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गर्भावस्था के दौरान शरीर में होने वाले बदलाव बिल्कुल नए होते हैं, खासकर पहली बार मां बन रही महिला के लिए। जहां कुछ महिलाओं के लिए गर्भावस्था का समय सुखद रहता है, तो कुछ को गंभीर जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में डॉक्टर गर्भवती को बेड रेस्ट करने की सलाह दे सकते हैं। शोध में पता लगा है कि गर्भावस्था की जटिलताओं से बचने के लिए लगभग 20 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर बेड रेस्ट की सलाह देते हैं। ऐसा सिर्फ गंभीर परिस्थितियों में ही किया जाता है, लेकिन अभी बेड रेस्ट पर ज्यादा शोध उपलब्ध नहीं है, जिसके आधार पर कहा जा सके कि यह कितना प्रभावशाली है (1)

मॉमजंक्शन के इस लेख में हम आपको गर्भावस्था में बिस्तर पर आराम करने से जुड़ी हर जानकारी देने की कोशिश करेंगे। इस लेख में आप जानेंगे कि बेड रेस्ट करने की सलाह कब और क्यों दी जाती है। साथ ही आप यह भी जान पाएंगे कि गर्भावस्था में बेड रेस्ट करने के क्या फायदे हैं।

आइए, सबसे तो यह समझ लेते हैं कि बेड रेस्ट का मतलब क्या होता है।

बेड रेस्ट का क्या मतलब है?

बेड रेस्ट का मतलब होता है शारीरिक गतिविधियां करने से बचना, जो दो तरह से हो सकता है। एक साधारण बेड रेस्ट, जिसमें ऐसी किसी शारीरिक गतिविधि करने से बचने की सलाह दी जाती है, जिसमें मांसपेशियों पर दबाव पड़े जैसे वजन उठाना व जिम जाना आदि। दूसरा होता है एंटीपार्टम बेड रेस्ट (antepartum bed rest)। इस दौरान, बिस्तर से उठ कर सिर्फ बाथरूम का उपयोग करने तक की शारीरिक गतिविधि करने के लिए ही कहा जाता है। ऐसा सिर्फ गंभीर परिस्थितियों में डॉक्टरी परामर्श पर ही किया जाता है और इस बात पर कोई शोध उपलब्ध नहीं है कि यह कितना प्रभावशाली होगा (2)

नोट : ऐसी आम धारणा है कि गर्भावस्था के दौरान बिस्तर पर आराम करने से कई समस्याएं दूर हो जाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं है। इस बारे में कोई वैज्ञानिक शोध उपलब्ध नहीं है, जो यह पुष्टि कर सके कि गर्भावस्था के दौरान पूर्ण आराम करने से महिला और होने वाले शिशु को फायदा होगा। बेड रेस्ट सिर्फ गंभीर परिस्थितियों में डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। ऐसे कई शोध हैं, जो गर्भावस्था के दौरान बेड रेस्ट करने से होने वाले इसके दुष्प्रभाव के बारे में बताते हैं (3)

लेख के अगले भाग में आप जानेंगे कि किन परिस्थितियों में डॉक्टर बेड रेस्ट की सलाह दे सकते हैं।

प्रेगनेंसी में बिस्तर पर आराम करने की सलाह डॉक्टर आपको कब देते हैं?

गर्भावस्था के शुरूआती दिनों से ही डॉक्टर कुछ सावधानियां बरतने की सलाह देते हैं, लेकिन कुछ परिस्थितियों में गर्भवती के स्वास्थ्य को देखते हुए डॉक्टर पूरी तरह बेड रेस्ट करने की सलाह दे सकते हैं। वो परिस्थितियां कुछ इस प्रकार हो सकती हैं:

  1. प्लेसेंटा प्रिविया : इस समस्या में जरायु या खराई जिसे प्लेसेंटा भी कहते हैं, गर्भाशय के निचले हिस्से की तरफ बढ़ने लगता है और गर्भाशय ग्रीवा (cervix) को कवर कर लेता है। इसे प्लेसेंटा प्रिविया कहा जाता है। गर्भाशय ग्रीवा के पूरी तरह ढक जाने से गर्भवती को नॉर्मल प्रसव में समस्या आ सकती है और सी-सेक्शन प्रसव करने की जरूरत पड़ सकती है। साथ ही यह गर्भावस्था में दर्द व रक्तस्राव का भी कारण बन सकता है (4)
  1. प्रीएक्लेम्पसिया : गर्भावस्था के लगभग 20वें हफ्ते के आसपास होने वाले उच्च रक्तचाप को प्रीएक्लेम्पसिया कहा जाता है। इस दौरान गर्भवती की यूरिन में प्रोटीन आने लगता है और इससे महिला का लिवर व किडनी प्रभावित हो सकते हैं। प्रीएक्लेम्पसिया के कारण महिला का समय से पहले प्रसव (प्रीमैच्योर डिलीवरी) भी हो सकता है (5)
  1. गर्भाशय ग्रीवा की अपर्याप्तता (Cervical Insufficiency) : इस समस्या में प्रसव के निर्धारित समय से पहले ही गर्भाशय ग्रीवा अपने आप खुलने लगती है, जिस वजह से गर्भपात हो सकता है। यह गर्भावस्था के 13वें से 24वें हफ्ते के बीच हो सकता है। ऐसे में बिस्तर पर आराम करने की सलाह दी जा सकती है ताकि अतिरिक्त भार से गर्भाशय ग्रीवा को बचाया जा सके (6)
  1. योनी से रक्तस्राव: गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण में योनी से हल्का रक्तस्राव होना आम है, लेकिन बाद में यह गर्भपात का कारण बन सकता है। ऐसे में गर्भवती को बेड रेस्ट करने की सलाह दी जाती है। माना जाता है कि बेड रेस्ट योनी से रक्तस्राव कम करने में मदद कर सकता है (7)
  1. ओलिगोहीदृम्निओस (Oligohydramnios): गर्भाशय में भ्रूण के आसपास एक पीला तरल पदार्थ होता है, जिसे एमनियोटिक द्रव कहा जाता है। यह भ्रूण को सुरक्षित रखता है और उसके शारीरिक विकास में मदद करता है। गर्भाशय में इस एमनियोटिक द्रव की कमी को ओलिगोहीदृम्निओस कहा जाता है। इस स्थिति में डॉक्टर बेड रेस्ट की सलाह दे सकते हैं (8)
  1. एक से ज्यादा गर्भ : जिन महिलाओं के गर्भ में जुड़वां या उससे ज्यादा भ्रूण होते हैं, उन्हें सामान्य से ज्यादा जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में उन्हें ज्यादा बेड रेस्ट करने की सलाह दी जा सकती है। हालांकि, बेड रेस्ट इन जटिलताओं को कम करने में कितना लाभकारी हो सकता है, इस बारे में स्पष्ट रूप से कुछ कहना मुश्किल है। इसलिए, उन्हें एंटीपार्टम बेड रेस्ट की जगह सामान्य बेड रेस्ट करने का सुझाव दिया जा सकता है (9)
  1. प्रीमेच्योर डिलीवरी : जब महिला का प्रसव समय से पूर्व हो जाता है, तो उसे प्रीमेच्योर डिलीवरी कहते हैं। जिन महिलाओं को प्रसव समय से पहले हो जाता है, उन्हें भविष्य में कई प्रकार की जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में, प्रीमेच्योर डिलीवरी के खतरे को कम करने के लिए सबसे पहले बेड रेस्ट करने का सुझाव दिया जा सकता है, लेकिन यह कहना मुश्किल है कि यह कितना लाभकारी होगा (10)

नोट: समय से पहले प्रसव और गर्भावस्था के जुड़ी जटिलताओं को रोकने के लिए बेड रेस्ट की सलाह डॉक्टर बहुत गंभीर मामलों में देते हैं। इस बारे में ज्यादा शोध नहीं है कि यह कितना लाभकारी साबित होगा। साथ ही, गर्भावस्था के दौरान ज्यादा आराम करने से महिला और होने वाले शिशु को भविष्य में कुछ जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए बिना डॉक्टरी परामर्श के बेड रेस्ट न करें (11)

लेख के अगले भाग में जानिए गर्भवती और गर्भ में पल रहे शिशु को बेड रेस्ट से होने वाले फायदों के बारे में।

आप और आपके शिशु के लिए बेड रेस्ट के फायदे क्या हैं?

बेड रेस्ट करना गर्भवती और होने वाले शिशु, दोनों के लिए जरूरी होता है। जैसा कि हमने लेख के पिछले भाग में बताया कि कुछ परिस्थितियों में डॉक्टर पूरी तरह से बिस्तर पर आराम करने की सलाह देते हैं। बेड रेस्ट करने से इन परिस्थितियों से होने वाली जटिलताएं कम हो सकती हैं और आप एक स्वस्थ गर्भावस्था का आनंद ले सकती हैं।

लेख के अगले भाग में जानिए कि गर्भावस्था के दौरान बिस्तर पर ज्यादा आराम करने से क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं।

क्या गर्भावस्था के दौरान बिस्तर पर आराम करने का कोई जोखिम है?

अगर कोई महिला गर्भावस्था के दौरान जरूरत से ज्यादा समय बिस्तर पर बिता रही है, तो उसे निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है (2):

  • मांसपेशियों में अकड़न
  • ऑस्टियोपोरोसिस (कमजोर हड्डियां)
  • गर्भवती के वजन में कमी
  • जन्म के समय शिशु के वजन में कमी
  • मनोवैज्ञानिक समस्याएं (अवसाद, एंग्जायटी, स्ट्रेस)
  • थ्रोमबाउसिस (नसों में खून के थक्के)

आगे जानिये कि बेड रेस्ट करना एक गर्भवती के जीवन को किस तरह प्रभावित कर सकता है।

बिस्तर पर पूर्ण आराम आपके जीवन को कैसे प्रभावित करेगा?

एक महिला की गर्भावस्था के पहले और गर्भावस्था के दौरान की जीवनशैली में बहुत फर्क होता है। इस दौरान कई आदतें छोड़नी पड़ती हैं और कुछ नई आदतों को अपनाना पड़ता है, जिस वजह से जीवन प्रभावित होता है। ऐसे में, बिस्तर पर पूर्ण आराम भी गर्भवती महिला के जीवन पर कुछ असर डाल सकता है। शारीरिक प्रभाव के अलावा, यह प्रभाव मनोवैज्ञानिक भी हो सकता है, जैसे (2):

  • अधिक समय बिस्तर पर बिताने से आपको बोरियत महसूस हो सकती है।
  • ऐसे में आपको अपने परिवार का ठीक तरह से ध्यान न रख पाने की चिंता होने लगती है।
  • खाली समय में अपनी गर्भावस्था के बारे में ज्यादा सोचना और होने वाले शिशु की चिंता करना।
  • बीमार होने की भावना आना।
  • जीवन पर अनियंत्रण की भावना आना।

बेड रेस्ट के बारे में और जरूरी जानकारियां जानने के लिए पढ़ते रहें यह आर्टिकल।

प्रेगनेंसी में बेड रेस्ट के लिए मैं अपने आप को कैसे तैयार करूं?

जब डॉक्टर आपको बेड रेस्ट करने की सलाह देते हैं, तो आपके पास शारीरिक गतिविधियों के ज्यादा विकल्प नहीं होते है। ऐसे में आप ऐसे काम कर सकती हैं, जिनमें आपके शरीर व गर्भाशय पर दबाव न पड़े, जैसे:

  • स्वयं को तैयार करें : सबसे पहले स्वयं को मानसिक रूप से तैयार करें कि आप अपना दिन कैसे बिताना पसंद करेंगी। साथ ही इस बात का भी पता लगाएं कि आपको क्या करने की अनुमति है और क्या करने की नहीं और उस हिसाब से अपने दिन का प्लान बनाएं।
  • घर के दैनिक काम : इस दौरान, आपको ज्यादातर घर के काम करने की अनुमति नहीं होगी। इसलिए, अपनी मदद के लिए आप मेड ढूंढ लें, ताकि आपको घर के कामों की ज्यादा चिंता न हो। साथ ही, अगर आपको घर से ऑफिस का काम करने की अनुमति हो, तो आप वह भी कर सकती हैं।
  • अपने मनपसंद काम करें : इसमें आप किताब पढ़ सकती हैं, फिल्म देख सकती हैं या कोई भी ऐसा काम जो आपको पसंद हो और उसे करने में ज्यादा मेहनत न लगे। ऐसे में आपको बोरियत नहीं होगी और आप इस समय का भरपूर आनंद ले पाएंगी।
  • आपातकालीन स्थितियों की तैयारी : ध्यान रखें कि आपातकालीन स्थितियों के लिए कोई न कोई हमेशा आपके पास रहे। इसमें आपके पति, परिवार के लोग व मित्र आदि कोई भी हो सकता है। साथ ही हमेशा अपने फोन को चार्ज रखें और उसमें परिवार व मित्रों के साथ सभी जरूरी लोग जैसे डॉक्टर, एम्बुलेंस, केमिस्ट शॉप व मेड आदि के नंबर रखें।
  • शिशु के लिए प्लानिंग : घर में बैठे-बैठे आप अपने होने वाले शिशु के लिए खरीददारी कर सकती हैं। आप उसके लिए कपड़े, खिलौने और बाकी जरूरत का सामान खरीद सकती हैं। इसके अलावा, ऑनलाइन विडियो और लेख की मदद से आप यह भी सीख सकती हैं कि नवजात का ध्यान कैसे रखा जाए और उसके लिए आवश्यक चीजें क्या हैं।

आगे के भाग में पढ़िए कि बेड रेस्ट के दौरान होने वाली बेचैनी से किस तरह बचा जा सकता है।

बेड रेस्ट के कारण होने वाली बेचैनी से कैसे निपटें?

ज्यादा समय तक लेटे रहने से मांसपेशियां अकड़ने लगती हैं। इससे आपको थकान का भी अहसास हो सकता है और कमजोर हड्डियों की वजह से जोड़ों में दर्द शुरू हो सकती है। ऐसे में आप पलंग पर लेटकर 15 से 20 मिनट तक कुछ एक्सरसाइज कर सकती हैं, जिससे आपकी शारीरिक गतिविधियां भी होगी और आपके गर्भाशय पर दबाव भी नहीं पड़ेगा (12)

  1. गर्दन और कंधों के लिए : इस एक्सरसाइज को बैठ कर और लेट कर, दोनों तरह से किया जा सकता है। अगर डॉक्टर ने आपको बैठने से मना किया है, तो आप यह एक्सरसाइज लेट कर भी कर सकती हैं। इसे कुछ इस से किया जाएगा :
  • अपनी ठुड्डी को अपनी छाती की ओर लाएं। धीरे-धीरे अपने सिर को बाईं ओर और फिर दाईं ओर घुमाएं। कुछ देर रुकें और फिर दोहराएं।
  • अपने कंधों को, बिना हाथों को उठाए, ऊपर की ओर खींचें। फिर कंधों को एक सर्कल में आगे और पीछे की तरफ घुमाएं करें। कुछ देर रुकें और फिर दोहराएं।
  • अपने कंधों को पीछे की तरफ खींचें। कुछ देर रुकें और फिर दोहराएं।
  1. हाथों के लिए : इस एक्सरसाइज को आप पीठ के बल लेटकर या एक तरह करवट ले कर कर सकती हैं। इसे कुछ इस प्रकार करें :
  • अपनी ठुड्डी को ऊपर की ओर करते हुए, अपने सिर को तकिये की ओर धकेलें। इसके बाद, एक हाथ घुटने की ओर ले जाएं।
  • अपनी मुट्ठियों को जोर से बंद करें और खोलें।
  • फिर हाथ को कोहनी से मोड़िए और सीधा करें। कुछ देर रुकें और इस प्रक्रिया को फिर से दोहराएं।
  • अपने हाथ को, हवा में गोल-गोल घुमाएं। कुछ देर रुकें और फिर दूसरे हाथ से दोहराएं।
  1. पैरों और घुटनों के लिए : यह एक्सरसाइज आप बैठ कर और लेट कर, दोनों तरह से कर सकते हैं। ध्यान रहे कि इसे करते समय आपके पैर पलंग पर ही हों।
  • अपनी टांगों को सीधा रखें। फिर दोनों घुटनों को एक बार में एक ही दिशा में घुमाएं।
  • अपनी दोनों पैरों को क्लॉक वाइज और फिर एंटी क्लॉक वाइज घुमाएं। इसके बाद पैरों को आगे और पीछे करें। इस प्रक्रिया को हर एक या दो घंटे में, 15-20 मिनट के लिए दोहराएं।

नोट : इन एक्सरसाइज को करते समय नीचे बताई गई कुछ बातों का ध्यान रखें :

  • इन्हें करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से पूछ लें।
  • इन्हें करते समय सांस न रोकें और पेट पर किसी तरह का दबाव न पड़ने दें।
  • इन सभी को आराम से और धीरे-धीरे करें।
  • एक बार में ज्यादा देर तक एक्सरसाइज न करें, बल्कि इन्हें सुबह और शाम के लिए सेट में बांट लें।
  • आप इन एक्सरसाइज को विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें।
  • एक्सरसाइज के दौरान, मूत्र या रक्त स्त्राव या एमनियोटिक द्रव का स्राव होने पर तुरंत डॉक्टर को बताएं।

मन को शांत रखने और बेडरेस्ट के साथ भी स्वास्थ्य रक्षा के प्रयास में गर्भ संस्कार व योग अति महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकते हैं। थैरेपिस्ट व गर्भ संस्कार विशेषज्ञ की सहायता से आप अपने बेडरेस्ट की मजबूरी को एक सुअवसर में बदल सकती हैं, जो आपके व आपके बच्चे के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हो।

बेड रेस्ट के दौरान इन चीजों को रखें अपने पास

जब भी आप बेड रेस्ट करें, तो कुछ जरूरी सामान को अपने पास रखें। ये वो सामान होंगे जिनकी जरूरत आपको पूरा दिन पड़ती है। इन्हें अपने बिस्तर के पास रखने से आपको बार-बार इनके लिए उठ कर नहीं जाना पड़ेगा, जैसे:

  • जरूरी दवाइयां
  • दर्द के लिए बाम
  • ड्राई फ्रूट और जूस के पैक
  • टिश्यू पेपर
  • किताब
  • डायरी और पेन
  • कूड़ादान
  • वेट वाइप्स
  • सेनिटाइजर
  • टीवी और एसी के रिमोट
  • फोन, लैपटॉप, ईयरफोन
  • चार्जर

ध्यान रखिए कि अगर आपको भी डॉक्टर ने बेड रेस्ट करने की सलाह दी है, तो आप उस बात पर अच्छी तरह ध्यान दें। ऐसा न करने से गर्भावस्था में और भविष्य में आपको और होने वाले शिशु को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। देखा जाए, तो आप गर्भावस्था में बेड रेस्ट करने वाले समय को पूरी तरह अपने लिए उपयोग कर सकती हैं। आप वो सभी काम कर सकती हैं, जो आप व्यस्त जीवनशैली की वजह से नहीं कर पा रही थीं। बस ध्यान दें कि अगर आप व्यस्त जीवनशैली की वजह से घूमना-फिरना या डांस नहीं कर पा रही हैं, तो उसके लिए अभी कुछ और समय इंतजार करें।

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