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गर्भावस्था के दौरान बुखार होने पर उसे गंभीरता से लेना जरूरी है। ध्यान रहे कि प्रेग्नेंसी में बैक्टीरिया या वायरस के कारण बुखार होने पर मां और नवजात दोनों के लिए स्थिति गंभीर हो सकती है। बोस्टन विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में पाया गया है कि जिन महिलाओं ने गर्भावस्था से ठीक पहले या शुरुआत में बुखार होने की रिपोर्ट की थी, उनके नवजात शिशुओं में ‘न्यूरल ट्यूब दोष’ की आशंका अधिक पाई गई थी (1)। ‘न्यूरल ट्यूब दोष’ मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी से जुड़ा जन्म दोष है, जो गर्भावस्था के पहले महीने में हो सकता है (2)।
गर्भावस्था में बुखार भी वायरल संक्रमण का संकेत दे सकता है। सीएमवी, रूबेला, दाद, आदि जैसे वायरल संक्रमण बच्चे को प्रभावित कर सकते हैं और टेराटोजेनेसिटी या विकास प्रतिबंध का कारण बन सकते हैं। मॉमजंक्शन के इस लेख में हमारे साथ जानिए गर्भावस्था और बुखार के बीच संबंध और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में।
सबसे पहले हम बुखार के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
क्या है बुखार?
जब शरीर का तापमान सामान्य से अधिक हो, तो उसे बुखार कहा जाता है। प्रत्येक व्यक्ति का सामान्य तापमान एक-दूसरे से अलग हो सकता है, लेकिन वैज्ञानिक तौर पर इसे करीब 98.6 फारेनहाइट माना गया है। एक बात तो स्पष्ट है कि बुखार कोई बीमारी नहीं है। यह संकेत है कि आपका शरीर किसी बीमारी या संक्रमण से लड़ने की कोशिश कर रहा है (3)।
क्या बुखार आना गर्भावस्था का संकेत है?
बुखार गर्भावस्था का संकेत हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि ओव्यूलेशन (अंडाशय से अंडे निकलने की प्रक्रिया) के दौरान शरीर के तापमान में वृद्धि होती है, जिसे बेसल बॉडी टेम्परेचर (BBT) कहा जाता है। अगर तय तारीख से दो हफ्ते बाद तक पीरियड्स न आएं और ओव्यूलेशन के दौरान बेसल बॉडी टेम्परेचर ज्यादा रहे, (लगभग .5 फारेनहाइट सामान्य शरीर के तापमान से अधिक), तो यह गर्भावस्था का संकेत हो सकता है (4)।
इस प्रकार बीबीटी के आधार पर यह पता लगाया जा सकता है कि महिला अपने गर्भधारण के प्रारंभिक चरण में पहुंच गई है।
गर्भावस्था में बुखार आने के कारण | Garbhavastha me Bhukar Aana
गर्भावस्था में प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है, क्योंकि इसे मां और बच्चे दोनों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त काम करना पड़ता है। इस दौरान, शरीर अतिसंवेदनशील हो जाता है और संक्रमण से ग्रसित हो सकता है, जो बुखार के रूप में दिखाई दे सकता है। नीचे दिए जा रहे बिंदुओं के माध्यम से जानिए गर्भावस्था के दौरान बुखार का कारण बनने वाले आमतौर पर सबसे अधिक महत्वपूर्ण कारणों के बारे में –
1. सर्दी-जुकाम या इंफ्लुएंजा
गर्भावस्था के दौरान सर्दी-जुकाम जो आमतौर पर इन्फ्लूएंजा वायरल संक्रमण है, से बुखार हो सकता है। इस दौरान बहती नाक, खांसी और गले में खराश हो सकती है। यह आमतौर पर 3-4 दिनों में सही हो जाता है, परंतु समस्या अगर ज्यादा दिन तक जारी रहे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें (4), (5)।
2. मूत्रमार्ग संक्रमण (UTI)
गर्भावस्था के दौरान महिलाएं यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की चपेट में आ सकती हैं। यह मूत्र मार्ग में होने वाला संक्रमण है, जिसमें पेशाब के साथ खून आ सकता है, ठंड लगती है और बुखार भी हो जाता है। पेशाब की आवृत्ति में वृद्धि, पेशाब के दौरान दर्द मूत्र पथ के संक्रमण का सुझाव देते हैं। यह गर्भावस्था के दौरान आम समस्या नहीं है। इस के कारण समय से पहले प्रसव और एमनियोटिक झिल्लियों के टूटने की आशंका बढ़ जाती है (6)।
3. गैस्ट्रोएन्टराइटिस (या पेट में संक्रमण)
गैस्ट्रोएन्टराइटिस मुख्य रूप से वायरस और कुछ बैक्टीरिया के कारण होता है। यह उल्टी, दस्त और बुखार जैसे लक्षणों के साथ आता है। यह समस्या एक गर्भवती महिला को भी हो सकती है और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं (7) (8)।
4. पार्वो वायरस बी19
सीडीसी के अनुसार, केवल पांच प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को यह दुर्लभ संक्रमण होता है। सामान्य संकेतों में त्वचा पर रैशेज, जोड़ों में दर्द, सिरदर्द, गले में खराश और बुखार शामिल हैं। पार्वो वायरस बी19 के कारण भ्रूण को एनीमिया और दिल में सूजन, गर्भपात या अंतर्गर्भाशयी मृत्यु जैसी जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है (9)।
5. डेंगू और मलेरिया
यह मुख्य रूप से मच्छर के काटने से होते हैं। मुख्य लक्षण उच्च ग्रेड बुखार, बुखार के साथ ठंड लगना, पसीना आना, अत्यधिक कमजोरी, सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द (डेंगू) हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए मच्छरों के काटने से खुद को बचाना बहुत ही जरूरी है। मलेरिया संक्रमण के कारण गर्भपात, अपरिपक्व प्रसव हो सकते हैं और यहां तक कि भ्रूण के संक्रमण के भी मामले रिपोर्ट हैं।
6. आंत्र ज्वर (Typhoid)
मुख्य लक्षण बुखार, कमजोरी, दस्त, उल्टी, सूजन, पेट में दर्द, सिरदर्द, भूख में कमी, मुंह में स्वाद की कमी। कॉम्प्लीकेशन को रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स की शीघ्र शुरुआत जरूरी है ।
7. कोरोनावाइरस संक्रमण
कोरोना वायरस संक्रमण भी अब सामान्य कारणों में से एक है। यह किसी भी लक्षण के बिना हो सकता है। हालांकि, मुख्य लक्षण बुखार, खांसी, सांस फूलना, गंध और स्वाद की भावना का अनुपस्थिति है। हालांकि, भ्रूण के संक्रमण की आशंकाएं कम हैं, लेकिन सावधानी बरतनी जरूरी है। कोविड संक्रमण से बचने के लिए, डॉक्टर के साथ संपर्क करें, मास्क का उपयोग करें और सामाजिक दूरी बनाए रखें।
8. भ्रूण का संक्रमण ( Chorioamnionitis)
अगर योनि रिसाव की समस्या है, तो झिल्ली के टूटने का पता लगाने के लिए डॉक्टर के पास जाना चाहिए। झिल्ली टूटने के बाद योनि बैक्टीरिया से भ्रूण संक्रमित हो सकता है, जो बच्चे के लिए बहुत खतरनाक है। इसमें एंटीबायोटिक्स उपचार और बच्चे की शीघ्र डिलीवरी की आवश्यकता होती है।
9. लिस्टेरिया
लिस्टरियोसिस तब होता है जब आप दूषित पानी और भोजन लेते हैं। तेज बुखार, मतली, मांसपेशियों में दर्द, दस्त, सिरदर्द व गले में ऐंठन इसके आम लक्षण हैं। अगर इसका जल्द उपचार न किया जाए, तो इससे समय से पहले प्रसव, जन्म के समय बच्चे की मौत या फिर गर्भपात जैसी गंभीर जटिलताएं सकती हैं (10)।
गर्भावस्था के दौरान बुखार के अन्य दुर्लभ कारणों में हेपेटाइटिस, पायलोनेफ्राइटिस (गुर्दे में संक्रमण), तपेदिक, कोलेजनाइटिस, निमोनिया शामिल हैं।
प्रेग्नेंसी में बुखार आने से बच्चे पर प्रभाव
प्रेग्नेंसी के दौरान बुखार न सिर्फ मां के लिए, बल्कि बच्चे के लिए भी घातक साबित हो सकता है। नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से जानिए गर्भावस्था के दौरान बुखार किस प्रकार शिशु पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है-
- भ्रूण के विकास में बाधा -गर्भावस्था के दौरान हाइपरथर्मिया (असामान्य रूप से शरीर का तापमान बढ़ना) गर्भपात का खतरा बन सकता है या भ्रूण के विकास में बाधा आ सकती है। गर्भावस्था के दौरान बुखार, विशेष रूप से जन्मजात विकृतियों के साथ जुड़ा हुआ है (11)
- ओरल क्लीफ का खतरा – एक अध्ययन के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान बुखार होने से शिशुओं में ओरल क्लीफ (ऊपरी होंठ का नाक के संपर्क में आना) का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, एंटीपायरेटिक्स (बुखार को कम करने की दवा) का उपयोग इसके हानिकारक प्रभाव को कम कर सकता है (12)। इस दवाई का सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करें।
- जन्म दोष की आंशका (टेराटोजेन) – सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के एक अध्ययन में पाया गया कि जिन महिलाओं को शुरुआती गर्भावस्था के दौरान या उससे ठीक पहले बुखार आता है, उनके नवजात शिशु में जन्म दोष की आंशका बढ़ जाती है (6)।
- न्यूरल ट्यूब दोष – स्लोन एपिडेमियोलॉजी केंद्र (बोस्टन विश्वविद्यालय) ने गर्भावस्था से पहले या उसके दौरान महिलाओं को हुए बुखार पर अध्ययन किया है। इसके जरिए पता चला है कि जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान बुखार था, उनके नवजात शिशुओं में ‘न्यूरल ट्यूब दोष’ की आशंका अधिक पाई गई थी (1)।
- ऑटिज्म और बच्चे का विकास प्रभावित – एक अध्ययन से इस बात की पुष्टि की गई है कि गर्भावस्था के दौरान बुखार होने पर बच्चे का विकास प्रभावित होता है और ऑटिज्म की समस्या हो सकती है। ऑटिज्म के कारण बच्चे को बातचीत करने में समस्या होती है (13)।
गर्भावस्था के दौरान बुखार से कैसे निपटें
गर्भावस्था के दौरान बुखार आ सकता है, इसके लिए आप ज्यादा परेशान न हों। घर में एक थर्मामीटर जरूर रखें और अपने तापमान की जांच करते रहें। अगर यह शरीर के सामान्य तापमान (98.6 F) से बहुत ज्यादा है, तो आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। आप शुरुआत में निम्नलिखित सामान्य तरीके अपनाकर बढ़ते बुखार को कम कर सकती हैं।
- आरामदायक और ढीले-ढाले कपड़े पहनें। सूती कपड़े आपके लिए ज्यादा उचित रहेंगे। अगर आपको ठंड लग रही है, तो आप चादर या कंबल ओढ़ सकते हैं।
- इस दौरान हाइड्रेट रहना बहुत जरूरी है। बीच-बीच में पानी पीते रहें।
- जितना हो सके शरीर को आराम दें। बुखार के कारण आपको चक्कर भी आ सकते हैं, इसलिए ज्यादा चले-फिरे नहीं।
- हवादार कमरे में रहने की कोशिश करें।
- कोई विशिष्ट लक्षण दिखने पर अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
गर्भावस्था में बुखार की दवाएं | Pregnancy Me Fever Ki Medicine
गर्भावस्था के दौरान बुखार से निपटने के लिए आप कुछ चुनिंदा दवाएं ले सकती हैं। नीचे जानिए कौन सी दवाएं आपके लिए सही रहेंगी (14), (15)–
- बुखार के लिए कई दवाइयां बाजार में उपलब्ध हैं, लेकिन कुछ ही गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित मानी जाती हैं। आमतौर पर डॉक्टर गर्भावस्था के दौरान पैरासिटामोल देते हैं। पेरासिटामोल एक सुरक्षित दवा है और यह भ्रूण को प्रभावित नहीं करती है, जब तक कि बहुत अधिक मात्रा में नहीं ली जाए।
- एस्पिरिन या इबुप्रोफेन जैसे नॉन-स्टेरायडल एंटी इंफ्लेमेटरी (NSAIDs) दवाइयां भी डॉक्टर की डॉक्टर से सलाह लेने के बाद बताई गई मात्रा के अनुसार ली जा सकती है।
अच्छा होगा कि आप सही दवा के चुनाव के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें, क्योंकि बिना डॉक्टर की सलाह पर दवा का सेवन आपके और आपके बच्चे के लिए खतरनाक हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान बुखार को कम करने के घरेलू उपाय
गर्भावस्था के दौरान बुखार को कम करने के लिए प्राकृतिक उपाय अपना सकती हैं। यह सामान्य सर्दी, फ्लू और कुछ संक्रमणों में भी सहायक हैं। इस बात का ध्यान रखें कि ये डॉक्टरी उपचार नहीं हैं, इसलिए इनका चुनाव समस्या के लक्षणों के अनुसार ही किया जाना चाहिए। इन घरेलू उपचारों का उपयोग कुछ संक्रमणों को रोकने और प्रतिरक्षा में सुधार के लिए भी किया जा सकता है।
- तुलसी की चाय – गर्भावस्था के दौरान कई तकलीफों को दूर करने के लिए तुलसी का सेवन किया जाता है। बुखार होने पर एक कप पानी में तुलसी के चार-पांच पत्तों को दो-तीन मिनट तक उबालें और हल्का ठंडा होने पर पिएं। तुलसी का एंटी फीवर गुण आपको बुखार से निजात दिलाने का काम करेगा (16), (17)।
- अदरक और शहद – गर्भावस्था के दौरान बुखार को कम करने के लिए आप अदरक और शहद का प्रयोग कर सकते हैं। आधा चम्मच कटे हुए अदरक को एक कप पानी में डालें और पांच मिनट तक अच्छी तरह उबालें और हल्का ठंडा होने पर एक चम्मच शहद मिलाकर पिएं। अदरक और शहद एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से समृद्ध होते हैं, जो आपको बुखार से निजात दिलाने में मदद करेंगे (18), (19)।
- मेथी का पानी – गर्भावस्था के दौरान बुखार से निजात पाने के लिए आप मेथी के दानों को प्रयोग में ला सकती हैं। इसके लिए आप एक कप पानी में एक चम्मच मेथी के दानों को डालकर रातभर के लिए रख दें और सुबह पानी को छानकर पिएं। गर्भावस्था के दौरान मेथी का सेवन सुरक्षित माना जाता है (20)।
- हल्दी का सेवन- गर्भावस्था में बुखार को कम करने के लिए आप हल्दी का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसमें एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। हल्दी शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है और बुखार को कम करती है। आप एक गिलास पानी में आधा चम्मच हल्दी, अदरक पाउडर और आवश्यकतानुसार चीनी डालकर गर्म करें। मिश्रण के हल्का ठंडा होने पर धीरे-धीरे पिएं (21)।
- पर्याप्त जल – गर्भावस्था के दौरान बुखार को कम करने के लिए आप बीच-बीच में पानी पीते रहें, ताकि आप पूरी तरह हाइड्रेट रहें।
गर्भावस्था में बुखार से बचने के लिए सावधानियां
नीचे जानिए गर्भावस्था में बुखार से बचने के लिए कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखना जरूरी है –
- खान-पान पर विशेष ध्यान दें। अपने आहार में फल और हरी सब्जियों को शामिल जरूर करें। साथ ही इस दौरान सही आहार से जुड़ी जानकारी डॉक्टर से भी जरूर लें।
- किसी भी संक्रमण से बचने के लिए खुद को साफ रखें और हाथों को बीच-बीच में धोते रहें।
- नियमित रूप से डॉक्टरी जांच करवाते रहें।
- चाहें, तो बीच-बीच में शरीर का तापमान थर्मामीटर से चेक कर सकती हैं।
- उन खाद्य पदार्थों से दूर रहें, जो एलर्जी का कारण बन सकते हैं।
- किसी भी तरह की असुविधा होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- जैसा कि हमने ऊपर बताया कि कोरोनावयरस की वजह से भी गर्भावस्था में बुखार आ सकता है, इसलिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, मास्क का उपयोग करें और विटामिन-सी युक्त खाद्य-पदार्थों का सेवन करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
गर्भावस्था के दौरान परागज बुखार (Hay fever) के लिए उपचार क्या है?
परागज बुखार प्रतिकूल वातावरण से होने वाला एलर्जिक रिएक्शन है (22)। इसकी मुख्य वजह धूल, पालतू जानवर या दूषित वातावरण से होने वाली एलर्जी है। गर्भावस्था के दौरान इससे निजात पाने के लिए आप कुछ सावधानियां अपना सकती हैं, जैसे-
- आप उस कारण का पता लगाएं, जिसकी वजह से आपको एलर्जी हो रही है। ऐसा करने से आप बढ़ते परागज बुखार को कम कर सकेंगी और इससे उपचार में भी मदद मिलेगी।
- आप एंटी एलर्जिक दवाइयां ले सकती हैं, इसके लिए आप संबंधित डॉक्टर से संपर्क करें।
- दूषित वातावरण और पालतू जानवरों से भी दूरी बनाएं,क्योंकि ये भी परागज बुखार के कारण हैं।
क्या गर्भावस्था के दौरान ग्रंथि संबंधी बुखार जोखिम भरा है?
ग्लैंडुलर बुखार, एपस्टीन बार वायरस (EBV) के कारण होने वाला संक्रमण है। इसे संक्रामक मोनोन्यूक्लिओसिस और किसिंग डिजीज भी कहा जाता है। एक बार जब किसी व्यक्ति को एपस्टीन बार वायरस हो जाता है, तो इसके एंटीबॉडीज शरीर में जीवनभर रहते हैं (23)। गर्भावस्था के दौरान EBV संक्रमण शरीर में दस्तक दे सकता है (24)। इसके आम लक्षण बुखार, गले में खराश और ग्लैंड का फूलना व पेट के नीचे दर्द है। अगर ग्लैंडुलर बुखार के लक्षण दिखाई दें, तो सटीक डॉक्टरी उपचार को प्राथमिकता दें।
गर्भावस्था के दौरान डेंगू बुखार के जोखिम क्या हैं?
डेंगू से होने वाला बुखार गर्भवती महिला को अपनी चपेट में ले सकता है। इस दौरान यह जोखिम भरा हो सकता है। डेंगू की वजह से इस दौरान, प्री-टर्म लेबर, और फेटल ट्रांसमिशन के साथ प्लेटलेट्स कम हो होने जैसी जटिलताएं नोट की गई हैं। इसलिए, इससे जुड़ा सटीक डॉक्टरी उपचार बेहद जरूरी है (25)।
आशा है कि गर्भावस्था के दौरान मां-बच्चे पर बुखार के प्रभाव और इससे निजात पाने के विभिन्न घरेलू और डॉक्टरी तरीकों के बारे में आप जान गए होंगे। बुखार की स्थिति में बताई गईं सावधानियों और उपायों पर जरूर ध्यान दें। अच्छा होगा कि आप संबंधित डॉक्टर के परामर्श पर उसके उपचार की प्रक्रिया आगे बढ़ाएं।
References
1. Birth Defect – CDC;
2. Neural Tube Defect – Medline Plus;
3. Fever – Medline Plus;
4. Articles;
5. Maternal Cold or Flu with Fever During Pregnancy – cdc;
6. Urinary Tract Infections In Pregnancy – ncbi;
7. Gastroenteritis In Pregnancy: Relevance and Remedy – ncbi;
8. Gastroenteritis – healthdirect;
9. Parvovirus B19 and Fifth Disease – cdc;
10. Listeriosis in Pregnancy: Diagnosis;
11. Fever in pregnancy and the risk of congenital malformations: a cohort study – ncbi;
12. Maternal fever during early pregnancy and the risk of oral clefts. – ncbi;
13. Fever During Pregnancy Associated with Autism or Developmental Delays?-ncbi;
14. Common cold in pregnancy and breastfeeding – seslhd.health.nsw;
15. Paracetamol Medication During Pregnancy – ncbi;
16. Tulsi – Ocimum sanctum: A herb for all reasons – ncbi;
17. Nature Cure For Health And Happiness – google book;
18. What to Eat When You’re Pregnant – google book;
19. Drugs During Pregnancy and Lactation – google book;
20. Food Can Be Medicine – Medicine Can Be Food – google book;
21. The Essential Guide to Herbal Safety – google book;
22. Hay fever– betterhealth;
23. Glandular fever – including symptoms;
24. Epstein-Barr virus infection during pregnancy and the risk of adverse pregnancy outcome-ncbi;
25. Maternal and fetal outcome of dengue fever in pregnancy – ncbi;
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