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गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में अनेक प्रकार के परिवर्तन होते हैं, जिस वजह से उन्हें कई तरह की असुविधाओं से भी गुजरना पड़ता है। हिचकी आने की समस्या भी इन्हीं में से एक है। वहीं, कई महिलाएं प्रेगनेंसी में हिचकी आने पर चिंतित हो जाती हैं। उनकी इसी चिंता को दूर करने के लिए मॉमजंक्शन के इस लेख में हम गर्भावस्था के दौरान हिचकी आने से संबंधित जानकारी लेकर आए हैं। साथ ही यहां हम बताएंगे कि होने वाले बच्चे पर इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा हिचकियों से निजात पाने के उपाय भी यहां बताए गए हैं।
लेख की शुरुआत हम इसी सवाल से करते हैं कि प्रेगनेंसी में हिचकी आने का मतलब क्या है।
प्रेगनेंसी में हिचकी (hiccups) आने का क्या मतलब है?
एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, 36.6 प्रतिशत महिलाओं को गर्भावस्था में हिचकी आती है और यह गर्भावधि उम्र के साथ बढ़ सकती है (1)। इसका अनुभव गर्भावस्था की पहली और दूसरी तिमाही के दौरान होता है (2)। हालांकि, हिचकियां आना कोई गंभीर समस्या का विषय नहीं है। हां, इससे गर्भवती महिलाओं को थोड़ी असुविधा महसूस हो सकती है।
हिचकी आमतौर पर डायाफ्राम में समस्या उत्पन्न होने पर होती है (3)। बता दें कि डायाफ्राम गुंबद के आकार की मांसपेशी होती है जो, फेफड़ों के नीचे स्थित होती है (4)। लेख में आगे हमने प्रेगनेंसी में हिचकी आने के कारणों के बारे में विस्तार से चर्चा की है।
चलिए अब जरा गर्भावस्था में हिचकी आने के कारणों को समझ लीजिए।
गर्भावस्था के दौरान हिचकी के कारण
अगर हिचकी आने के कारणों की बात करें, तो बता दें कि जब डायाफ्राम पर दबाव पड़ता है, तो हिचकी की शिकायत हो सकती है। वहीं, गर्भावस्था भी हिचकी को ट्रिगर कर सकती है (5)। प्रेगनेंसी के दौरान हिचकी आने के कई कारण हैं, जिनकी चर्चा हम नीचे क्रमवार तरीके से कर रहे हैं :
- गर्भावस्था के दौरान हिचकी रिफ्लक्स की समस्या की वजह से हो सकती है (6)।
- हेलिकोबैक्टर पाइलोरी संक्रमण के कारण भी हिचकी हो सकती है (6)। बता दें कि हेलिकोबैक्टर पाइलोरी एक प्रकार का बैक्टीरिया है, जो पेट में संक्रमण का कारण माना जाता है (7) ।
- एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध की मानें, तो एमनियोटिक द्रव की मात्रा बढ़ने के साथ बार-बार हिचकी आ सकती है। हालांकि, इस विषय में अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है (2)।
इसके अलावा, हिचकी आने के कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं (3) (5) (6):
- भोजन जल्दी-जल्दी करना
- एक बार में अत्यधिक भोजन करना
- अत्यधिक गर्म और मसालेदार भोजन का सेवन
- अल्कोहल का सेवन करना
- डायाफ्राम को नियंत्रित करने वाली नसों से संबंधित बीमारी
- घबराहट या उत्साहित महसूस करना
- कुछ दवाओं का उपयोग
- पेट की सर्जरी
- मेटाबॉलिक विकार
- नर्वस सिस्टम से जुड़ी समस्या
- अपच की समस्या
- धूम्रपान करना
- तनाव
- इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन
- ट्यूबरक्युलोसिस संक्रमण
- इथेनॉल का उपयोग
- किडनी का फेल होना
लेख के इस हिस्से में जानें हिचकी का शिशु पर क्या प्रभाव पड़ता है।
क्या बहुत ज्यादा हिचकी मेरे बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती है?
आमतौर पर हिचकी नुकसानदायक नहीं होती है। कुछ मिनटों के बाद यह अपने आप ठीक हो जाती है (5)। हिचकी बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती है, इसे लेकर कोई शोध उपलब्ध नहीं है। वहीं, अगर शिशु पर इसके हानिकारक प्रभाव की बात करें, तो फिलहाल इस संबंध में शोध किए जाने की आवश्यकता है।
आगे पढ़ें फेटल हिकप्स के बारे में।
भ्रूण (fetal hiccups) हिचकी क्या है?
भ्रूण की हिचकी को गर्भवती महिलाएं बेबी मूवमेंट के रूप में महसूस कर सकती हैं। आमतौर पर गर्भावस्था की दूसरी तिमाही के बाद महिलाओं को इसका अनुभव होता है। एक अध्ययन में अल्ट्रासाउंड के माध्यम से भ्रूण को हिचकी आने की पुष्टि हुई है। ऐसा गर्भावस्था के 9वें सप्ताह के बाद देखा गया। इस शोध के अनुसार, जब भ्रूण मूवमेंट करता है, तो डायाफ्राम सिकुड़ जाता है। इसके परिणामस्वरूप भ्रूण की छाती और पेट अपनी जगह से हिल सकते हैं (8)।
लेख के इस हिस्से में जानें गर्भावस्था में हिचकी से राहत पाने के उपाय।
गर्भावस्था के दौरान हिचकियों से निजात पाने के उपाय
यहां गर्भावस्था के दौरान हिचकी से निजात पाने के कुछ घरेलू उपाय बता रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार है :
1. चीनी
सामग्री :
- चीनी – एक चम्मच
उपयोग करने का तरीका :
- हिचकी आने पर अपने मुंह में चीनी रखें और थोड़ी देर बाद इसे चबाकर खा लें।
कैसे है फायदेमंद :
हिचकी रोकने के लिए चीनी का उपयोग किया जा सकता है। बताया जाता है कि हिचकी को रोकने के लिए घरेलू उपाय के तौर पर चीनी का सेवन लाभकारी हो सकता है (5)। हालांकि, इसे लेकर फिलहाल शोध की कमी है।
2. पीनट बटर
सामग्री :
- पीनट बटर – एक चम्मच
उपयोग करने का तरीका :
- हिचकी आने पर एक चम्मच पीनट बटर खाएं।
कैसे है फायदेमंद :
हिचकी रोकने के उपाय में पीनट बटर का भी इस्तेमाल मददगार हो सकता है। इस बात की जानकारी एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध से होती है। शोध में बताया गया है कि पीनट बटर के सेवन से हिचकी को बंद किया जा सकता है (9)। बता दें कि गर्भावस्था के दौरान पीनट बटर का सेवन सुरक्षित माना गया है (10)।
3. नींबू
सामग्री :
- नींबू – एक चौथाई भाग
- चीनी – आधा चम्मच
उपयोग करने का तरीका :
- नींबू के टुकड़े पर चीनी डालकर उसे चूसें।
- चाहें तो नींबू को ऐसे भी चूस सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद :
गर्भावस्था के दौरान हिचकी से निजात पाने के लिए नींबू का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। इस बात की जानकारी हिचकी के उपचार पर हुए एक शोध से मिलती है, जिसमें बताया गया है कि नींबू चूसने से हिचकी से राहत मिल सकती है (9)। वहीं, बता दें कि प्रेगनेंसी में नींबू का सेवन भी सुरक्षित माना गया है (11)।
4. पानी
सामग्री :
- पानी – एक गिलास
उपयोग करने का तरीका :
- हिचकी आने पर एक घूंट पानी पी सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद :
हिचकी को सामान्य रूप से पानी पीकर भी बंद किया जा सकता है। इस विषय से जुड़े एक शोध में साफ तौर से जिक्र मिलता है कि हिचकी आने पर पानी के कुछ घूंट पीने से आराम मिल सकता है (9)। इसके अलावा, हिचकी बंद करने के लिए ठंडा पानी पीने और उससे गार्गलिंग करने की भी सलाह दी गई है (6)।
5. अदरक
सामग्री :
- अदरक- एक छोटा टुकड़ा
उपयोग करने का तरीका :
- हिचकी आने पर एक छोटा टुकड़ा अदरक का सेवन करें।
कैसे है फायदेमंद :
अदरक का सेवन भी हिचकी को दूर भगा सकता है। इसके लिए हिचकी आने पर अदरक के एक छोटे से टुकड़े के सेवन की सलाह दी जाती है (5)। बता दें कि, गर्भावस्था के दौरान अदरक का सेवन सुरक्षित माना गया है (12)।
स्क्रॉल कर जानें गर्भावस्था में हिचकी से बचने के लिए क्या कर सकते हैं।
प्रेगनेंसी में हिचकी से बचने के लिए क्या करें?
यहां हम कुछ ऐसे टिप्स बता रहे हैं, जिसकी मदद से हिचकी से बचा जा सकता है (3) :
- अधिक मात्रा में भोजन करने से बचें।
- खाना जल्दी-जल्दी न खाएं।
- कार्बोनेटेड ड्रिंक्स से परहेज करें।
- अल्कोहल का सेवन न करें।
- गर्भावस्था के दौरान मसालेदार भोजन का सेवन न करें।
लेख के आखिरी हिस्से में जानिए हिचकी आने पर डॉक्टर से सलाह कब लेनी चाहिए।
डॉक्टर से कब संपर्क करें
जैसा कि हमने लेख में बताया है कि आमतौर पर हिचकी हानिकारक नहीं होती है। यह खुद-ब-खुद कुछ मिनटों में ठीक हो जाती है। वहीं, अगर यह घरेलू उपायों को अपनाने के बाद भी ठीक नहीं होती है, तो ऐसे में डॉक्टर से सलाह ली जा सकती है। इसके अलावा, अगर कोई गर्भवती महिला लगातार भ्रूण की हिचकी महसूस कर रही है और उसमें बढ़ोतरी महसूस करती है, तो ऐसे समय में भी डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है। बता दें कि भ्रूण की हचकी में बढ़ोतरी होना असामान्य माना जाता है (13)।
गर्भावस्था के दौरान हिचकी होना कोई गंभीर समस्या नहीं है। इसे एक असुविधा माना जा सकता है, जो थोड़े समय बाद खुद से ठीक हो जाती है। इस लेख में हमने प्रेगनेंसी में हिचकी होने का मतलब समझाने के साथ-साथ इसके कारणों को भी बताया है। इसके अलावा, यहां गर्भावस्था में हिचकी से बचाव के कारगर उपाय भी बताए हैं। वहीं, इस दौरान अगर किसी महिलाओं को हल्की सी भी परेशानी महसूस हो रही हो, तो बिना देर किए उन्हें डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
References
2. Hiccups and amniotic fluid regulation in early pregnancy; By NCBI
3. Hiccups; By Medlineplus
4. Diaphragm and lungs; By Medlineplus
5. Hiccups; By Better Health
6. Hiccup Mystery;
7. Helicobacter Pylori Infections; By Medlineplus
8. Fetal hiccups; characteristics and relation to fetal heart rate – By European Journal of Obstetrics & Gynecology and Reproductive Biology
9. Managing hiccups; By NCBI
10. When you need to gain more weight during pregnancy; By Medlineplus
11. An Evaluative Study To Assess The Effectiveness Of Lemon Juice On Pregnancy Induced Hypertension Among Antenatal Mothers In Dommasandra Phc Bangalore; By Academia
12. How Safe Is Ginger Rhizome for Decreasing Nausea and Vomiting in Women during Early Pregnancy? ; By NCBI
13. A diurnal fetal movement pattern: Findings from a cross-sectional study of maternally perceived fetal movements in the third trimester of pregnancy; By NCBI
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