Dr. Zeel Gandhi, BAMS
Written by , (शिक्षा- बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मीडिया कम्युनिकेशन)

पित्ताशय की पथरी को पित्त की पथरी भी कहा जाता है। बदलती जीवनशैली के कारण कई लोग इसका शिकार हो रहे हैं।  खासकर, महिलाओं और बुजुर्गों को पित्त की पथरी की सबसे ज्यादा परेशानी करती है। पित्ताशय की पथरी के कारण दर्द, सूजन, संक्रमण और यहां तक कि कैंसर जैसी घातक बीमारी भी हो सकती है। पित्त की थैली में पथरी का तब तक पता नहीं चलता, जब तक कि वो दर्दनाक नहीं हो जाती है। इसलिए, वक्त रहते पित की पथरी का उपचार जरूरी है, वरना यह घातक भी हो सकती है। शुरुआती चरण में दवा के साथ-साथ कुछ घरेलू उपचार भी कारगर साबित हो सकते हैं। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम पित्त की पथरी के लिए असरकारी घरेलू उपचार बताएंगे। साथ ही हम पित्त की पथरी के कारण और पित्ताशय की पथरी के लक्षण से जुड़ी जानकारी भी देंगे।

अंत तक जरूर पढ़ें

आइए, सबसे पहले जानते है कि पित्ताशय की पथरी क्या है।

पित्ताशय की पथरी क्या है? – What is Gallbladder Stone in Hindi

लीवर के ठीक नीचे थैली के आकार का एक अंग होता है, उसे ही पित्ताशय कहा जाता है। इस थैली में पित्त (Bile) होता है, जो हरे-पीले रंग का तरल पदार्थ होता है। यह पाचन में मदद करता है। जब इस थैली में जरूरत से ज्यादा कोलेस्ट्रॉल जमा होने लगता है, तो वो पथरी का रूप ले लेता है। ये पथरी क्रिस्टल बॉल की तरह होती है, जो दाने के आकार से लेकर कंचे के आकार तक बड़ी हो सकती है (1)। पित्त की थैली में पथरी को गाल ब्लैडर स्टोन भी कहा जाता है। इस समस्या के होने पर भारी दर्द हो सकता है, जिसे सहन करना मुश्किल हो सकता है।

लेख के अगले भाग में हम पित्त की पथरी के कारण के बारे में बता रहे हैं।

पित्त की पथरी के कारण और जोखिम कारक – Causes and Risk Factors of Gallbladder Stone Hindi

पित्त की पथरी किस कारण से होती है, इस संबंध में वैज्ञानिक अभी तक एक राय नहीं है। फिर भी ऐसा माना जाता है कि जब पित्त में कोलेस्ट्रॉल व बिलीरुबिन की मात्रा अधिक हो जाती है और पित्त नमक (Bile Salt) की कमी हो जाती है, तो पित्ताशय की पथरी हो सकती है। यहां हम इसके कुछ अन्य अनुमानित कारण भी बता रहे हैं (2):

  • पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को पित्ताशय की पथरी का खतरा रहता है। साथ ही गर्भवती महिलाएं व जो महिलाएं गर्भ निरोधक दवाइयों का सेवन कर रही हैं, उन्हें भी यह समस्या हो सकती है।
  • अधिक उम्र के व्यक्तियों को भी पित्त की पथरी का खतरा रहता है।
  • अगर परिवार में किसी व्यक्ति को पित्त की पथरी की समस्या रही हो, तो परिवार के अन्य सदस्य को भी होने का खतरा रहता है। सरल भाषा में कहें, तो यह आनुवंशिक भी है।
  • अधिक वजन होने से या मोटापे के कारण भी हो सकता है।
  • जो ज्यादा फैटी खाद्य पदार्थ या जंक फूड का सेवन करते हैं या सही डाइट नहीं लेते हैं।
  • जो तेजी से वजन कम कर रहे हों या जिन्होंने तेजी से वजन कम किया हो।
  • बोन मेरो और ऑर्गन ट्रांसप्लांट भी इसका कारण बन सकता है।
  • मधुमेह से जूझ रहे व्यक्ति को पित्त में पथरी हो सकती है।
  • पित्ताशय की थैली में पर्याप्त पित्त का न होने पर भी यह समस्या हो सकती है। ऐसा अधिकतर गर्भावस्था के दौरान होता है।
  • लीवर सिरोसिस और पित्तशय पथ के संक्रमण से भी ऐसा हो सकता है।
  • चिकित्सा की ऐसी स्थिति, जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं नष्ट हो रहा हों।

अब हम जानेंगे कि पित्ताशय की पथरी के लक्षण किस तरह के दिखाई दे सकते हैं।

पित्ताशय की पथरी के लक्षण – Symptoms of Gallbladder Stone in Hindi

कुछ मामलों में पित्त की पथरी के लक्षण सालों-साल नजर नहीं आते। इनका पता तब चलता है, जब अचानक से पेट में दर्द शुरू होता है। इसके अलावा भी कई लक्षण हैं, जिनके बारे में हम नीचे बता रहे हैं (2) :

  • पेट के दाहिने तरफ ऊपरी भाग में असहनीय दर्द
  • दर्द का घंटों तक रहना
  • बुखार
  • पीलिया
  • उल्टी या मितली की समस्या
  • पेट फूलने की समस्या

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पित्त की पथरी के लक्षण जानने के बाद अब हम नीचे पित्त की पथरी के लिए असरकारी घरेलू उपचार बताएंगे।

पित्त की पथरी के लिए असरकारी घरेलू उपाय – Home Remedies for Gallbladder Stone in Hindi

अक्सर लोग पित्ताशय की पथरी के इलाज के लिए ऑपरेशन को ही एकमात्र उपाय बताते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। पित्ते की पथरी से छुटकारा दिलाने में कुछ घरेलू उपचार मदद कर सकते हैं। उन असरकारी घरेलू उपचार के बारे में हम नीचे बता रहे हैं। यहां हम स्पष्ट कर दें कि ये घरेलू उपचार कुछ लक्षणों को कम कर सकते हैं या फिर इलाज के असर को बढ़ा सकते हैं। इन्हें संपूर्ण इलाज समझना सही नहीं है। इसलिए, अगर किसी को पित्त की समस्या गंभीर हो, तो उसे तुरंत डॉक्टरी इलाज करवाना चाहिए।

1. सेब का जूस

सामग्री :

  • एक या दो सेब
  • चीनी (आवश्यकतानुसार)

उपयोग की विधि:

  • पहले सेब को अच्छी तरह धो लें।
  • इसके बाद सेब को काटकर उसके बीज निकाल दें।
  • फिर उसे तब तक उबालें, जब तक कि वो नर्म न हो जाए।
  • जब सेब उबलकर नर्म हो जाए, तो इसे मिक्सर में डालकर जूस बना लें।
  • फिर छानकर गिलास में निकाल लें और चीनी मिलाकर सेवन करें।
  • रोज एक से दो बार इसका सेवन कर सकते हैं।

कैसे है फायदेमंद:

पित्त की पथरी के घरेलू उपाय के तौर पर सेब के रस का सेवन किया जा सकता है। अगर नियमित रूप से इस जूस का सेवन किया जाए, तो मल के द्वारा पित्त की पथरी निकल सकती है, क्योंकि सेब के जूस का सेवन करने से पित्ताशय की पथरी नर्म हो सकती है और मल के द्वारा आसानी से निकल सकती है (3) फिलहाल, अभी तक इस संबंध में कोई सटीक ठोस प्रमाण नहीं है, लेकिन इसका सेवन किया जा सकता है।

2. नींबू का रस

सामग्री :

  • एक चम्मच नींबू का रस
  • एक गिलास गुनगुना पानी

उपयोग की विधि:

  • एक गिलास पानी में एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर सेवन करें।
  • इसे दिन में तीन से चार पी सकते हैं।

कैसे है फायदेमंद:

नींबू पानी के सेवन से पित्ताशय की पथरी का इलाज हो सकता है। इस संबंध में हुए एक वैज्ञानिक शोध में दिया हुआ है कि नींबू एक तरह का साइट्रस फल है, जिसके उपयोग से पित्त की थैली में मौजूद पथरी को बाहर करने की क्षमता को बढ़ावा मिल सकता है (4)इसके अलावा, विटामिन-सी पथरी की समस्या को पनपने से रोक सकता है और नींबू को विटामिन-सी का अच्छा स्रोत माना जाता है (5) लिहाजा कहा जा सकता है कि पित्त की पथरी से निजात दिलाने में नींबू का रस मददगार हो सकता है।

3. डैंडेलियन (Dandelion)

सामग्री :

  • एक चम्मच सूखी डैंडेलियन की जड़
  • आधा चम्मच शहद
  • एक कप गर्म पानी

उपयोग की विधि:

  • डैंडेलियन की जड़ को पीसकर चूर्ण बना लें और फिर उसमें गर्म पानी डालें।
  • अब इसे थोड़ी देर भिगोकर रखें और फिर इसमें शहद मिलाएं।
  • फिर इसे छानकर एक कप में डालकर पिएं।
  • अच्छे परिणाम के लिए इस चाय को दिन में दो बार पी सकते हैं।

कैसे है फायदेमंद:

पित्त की पथरी के लिए असरकारी घरेलू उपचार के रूप में डैंडेलायन की जड़ का उपयोग किया जा सकता है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफार्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, डैंडेलियन में ताराक्सासिन (taraxacin) और ताराक्सासरिन (taraxacerin) पाए जाते हैं, जो पित्ताशय की समस्या के इलाज में सहायक हो सकते हैं (6)वहीं, डैंडेलियन की जड़ न सिर्फ पाचन शक्ति में सुधार कर सकती हैं, बल्कि इससे पित की पथरी का उपचार भी किया जा सकता है (7)

सावधानी : जिन्हें डायबिटीज की या अन्य कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या है, तो वो इस चाय को पीने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

4. नाशपाती का जूस

सामग्री :

  • आधा गिलास नाशपाती का रस
  • आधा गिलास गर्म पानी
  • दो चम्मच शहद

उपयोग की विधि:

  • गर्म पानी में नाशपाती के रस और शहद को अच्छी तरह से मिलाएं।
  • इस जूस को गर्मा-गर्म पिएं।
  • एक दिन में तीन बार इस जूस को पी सकते हैं।

कैसे है फायदेमंद:

पित्त की पथरी के लिए असरकारी घरेलू उपचार की बात करें, तो नाशपाती का रस फायदेमंद हो सकता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जिससे पित्त में सूजन से जुड़ी समस्या को दूर किया जा सकता है। इससे पित्त की पथरी को पनपने से रोका जा सकता है (8)

5. पिपरमिंट

सामग्री :

  • एक चम्मच पिपरमिंट चाय के पत्ते (बाजार में उपलब्ध है)
  • एक कप गर्म पानी
  • आधा चम्मच शहद

उपयोग की विधि:

  • सबसे पहले पानी को उबालें और उबलते पानी में पिपरमिंट चाय की पत्तियां डाल दें।
  • फिर गैस को बंद करके थोड़े देर के लिए उसे ढक दें।
  • उसके बाद चाय को छानकर उसमें शहद डालें और गर्मा-गर्म पिएं।
  • इस चाय का सेवन दिन में दो वक्त के भोजन के बीच में करें।

कैसे है फायदेमंद:

पिपरमिंट को पित्त की पथरी का आयुर्वेदिक इलाज माना जा सकता है। दरअसल, पिपरमिंट में कई औषधीय गुण होते हैं, जो पित्त पथरी को पतला या नर्म कर सकता है  । इससे पथरी बाहर निकल सकती है (9)। इस संबंध में अभी और ठोस प्रमाण की जरूरत है, लेकिन पित्ताशय की पथरी से राहत पाने के लिए पिपरमिंट का उपयोग कुछ हद तक फायदेमंद हो सकता है।

नोट : पिपरमिंट चाय का ज्यादा सेवन न करें। इसे कितनी मात्रा में लेना है, उस बारे में एक बार डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

6. हल्दी

सामग्री :

  • आधा चम्मच हल्दी
  • आधा चम्मच शहद

उपयोग की विधि:

  • सबसे पहले शहद में हल्दी को अच्छी तरह मिलाएं।
  • उसके बाद उस मिश्रण का सेवन कर लें।
  • दिन में कम से कम एक बार इसका सेवन करें।

कैसे है फायदेमंद:

हल्दी का उपयोग न सिर्फ खाना बनाने के लिए, बल्कि आयुर्वेदिक औषधि के तौर पर भी किया जाता है। हल्दी को लेकर किए गए एक शोध से पता चलता है कि इससे कई रोगों के इलाज में मदद मिल सकती है, जिनमें से एक पित्ताशय की पथरी भी है। इस बात की पुष्टि एनसीबीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध रिसर्च पेपर से होती है (10)। फिलहाल, हल्दी का कौन-सा गुण इस समस्या में किस तरह काम करता है, इस पर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।

7. मिल्क थिसल

सामग्री :

  • एक चम्मच मिल्क थिसल के बीज (बाजार में व ऑनलाइन उपलब्ध)
  • तीन कप पानी
  • शहद (स्वादानुसार)

उपयोग की विधि:

  • सबसे पहले मिल्क थिसल के बीजों को पीसकर पानी में उबाल लें।
  • फिर इसे करीब 20 मिनट तक गर्म पानी में भीगे रहने दें।
  • अब इस हर्बल चाय को छानकर स्वादानुसार शहद मिलाकर इसका सेवन करें।
  • एक दिन में दो से तीन कप इस चाय का सेवन करें।

कैसे है फायदेमंद:

मिल्क थिसल एक प्रकार की जड़ी-बूटी है। कई वर्षों से लिवर और पित्ताशय की पथरी के लिए इसका उपयोग किया जा रहा है। इसमें मौजूद मुख्य घटक सिलीमरिन (silymarin) पित्त की पथरी को सिकोड़ता है और किसी भी दर्द से राहत दिलाने में भी मदद कर सकता है। होम्योपैथिक दवाइयों में भी इसका उपयोग किया जाता है (11)। इसे पाउडर के रूप में दूध या जूस में मिलाकर भी सेवन किया जा सकता है। अगर जूस में डालने से इसका स्वाद अच्छा नहीं लगता है, तो इस पाउडर को सलाद में भी मिक्स कर सकते हैं।

8. क्रैनबेरी का जूस

सामग्री :

  • क्रैनबेरी जूस

उपयोग की विधि:

  • हर दिन एक गिलास क्रैनबेरी जूस पिएं। अगर लगता है कि यह जूस ज्यादा एसिडिक हो गया है, तो इसमें पानी मिला लें।
  • शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए हर दिन एक गिलास इस रस को पिएं।

कैसे है फायदेमंद:

यह पित्त पथरी और पित्ताशय की थैली की समस्याओं के लिए एक अच्छा उपाय है। जैसा कि लेख में ऊपर बताया गया है कि कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा के कारण पित्ताशय की पथरी हो सकती है। वहीं, क्रैनबेरी रस में मौजूद डाइटरी फाइबर शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकता है। इस प्रकार कोलेस्ट्रॉल पित्त पथरी के खतरे को भी कम कर सकता है। साथ ही यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ावा दे सकता है। अनुमान है कि ऐसा इसमें मौजूद पॉलीफेनोलिक यौगिक के कारण होता है (12)। अभी इस संबंध में कोई पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इसलिए, पित्ताशय पथरी में क्रैनबेरी जूस यूज करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

9. नारियल तेल

सामग्री :

  • तीन चम्मच नारियल तेल
  • एक चौथाई कप सेब का जूस
  • आधा नींबू का रस
  • लहसुन की एक कली (वैकल्पिक)
  • अदरक का एक छोटा टुकड़ा

उपयोग की विधि:

  • सबसे पहले नारियल तेल को हल्का गर्म कर लें।
  • फिर उसमें सभी सामग्रियां डाल दें और अच्छी तरह से मिलाएं।
  • अब इस मिश्रण का सेवन करें।
  • इसका सेवन दिन में एक बार कर सकते हैं।

कैसे है फायदेमंद:

अगर कोई पित्त की पथरी की समस्या से पीड़ित हैं, तो यह उनके लिए अच्छा उपचार हो सकता है। नारियल तेल में कोलेस्ट्रॉल नहीं होता और इसमें जरूरी फैट होता है, जिस वजह से इसे पचाना आसान हो सकता है। इसके सेवन से कोलेस्ट्रॉल नहीं जमता और पित्ताशय की पथरी की समस्या से बचाव हो सकता है (13)। आप नारियल तेल को खाना बनाने के लिए भी उपयोग कर सकते हैं। फिलहाल, यह अध्ययन जानवरों पर किया गया है। मनुष्यों पर यह कितना कारगर है, इस पर अभी शोध किया जा रहा है।

10. अरंडी का तेल

सामग्री :

  • एक कप अरंडी का तेल
  • एक साफ छोटा तौलिया
  • प्लास्टिक रैप
  • एक गर्म सेंक

उपयोग की विधि:

  • सबसे पहले अरंडी के तेल को हल्का गर्म करें और उसमें छोटे तौलिये को भिगोएं।
  • कपड़े से अतिरिक्त तेल निकालें और इसे पेट के दाहिनी ओर रखें, जहां पित्ताशय और लिवर है।
  • पेट के चारों ओर प्लास्टिक रैप लपेट लें।
  • फिर लगभग 30 से 40 मिनट के लिए इससे गर्म सिकाई करें।
  • इस प्रक्रिया को हफ्ते में तीन बार कर सकते हैं।

कैसे है फायदेमंद:

अरंडी तेल के फायदे अनेक हैं। अगर बात करें पित्ताशय की पथरी की, तो अरंडी के तेल का उपयोग पित्त की पथरी को नष्ट करने का काम कर सकता है (14)। फिलहाल, इस पर और शोध किया जा रहा है, ताकि स्पष्ट रूप से पता चल जाए कि इसमें मौजूद कौन-सा गुण मुख्य रूप से काम करता है।

11. ग्रीन टी

सामग्री :

  • दो चम्मच ग्रीन टी की पत्तियां (या एक ग्रीन टी बैग)
  • एक कप गर्म पानी
  • शहद
  • नींबू

उपयोग की विधि:

  • 5-10 मिनट के लिए ग्रीन टी के पत्तों को उबलते गर्म पानी में भिगोएं।
  • फिर इसे छानकर एक कप में डाल दें और इसमें नींबू व शहद मिला लें।
  • उसके बाद गर्मा-गर्म चाय की चुस्कियों का आनंद लें।
  • इसे दिन में एक से दो बार पिया जा सकता है।

कैसे है फायदेमंद:

ग्रीन टी के सेवन से पित की पथरी का उपचार हो सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक मेडिकल रिसर्च के मुताबिक, ग्रीन टी में मौजूद कैटेचिन नामक कंपाउंड पित्ताशय के कैंसर या पित्ताशय की पथरी के विकास से जुड़े जोखिम को कम करने का काम कर सकता है (15)। इससे पित्त की पथरी से कुछ हद तक राहत मिल सकती है।

12. कॉफी

सामग्री :

  • एक चम्मच कॉफी पाउडर
  • एक कप पानी
  • आधा कप दूध (वैकल्पिक)

उपयोग की विधि:

  • सबसे पहले पानी को गर्म कर लें।
  • फिर उसमें कॉफी पाउडर को अच्छे से मिलाएं।
  • अब गर्मा-गर्म ब्लैक कॉफी का मजा लें।
  • इसमें दूध भी मिला सकते हैं।
  • प्रतिदिन एक या दो कप कॉफी पी सकते हैं।

कैसे है फायदेमंद:

शोध में यह बात सामने आई है कि दिन में एक कप कॉफी पीने से पित्ताशय की थैली की समस्याओं को कम किया जा सकता है। यह पित्त की पथरी को रोकने में मदद कर सकता है। जो लोग एक दिन में करीब दो कप कॉफी का सेवन करते हैं, उनमें पित्ताशय की पथरी का खतरा 4 प्रतिशत तक कम हो सकता है। वहीं, जो लोग चार से ज्यादा कप कॉफी पीते हैं, उनमें पित्त की पथरी का खतरा 45 प्रतिशत तक कम हो सकता है (16)। अगर किसी को पित्ताशय की पथरी की समस्या है, तो कॉफी उसमें यह असरदार है या नहीं, इसका अभी तक कोई सटीक प्रमाण नहीं है।

13. विटामिन-सी

सामग्री:

  • एक विटामिन-सी कैप्सूल

उपयोग की विधि:

  • पानी के साथ कैप्सूल का सेवन करें।
  • डॉक्टर की सलाह पर प्रतिदिन एक विटामिन-सी कैप्सूल का सेवन कर सकते हैं।

कैसे है फायदेमंद:

एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक वैज्ञानिक शोध की मानें, तो विटामिन-सी पित्ताशय की पथरी को उत्पन्न होने से रोकने में मदद कर सकता है। इस शोध के अनुसार, विटामिन-सी कोलेस्ट्रॉल की क्रिया को बढ़ाने का काम कर सकता है, जिससे पित्त में पथरी नहीं बन पाती है (5)। अगर कोई विटामिन-सी कैप्सूल लेने का सोच रहा है, तो पहले एक बार डॉक्टर से जरूर बात करें।

14. मूली

सामग्री :

  • एक मूली
  • आधा कप पानी

उपयोग की विधि:

  • मूली को छील कर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।
  • मूली के ताजे रस को बनाने के लिए थोड़े से पानी के साथ इसे मिलाएं।
  • फिर इसका सेवन करें।
  • दिनभर में पांच से छह बड़े चम्मच पिएं। छोटी पथरी के लिए पूरे दिन में एक या दो चम्मच रस का सेवन करें।

कैसे है फायदेमंद:

जरूरी नहीं कि मूली सभी को पसंद आए, क्योंकि कुछ लोगों को मूली पसंद नहीं होती। इसके बावजूद, यह पित्त की पथरी के लिए अच्छा घरेलू उपाय है। मूली, विशेष रूप से काली मूली कोलेस्ट्रॉल से होने वाली पित्त की पथरी के उपचार में मदद कर सकती है (17)। अगर किसी को मूली का जूस नहीं पसंद, तो वो मूली को सलाद की तरह भी खा सकता है, लेकिन ध्यान रहे कि इसका सेवन नियंत्रित मात्रा में ही करना है।

15. इसबगोल (Psyllium)

सामग्री :

  • एक चम्मच इसबगोल पाउडर
  • एक गिलास पानी

उपयोग की विधि:

  • एक गिलास पानी में एक चम्मच इसबगोल मिलाएं।
  • फिर इसका सेवन करें।
  • हर रोज या हर दूसरे दिन रात को सोने से पहले इसका सेवन करें।

कैसे है फायदेमंद:

पित्त की पथरी के लिए असरकारी घरेलू उपचार के तौर पर इसबगोल का उपयोग किया जा सकता है। इस संबंध में किए गए एक वैज्ञानिक से पता चलता है कि इसबगोल में फाइबर की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो पित्त की पथरी को कम करने का काम कर सकता है (18)। इससे पीड़ित को कुछ हद तक राहत मिल सकती हैं।

अभी बाकी है जानकारी

इस लेख के अगले भाग में हम पित्ताशय की पथरी के लिए डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए, इस बारे में बताएंगे।

पित्ताशय की पथरी के लिए डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए?

अगर कोई पित्त की पथरी से ग्रसित है और उनमें ये लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें (2)

  • पेट के ऊपरी हिस्से में तीव्र दर्द होने पर।
  • त्वचा का पीला पड़ना या आंखों का सफेद होना दिखाई देने पर।

अब हम पित्ताशय की पथरी का निदान कैसे किया जा सकता है, इस बारे में जानकारी देंगे।

पित्ताशय की पथरी का निदान – Diagnosis of Gallbladder Stone in Hindi

अगर किसी को पित्ताशय में तेज दर्द हो रहा हो, तो पित्ताशय की पथरी का निदान करने के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट कर सकते हैं। नीचे हम कुछ ऐसे ही परीक्षणों के बारे में बता रहे हैं, जो आमतौर पर डॉक्टरों द्वारा पित्ताशय की पथरी का पता लगाने के लिए किए जाते हैं (2):

  • पेट का अल्ट्रासाउंड (Abdominal ultrasound) – इसमें आसानी से छोटी पित्त पथरी का पता लगाया जा सकता है।
  • पेट का सीटी स्कैन (Abdominal CT scan) – पित्ताशय की पथरी के कारण होने वाले नुकसान और संक्रमण का पता लगाने के लिए।
  • एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलएंजियोपैन्क्रीआटोग्राफी (Endoscopic Retrograde Cholangiopancreatography) – यह टेस्ट पित्त नलिकाओं में रुकावट पैदा करने वाले पत्थरों का पता लगाने के लिए होता है। इस टेस्ट के दौरान पित्ताशय की पथरी को हटाया भी जा सकता है।
  • कोलेसिंटेग्राफी या गॉलब्लैडर रेडियोन्यूक्लाइड स्कैन (Cholescintigraphy or gallbladder radionuclide scan) – यह टेस्ट बंद नलिकाओं और सूजन का पता लगाने के लिए किया जाता है।
  • एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड यह एक प्रकार का इमेजिंग टेस्ट है। इसकी मदद से पाचन तंत्र के अंदर और आसपास के अंगों को देखा जा सकता है (19)
  • पर्क्यूटेनियस ट्रांसहेपैटिक कोलेजनियोग्राम (PTCA)- इससे पित्त नलिकाओं का एक्स-रे लिया जाता है। इसमें ट्यूब की मदद से पित्त को लीवर से पित्ताशय और फिर छोटी आंत तक ले जाया जाता है (20)

मजेदार है न जानकारी

चलिए, अब जानते है पित्ताशय की पथरी का इलाज किस तरह से किया जा सकता है।

पित्ताशय की पथरी का इलाज – Treatment of Gallbladder Stone in Hindi

पित्त की थैली में स्टोन का इलाज के लिए कई तरह के डॉक्टरी इलाज की सुविधा है, जिनके बारे में हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं (2)

  1. सर्जरी गंभीर मामलों में पित्ताशय की पथरी से राहत पाने के लिए सर्जरी की जा सकती है। जब तक इस समस्या के शुरुआती लक्षण दिखाई नहीं देते, तब तक सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है। इसके लिए दो तरीके को अपनाया जा सकता है।
  • लेप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टोमी इसमें एक छोटे सर्जिकल चीरे के माध्यम से समस्या का हल किया जा सकता है, जिससे पीड़ित जल्दी ठीक हो सकता है।
  • कोलेसिस्टेक्टोमी इस तकनीक के माध्यम से पित्त की पथरी को हटाया जा सकता है, लेकिन इस तकनीक का उपयोग अब कम हो गया है।
  1. दवाइयां कोलेस्ट्रॉल पित्त पथरी की समस्या से छुटकारा पाने के लिए दवाइयों का उपयोग किया जा  सकता है। इन दवाइयों से पथरी से निजात पाने में 2 साल या उससे अधिक समय लग सकता है और दवाई का इस्तेमाल बंद होने के बाद पथरी की समस्या फिर से हो सकती है। इसके लिए डॉक्टर ही उचित दवाई बता सकते हैं।
  2. लिथोट्रिप्सी इसमें पित्ताशय की थैली को इलेक्ट्रॉनिक शॉक वेव दिया जाता है। इसे इलेक्ट्रॉनिक मसाज भी कहा जा सकता है, जिससे पित्त की पथरी का इलाज हो सकता है।

बने रहें हमारे साथ

लेख के अगले भाग में हम पित्ताशय की पथरी में लिए जाने वाले आहार के बारे में बता रहे हैं।

पित्ताशय की पथरी में आहार – Diet for Gallbladder Stone in Hindi

पित्त की पथरी का इलाज तब और असरदार हो सकता है, जब इस दौरान खान-पान का सही तरीके से ध्यान रखा जाए। लेख के इस भाग में जानिए कि पित्त की पथरी में किन खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।

  • उन खाद्य पदार्थों का सेवन न करें, जिनमें कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक हो, बल्कि उन खाद्य पदार्थों को चुनें, जिनमें फाइबर ज्यादा मात्रा में हो (21)
  • खाना बनाने के लिए ऑलिव ऑयल या केनोला ऑयल का उपयोग कर सकते हैं। ये स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हो सकते हैं।
  • लो फैट डेयरी उत्पादों का सेवन करें।
  • खाने में ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियों का सेवन करें। इससे कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का खतरा कम होगा और शरीर स्वस्थ रहेगा। लाल शिमला मिर्च भी अपने डाइट में शामिल करें, जिसमें विटामिन-सी होता है, जो पित्ताशय की पथरी की समस्या से राहत दिलाने के लिए जरूरी है।
  • मसूर की दाल को भी डाइट में शामिल किया जा सकता है।

नोट: हमेशा याद रखें कि पित्ताशय की पथरी में डाइट अहम है। साथ ही अगर किसी को पित्त की पथरी की समस्या नहीं है, तो इसके खतरे से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियों का सेवन करें।

चलिए जानते हैं कि पित्ताशय की पथरी में क्या नहीं खाना चाहिए।

पित्ताशय की पथरी में क्या नहीं खाना चाहिए – Foods to avoid in Gallbladder Stone in Hindi

कुछ खाद्य पदार्थ के सेवन से पित्ताशय की पथरी और कई अन्य शारीरिक समस्या उत्पन्न कर सकती है, उनमें इस तरह के आहार शामिल हैं:

  • ज्यादा तले-भूने खाद्य पदार्थ या बाहरी खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें।
  • ज्यादा फैट या कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
  • अंडे का या मांसाहारी खाने का सेवन कम करें।
  • एसिडिक खाद्य पदार्थ जैसे टमाटर व संतरे का उपयोग कम करें।
  • ज्यादा मसाले वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें।
  • सब्जियां जैसे – फूलगोभी व शलजम से दूर रहें।
  • सोडा या शराब जैसे पेय पदार्थों का सेवन न करें।

अभी बाकी है जानकारी

आइए, अब जानते हैं पित्ताशय की पथरी से बचाव के उपाय के बारे में।

पित्ताशय की पथरी से बचाव के उपाय – Prevention Tips For Gallbladder Stone in Hindi

पित्त की पथरी को रोकने के लिए अपने जीवनशैली में कुछ बदलाव करने की जरूरत होती है, ताकि इस समस्या को पनपने से रोका जा सके।

  • जिनका वजन अधिक होता है, उन्हें पित्त की पथरी होने की आशंका ज्यादा होती है। ऐसे में वजन को कम करके पित्त की पथरी को होने से रोका जा सकता है (2)
  • फलों और हरी सब्जी के सेवन से इस समस्या से बचा जा सकता है।
  • पित्त की पथरी को उत्पन्न होने से रोकने के लिए नियमित रूप से योग और व्यायाम करना चाहिए।
  • सही समय पर खाना और सोना भी इस समस्या को दूर रख सकता है।

पित्ताशय की पथरी से घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि वक्त रहते पित्त की पथरी के लक्षण पर ध्यान देकर उपचार करना जरूरी है। अगर कोई भी इस समस्या से परेशान हैं, तो ऊपर दिए गए पित्त की पथरी के लिए असरकारी घरेलू उपचार की मदद ले सकते हैं। ध्यान रहे कि ऊपर दिए गए पित्त की पथरी के घरेलू उपाय पथरी के शुरुआती लक्षणों के लिए हैं। अगर समस्या ज्यादा हो, तो बिना देर करते हुए डॉक्टर से इलाज करवाएं। इसके अलावा, अगर इस लेख में बताई गई किसी भी सामग्री से एलर्जी है, तो उसका उपयोग न करें और डॉक्टर से सलाह लें।

लेख के अंतिम भाग में हम इस समस्या के संबंध में पूछे जाने वाले पाठकों के सवाल लेकर आए हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

पित्ताशय की पथरी का दर्द कहां होता है ?

पित्ताशय की थैली का दर्द पेट के ऊपरी या ऊपरी-दाएं हिस्से में होता है (2)

पित्ताशय की थैली क्या करती है?

पित्ताशय की थैली हमारे पाचन प्रक्रिया का अहम हिस्सा है। यह नाशपाती के आकार की होती है, जो लिवर के पीछे होती है। यह लिवर द्वारा स्रावित कोलेस्ट्रॉल-युक्त पित्त को जमा करती है। पित्त का काम खाद्य पदार्थों से वसा को अवशाेषित करने में शरीर की मदद करना है (22)

क्या पित्ताशय की पथरी लिवर को नुकसान पहुंचा सकती है?

जब पित्त नलिकाओं में पित्त पथरी जमा होने लगती है, तो लिवर से पित्ताशय में पित्त का प्रवाह बाधित हो सकता है। नतीजतन, लिवर में अधिक पित्त जमा होने लग सकता है और लिवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है। यह सिरोसिस का भी कारण बन सकता है। यह ऐसी स्थिति होती है, जिसमें लिवर खराब हो सकता है (23)

पित्त की पथरी के ऑपरेशन के बाद पीठ दर्द से राहत कैसे पाएं?

पित्ताशय की थैली की सर्जरी के बाद पीठ में दर्द होना आम है। यह दर्द वक्त के साथ-साथ धीरे-धीरे कम हो सकता है। इस दर्द को कम करने के लिए एक साधारण गर्म सेक का उपयोग कर सकते हैं। अगर दर्द कुछ हफ्तों के बाद भी कम नहीं होता है और बेचैनी पैदा करता है, तो बिना देर करते हुए अपने डॉक्टर से मिलें। यह ऑपरेशन के बाद होने वाली कुछ समस्याओं का संकेत हो सकता है।

पित्त की थैली की पथरी यानी गाल ब्लैडर स्टोन का पता लगाने के लिए कौन से टेस्ट हैं?

पित्ताशय की पथरी का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई स्कैन, एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलएंजियोपैन्क्रीआटोग्राफी और कोलेसिंटेग्राफी या गॉलब्लैडर रेडियोन्यूक्लाइड स्कैन किया जा सकता है। इन टेस्ट के बारे में ऊपर विस्तार से भी बताया गया है (2)

क्या पित्ताशय की पथरी को बाहर निकाल सकते हैं?

जी हां, घरेलू या डॉक्टरी इलाज के मदद से पित्ताशय की पथरी को बाहर निकाला जा सकता है।

पित्त पथरी को ठीक होने में कितना समय लगता है?

पित्त की पथरी को ठीक होने में कई हफ्ते या महीने लग सकते हैं। यह इसे ठीक करने के तरीके पर और प्रत्येक मरीज के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।

पित्ताशय की थैली में पथरी होने पर क्या होता है?

पित्ताशय की थैली में पथरी होने पर बहुत दर्द हो सकता है (2)

क्या नींबू का रस पित्त पथरी को नष्ट कर सकता है?

जी हां, नींबू का रस पित्त पथरी को नष्ट करने में मदद कर सकता है (4)

क्या पीने का पानी पित्त की पथरी को बाहर करने में मदद कर सकता है?

जी हां, पीने का पानी कुछ हद तक पित्त की पथरी को बाहर निकालने में मदद कर सकता है। इसके लिए पानी का ड्यूरेटिक प्रभाव मदद करता है।

क्या बिना सर्जरी के पित्ताशय की पथरी निकल सकती हैं?

जी हां, ऊपर बताए गए घरेलू उपचार से पित्ताशय की पथरी निकल सकती है।

क्या अदरक पित्त पथरी को भंग कर सकता है?

जी हां, अदरक पित्ताशय की थैली से पित्त के उत्पादन और स्राव में सुधार कर पथरी को नष्ट कर सकता है (24)

References

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  3. Could these be gallstones
    https://www.thelancet.com/journals/lancet/article/PIIS0140-6736(05)66373-8/fulltext
  4. Gallstones-dissolving capacity of lemon (Citrus limon) juice, Herniaria hirsuta L.extract and lemon juice-based natural vinaigrette in vitro
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  6. The Physiological Effects of Dandelion (Taraxacum Officinale) in Type 2 Diabetes
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    https://medlineplus.gov/ency/article/003820.htm
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  22. How does the gallbladder work
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK279386/
  23. Definition & Facts for Gallstones
    https://www.niddk.nih.gov/health-information/digestive-diseases/gallstones/definition-facts
  24. Ginger (Zingiber officinale)-An elixir of life a review
    http://www.thepharmajournal.com/archives/2017/vol6issue11/PartA/6-10-50-234.pdf

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Dr. Zeel Gandhi is an Ayurvedic doctor with 7 years of experience and an expert at providing holistic solutions for health problems encompassing Internal medicine, Panchakarma, Yoga, Ayurvedic Nutrition, and formulations.

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Saral Jain
Saral Jainहेल्थ एंड वेलनेस राइटर
सरल जैन ने श्री रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, राजस्थान से संस्कृत और जैन दर्शन में बीए और डॉ.

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