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गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को सही खान पान के साथ-साथ उचित शारीरिक व्यायाम करने की भी सलाह दी जाती है। साइकिल चलाना भी उन्हीं में से एक है। हालांकि, कई महिलाओं के मन में इसे लेकर शंका रहती है कि प्रेगनेंसी के दौरान वाकई में साइकिल चलाना सुरक्षित है या नहीं। अगर आपके मन में भी ऐसी कोई दुविधा है, तो मॉमजंक्शन का हमारा यह लेख आपकी मदद कर सकता है। यहां हम गर्भावस्था के दौरान साइकिल चलाने से जुड़ी विस्तारपूर्वक जानकारी दे रहे हैं। इस लेख के जरिए आप प्रेगनेंसी में साइकिल चलाने के फायदे, नुकसान और अन्य जरूरी बातें जान पाएंगी।
सबसे पहले यह जान लीजिए कि प्रेगनेंसी में साइकिलिंग सुरक्षित है या नहीं।
क्या प्रेगनेंसी के दौरान साइकिलिंग करना सुरक्षित है?
जी हां, गर्भावस्था के दौरान साइकिल चलाना सुरक्षित माना गया है। इस बात की जानकारी एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध से मिलती है। इस शोध में बताया गया है कि स्टेशनरी साइकिलिंग (ऐसी साइकिल जो एक जगह पर स्थिर होती है) गर्भवती महिलाओं के लिए व्यायाम का एक अच्छा तरीका है (1)। वहीं, अगर किसी महिला को प्रसूति संबंधी जटिलताएं हैं, तो ऐसे में उन्हें डॉक्टरी परामर्श के बिना साइकिल चलाने की सलाह नहीं दी जाती है।
यहां हम साइकिलिंग के प्रकार बता रहे हैं, जो निम्नलिखित हैं :
- इंडोर साइकिलिंग : इस तरह की साइकिलिंग को घर में ही रह कर किया जाता है। यही कारण है कि गर्भावस्था के दौरान इसे सबसे अधिक सुरक्षित माना जाता है। वहीं, किसी गर्भवती महिला को अगर प्रेगनेंसी के दौरान किसी प्रकार का कॉम्प्लीकेशन्स है, तो इस तरह की एक्सरसाइज को करने से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।
- आउटडोर साइकिलिंग : गर्भावस्था के दौरान इस तरह की साइकिलिंग मुश्किल भरी हो सकती है, क्योंकि यहां गर्भवती महिलाओं को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जैसे – गिरने का डर, जिससे गंभीर चोट लग सकती है और साथ ही भ्रूण को भी नुकसान पहुंच सकता है। इसके अलावा, गर्म या अधिक ठंडा मौसम, ट्रैफिक, प्रदूषण और शोर। इन सभी परेशानियों की वजह से गर्भवती को बाहर साइकिल चलाने की सलाह नहीं दी जाती है (2)।
- स्पिन क्लास साइकिलिंग : इस तरह की साइकिलिंग को जिम में या फिर घर में भी कर सकते हैं। इसके लिए एक प्रशिक्षक की जरूरत होती है। प्रशिक्षक ही इसकी गति को निर्धारित करता है। इस तरह की साइकिलिंग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है। एक बार जब डॉक्टर से इजाजत मिल जाती है, तो इस तरह की साइकिलिंग करने से पहले अपने प्रशिक्षण से जरूर बात करें।
साथ ही उन्हें बताएं कि आप गर्भवती हैं, ताकि वो साइकिलिंग की गति को उसी हिसाब से निर्धारित कर सकें। इसके साथ ही साइकिलिंग के दौरान प्रशिक्षक आपकी सहूलियत का भी ध्यान रखेंगे।
अब हम गर्भावस्था के दौरान साइकिलिंग एक्सरसाइज के फायदे बता रहे हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान साइकिलिंग एक्सरसाइज के फायदे | Cycling Exercise during pregnancy in hindi
गर्भावस्था के दौरान योगासन के अलावा महिलाओं अन्य कई प्रकार की एक्सरसाइज की सलाह दी जाती है। इनमें साइकिलिंग भी शामिल है, जो फायदेमंद मानी जा सकती है। यहां हम क्रमवार तरीकों से बता रहे हैं कि प्रेगनेंसी के दौरान साइकिलिंग एक्सरसाइज के फायदे क्या-क्या हैं (3) :
1. वजन नियंत्रण में सहायक : गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ना स्वाभाविक माना जाता है। ऐसे में साइकिलिंग की मदद से गर्भवती महिलाओं को बढ़ते वजन को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है (4)।
2. मधुमेह से बचाव : एक्सरसाइज के तौर पर साइकिलिंग करने से गर्भकालीन मधुमेह यानी प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले मधुमेह के खतरे को भी कुछ हद तक कम किया सकता है। इस बात की पुष्टि एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में होती है। शोध में जिक्र मिलता है कि एक्सरसाइज के जरिए शरीर की कैलोरी को खर्च करना मधुमेह से बचाव में सहायक हो सकता है (1)।
3. प्री-एक्लेम्पसिया : शोध बताते हैं कि एक्सरसाइज करने से कैलोरी को खर्च करने में मदद मिल सकती है, जिससे प्री-एक्लेम्पसिया की समस्या से बचाव में मदद मिल सकती है (1)। प्रीक्लेम्पसिया एक उच्च रक्तचाप विकार है, जिसमें गर्भावस्था के 20वें सप्ताह के बाद महिलाओं में रक्तचाप अचानक बढ़ जाता है (5)।
4. हृदय के लिए लाभकारी : प्रेगनेंसी के दौरान शारीरिक गतिविधियों को हृदय स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा माना जा सकता है। इससे जुड़े शोध में साफतौर से इस बात का जिक्र मिलता है कि प्रेगनेंसी के दौरान एक्सरसाइज करने से कार्डियोवैस्कुलर फंगशन (हृदय और रक्त वाहिकाओं से संबंधित) में सुधार हो सकता है (4)। हालांकि, इस संबंध में अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।
5. सामान्य प्रसव के लिए फायदेमंद : प्रेगनेंसी के दौरान एक्सरसाइज करने के विषय पर हुए शोध बताते हैं कि गर्भावस्था के दौरान साइकिलिंग करने से सिजेरियन डिलीवरी का खतरा कम हो सकता है और सामान्य प्रसव को बढ़ावा मिल सकता है यानी बिना ऑपरेशन के सामान्य रूप से की जाने वाली डिलीवरी (3)।
6. शारीरिक क्षमता को बढ़ावा : प्रेगनेंसी के दौरान एक्सरसाइज करने से शारीरिक क्षमता में भी बढ़ावा मिल सकता है। इस बारे में एक शोध प्रकाशित किया गया है, जिसमें बताया गया है कि गर्भावस्था के दौरान एक्सरसाइज (जिसमें साइकिलिंग भी शामिल है) करने से शारीरिक क्षमता में बढ़ावा मिलने के साथ-साथ लीन मसल मास (दुबली मांसपेशियां, जिसमें फैट नहीं हो) में भी सुधार हो सकता है (4)।
7. नींद में सुधार : गर्भावस्था में नींद संबंधी परेशानियों को दूर करने के लिए भी साइकिलिंग एक्सरसाइज को सहायक माना गया है। बताया जाता है कि इस तरह के एक्सरसाइज से नींद में सुधार के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं को अच्छा भी महसूस हो सकता है (4)।
8. हड्डियों की मजबूती के लिए : एक शोध में जिक्र मिलता है कि प्रेगनेंसी के दौरान साइकिलिंग एक्सरसाइज हड्डियों के घनत्व की कमी में सुधार कर सकती है (4)। फिलहाल, इसकी कार्यप्रणाली को लेकर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।
9. शारीरिक फिटनेस को बढ़ावा : गर्भावस्था के दौरान साइकिलिंग एक्सरसाइज करने का एक लाभ यह भी है कि इससे गर्भवती महिलाएं खुद को फिट रख सकती है। इस पर हुए शोध बताते हैं कि गर्भावस्था के दौरान एक्सरसाइज करने से शारीरिक फिटनेस को बढ़ावा मिल सकता है (3)।
अब गर्भावस्था के दौरान साइकिलिंग करने के खतरों के बारे में भी जान लीजिए।
प्रेगनेंसी के दौरान साइकिलिंग का खतरा
इसमें कोई दोराय नहीं कि गर्भावस्था के दौरान साइकिलिंग एक बेहतरीन एक्सरसाइज साबित हो सकती है। वहीं, कुछ मामलों में यह खतरनाक भी हो सकती है। इसलिए, इसे करने से पहले इसके खतरे को भी जानना जरूरी है। इसलिए, यहां हम प्रेगनेंसी के दौरान साइकिलिंग के खतरे के बारे में बता रहे हैं :
- पहली तिमाही : महिलाओं को इस समय अपना अधिक ध्यान रखने की जरूरत होती है, क्योंकि यही वो समय होता है जब भ्रूण के विकास की शुरुआत होती है। ऐसे में शोध बताते हैं कि पहली तिमाही में एक्सरसाइज करना गर्भपात के जोखिमों को बढ़ा सकता है (6)। इसलिए, बेहतर होगा कि गर्भावस्था की पहली पहली तिमाही में डॉक्टरी सलाह पर ही साइकिलिंग करें।
- दूसरी तिमाही : यह गर्भावस्था के बीच के तीन महीने होते हैं। इस दौरान गर्भ में शिशु का विकास काफी हद तक हो चुका होता है। इस समय में अगर सही ढंग से साइकिलिंग की जाए, तो यह गर्भवती महिलाओं के लिए थोड़ा कम जोखिम भरा माना जा सकता है। वहीं, अगर कोई महिला अधिक समय तक साइकिलिंग या एक्सरसाइज करती है, तो इस कारण मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द की शिकायत हो सकती है।
- तीसरी तिमाही : जैसे-जैसे भ्रूण का आकार बढ़ता है, गर्भवती के पेट का आकार भी बढ़ता है। वहीं, तीसरी तिमाही में आकार पहले से ज्यादा बढ़ जाता है, जिसकी वजह से गर्भवती को चलने-फिरने में दिक्कत हो सकती है। इसलिए, इस समय साइकिलिंग के दौरान अपना संतुलन बनाए रखें, क्योंकि संतुलन बिगड़ने पर भी महिला गिर सकती है, जिससे गर्भवती और बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है। यही कारण है कि इस तिमाही में साइकिलिंग को जोखिम भरा माना जाता है (7)।
प्रेगनेंसी में साइकिलिंग से जुड़ी सावधानियां नीचे बताई गई हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान साइकिलिंग करते समय सावधानियां
गर्भावस्था के दौरान जो महिलाएं साइकिलिंग करने के बारे में सोच रही हैं, उन्हें इस बारे में एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। उसके बाद ही इस बारे में सोचना चाहिए। वहीं, साइकिलिंग के समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है, जो कुछ इस प्रकार है :
इंडोर साइकिलिंग ही करें।
- साइकिलिंग के लिए ऐसी साइकिल का चुनाव न करें, जिसमें पीठ को झुकाना न पड़े। हमेशा पीठ को सीधी रख कर ही साइकिलिंग करें।
- साइकिल के हैंडल और सीट को अपनी हाइट के हिसाब से एडजस्ट कर लें। इससे साइकिलिंग करने में आसानी होगी।
- साइकिलिंग के लिए चौड़ी सीट वाली साइकिल का प्रयोग करें। छोटी सीट पर बैठने में असहजता महसूस हो सकती है और इस कारण उस भाग में दर्द भी हो सकता है।
- साइकिलिंग के समय अपनी स्पीड को बनाए रखें। इस दौरान अत्यधिक तेज साइकिल चलाने का प्रयास न करें।
- साइकिलिंग के साथ-साथ थोड़ा योग भी करें।
- साइकिल चलाने के दौरान बीच-बीच में आराम भी करें।
- जबरदस्ती साइकिल न चलाएं।
- साइकिलिंग के दौरान डॉक्टर द्वारा दिए गए आदेशों का पालन जरूर करें।
चलिए अब जरा गर्भावस्था के दौरान साइकिल चलाने के कुछ टिप्स भी जान लीजिए।
प्रेगनेंसी के दौरान साइकिल चलाने के टिप्स
गर्भावस्था के दौरान साइकिल चलाने के दौरान कुछ टिप्स को अपनाकर इसे सफल बनाया जा सकता है। वे सभी टिप्स निम्नलिखित हैं (3) (7):
- साइकिलिंग की शुरुआत हमेशा धीमी गति से ही करें।
- साइकिलिंग करने से पहले और दौरान खुद को अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रखें।
- ढीले-ढाले कपड़े पहनकर साइकिल चलाएं।
- अधिक गर्मी और उमस से खुद को बचाएं।
- हमेशा अपनी क्षमता के अनुसार ही साइकिलिंग करें।
- तीसरी तिमाही में साइकिलिंग करना जोखिम भरा हो सकता है। इसलिए, बेहतर होगा कि इस दौरान साइकिलिंग न करें।
लेख के अंत में जानें गर्भावस्था के दौरान साइकिलिंग कब बंद कर देनी चाहिए।
प्रेगनेंसी के दौरान साइकिलिंग कब बंद कर देनी चाहिए?
गर्भावस्था के दौरान एक्सरसाइज करना फायदेमंद है, यह तो आप समझ चुके होंगे। लेकिन, कुछ लक्षणों के सामने आने पर गर्भवती महिलाओं को साइकिलिंग बंद करने की सलाह दी जाती है। वे लक्षण इस प्रकार हैं (7)(3) :
- अगर एक्सरसाइज के दौरान योनि से खून बह रहा हो।
- एक्सरसाइज के समय पेट में दर्द की शिकायत हो रही हो।
- अगर दबाव महसूस हो रहा हो, जो दर्दनाक भी हो।
- एमनियोटिक द्रव का रिसाव (तरल पदार्थ जो भ्रूण को चारों ओर से घेरे रहता है) हो रहा हो।
- थकावट महसूस होना या सांस लेने में तकलीफ हो रही हो।
- चक्कर आना।
- सिर में दर्द हो रहा हो।
- छाती में दर्द महसूस हो रहा हो।
- मांसपेशियों का कमजोर होना।
- सांस लेने में परेशानी।
- पिंडली में दर्द या सूजन होना।
- दृष्टि का कमजोर होना।
- पहले के मुकाबले शिशु की हलचल (बेबी मूवमेंट) का कम होना।
अब हम उम्मीद करते हैं कि इस लेख को पढ़ने में बाद प्रेगनेंसी में साइकिल चलाने को लेकर आपके मन में बना संशय दूर हो गया होगा। यहां हमने साइकिल चलाने के फायदे के साथ-साथ इसके खतरे और इस दौरान बरते जाने वाली सावधानियों को भी बताया है, तो उसका ध्यान भी जरूर रखें। वहीं, अगर साइकिल चलाने के दौरान गर्भवती महिलाओं को किसी अन्य तरह की परेशानी दिखे, तो ऐसे में डॉक्टर से तुरंत सलाह लें।
References
2. Guidelines for Physical Activity during Pregnancy: Comparisons From Around the World – By NCBI
3. Physical Activity and Exercise During Pregnancy and the Postpartum Period– By ACOG
4. Benefits of Exercise During Pregnancy– By Researchgate
5. Preeclampsia– By Medlineplus
6. Exercise in Pregnancy: First Trimester Risks– By Researchgate
7. Staying healthy and safe – By Women’s Health
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