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एक महिला के लिए मातृत्व सुख से बढ़कर कोई भी सुख नहीं होता है। वहीं, इस सुख की अनुभूति से पहले और बाद में उन्हें कई प्रकार के मानसिक और शारीरिक कष्ट भी उठाने पड़ते हैं। शिशु के जन्म के बाद भी मां को कई शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं और बवासीर उनमें से एक है।

मॉमजंक्शन के इस लेख में हम डिलीवरी के बाद होने वाली बवासीर के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। इसके अलावा, प्रसव के बाद महिला में बवासीर के लक्षण क्या होते हैं, इसके बारे में भी जानेंगे। सबसे पहले इस लेख में जानते हैं कि बवासीर क्या है?

बवासीर क्या है?

बवासीर ऐसी चिकित्सकीय स्थिति है, जिसमें गुदा (Anus) के अंदरूनी और बाहरी क्षेत्र व मलाशय (Rectum) के निचले हिस्से की नसों में सूजन आ जाती है। इसकी वजह से मलत्याग के दौरान दर्द होता है या फिर खून भी निकल सकता है (1)। आमतौर पर प्रसव के बाद बवासीर की शिकायत उन महिलाओं को होती है, जिनकी डिलिवरी नॉर्मल होती है। प्रसव के बाद गुदा में दर्द, खुजली और रक्त स्राव बवासीर के लक्षण होते हैं (2)। मेडिकल भाषा में इसे हेमरॉयड्स कहते हैं और अंग्रेजी में पाइल्स कहा जाता है। नीचे जानिए बवासीर के प्रकार –

मुख्य रूप से बवासीर तीन प्रकार के होते हैं (3):

  1. आंतरिक हेमरॉयड्स (Internal Hemorrhoid) – गुदा के भीतर होने वाले बवासीर को आंतरिक बवासीर कहते हैं। हालांकि, इसमें दर्द नहीं होता है, लेकिन इसकी वजह से रक्त स्राव होता रहता है।
  1. प्रोलैप्स हेमरॉयड्स (Prolapse Hemorrhoid) – यह भी आंतरिक बवासीर का ही एक प्रकार है, लेकिन यह बहुत गंभीर होता है। इसमें शौच के बाद अक्सर गुदा की नसें बाहर लटकने लगती हैं।
  1. बाह्य हेमरॉयड्स (External Hemorrhoid) – यह छोटी गांठ के समान होता है और गुदा के आस-पास लटकता रहता है।

क्या प्रसव के बाद हर महिला को बवासीर होती है? इसका जवाब हम आगे दे रहे हैं।

क्या प्रसव के बाद बवासीर होना आम है? | Delivery Ke Baad Bawaseer

हालांकि, यह समस्या आम नहीं है, लेकिन अधिकतर महिलाओं के इसकी चपेट में आनी की आशंका रहती है। नार्मल डिलीवरी (vaginal delivery) में इसके होने की आशंका ज्यादा होती है। नार्मल डिलीवरी में बच्चे को योनी मार्ग से बाहर निकाला जाता है, जिससे महिला में हार्मोनल परिवर्तन आते हैं और कई मामलो में पेट के निचले हिस्से में दवाब बढ़ जाता है, जो बवासीर की समस्या का कारण बन सकते हैं (4)

आइए, अब बवासीर होने के मुख्य कारणों की भी पड़ताल कर लेते हैं।

बच्चे के जन्म के बाद बवासीर के कारण क्या हैं?

डिलीवरी के बाद बवासीर के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से मुख्य इस प्रकार हैं :

  • प्रसव के समय जोर लगाने के दौरान गुदा पर असर पड़ता है, जिसकी वजह से बवासीर हो सकती है (5)
  • डिलीवरी के बाद कब्ज की समस्या आम बात है, जो बवासीर का कारण बन सकती है (5)
  • गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन (एक प्रकार का हार्मोन) अधिक बढ़ जाता है, जिसकी वजह से गुदा की नसें सूज जाती है और बवासीर की समस्या हो सकती है (6)
  • प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भाशय का आकार बढ़ जाता है, जो बवासीर का कारण बन सकता है (6)

कारणों के साथ-साथ हमारे लिए यह जानना भी जरूरी है कि बवासीर की पहचान कैसे की जाए।

बच्चे के जन्म के बाद बवासीर के लक्षण क्या हैं?

प्रसव के बाद महिला में बवासीर के लक्षण भी साधारण बवासीर के लक्षणों के समान ही होते हैं। इसके बारे में हम नीचे बता रहे हैं (7):

  • गुदा के पास जलन, खुजली या सूजन होना
  • शौच के समय दर्द
  • मल के साथ या बाद में खून निकलना
  • गुदा द्वार पर एक या एक से अधिक गांठ होना
  • बैठने में तकलीफ

नोट: अगर आपको ऊपर लिखे लक्षण दिखें, तो आप तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें और परामर्श लें।

आगे हम बता रहे हैं कि बवासीर की जांच किन-किन तरीकों से की जा सकती है।

गर्भावस्था के बाद बवासीर का निदान

डिलीवरी के बाद बवासीर का इलाज संभव है, लेकिन उससे पहले इसका निदान आवश्यक है। आमतौर पर बाह्य बवासीर का पता लगाने के लिए किसी विशेष प्रकार के उपकरण की आवश्यकता नहीं होती है, इसे सामान्य आंखों से भी देखा जा सकता है, लेकिन आंतरिक बवासीर का पता लगाने के लिए नीचे बताई जा रही विधियों का प्रयोग किया जाता है।

एनोस्कॉपी जांच – इस जांच के अंतर्गत डॉक्टर एनोस्कॉपी विधि का प्रयोग करते हैं। इस विधि में एनोस्कॉप (एक प्रकार की ट्यूब, जिसमें लाइट लगी होती है) से आंतरिक बवासीर का पता लगाया जाता है (8)

डिजिटल जांच – अगर विजुअल जांच से भी बात नहीं बनती है, तो डॉक्टर डिजिटल जांच के माध्यम से आंतरिक बवासीर का पता लगाने की कोशिश करते हैं। इस प्रक्रिया में ग्लोव्ड (आंतरिक बवासीर की जांच करने का एक उपकरण) का सहारा लिया जाता है, जिसके माध्यम से गुदा के भीतर बनी गांठ और अन्य लक्षण का पता लगाया जाता है (9)

बवासीर के कारण, लक्षण और निदान के बाद अब हम बवासीर के उपचार के बारे में बताने जा रहे हैं।

प्रसव के बाद बवासीर का उपचार और दवा

प्रसव के बाद बवासीर को कम करने के लिए बाजार में कई तरह की दवाइयां उपलब्ध हैं, लेकिन इन दवाइयों के प्रभाव घातक भी हो सकते हैं। इसलिए, इस रोग का सटीक इलाज बहुत जरूरी है। बवासीर के उपचार के लिए डॉक्टर रोग के मौजूदा लक्षणों के आधार पर निम्नलिखित विधियों का उपयोग कर सकते हैं (10):

  1. रबर बैंड लिगेशन (Rubber band ligation)– इस विधि का इस्तेमाल डॉक्टर आंतरिक बवासीर के रक्त स्राव को रोकने के लिए करते हैं। इस प्रक्रिया में बवासीर की गांठ को एक खास प्रकार के रबर से बांधा जाता है, जिससे उसमें रक्त संचार बंद हो जाता है और वह सूख जाता है।
  1. स्क्लेरोथेरेपी (Sclerotherapy) – इस प्रक्रिया में डॉक्टर बवासीर की गांठ में रसायन युक्त इंजेक्शन लगाते हैं, जिससे गांठ सूख कर अलग हो जाती है ।
  1. इंफ्रारेड फोटोकोगुलेशन (Infrared photocoagulation) – इसका उपयोग ज्यादातर आंतरिक बवासीर के उपचार में किया जाता है, जिसमें इंफ्रारेड लाइट के माध्यम से बवासीर को अलग किया जाता है।
  1. इलेक्ट्रोकोगुलेशन (Electrocoagulation) – इस प्रक्रिया में बिजली की तरंगें प्रवाहित करने वाले खास उपकरण का उपयोग किया जाता है, जो बवासीर की गांठ तक रक्त संचार को बंद कर उसे ठीक करने में मदद करता है।

आर्टिकल के इस भाग में आप जानेंगे कि प्रसव के बाद बवासीर होने की आशंका को कैसे दूर किया जा सकता है।

प्रसव के बाद बवासीर होने से कैसे बचें?

अगर नीचे दी गई बातों का ध्यान रखा जाए, तो प्रसव के बाद बवासीर होने से बचा जा सकता है (10):

  • अधिक मात्रा में फाइबर युक्त आहार का सेवन करें।
  • अधिक मात्रा में पानी और डॉक्टर द्वारा बताए गए अन्य पेय पदार्थों का सेवन करें।
  • ज्यादा वजन उठाने से बचें।
  • ज्यादा देर तक टॉयलेट सीट पर न बैठें।

नोट : हालांकि, ऊपर लिखी बातों को ध्यान में रखकर बवासीर से बचा तो जा सकता है, लेकिन इस बारे में डॉक्टर से सलाह लेना और भी अच्छा होगा।

आइए, अब बवासीर से बचने के लिए जरूरी घरेलू उपचार भी जान लेते हैं।

प्रसव के बाद बवासीर के लिए घरेलू उपचार | Delivery Ke Baad Bawaseer Ka Ilaj

अगर आपको डिलीवरी के बाद बवासीर होती है, तो आप यहां बताए जा रहे इन घरेलू उपचार का इस्तेमाल कर सकते हैं :

  1. आइस पैक – प्रसव के बाद बवासीर से राहत दिलाने में आइस पैक कारगर साबित हो सकता है। सूजन कम करने के लिए बर्फ का इस्तेमाल सदियों से किया जा रहा है। इससे न सिर्फ बवासीर के दौरान होने वाली सूजन कम होगी, बल्कि जलन से भी राहत मिल सकती है (11)
  1. बकरी का दूध – बकरी के दूध में कैल्शियम और लिपिड जैसे तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, जो सूजन जैसे बवासीर के लक्षण को कम करने में सहायक हो सकते हैं (12) (13)
  1. हल्दी – बवासीर के इलाज के रूप में हल्दी भी उपयोगी साबित हो सकती है। इसमें एंंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो बवासीर के लक्षण जैसे सूजन और दर्द को कम कर सकते हैं। इसके अलावा, हल्दी एंटीसेप्टिक होती है, जो कीटाणुओं को मारने और घाव को जल्दी भरने का काम करती है (14)। इसे सरसों के तेल में मिलाकर बवासीर वाले स्थान पर लगाने से राहत मिल सकती है (15)
  1. प्याज – विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों से भरपूर प्याज से भी बवासीर का इलाज हो सकता है। प्याज एंटीइंफ्लेमेटरी गुण से समृद्ध होता है, जो बवासीर के लक्षण जैसे सूजन को कम करने में सहायक हो सकता है (16) बवासीर की स्थिति में प्याज के प्रयोग से फायदा हो सकता है (17)
  1. अनार का छिलका – अनार में एंंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और एंटीकार्सिनोजेन (anticarcinogenic) गुण होते हैं, जो विभिन्न प्रकार के रोगों से बचाते हैं। इसका जूस बवासीर में होने वाले सूजन को भी कम कर सकता है (18)
  1. काली सरसों और दही – बवासीर की समस्या से परेशान लोगों के लिए काली सरसों और दही भी लाभदायक हो सकते हैं। दही पाचन क्रिया को ठीक कर कब्ज से राहत दिलाती है और बवासीर के लिए मददगार साबित हो सकता है (19)। वहीं, सरसों का तेल बवासीर की गाठों को सुखाने में सहायक होता है, इसे रोजाना लगाने से बवासीर से राहत मिल सकती है (15)
  1. अदरक – विभिन्न शोध के मुताबिक अदरक सूजन और दर्द को दूर करने में कारगर साबित होता है। इस प्रकार यह बवासीर में होने वाले सूजन और दर्द से निजात दिला सकता है। इसके अलावा, अदरक में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर से विभिन्न प्रकार के हानिकारक तत्वों को बाहर निकालने में मदद करते हैं (20)
  1. स्टिज बाथ – गुदा में होने वाले दर्द से राहत पाने के लिए स्टिज बाथ (गुनगुने पानी में नितंबकों को डुबोकर बैठना) को सबसे सरल विकल्प माना जाता है। 10 से 15 मिनट तक स्टिज बाथ लेने से बवासीर की वजह से होने वाले दर्द से आराम मिल सकता है (10)
  1. गुदा को साफ रखें – अगर स्वच्छता का ध्यान रखा जाए, तो भी प्रसव के बाद बवासीर से बचा जा सकता है। नियमित रूप से गुनगुने पानी से गुदा के आस-पास की त्वचा को साफ करें। ऐसा करने से बवासीर के साथ ही अन्य संक्रमणों से भी बचा जा सकता है। हालांकि, इसे रगड़कर धोने से बचें, ऐसा करने से बवासीर के जख्म और भी बढ़ सकते हैं।
  1. फाइबर युक्त आहार – बवासीर का एक कारण कब्ज की समस्या है। इससे बचने के लिए फाइबर युक्त आहार का सेवन किया जा सकता है। फाइबर स्टूल को मुलायम बनाकर मल निकासी की प्रक्रिया को सरल बनाता है।

नोट : ऊपर लिखे नुस्खों को इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें और उनके दिशा-निर्देश में ही किसी भी प्रकार का घरेलू नुस्खा अपनाएं।

प्रसव के बाद बवासीर के लिए घरेलू उपचार के बारे में तो आप सभी ने जान लिया, अब वक्त है यह जानने का कि ऐसा होने पर डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?

डॉक्टर से कब मिलना है ?

प्रसव के बाद निम्नलिखित बवासीर के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए (5):

  • घरेलू उपचार के बाद भी गुदा से भारी रक्तस्राव।
  • गुदा की नसों में अकड़न और दर्द।
  • रक्तस्राव के साथ चक्कर या बेहोशी की स्थिति।

गर्भावस्था के दौरान या प्रसव के बाद बवासीर न हो, उसके लिए आप हमेशा संतुलित और पौष्टिक भोजन का सेवन करें। वहीं, अगर बवासीर हो भी जाए, तो घबराए नहीं और लेख में बताए गए घरेलू उपचारों का पालन शुरू कर दें। अगर घरेलू उपचार से भी बवासीर की स्थिति में सुधार नहीं आ रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अगर, इसका सही वक्त पर इस समस्या पर ध्यान देकर उपचार न किया गया, तो यह मां में एनीमिया रोग का कारण भी बन सकता है। उम्मीद है कि यह लेख प्रसव के बाद बवासीर से बचाव में आपके लिए मददगार साबित होगा। यह महत्वपूर्ण जानकारी है, जिसे आप अन्य महिलाओं के साथ साझा कर सकती हैं।

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