Amita Mishra, Certified Sports Nutritionist and Qualified Yoga instructor
Written by , (शिक्षा- एमए इन मास कम्युनिकेशन)

क्या आपकी भी तोंद निकल आई है? क्या पेट के बल झुकने में तकलीफ होती है? क्या चलते हुए या सीढ़ियां चढ़ते हुए आपकी भी सांस फूल जाती है? अगर ऐसा है, तो आप अधिक वजन या फिर कहें मोटापे की गिरफ्त में आ चुके हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि मोटापा कई शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकता है, इसलिए इसे नियंत्रित करना जरूरी हो जाता है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम कुछ कारगर पेट कम करने के लिए योगासन बता रहे हैं, जो आपकी मदद कर सकते हैं। पेट की चर्बी कम करने के लिए योगासन जानने के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

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सबसे पहले जानिए पेट की चर्बी कम करने का योगासन किस प्रकार फायदेमंद हो सकता है।

पेट कम करने के लिए योगासन – Best Yoga Asanas to Reduce Belly Fat in Hindi

मोटापे से ग्रस्त इंसान डायबिटीज, हृदय रोग, स्ट्रोक, आर्थराइटिस, उच्च रक्तचाप और कैंसर जैसी बीमारियों की चपेट में आ सकता है (1)। वहीं, एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार पेट की चर्बी कम करने के योगासन का नियमित अभ्यास फायदेमंद हो सकता है।

यह न सिर्फ मोटापा कम कर सकता है, बल्कि इससे होने वाली बीमारियों और शारीरिक समस्याओं के जोखिम को कम करने में भी सहायक हो सकता है (2) (3)। नीचे क्रमवार जानिए पेट की चर्बी कम करने के लिए योगासन और उन्हें करने की विधि।

1.  ताड़ासन

पेट की चर्बी कम करने के योगासन के रूप में ताड़ासन का अभ्यास करना एक बेहतरीन शुरुआत हो सकती है। इसे करने से पूरे शरीर में खिंचाव महसूस हो सकता है। साथ ही रक्त का प्रवाह बेहतर हो सकता है। वहीं, एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में पाया गया कि अन्य योगासनों के साथ ताड़ासन का अभ्यास पेट की अतिरिक्त चर्बी को कम करने में मदद कर सकता है (3)। वहीं, मोटापा कम करने के अलावा इसे लंबाई बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है (4)।

कैसे करें :

  • सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं और अपनी टांगों, कमर व गर्दन को सीधा रखें।
  • अब हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाते हुए सिर के ऊपर ले जाएं और गहरी सांस भरते हुए पूरे शरीर को ऊपर की ओर खींचें। हथेलियां आसमान की दिशा में होनी चाहिए।
  • साथ ही एड़ियों को भी ऊपर उठा लें। पूरे शरीर का संतुलन पंजों पर आ जाना चाहिए।
  •  इस दौरान पंजों से लेकर ऊपर हाथों तक खिंचाव महसूस करें।
  • कुछ सेकंड इसी अवस्था में रहें और सामान्य गति से सांस लेते व छोड़ते रहें।
  • फिर धीरे-धीरे पहली वाली स्थिति में आ जाएं।
  • इस तरह के कम से कम दो-तीन चक्र एक बार में किए जा सकते हैं।

विविधता : ताड़ासन के साथ तिर्यक ताड़ासन भी कर सकते हैं। इसमें पंजों के बल खड़ा नहीं हुआ जाता और हाथों को ऊपर करके कमर के हिस्से से सांस लेते हुए पहले दाएं और फिर बाएं झुका जाता है।

अन्य लाभ :

विशेषज्ञ के अनुसार ताड़ासन पेट कम करने वाले योगासन के रूप में तो कार्य कर ही सकता है, साथ ही इसके अन्य फायदे भी देखे जा सकते हैं, जैसे कि :

  • शरीर सुडौल हो सकता है और प्राकृतिक आकार में आ सकता है।
  • छह से 20 वर्ष तक के लोगों को यह आसन करना चाहिए। इससे कद बढ़ने में मदद मिल सकती है।
  • यह योगासन पीठ दर्द के लिए उत्तम हो सकता है। साथ ही मांसपेशियों, पैरों व घुटनों में होने वाले दर्द से भी आराम मिल सकता है।
  • एकाग्रता बढ़ाने के लिए योगासन के रूप में भी यह काम कर सकता है।

सावधानियां :

  • जिनका रक्तचाप कम हो, उन्हें यह योगासन नहीं करना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को इसे करने से परहेज करना चाहिए।
  • अगर घुटनों में तेज दर्द हो रहा है, तो यह आसन न करें।
  • जो पहली बार यह योगासन कर रहे हैं, वो पंजों के बल इसे करने से बचें। साथ ही जिन्हें हृदय संबंधी समस्या है या फिर पैरों की नसों में सूजन और चक्कर आते हैं, वो भी इसे न करें।

2. त्रिकोणासन

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पेट कम करने वाले योगासन में इसे चुना जा सकता है। इस आसन को करते समय शरीर त्रिकोण जैसी मुद्रा में आ जाता है, इसलिए इसी त्रिकोणासन कहते हैं। त्रिकोण का अर्थ होता है तीन कोण वाला और आसन का अर्थ मुद्रा से होता है। कई योग पर हुए रिसर्च में पाया गया कि अन्य योगासन के साथ ही त्रिकोणासन का अभ्यास पेट की चर्बी को कम करने में मददगार हो सकता है (3)। इसके साथ ही यह आसन कमर के किनारे की चर्बी को कम करने में भी मदद कर सकता है (4)।

कैसे करें :

  • आप दोनों पैरों के बीच करीब दो फुट की दूरी बनाकर खड़े हो जाएं। दोनों हाथों को शरीर के साथ सीधे सटाकर रखें।
  • अब अपनी बांहों को शरीर से दूर कंधे तक फैलाएं और सांस लेते हुए दाएं हाथ को ऊपर ले जाते हुए कान से सटा लें।
  • इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए कमर से बाईं ओर झुकें। इस दौरान दायां हाथ कान से सटा रहना चाहिए और घुटनों को न मोड़ें।
  • अब दाएं हाथ को जमीन के समानांतर लाने का प्रयास करें। साथ ही बाएं हाथ से बाएं टखने को छूने का प्रयास करें।
  • करीब 10-30 सेकंड इसी मुद्रा में रहें और सामान्य गति से सांस लेते रहें।
  • फिर सांस लेते हुए सामान्य स्थिति में आ जाएं।
  • इसी तरह से दाईं ओर भी करें।
  • इस तरह के तीन से चार चक्र कर सकते हैं।

अन्य लाभ :

एक्सपर्ट की मानें, तो त्रिकोणासन के अन्य फायदे भी हो सकते हैं।

  • ताड़ासन की तरह इसे भी करने से पूरे शरीर में खिंचाव महसूस हो सकता है।
  • जहां एक तरफ इसे करने से शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है, वहीं यह फेफड़ों को स्वस्थ रखने में भी मदद कर सकता है।
  • इसे करने से कमर दर्द और साइटिका जैसी समस्या में आराम मिल सकता है।
  • साथ ही यह कब्ज व एसिडिटी जैसी समस्याओं के लिए बेहतरीन आसन हो सकता है।
  • यह योग शरीर की मांसपेशियों को लचीला बनाने के साथ ही तनाव को भी कम कर सकता है।

सावधानियां :

  • रक्तचाप अधिक या कम होने पर इस योगासन को न करें।
  • जिन्हें कमर में तेज दर्द है या फिर स्लिप डिस्क की समस्या है, वो भी इसे न करें।
  • सिर चकराने या फिर गर्दन और पीठ में दर्द होने पर भी इससे दूरी बनाएं।
  • अगर अधिक एसिडिटी है, तो इसे न करें।
  • साथ ही जिन्हें साइटिका है, वो इसे न करें।

 3.   पार्श्वकोणासन

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पार्श्व का मतलब बगल होता है। यह योग करते समय शरीर पार्श्व की मुद्रा बनाता है, इसलिए यह पार्श्वकोणासन कहलाता है। इसे नियमित रूप से करने से कई शारीरिक समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। वहीं, एक शोध में जिक्र मिलता है कि पार्श्वकोणासन का अभ्यास कूल्हे और जांघ की चर्बी को कम करने में मदद कर सकता है (4)। इससे हम यह मान सकते हैं कि इसे करने से कुछ हद तक पेट की चर्बी भी कम की जा सकती है। हालांकि, यह पेट की चर्बी को कम करने में कितना कारगर होगा, इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है।

कैसे करें :

  • सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं और फिर दोनों पैरों के बीच करीब तीन से चार फुट की दूरी बना लें।
  • इसके बाद दाएं पैर को 90 डिग्री के कोण में घुमाएं।
  • फिर गहरी सांस भरते हुए बाहों को शरीर से दूर फैलाकर कंधे की सीध में ले आएं।
  • अब सांस छोड़ते हुए दाएं घुटने को 90 डिग्री के कोण तक मोड़ते हुए दाईं ओर झुकेंगे।
  • अब दाएं हाथ को दाएं पैर के पीछे जमीन पर रखने का प्रयास करें। अगर हाथ को जमीन पर रखने में परेशानी हो, तो जमीन को उंगलियों से छूने का प्रयास करें।
  • वहीं, बाएं हाथ को 60 डिग्री में लाते हुए कान के पास लाने का प्रयास करें और बाएं हाथ की उंगलियों को देखने का प्रयास करें। इस दौरान सामान्य रूप से सांस लेते रहे।
  • यथासंभव इसी स्थिति में रहे और फिर सांस लेते हुए सामान्य मुद्रा में आ जाएं।
  • इसके बाद बाईं तरफ भी इसी प्रक्रिया को दोहराएं।

अन्य लाभ :

यह योग करने से और भी फायदे हो सकते हैं :

  • पाचन तंत्र को बेहतर कर एसिडिटी व कब्ज से राहत दिला सकता है।
  • इससे टखने व घुटने मजबूत हो सकते हैं।

सावधानियां :

●  अगर घुटनों व कमर में तेज दर्द है, तो इसे न करें।
●  साइटिका से ग्रसित मरीज किसी प्रशिक्षक की देखरेख में ही इसे करें।

4.   पादहस्तासन

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यह दो शब्दों के योग पद यानी पैर और हस्त यानी हाथों के योग से बना है। यह योग करते समय हाथों को जमीन पर पैरों के साथ सटा कर रखा जाता है, जिस कारण इसे पादहस्तासन कहा जाता है। पादहस्तासन का नियमित अभ्यास पेट की अतिरिक्त चर्बी को कम करने में मदद कर सकता है। दरअसल, एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में उन आसनों को शामिल किया गया है, जो पेट के मोटापे को कम करने में मदद कर सकते हैं। इन योगासनों में पादहस्तासन का नाम भी शामिल है (3)। इसलिए, पेट की चर्बी करने के लिए इस आसन का अभ्यास किया जा सकता है।

कैसे करें :

  • योग मैट पर पैरों को आपस में जोड़कर सीधे खड़े हो जाएं और हाथों को भी सीधा रखें।
  • अब सांस लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएं।
  • इसके बाद सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें और दोनों हथेलियों को पैरों के पास जमीन के साथ सटाने की कोशिश करें।
  • साथ ही अपने माथे को घुटनों के साथ लगाने का प्रयास करें।
  • इस अवस्था में सांस को रोककर रखें। ध्यान रहे कि कमर से नीचे का हिस्सा मुड़ना नहीं चाहिए।
  • कुछ सेकंड इसी मुद्रा में रहें और फिर सांस लेते हुए ऊपर उठें और हाथों को ऊपर ले जाते हुए पीछे झुकने का प्रयास करें।
  • इसके बाद फिर सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें। करीब तीन से चार बार ऐसा करें।

अन्य लाभ :

इस आसन के अन्य लाभ कुछ इस प्रकार देखे जा सकते हैं :

  • पीठ, कूल्हों और जांघों में खिंचाव महसूस होता है, जिस कारण ये मजबूत हो सकते हैं।
  • सिरदर्द व अनिद्रा जैसी समस्याओं से राहत मिल सकती है और मानसिक तनाव कम करने के लिए योग के रूप में भी इसे किया जा सकता है।
  • पाचन तंत्र बेहतर करने के लिए इसे कर सकते हैं, जिस कारण गैस, एसिडिटी व कब्ज जैसी समस्याएं दूर हो सकती है।

सावधानियां :

  • अगर पीठ में दर्द है या चोट लगी है, तो इस आसन को न करें।
  • यह करते समय अगर पीठ में दर्द होने लगे, तो तुरंत रुक जाएं और डॉक्टर से संपर्क करें।
  • जिन्हें हृदय संबंधी कोई समस्या, हर्निया व पेट में सूजन है, वो इसे न करें।
  • गर्भावस्था में भी इस आसन को नहीं करना चाहिए।

5.   सूर्य नमस्कार

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शरीर को चुस्त व तंदुरुस्त रखने के लिए इससे बेहतर और कोई योग नहीं हो सकता। यह ऐसा योगासन है, जिसे करते समय शरीर के सभी अंग एक साथ काम करते हैं। पेट कम करने के योगासन में इसे शामिल किया जा सकता है। इससे जुड़े एक शोध में जिक्र मिलता है कि सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने से मोटापा कम हो सकता है और जिन्हें मोटापा नहीं है, यह आसन उनका वजन संतुलित रखने में मदद कर सकता है (5)। इस आधार पर हम कह सकते हैं कि पेट कम करने में यह आसन लाभकारी हो सकता है।

कैसे करें :

  • प्रणाम आसन : योग मैट पर सीधे खड़े हो जाएं और हाथों को छाती के पास नमस्कार की मुद्रा में रखें।
  • हस्तउत्तानासन : अब सांस लेते हुए हाथों को ऊपर उठाकर कान के पास सटाएं और पीछे झुकने का प्रयास करें।
  • पादहस्तासन : इसके बाद सांस छोड़ते हुए पेट के बल झुकें और हथेलियों को जमीन पर सटाने की कोशिश करें। साथ ही घुटनों को बिना मोड़े माथे को घुटने से स्पर्श करने का प्रयास करें।
  • अश्व संचालनासन : फिर सांस लेते हुए दाएं पैर पर बैठ जाएं और बाएं पैर को पीछे ले जाएं। इस मुद्रा में बायां घुटना जमीन पर लगाएं।
  • पर्वतासन : अब सांस छोड़ते हुए दाएं पैर को भी पीछे ले जाएं और शरीर को बीच से उठाएं। इस मुद्रा में अपनी एड़ियों को जमीन से स्पर्श करने का प्रयास करें और बाजुओं को सीधा रखें।
  • अष्टांगासन : इसके बाद सांस लेते हुए जमीन पर लेट जाएं। इस अवस्था में सिर्फ ठुड्डी, छाती और घुटने ही जमीन से स्पर्श करेंगे। पेट और कूल्हों को उठाकर रखें।
  • भुजंगासन : अब बिना सांस लिए या छोड़े ही कमर से ऊपर के हिस्से को नाभी तक उठाएं। इस दौरान हथेलियां जमीन से सटी रहेंगी।
  • पर्वतासन : इसके बाद सांस छोड़ते हुए फिर से शरीर को बीच से उठाएंगे और एड़ियों को जमीन से स्पर्श करने का प्रयास करेंगे। साथ ही बाजुओं को सीधा रखेंगे।
  • अश्व संचालनासन : फिर सांस लेते हुए बाएं पैर को आगे लाकर उसके बल बैठ जाएं और दाएं पैर को सीधा रखें। दाएं घुटने को जमीन से सटाएं।
  • पादहस्तासन : अब सांस छोड़ते हुए दाएं पैर को भी आगे ले आएं और हथेलियों को जमीन से व माथे को घुटनों से सटाकर रखें।
  • हस्तउत्तानासन : फिर सांस लेते हुए हाथों व शरीर को ऊपर उठाएं और पीछे झुकने का प्रयास करें।
  • प्रणाम आसन : अंत में सीधे होते हुए नमस्कार की मुद्रा में आ जाएं।

इस प्रकार सूर्य नमस्कार का एक चक्र पूरा हो जाएगा। इस तरह के एक बार में 20-25 चक्र कर सकते हैं।

अन्य लाभ :

सूर्य नमस्कार से न सिर्फ पेट की चर्बी कम की जा सकती है, बल्कि विशेषज्ञ का मानना है कि इसके अन्य लाभ भी हो सकते हैं, जैसे कि :

  • यह पाचन तंत्र में सुधार कर सकता है।
  • इसे करने से शारीरिक व मानसिक तनाव कम हो सकता है।
  • यह योगासन पूरे शरीर को सक्रिय कर सकता है।
  • अगर समय की कमी है, तो इस अकेले योगासन को करने से एक बार में ही सभी अंगों की कसरत हो सकती है।
  • शरीर के दर्द को कम करने में मदद कर सकता है।

सावधानियां :

  • अगर स्लिप डिस्क है या फिर घुटनों में किसी प्रकार का दर्द या परेशानी है, तो इस योगासन को न करें।
  • इसे करते समय अपनी सांसों पर पूरा ध्यान दें। गलत तरीके से सांस लेने पर फायदा होने की जगह नुकसान हो सकता है।
  • महिलाएं मासिक धर्म के समय और गर्भावस्था के दौरान इसे न करें।
  • बच्चे और उच्च रक्तचाप व ह्रदय रोग से पीड़ित मरीज विशेषज्ञों की देखरेख में ही करें।

 6.    अर्धचक्रासन

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पेट कम करने के योगासन की श्रेणी में यह भी खड़े होकर किया जाने वाला योग है। संस्कृत में अर्ध का मतलब होता है आधा और चक्र का मतलब पहिये से होता है। यह आसन करते हुए शरीर की मुद्रा आधे पहिये जैसी नजर आती है, इसलिए यह अर्धचक्रासन कहलाता है। पेट की चर्बी कम करने के योगासन के रूप में इसे कर सकते हैं। एक शोध के अनुसार, इसे करने से पेट पर दवाब बनता है और इससे पेट की चर्बी धीरे-धीरे कम हो सकती है (6)। इसलिए, पेट कम करने के आसन में इसे शामिल किया जा सकता है।

कैसे करें :

  • पैरों को आपस में सटाकर सीधे खड़े हो जाएं और हाथों को भी सीधा रखें।
  • अब कोहनियों को मोड़ते हुए हथेलियों को कमर के निचले हिस्से पर रख दें।
  • फिर सांस लेते हुए जितना हो सके पीछे की तरफ झुकने का प्रयास करें।
  • जब तक हो सके इसी अवस्था में रहें और सांस लेते व छोड़ते रहें।
  • इसके बाद सांस छोड़ते हुए सामान्य अवस्था में आ जाएं।
  • इस आसन को एक समय में करीब तीन से चार बार किया जा सकता है।

अन्य लाभ :

पेट की चर्बी कम करने के अलावा इसके अन्य लाभ :

  • जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या है, वो भी यह आसन कर सकते हैं। इससे शरीर में इंसुलिन का स्तर संतुलित हो सकता है।
  • यह आसन गर्दन के दर्द को दूर कर सकता है और पीठ की मांसपेशियों में खिंचाव लाकर उन्हें लचीला बना सकता है।
  • अगर कोई कमर दर्द से परेशान हैं और रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाना चाहता है, तो इस आसन को कर सकते हैं।
  • जो लोग अत्यधिक समय तक बैठकर काम करते हैं, उन्हें यह आसन करना चाहिए, ताकि इससे कमर दर्द से आराम मिल सके।

सावधानियां :

  • इस आसन में पीछे झुकते समय सिर और गर्दन को झटका न दें।
  • जिन्हे स्लिप डिस्क या फिर साइटिका की समस्या है, वो किसी विशेषज्ञ की निगरानी में ही इसे करें।
  • यह योगासन करने के बाद आगे झुकने वाली मुद्रा न ही करें, तो बेहतर होगा।

 7.    चक्की चलनासन

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जिस तरह पुराने समय में चक्की को हाथों की मदद से चलाया जाता था, यह आसन भी उसी तरह किया जाता है। इसे करना मुश्किल नहीं है और कोई भी कर सकता है। इस आसन का नियमित अभ्यास भी पेट की अतिरिक्त चर्बी को कम करने में सहायक हो सकता है। इस बात की पुष्टि इससे संबंधित एक शोध से होती है (7)।

कैसे करें :

  • सबसे पहले तो योग मैट पर बैठ जाएं और पैरों को आगे की तरफ फैलाएं और सीधा रखें।
  • अब दोनों बाजुओं को कंधे की सीधाई में आगे की तरफ फैलाएं और दोनों हाथों की उंगलियों को एक-दूसरे में फंसाकर मुट्ठी बना लें।
  • फिर लंबी गहरी सांस भरते हुए शरीर के ऊपरी हिस्से को आगे लेकर आएं और दाएं से बाएं की ओर घूमते हुए हाथों को सीधा रखते हुए एक गोला बनाएं।
  • हाथों के साथ-साथ कमर से ऊपर का शरीर भी दाएं-बाएं और आगे-पीछे होता रहेगा।
  • पहले यह प्रक्रिया पांच-दस बार क्लॉक वाइज और फिर पांच-दस बार एंटी क्लॉक वाइज करें।
  • कोशिश करें कि इस दौरान पैरों को स्थिर रखें और कमर से निचले हिस्से में खिंचाव महसूस करें।

अन्य लाभ :

इस आसन के अन्य लाभ कुछ इस प्रकार देखे जा सकते हैं :

  • इसके नियमित अभ्यास से महिलाओं को मासिक धर्म में होने वाली कठिनाई व दर्द से राहत मिल सकती है।
  • महिलाओं के गर्भाशय की मांसपेशियां ठीक तरह से काम कर सकती हैं।

सावधानियां :

  • गर्भावस्था के दौरान इस आसन को नहीं करना चाहिए।
  • जिन्हें कम रक्तचाप की समस्या या फिर स्लिप डिस्क है, वो भी इसे न करें।
  • सिर में दर्द या फिर माइग्रेन होने पर इससे परहेज करें।
  • अगर हर्निया का ऑपरेशन हुआ है, तो यह आसन न करें।

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8.    कपालभाति

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पेट की चर्बी को कम करने के लिए योगासनों में इसे शामिल किया जा सकता है। रिसर्च के अनुसार कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास पेट की मांसपेशियों को टोन करने के साथ ही पेट की चर्बी को कम करने में मदद कर सकता है (8)।

कैसे करें :

  • सबसे पहले तो सुखासन में बैठ जाएं और आंखें बंद कर लें।
  • अब नाक से धीरे-धीरे सांस छोड़नी है। सांस छोड़ते समय पेट अंदर जाना चाहिए।
  • ध्यान रहे कि सिर्फ सांस छोड़नी है न कि लेनी है। इस दौरान मुंह को बंद रखें। सांस लेने की प्रक्रिया खुद-ब-खुद होती है।
  • जब तक संभव हो इसे करते रहें।
  • इस तरह करीब पांच से दस राउंड कर सकते हैं।

अन्य लाभ :

पेट की चर्बी कम करने के साथ ही यह आसन अन्य समस्याओं में भी फायदेमंद हो सकता है, जैसे कि :

  • पाचन तंत्र में सुधार कर सकता है, जिस कारण पेट की समस्याएं दूर हो सकती हैं।
  • गैस, एसिडिटी व कब्ज आदि से राहत मिल सकती है।
  • चेहरे पर निखार आ सकता है और बढ़ती उम्र का असर कम हो सकता है।

सावधानियां :

  • जिन्हें उच्च रक्तचाप या फिर हृदय रोग हो, उन्हें कपालभाति नहीं करना चाहिए।
  • मिर्गी, हर्निया व सांस के मरीजों को भी इसे नहीं करना चाहिए।

9.    उत्तानपादासन

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उत्तान का अर्थ होता है ऊपर उठा हुआ और पाद का अर्थ पैरों से होता है। इस आसन में पैरों को थोड़ा-सा ऊपर उठाया जाता है, इसलिए यह उत्तानपादासन कहलाता है। यह लेटकर किया जाने वाला महत्वपूर्ण आसन है। पेट की चर्बी को कम करने में यह आसन मददगार हो सकता है।

दरअसल, एक शोध में जिक्र मिलता है कि अन्य आसनों के साथ इस योगासन का अभ्यास मोटापे को कम करने में मदद कर सकता है (9)। इस आधार पर हम कह सकते हैं कि उत्तानपादासन पेट कम करने में सहायक हो सकता है।

कैसे करें :

  • योग मैट पर कमर के बल सीधा लेट जाएं और हाथों को शरीर से सटा कर रखें।
  • हथेलियों की दिशा जमीन की ओर होनी चाहिए।
  • अब लंबी गहरी सांस भरते हुए पैरों को करीब 30 डिग्री के कोण तक ऊपर उठाएंगे।
  • ध्यान रहे कि सिर को नहीं हिलाना है।
  • पैरों को इतना ही उठाना है कि वो हमें नजर न आएं।
  • करीब 30 सेकंड तक इसी अवस्था में रहें और धीरे-धीरे सांस लेते व छोड़ते रहें।
  • इसके बाद लंबी गहरी सांस छोड़ते हुए पैरों को नीचे ले आएं और विश्राम करें।
  • इस आसन को करीब तीन से चार बार करें।

अन्य लाभ :

इस आसन को करने से अन्य लाभ भी हो सकते हैं, जैसे :

  • पाचन तंत्र अच्छी तरह से काम कर सकता है।
  • इस योगासन को करते समय पेट की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है, जिससे वह मजबूत हो सकती है।
  • इसकी मदद से जिम जाए बिना पेट के एब्स बनाए जा सकते हैं।
  • जिन्हें गैस, एसिडिटी, कब्ज व अपच आदि की शिकायत रहती है, वे इस योगासन को कर सकते हैं।
  • इससे कमर की मांसपेशियां मजबूत हो सकती हैं और शरीर में नई ऊर्जा का संचार हो सकता है।

सावधानियां :

  • गर्भावस्था के दौरान इसे नहीं करना चाहिए।
  • जिनके पेट का ऑपरेशन हुआ है, वो भी इससे परहेज करें।

10.   पवनमुक्तासन

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लेटकर किए जाने वाले योग में अगला क्रम पवनमुक्तासन का है। इसे करते समय पेट पर बल पड़ता है। पवन का अर्थ वायु और मुक्त का अर्थ निकलने से है। इसे करने से पेट में इकट्ठा हो चुकी हवा बाहर निकलती है। वहीं, यह आसन शरीर के वजन को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकता है। इस बात की पुष्टि इससे जुड़े एक शोध में होती है (10)। इस आधार पर हम कह सकते हैं कि पेट के मोटापे को कम करने के लिए पवनमुक्तासन का अभ्यास किया जा सकता है।

कैसे करें :

  • योग मैट पर कमर के बल सीधे लेट जाएं। हाथ शरीर के साथ सटे होने चाहिए।
  • पहले लंबी गहरी सांस लेते हुए दाएं पैर को मोड़ें और दोनों हाथों से घुटने को पकड़ते हुए उसे छाती से लगाने का प्रयास करें।
  • फिर सांस छोड़ते हुए सिर को उठाएं और नाक को घुटने से स्पर्श करने का प्रयास करें।
  • कुछ सेकंड इसी अवस्था में रहें और फिर सांस छोड़ते हुए पैर व सिर को जमीन पर ले आएं।
  • इसी तरह बाएं पैर से भी करें और फिर दोनों पैरों से एक साथ करें।
  • इस तरह के कम से कम पांच से दस चक्र कर सकते हैं।

अन्य लाभ :

यह आसन अन्य समस्याओं में भी लाभदायक हो सकता है, जैसे :

  • एसिडिटी व कब्ज के लिए योग में भी इसे शामिल किया जा सकता है।
  • यह रीढ़ की हड्डी को मजबूत बना सकता है। साथ ही इसे करने पर फेफड़े भी अच्छी तरह काम कर सकते हैं।

सावधानियां :

  • अगर कमर, घुटनों या गर्दन में दर्द है, तो इसे न करें।
  • वैसे तो वज्रासन को छोड़कर अन्य कोई आसन भोजन के बाद नहीं करना चाहिए, लेकिन खासकर इसे तो बिल्कुल नहीं करना चाहिए।

11.   धनुरासन

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जहां अन्य आसन कमर के बल लेटकर किए जाते हैं, वहीं यह आसन पेट के बल लेटकर किया जाता है। इसके करते समय शरीर का आकार धनुष जैसा हो जाता है, जिस कारण इसे धनुरासन कहते हैं। अगर वजन कम करना चाहते हैं, तो धनुरासन का अभ्यास किया जा सकता है। इसके अलावा, यह किडनी, अग्न्याशय, लिवर और आंतों की कार्यप्रणाली में सुधार कर सकता है (4)।

कैसे करें :

  • योग मैट पर पेट के बल लेट जाएं और सांस छोड़ते हुए घुटनों को मोड़ें और हाथों से टखनों को पकड़ने का प्रयास करें।
  • अब सांस लेते हुए सिर, छाती और जांघों को ऊपर उठाने का प्रयास करें।
  • आप सुविधानुसार शरीर को जितना ऊपर उठा सकते हैं उठाएं।
  • अंतिम अवस्था में पहुंचकर शरीर का पूरा भार पेट के निचले हिस्से पर डालने का प्रयास करें।
  • इसके बाद दोनों पैरों के बीच की दूरी को कम करने का प्रयास करें।
  • कुछ देर इसी मुद्रा में रहते हुए धीरे-धीरे सांस लेते व छोड़ते रहें।
  • अंत में लंबी गहरी सांस छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में लौट आएं।
  • एक बार में इस तरह के चार-पांच चक्र किए जा सकते हैं।

अन्य लाभ :

विशेषज्ञों के अनुसार इससे शरीर को अन्य फायदे भी हो सकते हैं, जैसे :

  • डायबिटीज के मरीज भी यह योगासन कर सकते हैं। यह योगासन शरीर में इंसुलिन के स्तर को संतुलित कर सकता है।
  • अस्थमा और कमर दर्द से पीड़ित शख्स भी यह योगासन कर सकता है। इन दोनों समस्याओं में यह आसन लाभकारी हो सकता है।
  • जिन्हें बार-बार नाभि गिरने या फिर कब्ज की शिकायत रहती है, वो भी इसे कर सकते हैं।
  • थायराइड के लिए योगासनों में भी इसे शामिल किया जा सकता है।

सावधानियां :

  • जिन्हें तेज कमर दर्द है, उन्हें धनुरासन से परहेज करना चाहिए।
  • अगर हर्निया की परेशानी है या फिर पेट में अल्सर है, तो यह आसन न करें।
  • साइटिका या फिर पथरी की शिकायत होने पर भी इसे न करें।

12.   हलासन

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अगर हलासन का अभ्यास ठीक तरह से किया जाए, तो वजन को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इस योगासन में शरीर की मुद्रा हल के समान हो जाती है, इसलिए यह हलासन कहलाता है। इसे करना थोड़ा कठिन है, इसलिए जो यह न कर पाए उसे अर्धहलासन करना चाहिए। वहीं, इस आसन का नियमित अभ्यास शरीर के मोटापे को कम करने में मदद कर सकता है, जिससे पेट को कम करने में भी मदद मिल सकती है (10)।

कैसे करें :

  • इसे करने के लिए कमर के बल लेट जाएं और हाथों को शरीर के साथ सटाकर रखें।
  • अब धीरे-धीरे अपने पैरों को ऊपर उठाएं और 90 डिग्री के कोण तक ले आएं।
  • अब सांस छोड़ते हुए पैरों के साथ-साथ पीठ को भी उठाएं और पैरों को पीछे ले जाते हुए अंगूठे को जमीन से स्पर्श करने का प्रयास करें।
  • यह मुद्रा खेत में जोते जाने वाले हल के समान होती है।
  • जब तक संभव हो इसी मुद्रा में रहें और फिर धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में लौट आएं और विश्राम करें।
  • ऐसा तीन-चार बार कर सकते हैं।

अन्य लाभ :

इस आसन के अन्य लाभ कुछ इस प्रकार देखे जा सकते हैं :

  • यह योगासन चेहरे पर निखार ला सकता है और बाल झड़ने की समस्या को भी कम करने में मदद कर सकता है।
  • कब्ज और बवासीर जैसी बीमारियों में भी यह आसन किया जा सकता है।
  • जिन्हें थायराइड व मधुमेह की समस्या है, वो भी इसे कर सकते हैं।

सावधानियां :

  • जिन्हें सर्वाइकल या फिर रीढ़ की हड्डी में कोई परेशानी है, वो इसे न करें।
  • उच्च रक्तचाप और चक्कर आने पर हलासन न करें।
  • गर्भावस्था में योग को करने से बचें।
  • ह्रदय रोग से पीड़ित मरीज भी इससे परहेज करें।

13.   शवासन

Yoga to Reduce Belly Fat in Hindi
Image: Shutterstock

इसे सभी योगों के अंत में किया जाता है, ताकि शरीर शांत और स्थिर हो जाए। इसे करते समय शरीर शव के समान हो जाता है। यह भले ही देखने में आसान नजर आए, लेकिन करना उतना ही मुश्किल है। इस योग को करने से शरीर में आई थकावट और मांसपेशियों में महसूस हो रहे खिंचाव को सामान्य करने में मदद मिल सकती है।

इसके अलावा, पेट को कम करने में भी शवासन के फायदे देखे जा सकते हैं। दरअसल, एक शोध में उन आसनों का जिक्र मिलता है, जो पेट के मोटापे को कम करने में सहायक हो सकते हैं। इसमें शवासन का भी नाम शामिल था (3)। हालांकि, यह कितना कारगर होगा, इसे लेकर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।

कैसे करें :

  • सभी योगासन करने के बाद योग मैट पर कमर के बल लेट जाएं और आंखें बंद कर लें।
  • दोनों पैरों के बीच एक या दो फुट की दूरी रखें और हाथों को शरीर से थोड़ा दूर फैलाकर रखें।
  • हथेलियां ऊपर की दिशा में होनी चाहिए।
  • अब धीरे-धीरे सांस लेते और छोड़ते रहें और पूरा ध्यान सांसों की गतिविधियों पर रखें।
  • फिर अपना ध्यान एक-एक करके पैरों से लेकर सिर तक के सभी अंगों पर ले जाएं और महसूस करें कि हर तरह के तनाव से मुक्त हो रहे हैं। शरीर के प्रत्येक अंग को आराम मिल रहा है।
  • कुछ देर इसी अवस्था में रहें और जब लगे कि शरीर तनाव मुक्त हो गया है और मन शांत है, तो बाएं ओर करवट लेकर हाथों का सहारा लेते हुए बैठ जाएं और धीरे-धीरे अपनी आंखें खोलें।

अन्य लाभ :

शवासन एक तरह का मेडिटेशन भी है। इसे करते हुए मन एकाग्रचित्त हो सकता है। इसके साथ ही यह अन्य लाभ भी प्रदान कर सकता है।

  • तनाव दूर करने में मदद मिल सकती है और शरीर में हल्कापन महसूस हो सकता है।
  • योग करने से शरीर में आई थकावट और मांसपेशियों में महसूस हो रहे खिंचाव को सामान्य करने में मदद मिल सकती है।
  • जो अत्यधिक चिंता करते हैं या बेचैनी महसूस करते हैं, वे इस समस्या को दूर करने के लिए शवासन कर सकते हैं।

सावधानियां :

वैसे शवासन कोई भी कर सकता है और इसे करने से किसी भी प्रकार की हानि नहीं होती, लेकिन बेहतर परिणाम के लिए इसे किसी प्रशिक्षक की देखरेख में किया जाना चाहिए।

नोट : यहां बताए गए सभी योगासनों को किसी प्रशिक्षित योग ट्रेनर की देखरेख में ही करें।

पढ़ना जारी रखें

अंत में जानिए पेट कम करने के लिए योग विशेषज्ञ की राय।

पेट कम करने के लिए योग गुरु के कुछ टिप्स – Yoga Experts Tips To Reduce Belly Fat in Hindi

ऊपर दिए योगासनों के साथ ही कुछ और टिप्स को अपनाकर पेट को कम किया जा सकता है। यहां हम बता रहे हैं पेट कम करने के लिए योग गुरु के कुछ टिप्स।

  • योग करने के अलावा अपनी जीवनशैली को एक्टिव रखना जरूरी होता है, क्योंकि खराब दिनचर्या मोटापा के साथ ही अन्य कई समस्याओं का कारण बन सकती है।
  • डाइट में जैसे फल, सब्जियां और अनाज को शामिल करें और ऐसे भोजन का सेवन करने से बचें, जो मोटापा बढ़ाने का कारण बन सकते हैं, जैसे कि जंक फूड्स (11)।
  • मोटापा घटाने के उपाय में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल किया जा सकता है। दरअसल, एक शोध में पाया गया है कि प्रोटीन का सेवन भूख के साथ ही मोटापे को नियंत्रित करने में मददगार हो सकता है (12)। इनमें बीन्स, मछली, फलियां और अंडे को शामिल किया जा सकता है (13)।
  • भरपूर मात्रा में पानी का सेवन बढ़ते वजन की समस्या में फायदेमंद हो सकता है। पानी न सिर्फ हाइड्रेट रखता है, बल्कि यह भूख को नियंत्रित कर सकता है और वजन को भी कम करने में सहायक हो सकता है (14)।
  • मोटापा और पेट की बढ़ती चर्बी को नियंत्रित करने के लिए रात में सोने से पहले तुरंत भोजन करना और रात के भोजन के बाद भी स्नैक्स का सेवन बंद किया जाना चाहिए, क्योंकि ये आदतें मोटापे का कारण बन सकती हैं (15)।

चाहे शारीरिक रूप से अस्वस्थ हों या मानसिक रूप से, योग हर समस्या में फायदेमंद हो सकता है। इसलिए, पेट की चर्बी कम करने के लिए बताए गए योगासनों का अभ्यास किया जा सकता है। वहीं, किसी भी दुष्प्रभाव से बचने के लिए इन पेट कम करने वाले योगासनों को किसी योग ट्रेनर की देखरेख में ही करें। साथ ही बताई गई सावधानियों का पालन करें। साथ ही यह भी ध्यान में रखें कि योग भी तभी असर करता है, जब पूरे विश्वास के साथ उसे करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि यह लेख आपको पसंद आया होगा।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल :

क्या योग के द्वारा पेट की चर्बी को कम किया जा सकता है?

हां, योग के द्वारा पेट की चर्बी को कम किया जा सकता है। वहीं, इसके साथ ही सही डाइट प्लान और एक्टिव दिनचर्या का पालन करना भी जरूरी है।

क्या कपालभाति से सच में पेट की चर्बी कम हो सकती है?

हां, कपालभाति प्राणायाम पेट की मांसपेशियों को टोन करने के साथ ही पेट की चर्बी को कम करने में मदद कर सकता है (8)।

References

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  1. Obesity,
    https://medlineplus.gov/obesity.html#summary
  2. Reducing psychological distress and obesity through Yoga practice,
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3573546/
  3. Yoga in Women With Abdominal Obesity— a Randomized Controlled Trial,
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5098025/
  4. Obesity and its control through yogic practices,
    https://www.kheljournal.com/archives/2017/vol4issue1/PartB/4-1-28-349.pdf
  5. Suryanamaskar: An equivalent approach towards management of physical fitness in obese females,
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4278132/
  6. THERAPEUTIC EFFECT OF YOGA IN MANAGEMENT OF OBESITY,
    https://shjtdxxb-e.cn/wp-content/uploads/2020/07/JSJ.U-2317.63-F.pdf
  7. Conceptual study of yoga from anatomical view in female.,
    https://ayurlog.com/Archive/january_march/ssac/201502S027.pdf
  8. Kapalabhati pranayama: An answer to modern day polycystic ovarian syndrome and coexisting metabolic syndrome?,
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4959327/
  9. Alteration in Anthropometric Measurements before and After Yogic Exercises in Patients of Hypertension with Obesity,
    https://www.ijhsr.org/IJHSR_Vol.5_Issue.4_April2015/27.pdf
  10. A Comparative Study of Yoga and Aerobic Exercises in Obesity and its Effect on Pulmonary Function,
    https://www.longdom.org/open-access/a-comparative-study-of-yoga-and-aerobic-exercises-in-obesity-and-its-effect-on-pulmonary-function-2155-6156.1000257.pdf
  11. Fast food consumption and overweight/obesity prevalence in students and its association with general and abdominal obesity,
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6196377/
  12. The role of protein in weight loss and maintenance,
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/25926512/
  13. Protein in diet,
    https://medlineplus.gov/ency/article/002467.htm
  14. Effect of excessive water intake on body weight, body mass index, body fat, and appetite of overweight female participants,
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4121911/
  15. Association of night eating habits with metabolic syndrome and its components: a longitudinal study,
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6288903/
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Amita Mishra
Amita MishraCertified Sports Nutritionist and Qualified Yoga instructor
Amita is a qualified yoga instructor, a Certified Sports Nutritionist, and a Zumba lover with 4 years of experience. She completed her Masters in Food Science and Nutrition and has worked with clients, including celebrities, across the world for weight and health management.

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Anuj Joshi
Anuj Joshiचीफ एडिटर
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