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गर्भावस्था की योजना बनाना अपने आप में ही एक अहम और बड़ी जिम्मेदारी होती है। इस दौरान नीतिबद्ध तरीके से जहां कुछ प्लानिंग की जरूरत होती है, तो वहीं कुछ जरूरी बातों व सावधानियों का भी ध्यान रखना होता है। इसी वजह से मॉमजंक्शन आपको गर्भावस्था की प्लानिंग से जुड़ी जानकारी दे रहा है। यहां बेबी प्लानिंग के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स दिए गए हैं।

सबसे पहले पढ़ें कि प्रेगनेंसी की प्लानिंग क्या होती है।

प्रेगनेंसी प्लानिंग किसे कहते हैं?

प्रेगनेंसी प्लानिंग उस फैसले को कहते हैं, जो परिवार को आगे बढ़ाने के लिए लिया जाता है। इससे स्वस्थ गर्भधारण को सुनिश्चित करके हेल्दी बच्चे को जन्म देने की संभावना बढ़ाई जा सकती है (1)इस दौरान महिला डॉक्टर से मुलाकात करके यह सुनिश्चित करती है कि उसका शरीर मां बनने के लिए तैयार है या नहीं। साथ ही किस उम्र में माता-पिता बनना है, कितने बच्चे प्लान करने हैं और बच्चों के बीच कितनी उम्र का गैप होना चाहिए, इन बातों को प्रेगनेंसी प्लानिंग के दौरान तय किया जाता है।

इतना ही नहीं, बच्चे के जन्म के बाद रिश्तों में कैसे बदलाव हो सकते हैं और इससे निजी या सामाजिक कार्य पर कैसा प्रभाव पड़ेगा, इन पर भी विचार करने का समय मिलता है। यही वजह है कि बच्चा चाहे पहला हो या दूसरा-तीसरा ही क्यों न हो, हर बार गर्भावस्था की योजना बनानी चाहिए।

कपल्स को गर्भावस्था की योजना क्यों करनी चाहिए, अब हम इस पर प्रकाश डालेंगे।

गर्भावस्था की प्लानिंग करना क्यों महत्वपूर्ण है?

अगर प्लानिंग के जरिए परिवार नियोजन या गर्भावस्था की प्लानिंग की जाए, तो इससे न सिर्फ 32 प्रतिशत मातृ मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। साथ ही करीब 10 प्रतिशत शिशु मृत्यु दर को भी रोका जा सकता है। इस तथ्य का जिक्र एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफोर्मेशन) की रिसर्च में भी मिलता है (2)। ऐसे ही अन्य कारण, जिनके चलते गर्भावस्था प्लानिंग को महत्वपूर्ण माना गया है, उनके बारे में आगे पढ़िए।

  1. सही उम्र तय करना गर्भावस्था की प्लानिंग करने से महिलाएं इच्छानुसार और स्वास्थ्य के आधार पर गर्भधारण करने की सही उम्र तय कर सकती हैं।
  1. आर्थिक खर्चों की योजना बनानाप्रेगनेंसी की प्लानिंग करने से दंपत्ती भविष्य में अपने बढ़ने वाले आर्थिक खर्चों के लिए बेहतर योजना बना सकते हैं। इससे उन्हें अपने भविष्य के लिए सेविंग प्लान और खर्च को संतुलित करने का पूरा समय मिल सकता है।
  1. मां बच्चे का स्वास्थ्यगर्भावस्था की प्लानिंग से मां और बच्चे के स्वास्थ्य को सुनिश्चित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, अगर मां को कोई शारीरिक समस्या है, जैसे कि मधुमेह, मोटापा या गुर्दे या हृदय से जुड़ी समस्या, तो उसका उचित उपचार करके प्रेगनेंसी प्लानिंग की जा सकती है। ऐसा करने से न सिर्फ मां स्वस्थ रहेगी, बल्कि आने वाले नन्हे मेहमान भी स्वस्थ होगा।
  1. खुद की देखभाल गर्भावस्था के चरणों के दौरान महिला शारीरिक व मानसिक रूप से कई तरह की स्थितियों व भावनाओं से गुजरती है (3)। ऐसे में अगर प्रेगनेंसी की प्लानिंग की जाती है, तो महिला इन बदलावों को लेकर जागरूक हो सकती है। इससे गर्भावस्था से पहले, उसके दौरान और प्रसव के बाद खुद का सही से ध्यान रख सकती है।
  1. सही जानकारी गर्भावस्था कई उतार-चढ़ाव से होकर गुजरती है (4)। इसके बारे में अधिकांश महिलाों को जानकारी नहीं होती। ऐसे में अगर पूरी योजना के साथ गर्भावस्था की प्लानिंग की जाए, तो इससे जुड़ी सही जानकारी एकत्रित करके हर ट्राइमेस्टर में सावधानी बरती जा सकती है।
  1. प्रसव का तरीकास्वास्थ्य के हिसाब से गर्भावस्था की प्लानिंग करने से बच्चे को जन्म देने का तरीका भी चुना जा सकता है। कुछ महिलाएं सिजेरियन, तो कुछ नॉर्मल डिलीवरी की चाह रखती हैं। ऐसे में प्रेगनेंसी की प्लानिंग उसी के अनुसार की जा सकती है।

आगे पढ़ें बेबी प्लानिंग टिप्‍स, जिनपर गर्भावस्था धारण करने से पहले गौर करना जरूरी है।

10+ बेबी प्लानिंग के लिए महत्वपूर्ण टिप्स | Pregnancy Planning Tips In Hindi

यहां हम बेबी प्लानिंग से जुड़े कुछ जरूरी टिप्‍स बता रहे हैं, जिनसे गर्भावस्था को स्वस्थ्य और सुखद बनाने में मदद मिल सकती है।

1. अपने शरीर को तैयार करना

महिला को सबसे पहले खुद को शारीरिक रूप से गर्भावस्था के लिए तैयार करना चाहिए। इससे महिला का स्वास्थ्य तो अच्छा रहेगा साथ ही स्वस्थ बच्चे को जन्म देने की संभावना भी बढ़ जाती है (1)। इस दिशा में सबसे पहले महिला को गर्भ निरोधकों दवाओं या तरीकों के इस्तेमाल को बंद करना होगा। इसके बाद उन्हें अपने ओवुलेशन यानी डिंबोत्सर्जन चक्र की निगरानी करनी होगी। ऐसा करने से वो यह जान पाएंगी कि गर्भधारण करने के लिए हर महीने सबसे सही दिन कौन-से होंगे। इसके लिए कई तरह के फोन एप्स भी उपलब्ध हैं, जिनकी मदद महिलाएं ले सकती हैं।

2. डॉक्टर से मिलें

गर्भधारण करने से पहले डॉक्टर से मिलें। डॉक्टर वर्तमान स्वास्थ्य के साथ ही पारिवारिक स्वास्थ्य से जुड़े सवाल कर सकते हैं। इससे यह जानने में मदद मिलेगी कि गर्भ में शिशु का स्वास्थ्य कितना स्थिर रहेगा। इसके अलावा, पारिवारिक मेडिकल हिस्ट्री से भविष्य में बच्चे के स्वास्थ्य से जुड़े जोखिम को जानने व उसके प्रबंधन में मदद मिल सकती है। इस दौरान डॉक्टर निम्नलिखित परीक्षण करवाने और मौजूदा चीजों में बदलाव की सलाह दे सकते हैं (5) :

  • रक्त परीक्षण कराने की सलाह।
  • महिला के स्वास्थ्य के आधार पर डॉक्टर जरूरी टीका लगवाने के लिए कह सकते हैं।
  • डॉक्टर वर्तमान में ली जा रही दवाओं की जानकारी लेकर उसमें बदलाव करने की सलाह दे सकती है।
  • क्रोनिक (पुरानी) बीमारियां कितनी सामान्य या स्थिर हैं, इसकी पुष्टि कर सकते हैं।
  • अगर महिला का वजन अधिक या कम है, तो स्वास्थ्य चिकित्सक उचित व स्वस्थ वजन बनाए रखने को कह सकते हैं।

3. बुरी आदतों को छोड़ना

गर्भावस्था की योजना सफल बनानी है, तो प्रेगनेंसी से पहले धूम्रपान, शराब या अन्य तरह के नशीले पदार्थों का सेवन पूरी तरह से बंद कर दें। इस तरह की आदत गर्भावस्था में परेशानी का कारण बन सकती है। साथ ही गर्भपात का जोखिम भी बढ़ा सकती है। ये जोखिम किस तरह के हो सकते हैं, यह नीचे विस्तार से पढ़ें (5)

  • गर्भावस्था के दौरान अल्कोहल का सेवनयह गर्भ में पल रहे शिशु को हानि पहुंचा सकता है। इससे बच्चे में बौद्धिक अक्षमता, व्यवहार संबंधी समस्याओं, सीखने की कमजोर क्षमता, शारीरिक विकृति व हृदय रोगों का जोखिम हो सकता है।
  • गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करना इससे बच्चे का वजन सामान्य से कम हो सकता है। इसके अलावा, यह प्रसव के बाद रिकवरी में बाधा उत्पन्न कर सकता है।

4. कैफीन का सेवन सीमित करें

अगर कोई महिला प्रेगनेंसी की प्लानिंग कर रही है, तो चाय या कॉफी पीने की आदत को कम करना होगा। उन्हें दिनभर में 2 कप से अधिक कैफीन या कैफीन युक्त अन्य पेय पदार्थ जैसे कि सोडा का सेवन नहीं करना चाहिए। गर्भावस्था में कैफीन या कैफीन युक्त सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन करने से गर्भपात का जोखिम बढ़ सकता है (5)

5. आर्थिक स्थिरता की योजना

जाहिर है कि घर में नए मेहमान के आने से परिवार के सदस्यों की संख्या बढ़ जाएगी। साथ ही आर्थिक जरूरतों में भी इजाफा होगा। इसके अलावा, मां के स्वास्थ्य की देखरेख व समय-समय पर दवाओं के खरीदने से भी आर्थिक खर्चे बढ़ सकते हैं। इसी वजह से प्रेगनेंसी प्लानिंग में आर्थिक स्थिरता की योजना को भी जरूर शामिल करें। इसके लिए इन बिंदुओं पर गौर कर सकते हैं।

  • स्वास्थ्य बीमा अगर किसी गंभीर शारीरिक समस्या का इलाज चल रहा है, तो इस तरह के बीमा आर्थिक तौर पर फायदेमंद हो सकते हैं। इसके अलावा, बीमा से जुड़ी नीतियों को भी समझें। बीमा कंपनी से इस बारे में भी बात करें कि इससे प्रसव के दौरान होने वाले खर्च कवर होंगे या नहीं।
  • मातृत्व और पितृत्व अवकाश और भुगतान नौकरीपेशा माता-पिता को अपने-अपने संस्थानों में मातृत्व व पितृत्व अवकाश से जुड़ी नीतियों के बारे में जानना चाहिए। इस दौरान इसका पता लगा सकते हैं कि गर्भावस्था के दौरान व प्रसव के बाद उन्हें कितने समय तक का अवकाश व भुगतान मिल सकता है।
  • बचत योजना बनाएं पहले से ही आर्थिक बचत योजना बना लें, ताकि आपात स्थिति में आर्थिक तौर पर कम से कम परेशानी का सामना करना पड़े। इसके लिए आप किसी पेशेवर की भी सलाह ले सकते हैं।
  • फिजूलखर्च करेंबच्चे के आने की खुशी में फिजूलखर्ची से बचें। जन्म से पहले बच्चे के लिए उतने ही खिलौने, कपड़े या अन्य वस्तुएं खरीदें, जिनकी आवश्यकता जन्म के तुरंत बाद हो।

6. जरूरी दवा का ही सेवन

प्रेगनेंसी की प्लानिंग करने से पहले सभी अनावश्यक दवाओं या सप्लीमेंट्स का सेवन भी सीमित करना चाहिए। कुछ दवाओं से बच्चे में जन्म दोष का जोखिम बढ़ सकता है (1)। ऐसे में प्रेगनेंसी की योजना के दौरान महिला को किस तरह की दवा का सेवन जारी रखना चाहिए और किन दवाओं का सेवन बंद करना चाहिए, इस बारे में डॉक्टर से उचित सलाह लें। इससे यह निर्धारित करने में आसानी होगी कि कौन सी दवा स्वस्थ गर्भावस्था व शिशु के लिए जोखिम भरी नहीं है (5)

7. बीमारियों से जुड़ा पारिवारिक इतिहास

माता-पिता या परिवार से जुड़े अन्य सदस्यों की कुछ बीमारियां बच्चे को भी हो सकती हैं (5)। इसके अलावा, गर्भपात, शिशु मृत्यु, गर्भधारण में परेशानी या पिछली गर्भावस्था में कोई आनुवंशिक या जन्म दोष जैसी स्थितियों का सामना किया हो, तो डॉक्टर से चर्चा करें (1)। ऐसा करने से आनुवांशिक या जीन से जुड़ी बीमारी से बच्चे को बचाया जा सकता है।

8. पोषक तत्वों से युक्त आहार

गर्भधारण करने से पहले शरीर को स्वस्थ बनाए रखना चाहिए। इसके लिए संतुलित आहार का सेवन लाभकारी होता है। ऐसे में महिला को आहार में किन चीजों को शामिल और किन से परहेज करना चाहिए, इससे जुड़ी जानकारी नीचे बताई गई है (5)

क्या खाएं

  • दैनिक आहार में टूना मछली शामिल करें। ध्यान रखें कुछ समुद्री मछलियों में पारा होता है, जिस वजह से उनका सेवन कम से कम करना चाहिए। इसके लिए एक सप्ताह में 3 सर्विंग्स लगभग 4 औंस यानी आधा कप टूना मछली का सेवन करना सुरक्षित हो सकता है।

क्या खाएं

  • बिना कैलोरी युक्त खाद्य न खाएं।
  • आर्टिफिशियल शुगर युक्त आहार न खाएं।
  • कैफीन का सेवन कम से कम करें।
  • शार्क और टाइलफिश जैसी बड़ी समुद्री मछलियों का सेवन न करें।

9. तनाव से दूर रहें

बेबी प्लानिंग से पहले तनाव से दूरी बनाए रखें। अगर इस दौरान तनाव महसूस होता है, तो तनाव कम करने के उपाय अपनाएं। भरपूर आराम भी करें। साथ ही स्वास्थ्य चिकित्सक से तनाव दूर करने वाली तकनीक की जानकारी ले सकते हैं (5)। आगे हम तनाव कम करने के उपाय बता रहे हैं।

  • रिलैक्सेशन तकनीक अपनाएंतनाव होने पर हृदय गति और सांस लेने की दर बढ़ सकती है और रक्त वाहिकाओं के पतले होने से रक्त प्रवाह धीमा हो सकता है। इससे पाचन, सिरदर्द व नींद संबंधी विकार होने का खतरा रहता है। वहीं, रिलैक्सेशन तकनीक तनाव वाले हार्मोन का स्तर घटा सकती है, जिससे तनाव से जुड़े विभिन्न लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है (6)
  • संगीत सुनेंएनसीबीआई के एक शोध में यह बताया गया है कि संगीत सुनकर भी मानसिक तनाव को दूर किया जा सकता है (7)ऐसे में अगर प्रेगनेंसी की प्लानिंग के दौरान महिला को तनाव होता है, तो वह अपना मनपसंद संगीत सुनकर तनाव दूर करने के उपाय अपना सकती है।

10. एक्सरसाइज करना

गर्भधारण करने से पहले नियमित रूप से एक्सरसाइज करना भी अच्छा हो सकता है। इसके लिए सप्ताह में कम से कम 5 दिन 30 मिनट के लिए ब्रिक्स (Brisk) यानी तेज गति वाले व्यायाम किए जा सकते हैं। इससे शरीर को गर्भावस्था और प्रसव के दौरान होने वाले सभी परिवर्तनों से निपटने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा, अन्य सुरक्षित व्यायाम कौन से हैं, इस बारे में स्वास्थ्य चिकित्सक से परामर्श ले सकते हैं (5)

11. फोलिक एसिड का सेवन

सीडीसी (सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन) के अनुसार, गर्भावस्था की योजना बना रही महिलाओं को कम से कम एक महीने पहले और गर्भावस्था के दौरान, प्रतिदिन 400 मिलीग्राम फोलिक एसिड का सेवन करना चाहिए। फोलिक एसिड विटामिन-बी का एक रूप है, जो शिशु को मस्तिष्क व रीढ़ से जुड़े जन्म दोष से बचाव कर सकता है (1)। ध्यान रखें, इस दौरान विटामिन-ए, डी, ई और के जैसे किसी भी विटामिन का सेवन अधिक नहीं करना चाहिए। इनकी अधिकता बच्चे में जन्मदोष का जोखिम बढ़ा सकती है (5)

12. विषाक्त व जहरीले पदार्थों से बचें

पर्यावरण में मौजूद हानिकारक केमिकल, जैसे कि सिंथेटिक केमिकल, मेटल, कीटनाशक स्प्रे या दवाई और बिल्ली व अन्य जानवरों के मल के संपर्क में आने से बचें। इससे प्रजनन प्रणाली पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। कई बार ये पदार्थ गर्भवती होने की प्रक्रिया में भी हस्तक्षेप कर सकते हैं (1)। इससे बचाव करने के लिए ऐसे केमिकल युक्त स्थानों में न जाएं। अगर घर में पालतू जानवर हैं, तो उनके साथ सावधानी से खेलें और खेलने के बाद अपने हाथों को अच्छे से साफ करें।

13. स्वस्थ वजन

गर्भावस्था में अधिक वजन और मोटापे से हृदय रोग, टाइप-2 मधुमेह, गर्भाशय, स्तन व पेट के कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है। अगर महिला गर्भावस्था से पहले अंडरवेट है, तो इससे भी कई तरह की शारीरिक समस्याओं का जोखिम बढ़ता है। ऐसे में गर्भावस्था की योजना में स्वस्थ शारीरिक वजन बनाने के विकल्प को शामिल करना चाहिए (1) इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करें और मोटापा होने या कम वजन होने के पीछे के कारणों को समझकर उसका उचित उपचार करवाएं।

14. समय पर सोएं और पूरी नींद लें

नींद में गड़बड़ी का असर सीधे महिला के स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसके कारण न सिर्फ मासिक धर्म चक्र में परिवर्तन होता है, बल्कि गर्भावस्था और प्रजनन क्षमता की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है। शोध बताते हैं कि नींद में कमी होने से तनाव बढ़ता है, जो प्रजनन क्षमता को घटा सकता है (8)। यही वजह है कि प्रेगनेंसी प्लानिंग टिप्स में समय पर सोना और पूरी नींद लेने को भी शामिल किया गया है।

प्रेगनेंसी प्लानिंग को लेकर हर कपल को गंभीर होना चाहिए। जैसे कि हम ऊपर बता ही चुके हैं कि इससे जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने में मदद मिलती है। साथ ही बेबी प्लानिंग टिप्‍स से प्रेगनेंसी के दौरान और बाद में आने वाली सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए दंपत्ति खुद को तैयार कर सकते हैं। बस तो प्रेगनेंसी प्लानिंग को हल्के में लेने के बजाए इस बारे में गंभीरता से सोचना शुरू कर दें

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