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घर के बड़े-बुजुर्ग हमेशा से ही गर्भवती को सावधानी, स्वच्छता और देखरेख की हिदायत देते रहते हैं। ऐसे में कई महिलाओं के मन में यह सवाल जरूर आता होगा कि आखिर ऐसा कहने के पीछे कारण क्या है। इसकी वजह है गर्भावस्था के समय कमजोर होने वाली रोग प्रतिरोधक क्षमता, जिसके कारण संक्रमण होने का भी खतरा बढ़ जाता है (1)। अब यह संक्रमण आंतरिक या बाहरी दोनों तरह का हो सकता है। ऐसे ही एक बाहरी संक्रमण में दाद जैसी त्वचा संबधी समस्या भी शामिल है (2)। यही वजह है कि मॉमजंक्शन के इस लेख में हम गर्भावस्था में दाद से जुड़ी कुछ अहम और जरूरी बातें बता रहे हैं।

आइए, सबसे पहले लेख में आगे बढ़ते हुए यह जानते हैं कि आखिर दाद क्या होता है।

रिंगवर्म या दाद क्या होता है?

दाद त्वचा से संबंधित संक्रमण है, जो फंगस के कारण होता है। इस दौरान त्वचा पर रिंग की तरह दिखने वाले चकत्ते नजर आने लगते हैं। यही वजह है कि इसे अंग्रेजी में रिंगवर्म कहा जाता है। चिकित्सकीय भाषा में इसे टीनिया नाम से जाना जाता है (3)। यह त्वचा के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है जिसके अनुसार इसके अलग अलग नाम हैं (टीनिया कैपिटिस, टीनिया कॉर्पोरिस)।

लेख के अगले भाग में हम प्रेगनेंसी में दाद के लक्षण से जुड़ी जानकारी दे रहे हैं।

प्रेगनेंसी में रिंगवर्म या दाद होने के लक्षण

दाद त्वचा से संबंधित एक विकार है, जो किसी को भी हो सकता है। गर्भावस्था में भी इसके लक्षण सामान्य लक्षणों जैसे ही होते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं (4):

अब हम आगे गर्भावस्था में दाद होने के कारण बता रहे हैं।

प्रेगनेंसी में रिंगवर्म या दाद होने के कारण | Pregnancy Me Daad Ke Karan

जैसा कि हम आपको लेख में पहले ही बता चुके हैं कि दाद फंगस के कारण होने वाला एक त्वचा संबंधी विकार है, इसलिए इसका मुख्य कारण फंगस ही है। विशेषज्ञों की मानें, तो दाद करीब 40 से अधिक फंगस प्रजातियों के कारण होता है। फिलहाल, दाद का कारण बनने वाले सबसे आम फंगस में मुख्य तीन नाम शामिल हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं (5):

  • ट्राइकॉफाइटन (Trichophyton)
  • माइक्रोस्पोरम (Microsporum)
  • एपिडर्मोफाइटन (Epidermophyton)

इन फंगस के संपर्क में आने की स्थितियों को भी दाद के कारणों के रूप में जाना जाता है, जो कुछ इस प्रकार हैं (6):

  • संक्रमित व्यक्ति को छूने से
  • संक्रमित नम सतहों को छूने से (जैसे बाथरूम की फर्श)
  • संक्रमित पालतू जानवरों के संपर्क में आने से

अब प्रेगनेंसी में दाद के लिए किए जाने वाले उपचार पर एक नजर डाल लेते हैं।

गर्भावस्था में दाद का उपचार | Pregnancy Me Daad Ka Ilaj

सामान्य तौर पर दाद के इलाज के लिए डॉक्टर एंटी फंगल क्रीम या टैबलेट लेने की सलाह देते हैं (7)। बात जब गर्भावस्था की हो, तो डॉक्टर निम्न एंटीफंगल दवाएं गंभीरता के अनुसार लगाने व लेने की सलाह दे सकते हैं (8) (9):

1. गर्भावस्था में उपयोगी एंटी फंगल क्रीम

  • त्वचा पर संक्रमण के लिए इमिडाजोल्स (Imidazoles) क्रीम
  • जननांग संबंधी संक्रमण के लिए (Nystatin) या इमिडाजोल्स (खासकर गर्भावस्था के अंतिम चरण में) क्रीम
  • टर्बिनाफाइन 1% क्रीम
  • माइक्रोनजोल क्रीम

2. गर्भावस्था में खाई जाने वाली एंटी फंगल दवा

  • एम्फोटरसिन बी (Amphotericin B)
  • फ्लूकोनाजोल (Fluconazole)

नोट – दाद के लिए उपचार में लाई जाने वाली ऊपर दी गई क्रीम या टैबलेट को इस्तेमाल में लाने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर परामर्श करें। बिना डॉक्टरी सलाह के किसी का उपयोग न करें।

लेख में आगे हम गर्भावस्था में दाद से बचने व स्थिति को सुधारने के लिए कुछ घरेलू उपचार बता रहे हैं।

गर्भावस्था के दौरान दाद के 7 घरेलू उपचार | Home Remedies For Ringworm During Pregnancy

हम यहां क्रमवार दाद के उन घरेलू उपचारों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें दाद पर लगाने से कुछ हद तक राहत मिल सकती है। इन्हें ऊपर से दाद पर लगाना है, इसलिए गर्भावस्था में बिना किसी संकोच के इनका इस्तेमाल किया जा सकता है।

1. हल्दी या हल्दी का तेल

हल्दी पाउडर या हल्दी के तेल से दाद को ठीक करने में मदद मिल सकती है। हल्दी से संबंधित एक शोध के मुताबिक, हल्दी में एंटी फंगल (फंगस को नष्ट करने वाला) प्रभाव होता है। साथ ही हल्दी और हल्दी का तेल एंटीडर्माटोफाइटिक प्रभाव प्रदर्शित करते हैं, जिसके कारण दाद से राहत मिल सकती है (10) इसी आधार पर हल्दी के पेस्ट और हल्दी तेल को दाद में प्रभावी माना जा सकता है।

2. सेब का सिरका

जैसा कि हम आपको लेख में पहले ही बता चुके हैं कि दाद फंगस के कारण होने वाला एक त्वचा विकार है। इस फंगल इंफेक्शन से राहत दिलाने वाला एंटीफंगल प्रभाव सेब के सिरके में होता है (11)। इसी आधार पर माना जाता है कि प्रेगनेंसी में सेब के सिरके को दाद पर लगाने से कुछ हद तक राहत मिल सकती है।

3. नारियल तेल

प्रेगनेंसी में नारियल तेल भी दाद की समस्या में उपयोगी हो सकता है। वजह यह है कि इसमें एंटी फंगल प्रभाव पाया जाता है। नारियल तेल का यह प्रभाव फंगस के कारण होने वाली दाद की समस्या से राहत दिला सकता है (12)। इसी कारण से नारियल तेल को दाद का उपयुक्त घरेलू उपचार माना जाता है।

4. लहसुन

दाद से राहत पाने के लिए लहसुन को भी एक बेहतर विकल्प माना जाता है। यह बात एक शोध में भी प्रमाणित हुई है। रिसर्च के मुताबिक, लहसुन में एंटीफंगल प्रभाव होता है। साथ ही लहसुन के अर्क में एजोन तत्व होता है, जो पैर के दाद (Tinea Pedis) से राहत दिला सकता है (13)। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि प्रेगनेंसी में लहसुन का पेस्ट लगाकर दाद को ठीक किया जाता है।

5. एलोवेरा

दाद से राहत पाने के घरेलू उपचार में एलोवेरा को भी शामिल किया जा सकता है। एलोवेरा में भी एंटी फंगल प्रभाव होता है। रिसर्च में बताया गया है कि एलोवेरा में मौजूद इस गतिविधि के कारण हाथ और पैर में होने वाले दाद (Tinea Corporis) ठीक हो सकते हैं (14)

6. नीम

नीम की पत्तियों का पेस्ट बनाकर दाद पर लगाने से भी इस समस्या से आराम मिल सकता है। नीम से संबंधित एनसीबीआई के एक शोध के अनुसार, नीम में फंगीसाइड (फंगस को नष्ट करने वाले) प्राकृतिक तत्व होते हैं। ये तत्व दाद का कारण माने जाने वाले मुख्य फंगस को सीधे तौर पर खत्म करने में सहायक हो सकते हैं (15)

7. लौंग का तेल

लौंग के तेल को भी दाद से राहत पाने के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है। शोध में जिक्र मिलता है कि लौंग का तेल एंटी फंगल गुण से समृद्ध होता है। लौंग के तेल में मौजूद यह गुण दाद पैदा करने वाले फंगस को कम कर सकता है (16)। इस आधार पर दाद पर लौंग के तेल को लगाना फायदेमंद माना जाता है।

दाद के घरेलू उपचार के बाद जानिए प्रेगनेंसी में दाद के प्रभाव क्या होते हैं।

प्रेगनेंसी में रिंगवर्म या दाद का क्या प्रभाव पड़ता है?

जैसा कि आपको लेख में पहले ही बताया जा चुका है कि दाद त्वचा से संबंधित एक विकार है। ऐसे में बाहरी संक्रमण के अलावा गर्भावस्था संबंधित कोई भी ज्ञात प्रभाव की जानकारी उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में यह माना जा सकता है कि दाद बाहरी खुजली, चुभन और जलन के अलावा किसी भी तरह से गर्भवती या गर्भ में पलने वाले भ्रूण को प्रभावित नहीं कर सकता है।

लेख के अगले भाग में हम गर्भावस्था में दाद से बचाव के बारे में बात करेंगे।

गर्भावस्था के दौरान दाद को होने से कैसे रोकें?

नीचे दिए बिंदुओं के माध्यम से हम दाद रोकने के कुछ आम उपाय बताने जा रहे हैं, जिन्हें गर्भावस्था में भी अपनाया जा सकता है (17)

  • त्वचा को हमेशा साफ और सूखा रखें।
  • पहनने के लिए ऐसे जूतों का इस्तेमाल करें, जिनमें चारों तरफ से हवा आ जा सके।
  • लॉकर रूम या सार्वजनिक शौचालय में नंगे पैर न जाएं।
  • हाथ और पैर के नाखूनों को बढ़ने न दें और हमेशा साफ रखें।
  • मोजे और इनर वियर्स को हर दिन बदल दें।
  • अपने कपड़े, तौलिया और चादर किसी के साथ भी (खासकर संक्रमित व्यक्ति के साथ) शेयर न करें।
  • पालतू जानवरों को छूने के बाद हमेशा अपने हाथों को साबुन से धोएं।

अब हम बताएंगे कि गर्भावस्था में दाद होने से गर्भस्थ शिशु प्रभावित हो सकता है या नहीं।

क्या गर्भावस्था में दाद का होना बच्चों को प्रभावित करता है?

नहीं, दाद एक त्वचा संबंधी फंगल इंफेक्शन है, जो भ्रूण को किसी भी तरह से प्रभावित नहीं करता है। हां, यह जरूर है कि यह संक्रमित व्यक्ति के छूने या उसके कपड़े व अन्य इस्तेमाल की गई वस्तुओं के संपर्क में आने से फैल सकता है। ऐसे में अगर दाद संक्रमित गर्भवती के घर के सदस्य व बच्चे इन वस्तुओं के संपर्क में आते हैं, तो उन्हें भी दाद हो सकता है।

आगे जानिए कि दाद होने पर डॉक्टर से कब मिलना चाहिए।

डॉक्टर के पास कब जाएं

अगर घरेलू उपायों के इस्तेमाल करने के एक से दो हफ्ते बाद भी दाद पर कोई प्रभाव नजर नहीं आता है, तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसके अलावा, दाद पर खुजली ज्यादा हो रही है, तो भी तुरंत चिकित्सक से परामर्श लें।

लेख में दाद से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी को हमने शामिल किया है। इनकी मदद से गर्भावस्था में दाद से राहत पाने की कोशिश की जा सकती है। साथ ही हमने इससे बचाव के तरीकों के बारे में भी बताया है। इन सभी बातों का ख्याल रखकर आप खुद को दाद होने से बचा सकते हैं और दाद होने पर उसका घरेलू उपचार भी कर सकती हैं। हां, ये जरूर याद रखें कि दाद के इलाज के लिए बताई गई किसी भी क्रीम या टैबलेट को बिना डॉक्टर की सलाह के इस्तेमाल में नहीं लाना चाहिए।

स्वस्थ रहें, खुश रहें!

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