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गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। इस दौरान मां और गर्भ में पल रहे नन्हे मेहमान को अच्छे पोषण की जरूरत होती है। वहीं, कुछ गर्भवती महिलाएं धार्मिक महत्व के चलते व्रत रखती हैं। अब ऐसे में यह अहम सवाल है कि क्या गर्भवती महिला को उपवास रखना चाहिए या नहीं। अगर गर्भवती महिला व्रत रखती है, तो उसे किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। मॉमजंक्शन का यह लेख इसी विषय पर है। यहां आप जानेंगे कि गर्भावस्था के दौरान उपवास रखना एक गर्भवती महिला को किस प्रकार प्रभावित कर सकता है और इसके लिए किन-किन तैयारियों की जरूरत पड़ सकती है।

आइए, सबसे पहले जानते हैं कि गर्भावस्था के दौरान उपवास रखने से किसी प्रकार का जोखिम हो सकता है या नहीं।

क्या गर्भावस्था के दौरान उपवास करना सुरक्षित है? | Pregnancy Me Upwas

प्रेगनेंसी में उपवास रखना सुरक्षित है या असुरक्षित, यह पूरी तरह से गर्भवती के स्वास्थ्य और गर्भावस्था की स्थिति पर निर्भर करता है। कुछ मामलों में गर्भावस्था के दौरान उपवास रखना डिलीवरी के समय शिशु के स्वास्थ्य और उसकी बढ़ती उम्र के साथ उसके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है (1), (2) इसके अलावा, कुछ चिकित्सकीय परिस्थितियों जैसे जेस्टेशनल डायबिटीज (ब्लड शुगर का सामान्य से अधिक होना) की जांच के लिए गर्भवती को उपवास रखना पड़ सकता है (3)। वहीं, स्वस्थ गर्भवती महिला के लिए कुछ हद तक व्रत रखना सुरक्षित हो सकता है (4)। साथ ही गर्भावस्था के दौरान व्रत रखना कितना सुरक्षित है, इस संबंध में अभी और वैज्ञानिक शोध की जरूरत है।

नोटगर्भावस्था के दौरान व्रत रखने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।

आइए, अब तीनों तिमाहियों के दौरान उपवास रखने के बारे में जानते हैं।

पहली तिमाही के दौरान उपवास

पहली तिमाही के दौरान उपवास रखना सुरक्षित नहीं माना जा सकता है। पहली तिमाही में उपवास रखने से गर्भस्थ शिशु का वजन कम हो सकता है, जो जन्म के समय शिशु के वजन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। एक वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार, गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान जिन महिलाओं ने उपवास नहीं रखा था, डिलीवरी के समय उनके शिशु का वजन, उपवास रखने वाली महिलाओं के शिशु की तुलना में अधिक था (5)

दूसरी तिमाही के दौरान उपवास

वैसे तो गर्भावस्था के दौरान उपवास करने की सलाह नहीं दी जा सकती है, लेकिन दूसरी तिमाही के दौरान डॉक्टर की सलाह पर उपवास किया जा सकता है। एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, दूसरी तिमाही में डॉक्टर की सलाह पर व्रत रखने वाली महिलाओं पर ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस का प्रभाव नजर नहीं आया। साथ ही भ्रूण के विकास और जन्म के समय शिशु का वजन भी प्रभावित नहीं हुआ (6)। एक अन्य वैज्ञानिक रिपोर्ट के मुताबिक, दूसरी तिमाही के दौरान व्रत रखने वाली गर्भवती महिलाओं में प्रीटर्म डिलीवरी (निर्धारित समय से पहले बच्चे का जन्म) का खतरा भी बढ़ सकता है (7)। इसलिए, ध्यान दें कि डॉक्टर की सलाह के बिना उपवास न रखें।

तीसरी तिमाही के दौरान उपवास

तीसरी तिमाही के दौरान उपवास करने के बारे में विचार किया जा सकता है। दरअसल, तीसरी तिमाही में व्रत रखने से शिशु के विकास पर कम असर पड़ता है (8) फिर भी व्रत रखने से पहले डॉक्टरी परामर्श जरूरी है।

आइए, अब जानते हैं कि गर्भावस्था के दौरान उपवास के लिए किस प्रकार की तैयारी की जरूरत है।

गर्भावस्था के दौरान उपवास के लिए खुद को कैसे तैयार करना चाहिए?

गर्भावस्था के दौरान उपवास से पहले इन चीजों को सुनिश्चित करना जरूरी है:

  • डॉक्टर से जांच करवा कर सुनिश्चित करें कि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या तो नहीं, ताकि गर्भावस्था में उपवास रखने के दौरान आपको परेशानी न हो।
  • धूम्रपान और अल्कोहल से दूर रहें।
  • व्रत रखने से पहले पर्याप्त पानी पिएं, ताकि शरीर में पानी की कमी न हो।
  • प्रत्येक समयांतराल पर फलों का सेवन करें।
  • मसालेदार खाद्य सामग्री से दूर रहें।
  • उपवास से पहले अच्छी नींद लें।

नोट डॉक्टर की सलाह के बिना व्रत रखने से बचें।

लेख के इस भाग में बताया जाएगा कि प्रेगनेंसी में उपवास रखते समय किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।

प्रेगनेंसी में उपवास रखते वक्त इन बातों का ध्यान रखें

प्रेगनेंसी में उपवास रखने के दौरान निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:

  • डॉक्टर की सलाह पर बताए गए निर्देशों का पालन करें।
  • अगर आपके धर्म में फल और इनके जूस का सेवन करने की अनुमति दी जाती है, तो आप इनका सेवन कर सकती हैं।
  • अगर आप उपवास के दौरान पानी का सेवन कर सकती हैं, तो उसे पीते रहें।
  • आपके धर्म में अगर कुछ खाद्य पदार्थों को खाने की सलाह दी जाती है, तो उनका सेवन करें।
  • लंबी दूरी तक न टहलें।
  • उपवास रखते समय स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी समझ आए, तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।

आइए, लेख के इस भाग में जानते हैं कि गर्भावस्था के किस समय में उपवास बंद कर देना चाहिए।

गर्भावस्था में उपवास करना कब बंद करना चाहिए?

गर्भावस्था के दौरान निम्नलिखित स्थितियों में उपवास करना बंद किया जा सकता है, लेकिन इस संबंध में कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है:

  • सिरदर्द या चक्कर आने पर।
  • उल्टी या डायरिया जैसी समस्या होने पर।
  • पेट में बच्चे की हलचल में कमी महसूस होने पर।
  • यूरीन के रंग में अचानक बदलाव या जलन होने पर।
  • बहुत थकान महसूस होने पर।
  • कब्ज की स्थिति हो जाने पर।

नोट बताए गए लक्षणों के अलावा अगर कोई और स्वास्थ्य समस्या हो, तो उपवास बंद करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

आगे हम बता रहे हैं कि उपवास रखने के क्या-क्या नकारात्मक परिमाण हो सकते हैं।

गर्भावस्था के दौरान उपवास के दुष्प्रभाव

गर्भावस्था के दौरान उपवास रखने से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। उसे बारे में हम नीचे क्रमवार तरीके से बता रहे हैं (9):

  • जन्म के समय शिशु का वजन कम हो सकता है।
  • मां को दस्त, उल्टी और चक्कर आ सकते हैं।
  • मधुमेह का सामना करना पड़ सकता है।
  • सिजेरियन डिलीवरी की आशंका बढ़ जाती है।
  • भ्रूण की सांस लेने की गति कम हो सकती है।
  • लेबर पैन बढ़ सकता है।
  • नवजात को ICU (इंटेंसिव केयर यूनिट) में भर्ती कराने की नौबत आ सकती है।

आइए, अब उपवास तोड़ने के सही तरीके के बारे में भी जान लेते हैं।

गर्भावस्था में उपवास तोड़ने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?

यहां हम कुछ ऐसी तरीके बता रहे हैं, जो गर्भवती महिला के लिए लाभदायक साबित हो सकते हैं। फिर भी बेहतर होगा कि इस संबंध में एक बार डॉक्टर व आहार विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

  • सबसे पहले केवल हल्के पेय पदार्थ पिएं। जल्दबाजी में एक साथ ज्यादा मात्रा में खाने या पीने के बारे में न सोचें।
  • फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें और थोड़ा-थोड़ा खाएं (10)
  • चीनी, चाय व कोल्ड ड्रिंक्स आदि के जरिए उपवास तोड़ने से बचें।
  • भोजन में फलियों या दाल को प्राथमिकता दी जा सकती है।

आइए, अब उपवास के कुछ विकल्पों के बारे में भी बात कर लेते हैं।

उपवास करने की जगह अपनाएं ये वैकल्पिक तरीकें

आप उपवास रखने की जगह इन तरीकों को अपना सकती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहतर हैं।

  • रोजाना उपवास करने के बजाय हफ्ते में किसी एक दिन उपवास किया जा सकता है।
  • धार्मिक व्रत के स्थान पर दान आदि किया जा सकता है।
  • पूर्ण उपवास रखने की जगह फलोपवास का विकल्प चुना जा सकता है।
  • डॉक्टर की सलाह पर पहले और आखिरी दिन व्रत रखा जा सकता है।
  • संभव हो तो गरीबों को भोजन आदि करवा सकते हैं।
  • लगभग हर धर्म का यही मानना है कि अगर आप स्वस्थ हैं और उपवास रखने की हालत में हैं, तो ही व्रत करें। इसके लिए आप अपने धर्मगुरु से राय भी ले सकती हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए उपवास संबंधी नियमों को लेकर लगभग सभी धार्मिक परंपराएं भी कठोर नहीं हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

नोटये सवाल व उनके उत्तर किसी धर्म व आस्था को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से नहीं दिए गए हैं।

क्या गर्भवती महिलाओं को रमजान के दौरान उपवास रखना चाहिए?

यह पूरी तरह से आपके स्वास्थ्य व डॉक्टर पर निर्भर करता है। अगर डॉक्टर आपके स्वास्थ्य को देखते हुए रमजान में उपवास नहीं रखने की सलाह देते हैं, तो गर्भवती महिला को व्रत रखने से बचना चाहिए। हां, गर्भावस्था के पूर्ण होने के बाद महिलाएं उपवास रख सकती हैं (2)

क्या नवरात्र के दौरान गर्भवती महिलाओं को उपवास रखना चाहिए?

नवरात्री के दौरान गर्भवती महिलाओं को उपवास रखना चाहिए कि नहीं, इस पर अभी पर्याप्त वैज्ञानिक शोध उपलब्ध नहीं है। फिर भी बेहतर यही होगा कि आप डॉक्टर की सलाह पर ही व्रत रखें। अगर संभव हो, तो सभी नौ दिन व्रत रखने की जगह पहले या आखिरी नवरात्र पर ही व्रत रखें।

मैं उलझन में हूं कि मुझे उपवास करना चाहिए या नहीं। मुझे क्या करना चाहिए?

एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, अगर आपका स्वास्थ्य सही है और शरीर में किसी भी पोषक तत्व की कमी नहीं है, तो डॉक्टर की सलाह पर उपवास रखना सही है। इससे भ्रूण के स्वास्थ्य, उसके विकास और जन्म के बाद शिशु के बौद्धिक विकास पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। वहीं, अगर स्वास्थ्य ठीक नहीं है, तो गर्भवती महिला को उल्टी, डायरिया और जन्म के समय शिशु का कम वजन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही गर्भावस्था के दौरान मधुमेह और सिजेरियन डिलीवरी जैसी स्थिति पैदा हो सकती है (9)

हम उम्मीद करते हैं कि इस लेख में दी गई जानकारी से आपको लाभ होगा। कोशिश करें कि पूर्ण रूप से व्रत रखने की जगह फल आदि का सेवन करके व्रत रखा जाए। साथ ही इस दौरान अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखें और कोई भी समस्या होने पर तुरंत अपने परिवार के सदस्य को सूचित करें। वहीं, व्रत रखने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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