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किसी भी महिला के लिए मां बनना सबसे सुखद एहसास होता है। वहीं, इस दौरान गर्भवती को शारीरिक कष्ट से भी गुजरना पड़ता है। सबसे ज्यादा पीड़ा महिला को प्रसव के दौरान होती है। डिलीवरी के समय एक महिला को जितना दर्द होता है, उसका अंदाजा शायद ही कोई लगा सकता है। हालांकि, वर्तमान समय में इस दर्द को कम करने के लिए कई प्रकार की दवाओं का उपयोग किया जाने लगा है। इन्हीं दवाओं में से एक है – एपिड्यूरल। तो चलिए मॉमजंक्शन के इस लेख में हम आपको सरल भाषा में समझाते हैं कि एपिड्यूरल क्या है और इसका उपयोग कैसे किया जाता है।

आइए, सबसे पहले एपिड्यूरल के बारे में जान लेते हैं।

एपिड्यूरल क्या है?

एपिड्यूरल दर्द से राहत पाने का एक तरीका है। दरअसल, इसके अंतर्गत एनेस्थेटिक (पूरे शरीर या शरीर के किसी एक भाग को सुन्न करने वाली दवा) को इंजेक्शन के जरिए एपिड्यूरल स्पेस (रीढ़ का एक भाग) तक पहुंचाया जाता है, ताकि रीढ़ से मस्तिष्क तक पहुंचने वाले पेन सिग्नल्स (दर्द संकेतों) को रोका जा सके। इस प्रक्रिया का इस्तेमाल मुख्य रूप से कई तरह की सर्जरी के वक्त डॉक्टर द्वारा किया जाता है। इसके अलावा, प्रसव के दौरान भी इसका इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी जानकारी नीचे विस्तारपूर्वक दी गई है (1) (2)

स्क्रॉल करके पढ़ें गर्भावस्था में एपिड्यूरल इंजेक्शन कितना सुरक्षित है।

क्या गर्भावस्था के दौरान एपिड्यूरल इंजेक्शन लेना सुरक्षित है?

हां, गर्भावस्था के दौरान एपिड्यूरल इंजेक्शन लेना सुरक्षित माना जा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में बताया गया है कि प्रसव के दौरान होने वाले दर्द से राहत पाने के लिए एपिड्यूरल एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। लेकिन, इसका उपयोग केवल एक विकल्प के रूप किया जाना चाहिए। साथ ही इसके इस्तेमाल से पहले महिलाओं को इसके जोखिमों के बारे में जरूर पता होना चाहिए (3)। वहीं, किसी महिला को अगर एनेस्थीसिया से एलर्जी है या ब्लड क्लॉटिंग की समस्या है, तो ऐसी स्थिति में एपिड्यूरल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है (1)

अब हम बताएंगे कि एपिड्यूरल इंजेक्शन का इस्तेमाल कब किया जा सकता है।

एपिड्यूरल इंजेक्शन का उपयोग कब किया जाता है?

एपिड्यूरल इंजेक्शन का उपयोग थोरेसिक सर्जरी (Thoracic Surgery – हृदय, फेफड़े और छाती के अंगों में होने वाला ऑपरेशन), इंट्रा-एब्डोमिनल सर्जरी (Intra Abdominal Surgery – पेट से जुड़ी सर्जरी) या रीढ़ की सर्जरी (Spine Surgery) के दौरान दर्द को कम करने के लिए किया जाता है (2)। इसके अलावा, एपिड्यूरल इंजेक्शन को प्रसव पीड़ा के दौरान दर्द को कम करने के लिए भी इस्तेमाल में लाया जाता है (1)

आइए, अब जानते हैं कि गर्भावस्था के दौरान एपिड्यूरल का सुझाव क्यों दिया जाता है।

गर्भावस्था के दौरान एपिड्यूरल का सुझाव क्यों दिया जाता है?

गर्भावस्था के दौरान एपिड्यूरल का सुझाव प्रसव पीड़ा से राहत पाने के लिए दिया जाता है। दरअसल, बच्चे के जन्म के समय महिलाओं को होने वाली प्रसव पीड़ा का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। कुछ महिलाएं इस दर्द को बरदास्त कर पाती हैं, लेकिन कुछ महिलाओं को इस दर्द को सहन करने के लिए किसी कारगर दवा की जरूरत होती है। ऐसी स्थिति में इन महिलाओं को एपिड्यूरल का सुझाव डॉक्टर द्वारा दिया जाता है। वहीं, अगर किसी महिला को सी-सेक्शन करवाने की आवश्यकता होती है, तो भी एपिड्यूरल का उपयोग किया जा सकता है (1)। ध्यान रहे इसका इस्तेमाल पूरी तरह से डॉक्टर पर निर्भर करता है।

अब बारी है एपिड्यूरल इंजेक्शन के दुष्प्रभावों के बारे में जानने की।

गर्भावस्था के दौरान एपिड्यूरल इंजेक्शन के साइड इफेक्ट्स क्या हैं?

एपिड्यूरल इंजेक्शन के इस्तेमाल से कुछ दुष्प्रभाव भी सामने आ सकते हैं, जिन्हें नीचे विस्तारपूर्वक बताया गया है (1):

  • लो ब्लड प्रेशर : एपिड्यूरल के इस्तेमाल से 100 में से लगभग 14 महिलाओं को लो ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है, जिसके कारण चक्कर आना और मतली (जी मिचलाना) की शिकायत हो सकती है।
  • बुखार :  एपिड्यूरल के साइड इफेक्ट में बुखार आना भी शामिल है। इससे जुड़े एक शोध में बताया गया है कि एपिड्यूरल के उपयोग से 100 में से 23 महिलाओं को बुखार हो सकता है।
  • यूरिन संबंधी समस्या : एपिड्यूरल के इस्तेमाल से यूरिन से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती है। दरअसल, इससे जुड़े एक शोध में जिक्र मिलता है कि 100 में 15 महिलाओं को एपिड्यूरल के दौरान यूरिन पास करने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए महिलाओं को यूरिन कैथेटर (एक ट्यूब जिसका इस्तेमाल यूरिन पास करने और उसे इकट्ठा करने के लिए किया जाता है) की आवश्यकता पड़ सकती है।
  • पैरों में झुनझुनी : एपिड्यूरल की वजह से पैरों में झुनझुनी हो सकती है या फिर पैर सुन्न पड़ सकते हैं।
  • गंभीर सिर दर्द : अगर एपिड्यूरल इंजेक्शन बहुत गहरा चला जाए, तो वह रीढ़ की हड्डी के चारों ओर फैली सुरक्षात्मक परत (ड्यूरा) में छेद कर सकता है। इस कारण रीढ़ की हड्डी का तरल पदार्थ बाहर निकल सकता है, जो गंभीर सिर दर्द का कारण बन सकता है। यह कुछ दिनों तक रह सकता है। हालांकि, ऐसा बहुत कम मामलों में देखा गया है।

स्क्रॉल करके जानिए एपिड्यूरल इंजेक्शन के कुछ अन्य विकल्प।

क्या एपिड्यूरल इंजेक्शन के कुछ अन्य विकल्प भी हैं?

एपिड्यूरल के अलावा दर्द से राहत पाने के लिए कई अन्य विकल्प भी हैं। जिसे पेनकिलर कहा जाता है। यह महिला के पूरे शरीर को प्रभावित कर सकता है, जबकि एपिड्यूरल केवल उस हिस्से को प्रभावित करता है, जहां दर्द होता है। वहीं, पेन किलर के साइड इफेक्ट भी अधिक होते हैं। यही कारण है कि एपिड्यूरल के मुकाबले पेनकिलर पर कम भरोसा किया जाता है। नीचे हम कुछ पेन किलर का जिक्र कर रहे हैं (1) :

  • ओपियोड : ओपिओइड्स को मांसपेशियों के ऊतकों में इंजेक्ट किया जा सकता है या फिर रक्त में भी मिलाया जा सकता है। हालांकि, यह एपिड्यूरल के मुकाबले अधिक राहत नहीं पहुंचाता है। एक शोध के अनुसार, जिन महिलाओं को ओपिओइड्स दिया जाता है, उनमें से दो-तिहाई को इसके इस्तेमाल के एक या दो घंटे बाद गंभीर दर्द हो सकता है। इसके अलावा, उन्हें रक्तचाप, जी मिचलाना, उल्टी और झपकी की समस्या हो सकती है। शोध में बताया गया है कि इसकी खुराक जितनी अधिक होगी, उसके दुष्प्रभाव भी उतने ही अधिक होंगे।
  • लाफिंग गैस : दर्द से राहत पाने के लिए पेन किलर के तौर पर लाफिंग गैस का भी इस्तेमाल किया जाता रहा है। हालांकि, यह अन्य पेन किलर के मुकाबले विश्वसनीय नहीं है। इसका प्रभाव जितनी जल्दी पड़ता है, उतनी ही जल्दी खत्म भी हो जाता है। लाफिंग गैस (नाइट्रस ऑक्साइड) को ऑक्सीजन के साथ दिया जाता है। इसका इस्तेमाल कुछ देशों में अभी भी आम है। इसके इस्तेमाल से महिलाओं को उल्टी और मतली के अलावा झपकी या चक्कर आने की समस्या हो सकती है। शिशु के लिए इसके कोई साइड इफेक्ट सामने नहीं आए हैं, फिलहाल इसमें अभी और शोध किए जा रहे हैं।
  • अन्य विकल्प : इसके अलावा, अन्य दवाएं जैसे पेरासिटामोल, नॉन-स्टेरॉयडल एंटी इंफ्लेमेटरी दवाएं, या सीडेटिव (नींद की दवा) का उपयोग प्रसव के दौरान होने वाले दर्द से राहत पाने के लिए किया जा सकता है। लेकिन, ये सभी विकल्प एपिड्यूरल की तुलना में बहुत प्रभावी नहीं माने जाते हैं।

नोट : ऊपर बताए गए एपिड्यूरल इंजेक्शन के विकल्पों का उपयोग पूरी तरह से डॉक्टर पर निर्भर करता हैं, इसलिए अपनी मर्जी से इनका इस्तेमाल भूल से भी न करें।

आइये, जानते हैं इसकी आदर्श खुराक के बारे में।

गर्भवती होने पर एपिड्यूरल इंजेक्शन की आदर्श खुराक

जैसा कि हमने लेख में बताया कि प्रसव के दौरान होने वाले दर्द से राहत पाने के लिए एपिड्यूरल इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए, इसकी खुराक महिलाओं को होने वाले दर्द के आधार पर ही निर्धारित की जा सकती है। बता दें कि एपिड्यूरल इंजेक्शन केवल एक योग्य और कुशल डॉक्टर ही दे सकता है (4)। वहीं, प्रसव के दौरान इस इंजेक्शन की आदर्श खुराक से जुड़ा फिलहाल कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। इसलिए, इस बारे में सही-सही बता पाना थोड़ा मुश्किल है।

अब समझ लेते हैं कि एपिड्यूरल कैसे दिया जाता है।

एपिड्यूरल कैसे दिया जाता है?

एपिड्यूरल का इस्तेमाल एक योग्य डॉक्टर ही कर सकता है। इसके लिए वो निम्नलिखित तरीका इस्तेमाल कर सकता है (5) :

  • एपिड्यूरल इंजेक्शन लगाने के लिए पहले महिला को लेटने या फिर सीधा बैठने के लिए कहा जाता है।
  • फिर, डॉक्टर शरीर के उस हिस्से को साफ करते हैं, जहां इंजेक्शन लगाना है।
  • साफ करने के बाद उस हिस्से को सुन्न किया जाता है, जहां इंजेक्शन लगाना है।
  • इसके बाद डॉक्टर एक सूई की मदद से एक छोटी सी सॉफ्ट ट्यूब (कैथेटर) एपिड्यूरल स्पेस तक पहुंचाते हैं।
  • इसके बाद उस सुई को निकाल लिया जाता है।
  • फिर जरूरत पड़ने पर एपिड्यूरल इंजेक्शन कैथेटर के माध्यम से दिया जाता है।

चलिए अब एपिड्यूरल इंजेक्शन की कीमत के बारे में जान लेते हैं।

इसकी कीमत कितनी होती है?

भारत में एपिड्यूरल इंजेक्शन की औसतन कीमत 4 हजार से 8 हजार के बीच हो सकती है। हालांकि, अलग-अलग राज्यों में इसके दाम में बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इसलिए, इसका सटीक दाम बता पाना थोड़ा मुश्किल है।

उम्मीद करते हैं कि अब आप एपिड्यूरल इंजेक्शन के विषय में बहुत कुछ जान गई होंगी। प्रसव पीड़ा से राहत पाने के लिए इसे एक एक बेहतरीन उपाय माना जा सकता है, लेकिन इसका इस्तेमाल सभी महिलाओं पर नहीं किया जाता है। अगर आपको एनेस्थीसिया से एलर्जी है या फिर खून के थक्के जमने की समस्या है, तो डॉक्टर को इस विषय में जरूर बताएं, ताकि डॉक्टर अन्य सुरक्षित विकल्प का इस्तेमाल कर सकें। आशा करते हैं कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। आप चाहें, तो इस लेख को अन्य महिलाओं के साथ भी साझा कर सकती हैं।

स्वस्थ रहें खुश रहें।

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