विषय सूची
प्रेगनेंसी के दौरान मां और बच्चे के स्वास्थ्य की चिंता सभी को होती है। यही कारण है कि लगभग हर महीने गर्भवती महिला का रूटीन चेकअप होता है। ऐसे में डॉक्टर द्वारा कई प्रकार के ब्लड टेस्ट और स्कैन्स कराने की सलाह दी जाती है। इन्हीं में से एक टेस्ट है सीएसटी (CST) यानी कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट। संभव है कि कुछ लोगों को इस टेस्ट के बारे में पता हो, लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी होंगे जिन्हें इसके बारे में कोई जानकारी न हो। ऐसे ही लोगों को ध्यान में रखते हुए मॉमजंक्शन के इस लेख से हम गर्भावस्था में सीएसटी (CST) टेस्ट से जुड़ी सभी जरूरी बातें बता रहे हैं।
आइए, सबसे पहले कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट क्या है, इस बारे में जान लेते हैं।
कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट क्या है? | Contraction Stress Test In Hindi
सीएसटी गर्भावस्था के तीसरी तिमाही में होने वाला टेस्ट है, जो प्रसव के दौरान होने वाले गर्भाशय के संकुचन का बच्चे की हृदय गति पर पड़ने वाले असर को जांचने में मदद करता है। दरअसल, प्रसव पीड़ा मां के लिए जितनी कष्टदायक होती है, उतनी ही शिशु को थका देने वाली प्रक्रिया हो सकती है। इसे सीधे तौर पर समझें, तो प्रत्येक संकुचन का मतलब है, बच्चे को थोड़ी देर के लिए कम रक्त और ऑक्सीजन मिलना। चूंकि, प्रसव एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, इसलिए अधिकतर शिशुओं को इस प्रक्रिया के दौरान कोई परेशानी नहीं होती है, लेकिन कुछ शिशुओं के लिए प्रसव प्रक्रिया कठिन समय हो सकता है। ऐसे ही बच्चों के लिए डॉक्टर सीएसटी टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट से पता चलता है कि संकुचन के तनाव पर बच्चे की हृदय गति कैसे प्रतिक्रिया कर सकती है। इस टेस्ट को यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि बच्चा जन्म के दौरान संकुचन का कितनी अच्छी तरह से सामना कर सकेगा (1) (2)। इस टेस्ट में कार्डियोटोकोग्राफ का उपयोग कर शिशु की हृदय गति की भी जांच की जा सकती है।
लेख के अगले भाग में हम इस टेस्ट को कब किया जाता है, इस सवाल का जवाब देंगे।
कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट कब किया जाता है?
कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट, गर्भावस्था की तीसरी तिमाही (34वें हफ्ते) में किया जाता है (1) (2)। इसके अलावा, यह नीचे दिए गए कारणों से भी किया जा सकता है (3) :
- अगर हाइपरटेंसिव डिसऑर्डर हो यानी ब्लड प्रेशर से संबंधित समस्या।
- इंट्रा-यूट्रीन ग्रोथ रिटार्डेशन से जुड़ी परेशानी होने पर।
- अगर प्रसव की ड्यू डेट निकल चुकी हो या गर्भावस्था 42वें हफ्ते में पहुंच गई हो।
- जेस्टेशनल डायबिटीज के मामलों में या किसी भी कारण से भ्रूण का मूवमेंट कम होने पर कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट किया जाता है।
सीएसटी क्यों किया जाता है?
जब बच्चे के स्वास्थ्य की जांच के लिए किए जाने वाले एनएसटी (Non-stress Test) के बाद रिपोर्ट नॉर्मल न आए, तो कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट किया जा सकता है। यह टेस्ट इस बात को निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि बच्चा स्वस्थ है या नहीं। साथ ही इस टेस्ट में यह भी देखा जाता है कि बच्चा गर्भवती के प्रसव पीड़ा के दौरान होने वाले संकुचन का सामना अच्छी तरह से कर सकेगा या नहीं। साथ ही टेस्ट के दौरान बच्चे की हृदय गति पर भी ध्यान दिया जाता है (1) (2) (4)।
लेख के इस भाग में हम जानेंगे कि कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट से पहले क्या-क्या तैयारियां करने की जरूरत हो सकती है।
आपको टेस्ट के लिए क्या तैयारी करने की आवश्यकता है?
टेस्ट से पहले कुछ तैयारियां की जा सकती हैं, जिसके बारे में हम नीचे जानकारी दे रहे हैं:
- इस टेस्ट को खाली पेट नहीं किया जाता है। इसलिए डॉक्टर आपको खा पीकर आने की सलाह दे सकते हैं।
- टेस्ट के शुरू होने से पहले डॉक्टर यूरिन पास करने को कहें, ताकि ब्लैडर खाली हो जाए।
- आपको एक सहमति फॉर्म पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा जाएगा, जो कहता है कि आप परीक्षण के जोखिमों को समझते हैं और इसे पूरा करने के लिए सहमत हैं।
- हमेशा याद रखें कि जो भी समस्या हो अपने डॉक्टर से उस बारे में बात करें। खासतौर पर टेस्ट से पहले टेस्ट से संबंधित और अपनी स्थिति से संबंधित सारी बातों को डॉक्टर के साथ साझा करें।
अब बारी आती है इस टेस्ट को करने की प्रक्रिया के बारे में जानने की। लेख के इस भाग में हम इसी बारे में जानकारी दे रहे हैं।
कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट (CST) कैसे किया जाता है?
यह टेस्ट कुछ इस प्रकार किया जा सकता है (2) (4):
- गर्भवती के पेट के चारों ओर दो बेल्ट लगाए जाते हैं। एक बेल्ट बच्चे के दिल की धड़कन को मापने में मदद करती है और दूसरी संकुचन की स्थिति पर नजर रखने में।
- साथ ही एक मॉनीटर का उपयोग किया जाता है, जिसमें भ्रूण की हलचल और प्रतिक्रिया को देखा जा सकता है।
- संकुचन को ट्रिगर करने के लिए डॉक्टर महिला को पिटोसिन नाम का हार्मोन दे सकते हैं। यहां हम बता दें कि पिटोसिन, ऑक्सीटोसिन हार्मोन का एक सिंथेटिक प्रकार है, जिसे डॉक्टर इस प्रक्रिया के दौरान गर्भाशय में संकुचन पैदा करने के लिए इस्तेमाल में लाते हैं। प्रसव के दौरान शरीर ऑक्सीटोसिन खुद पैदा करता है।
अब सवाल यह उठता है कि कॉन्ट्रैक्शन टेस्ट के दौरान गर्भवती को कैसा महसूस हो सकता है। आइए, जानते हैं।
कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट (CST) के दौरान कैसा महसूस होता है?
कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट के दौरान अधिकांश महिलाओं को हल्की असुविधा या हल्का संकुचन महसूस हो सकता है, लेकिन जरूरी नहीं कि दर्द का एहसास हो (2)।
लेख के इस भाग में हम कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट के जोखिम पर ध्यान देंगे।
इस प्रक्रिया के जोखिम क्या हैं?
जैसे कि ऊपर जानकारी दी गई है कि संकुचन को ट्रिगर करने के लिए गर्भवती को हॉर्मोन्स का इंजेक्शन दिया जा सकता है (2)। ऐसे में, यह बहुत अधिक गर्भाशय संकुचन पैदा कर सकता है, जिससे प्रसव पीड़ा शुरू हो सकती है (4)। हालांकि, डॉक्टर इस बात का ध्यान रखते हैं और ऑक्सीटोसिन सावधानी से देते हैं। यदि टेस्ट के दौरान अधिक संकुचन पैदा कर रहा हो, तो इसे रोक दिया जाता है।
नोट : अगर किसी महिला को इस टेस्ट की सलाह दी गई है, तो इस बारे में महिला अपने डॉक्टर से पूरी जानकारी ले सकती हैं। डॉक्टर भी टेस्ट से पहले महिला को सभी जानकारियों से अवगत कराते हैं।
अब जान लेते हैं कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट के परिणाम के बाद क्या किया जा सकता है।
कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट (CST) के परिणाम का क्या मतलब है?
कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट के परिणाम तुरंत मिल जाते हैं। यदि कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट यानी संकुचन के बाद बच्चे की हृदय गति धीमी हो जाती है, तो प्रसव के दौरान बच्चे को समस्या हो सकती है। यदि परिणाम असामान्य (abnormal) हो, तो डॉक्टर गर्भवती को डिलीवरी के लिए अस्पताल में भर्ती कर सकता है (2)। टेस्ट के परिणाम के आधार पर ही डॉक्टर आगे क्या करना है, इस बारे में बता सकते हैं।
लेख के इस भाग में हम गर्भावस्था में सीएसटी टेस्ट के लागत के बारे में जानकारी देंगे।
कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट (CST) की लागत क्या है?
इस टेस्ट की लागत 1800 से 2000 रुपये तक हो सकती है। यह लागत शहर और हॉस्पिटल के हिसाब से कम या ज्यादा हो सकती है।
अब बारी आती है कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट और नॉन स्ट्रेस टेस्ट के बीच के अंतर को समझने की।
कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट vs नॉन स्ट्रेस टेस्ट
नीचे पढ़ें कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट और नॉन स्ट्रेस टेस्ट के बीच क्या अंतर है (2) (4) (5) :
कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट (CST) | नॉन स्ट्रेस टेस्ट (NST) |
---|---|
भ्रूण की हृदय गति गर्भाशय के संकुचन के अनुसार रिकॉर्ड की जाती है। | इसमें भ्रूण पर किसी प्रकार का दवाब नहीं पड़ता है। भ्रूण के मूवमेंट के अनुसार उसकी हृदय गति को मापा जाता है। |
इसमें ऑक्सीटोसिन का उपयोग कर गर्भाशय के संकुचन को शुरू कराया जाता है। | इस प्रक्रिया में गर्भाशय के संकुचन को ट्रिगर नहीं किया जाता है। |
इस प्रक्रिया में प्रसव पीड़ा होने का जोखिम हो सकता है। | इसमें कोई जोखिम नहीं है, यह सुरक्षित है। |
इसमें अगर टेस्ट के परिणाम नेगेटिव हैं, तो यह नॉर्मल है और अगर पॉजिटिव है तो चिंता की बात है। | इसमें टेस्ट का परिणाम रिएक्टिव है, तो इसका मतलब सामान्य है और अगर नॉन-रिएक्टिव है, तो चिंता की बात हो सकती है। |
यह महंगा और थोड़ा असुविधाजनक हो सकता है। | यह बजट में है और आसानी से होने वाला टेस्ट है। |
गर्भावस्था के दौरान गर्भवती और शिशु दोनों की नियमित जांच होते रहना जरूरी है। कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट गर्भावस्था के दौरान होने वाले जांच का हिस्सा है। हालांकि आजकल कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट का चलन नहीं है लेकिन एनएसटी बेहद जरूरी होता है। एनएसटी का प्रेग्नेंसी में बहुत ही अहम रोल होता है। इसलिए, इस बारे में अपने डॉक्टर से ज्यादा से ज्यादा जानकारी लें और खुद को तैयार रखें। साथ ही गर्भावस्था के दौरान होने वाले हर जांच को नियमित रूप से कराते रहें और अपने बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में जानें व रिकॉर्ड रखें। सबसे जरूरी बात, हमेशा खुश रहें। प्रेगनेंसी से जुड़ी अन्य जानकारी पाने के लिए पढ़ते रहें मॉमजंक्शन।
References
2. Monitoring your baby before labor By Medlineplus
3. Contraction Stress Test for Antepartum Fetal Evaluation By NCBI
4. Prenatal Test: Contraction Stress Test By KidsHealth
5. Nonstress Testing and Perinatal Outcome By NCBI
Community Experiences
Join the conversation and become a part of our vibrant community! Share your stories, experiences, and insights to connect with like-minded individuals.