलेशन को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, जरूरी है कि उन व्यायामों को किया जाए, जिन्हें विशेषज्ञ करने की सलाह देते हैं।
- भोजन में कमी, उपवास और अनहेल्दी खाने की आदतों का ओवुलेशन पर असर पड़ सकता है। इसलिए, जरूरी है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ के साथ जांच करा कर हेल्दी खाना खाने की आदतों को अपनाएं।
- ओवुलेशन पर तनाव का भी असर पड़ सकता है। इसलिए, कोशिश करें कि तनाव मुक्त रहें और आराम करें।
अंत में जानें कि ओवुलेशन के कितने दिन बाद गर्भवती होने की संभावना होती है।
ओवुलेशन के कितने दिन बाद प्रेगनेंसी होती है? | Fertilization Ovulation Ke Kitne Din Baad Hota Hai
ओवुलेशन के बाद गर्भवती होना संभव है, लेकिन इसके साथ अन्य चीजों का सही होना भी जरूरी है। जैसा कि हमने ऊपर बताया कि ओवरी से निकलने वाला अंडा एक दिन ही जीवित रह पाता है और एक महिला की प्रजनन क्षमता सबसे ज्यादा ओव्यूलेट होने के पहले के पांच दिन में ज्यादा रहती है। वहीं, पुरुष का शुक्राणु 5 दिन तक महिला के शरीर में रह सकता है। अगर इन सब बातों का ध्यान रखकर सही समय पर शारीरिक संबंध बनाए जाएं, तो महिला गर्भवती हो सकती है। वहीं, अगर फर्टिलाइजेशन की बात करें, तो यह पूरे एक दिन की जटिल प्रक्रिया है, जिसके सही तरीके से होने के बाद ही एक महिला गर्भधारण करती है (2)। हालांकि, ओवुलेशन के कितने दिन बाद महिला गर्भवती होगी, यह सटीक बता पाना थोड़ा मुश्किल है। यह जानने के लिए संबंधित डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
इस लेख में हमने ओवुलेशन से जुड़े हर बिंदुओं का जिक्र किया है। हमें उम्मीद है कि इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद महिलाओं में होने वाले ओवुलेशन साइकिल, इसके अवधि की गणना, साथ ही इससे जुड़ी समस्या और उसके उपचार के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी मिली होगी। हां, अगर ओवुलेशन के दौरान महिला को किसी तरह की समस्या आ रही है, तो उसे डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।
References
1. Physiology, Ovulation – By ncbi
2. Embryology, Fertilization – By ncbi
3. Relationship Between the Menstrual Cycle and Timing of Ovulation Revealed by New Protocols: Analysis of Data from a Self-Tracking Health App – By ncbi
4. Age and Fertility: A Study on Patient Awareness – By Researchgate
5. Menstrual cycle – By Betterhealt
6. Natural Family Planning – By Ncbi
7. Physiological Signs of Ovulation and Fertility Readily Observable by Women – By Ncbi
8. Optimal management of chronic cyclical pelvic pain: an evidence-based and pragmatic approach – By Ncbi
9. The Normal Menstrual Cycle and the Control of Ovulation – By Ncbi
10. Characteristics of prospectively measured vaginal bleeding among women trying to conceive – By Ncbi
11. Ovulation – By Betterhealt
12. Female body odor is a potential cue to ovulation – By Researchgate
13. Ovulation calculator – By Office on Women’s Health
14. Luteinizing Hormone (LH) Levels Test – By Medline Plus
15. Anovulation and ovulation induction – By Ncbi
16. Long and irregular menstrual cycles, polycystic ovary syndrome, and ovarian cancer risk in a population-based case-control study – By Ncbi
17. Polycystic ovary syndrome – By Medline Plus
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