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पार्किंसंस रोग में शरीर का संतुलन बनाए रखने और अन्य शारीरिक गतिविधियां करने में समस्या होती है। यह बढ़ती उम्र के साथ होने वाला रोग है, जिसे मृत्यु के सबसे अहम 15 कारणों की सूची में शामिल किया गया है (1)। देखा जाए तो इस बीमारी के बारे में लोगों को ज्यादा मालूम नहीं है, इसलिए स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम पार्किंसंस रोग से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी लेकर आए हैं। यहां हम पार्किंसंस रोग के प्रभाव, कारण और लक्षण के साथ ही पार्किंसंस रोग से बचाव के बारे में भी बताएंगे।
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सबसे पहले विस्तार से समझिए कि क्या है पार्किंसंस रोग।
पार्किंसंस रोग क्या है? – What is Parkinson’s Disease in Hindi
पार्किंसंस रोग केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का एक न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग (दिमाग के न्यूरॉन का धीरे-धीरे खत्म होना) है (2)। इस बीमारी में दिमाग में डोपामाइन (Dopamine) नामक रसायन का उत्पादन बंद हो जाता है, जिसके चलते शरीर का संतुलन बनाए रखने में समस्या होती है (3)। साथ ही चलने में समस्या, शरीर में अकड़न व कंपन जैसी समस्याएं भी होने लगती हैं (4)।
एक रिपोर्ट के अनुसार, पार्किंसन रोग 60 साल की उम्र के बाद होता है, लेकिन कुछ 5 से 10 प्रतिशत मामलों में यह 50 के आसपास भी हो सकता है। बताया जाता है कि पार्किंसंस रोग का जोखिम पुरुषों में महिलाओं के मुकाबले 50 प्रतिशत ज्यादा होता है (4)। यह रोग आनुवंशिक भी हो सकता है, लेकिन ऐसा हर बार हो जरूरी नहीं है (3)। मुख्य रूप से इसके दो प्रकार होते हैं (5)।
- प्राइमरी या इडियोपेथिक: इसमें न्यूरोन्स के खत्म होने की वजह का पता नहीं होता।
- सेकंडरी या एक्वायर्ड: इसमें रोग का कारण पता होता है, जैसे ड्रग्स, संक्रमण, ट्यूमर, विषाक्ता आदि।
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इस रोग के बारे में और समझने के लिए लेख के अगले भाग में जानिए पार्किंसंस रोग होने के कारण।
पार्किंसंस रोग के कारण – Causes of Parkinson’s Disease in Hindi
द्रव्य नाइग्रा (Substantia Nigra) से न्यूरॉन्स का खत्म होना पार्किंसंस रोग का मुख्य कारण होता है। यह मस्तिष्क का वह भाग होता है, जो शरीर को नियंत्रित करने के लिए सिग्नल दिमाग से रीढ़ की हड्डी तक भेजता है। दरअसल, यह काम इस भाग में बनने वाला केमिकल डोपामाइन करता है, जो इन न्यूरॉन्स में बनता है। पार्किंसंस रोग होने के कारण इन न्यूरॉन्स की संख्या कम हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप डोपामाइन की मात्रा भी कम होने लगती है। ऐसे में दिमाग से सिग्नल भेजने में समस्या आने लगती है और शरीर पर नियंत्रण नहीं रह पाता (5)।
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पार्किंसंस रोग के कारण के बाद लेख के अगले भाग में जानिए पार्किंसन के लक्षण।
पार्किंसन रोग के लक्षण – Symptoms of Parkinson’s Disease in Hindi
पार्किंसंस रोग के लक्षण प्रारंभिक अवस्था में नहीं दिखते। इसके लक्षण 80 प्रतिशत न्यूरॉन्स खत्म होने के बाद ही नजर आने लगते हैं। फिर समय के साथ जैसे-जैसे मस्तिष्क में डोपामाइन रसायन की मात्रा और कम होती जाती है, तो इसके लक्षण बढ़ते जाते हैं। पार्किंसंस रोग के लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं (5) (6) :
- शरीर के किसी भाग में कंपन होना, खासकर हाथ में
- मांसपेशियों में ऐंठन
- शरीर को संतुलित रखने में समस्या
- शारीरिक गतिविधियां, जैसे – चलना व करवट बदलना आदि में धीमापन
- आवाज में नरमाहट आना
- आंखों को झपकाने में दिक्कत
- खाना या पानी निगलने में समस्या
- मूड स्विंग जैसे कि अवसाद आदि
- बार-बार नींद खुलना
- संवेदी (Sensory) लक्षण, जैसे कि गंध की अनुभूति या दर्द आदि न होना
- बेहोशी छाना
- शारीरिक संबंधों में कम रुचि
- आंत और मूत्राशय की गतिविधियों में गड़बड़ी
- थकान महसूस होना
- किसी भी कार्य में रुचि कम होना (Epathy)
- कब्ज की समस्या रहना
- कम या उच्च रक्तचाप की समस्या
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लेख के अगले भाग में जानिए पार्किंसन रोग के जोखिम कारक क्या-क्या हैं।
पार्किंसंस रोग के जोखिम कारक – Risk Factors of Parkinson’s Disease in Hindi
वैसे तो पार्किंसंस रोग की गिनती बढ़ती उम्र के साथ होने वाली बीमारियों में होती है, लेकिन कुछ कारक हैं, जो पार्किंसंस रोग का जोखिम बढ़ा देते हैं। पार्किंसंस रोग के प्रभाव को बढ़ाने वाले कारक कुछ इस प्रकार हो सकते हैं (5):
- कुछ मामलों में आनुवंशिक कारण
- कीटनाशक रसायनों से अधिक संपर्क
- सिर पर गहरी चोट
- खेत या गांव में रहना
- ट्रैफिक की वजह से वायु प्रदूषण
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पार्किंसंस रोग के जोखिम, कारण और लक्षण के बाद पार्किंसंस रोग के इलाज के बारे में जानिए।
पार्किंसंस रोग का इलाज – Treatment of Parkinson’s Disease in Hindi
इस रोग का इलाज अभी तक इजात नहीं हुआ है, लेकिन कुछ दवाइयों और थेरेपी की मदद से पार्किंसंस रोग के लक्षण से आराम मिल सकता है। ज्यादातर दवाइयों का उपयोग मस्तिष्क में डोपामाइन की मात्रा बढ़ाने के लिए किया जाता है। नीचे लक्षणों को कम करके पार्किंसन बीमारी का इलाज करने वाली दवाइयों और थेरेपी जानिए (4) :
दवाइयां
- मस्तिष्क के डोपामाइन का स्तर बढ़ाने वाली दवाइयां।
- मस्तिष्क के बाकी रसायनों पर प्रभाव डालने वाली दवाइयां।
- शरीर को नियंत्रण में रखने वाली दवाइयां।
थेरेपी
- लीवोडोपा (Levodopa) : इस थेरेपी के जरिये दिमाग में डोपामाइन की मात्रा को बढ़ाया जाता है। वैसे, इस थेरेपी के कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जैसे – उल्टी, मलती, बेचैनी और कम रक्तचाप। ऐसे में इन दुष्प्रभावों से बचने के लिए इस थेरेपी के साथ कार्बिडोपा (Carbidopa) नामक दवा भी दी जाती है। ये दवा लीवोडोपा के प्रभाव को भी बढ़ाती है।
- डीप ब्रेन स्टिम्युलेशन (Deep Brain Stimulation) : यह थेरेपी उन मरीजों को दी जाती है, जिन पर पार्किंसंस रोग का इलाज करने वाली किसी दवा या लीवोडोपा का कोई असर नहीं होता। यह एक प्रकार की सर्जरी होती है, जिसमें दिमाग और सीने में एक इलेक्ट्रिक डिवाइस लगाया जाता है। यह डिवाइस पार्किंसंस रोग के लक्षण, जैसे – चलने में समस्या, शरीर में अकड़न और कंपन को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- अन्य थेरेपी : इन दोनों के साथ पार्किंसंस रोग के प्रभाव कम करने के लिए अन्य थेरेपी भी प्रयोग में लाई जाती है, जिसमें फिजिकल, ऑक्यूपेशनल और स्पीच थेरेपी शामिल हैं।
नोट: जैसा कि हम बता चुके हैं कि पार्किंसंस रोग का इलाज करने के लिए अभी तक कोई दवा नहीं मौजूद नहीं है। ऊपर बताई गई दवाइयां और थेरेपी सिर्फ पार्किंसंस रोग के लक्षण को कम कर सकती हैं। यहां बताई गई दवा या थेरेपी को डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है।
आगे और जानकारी है
लेख के अंतिम भाग में जानिए पार्किंसंस रोग से बचाव के उपाय क्या हैं।
पार्किंसंस रोग से बचने के उपाय – Prevention Tips for Parkinson’s Disease in Hindi
पार्किंसंस रोग से बचाव को लेकर अभी तक कोई गहन शोध उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि, स्वस्थ जीवनशैली पार्किंसंस रोग से बचाव में कुछ मदद कर सकती है। इस रोग में कैफीन का सेवन न करने की सलाह दी जाती है (5)। इसके अलावा, रोज शारीरिक क्रिया और व्यायाम करना लाभकारी साबित हो सकता है, जैसे (6) :
- प्रतिदिन कुछ देर टहलना
- मांसपेशियों को मजबूत रखना
- हृदय को स्वस्थ रखना
- शरीर के संतुलन पर नियंत्रण
- स्ट्रेस में सुधार
- जोड़ों को मजबूत रखना
पार्किंसंस रोग के बारे में समझने के बाद इससे बचने के लिए उपयुक्त कदम उठाए जा सकते हैं। इस रोग से पीड़ित लोगों की मदद करने के लिए कई संस्थाओं द्वारा सहायता समूह बनाए गए हैं। इसकी वजह से व्यक्ति अपना आत्मविश्वास खोने लगता है। ऐसे में परिवार और मित्रों को यह ध्यान में रखना जरूरी है कि वो मरीज का अच्छी तरह ध्यान रखें और उसका मनोबल बढ़ाने में उसकी सहायता करें। आशा करते हैं कि अब आप पार्किंसंस रोग के जोखिम, कारण और लक्षणों को अच्छी तरह समझ गए होंगे।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या पार्किंसन के घरेलू उपचार भी हैं?
नहीं, पार्किंसन के घरेलू उपचार नहीं होते हैं। हां, इससे बचने के कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं, जैसे – स्ट्रेस में सुधार, रोजाना टहलना और मांसपेशियों को मजबूत बनाए रखना। ऐसे में पार्किंसन के घरेलू उपचार के चक्कर में पड़ने की जगह इसका इलाज करावाने के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
क्या आयुर्वेद में पार्किंसन का इलाज है?
हां, आयुर्वेद में पार्किंसन का इलाज हो सकता है।
आयुर्वेद में पार्किंसन का इलाज कैसे होता है?
आयुर्वेद में पार्किंसन का इलाज जड़ी-बूटियों की मदद से किया जाता है।
पार्किंसन रोग का आयुर्वेदिक इलाज हो सकता है?
हां, पार्किंसन रोग का आयुर्वेदिक इलाज हो सकता है, लेकिन पार्किंसन रोग का आयुर्वेदिक इलाज कितना प्रभावकारी होगा, यह कहना मुश्किल है।
पार्किंसन का घरेलू इलाज करने का मतलब क्या है?
पार्किंसन का घरेलू इलाज कुछ नहीं होता है। हां, अगर पार्किंसन का घरेलू इलाज करने की बात कर रहा है, तो हो सकता है कि इससे संबंधित लक्षण दूर करने के लिए कुछ जड़ी-बूटियां का इस्तेमाल किया जा रहा हो।
References
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- National Vital Statistics Reports
https://www.cdc.gov/nchs/data/nvsr/nvsr67/nvsr67_05.pdf - Neurodegenerative Diseases
https://www.niehs.nih.gov/research/supported/health/neurodegenerative/index.cfm - Parkinson’s Disease
https://medlineplus.gov/parkinsonsdisease.html - Parkinson’s Disease
https://www.nia.nih.gov/health/parkinsons-disease - Parkinson’s Disease
https://www.nhp.gov.in/disease/neurological/parkinson-s-disease - Parkinson’s disease
https://www.betterhealth.vic.gov.au/health/conditionsandtreatments/parkinsons-disease
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