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गर्भावस्था का समय, महिलाओं के लिए नाजुक दौर होता है। इन नौ महीनों में गर्भवती महिलाओं को खास तौर पर अपना ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। हालांकि, प्रेगनेंसी के दौरान छोटा-मोटा काम करने में कोई खतरा नहीं है। आजकल गर्भवती महिलाएं नॉर्मल दिनों की तरह ही अपने सारे काम करती हैं। वर्किंग वीमेन ऑफिस जाने के लिए कार का इस्तेमाल करती हैं और खुद ड्राइव करती हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि प्रेगनेंसी में ड्राइविंग करना सुरक्षित है? यही वजह है कि मॉमजंक्शन के इस आर्टिकल में प्रेगनेंसी में ड्राइव करना महिलाओं के लिए कितना सुरक्षित है, गर्भावस्था में ड्राइव करने के क्या जोखिम हैं, जैसी तमाम बातों का जिक्र करेंगे।
सबसे पहले जानते हैं कि गर्भावस्था में ड्राइव करना चाहिए या नहीं।
क्या प्रेगनेंसी के दौरान कार ड्राइव करना सुरक्षित है?
गर्भवती महिला को छोटी-छोटी बातों का भी ध्यान रखने की जरूरत होती है। इस दौरान ड्राइविंग करनी चाहिए या नहीं यह महिला की स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। हालांकि, प्रेगनेंसी बहुत नाजुक स्थिति होती है। इसलिए, इस दौरान कहीं जाना भी है, तो खुद से ड्राइव करने से बचने की सलाह दी जाती है। हां, अगर कोई इमरजेंसी है, तो गर्भवती महिला को ड्राइविंग के दौरान ठीक तरह से सीट बेल्ट लगाने के साथ एयरबैग को कनेक्ट रखने व अन्य कई सावधानियां बरतने के लिए कहा जाता है।
लेख में आगे जानिए कि गर्भावस्था में ड्राइविंग करते वक्त ज्यादा ध्यान रखने की हिदायत क्यों दी जाती है।
प्रेगनेंसी के दौरान कार ड्राइव करते समय ज्यादा ध्यान देना क्यों जरूरी है?
गर्भावस्था के दौरान महिला को इसलिए ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है, क्योंकि इस अवस्था में महिलाओं का लाइफस्टाइल सामान्य दिनों की तरह नहीं होता है। गर्भावस्था की पहली तिमाही खत्म होने के बाद महिलाओं में मानसिक और शारीरिक बदलाव आने शुरू हो जाते हैं। गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में महिलाओं में नींद में बेचैनी, व्यवहार में परिवर्तन और उल्टी की समस्या होती है, जिस कारण उन्हें इस अवस्था में ड्राइविंग करते वक्त ध्यान केंद्रित करने में बाधा आ सकती है। यहीं कारण है कि इस स्थिति में महिला को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है।
अब जानते हैं, गर्भावस्था के दौरान ड्राइविंग के जोखिम के बारे में।
प्रेगनेंसी के दौरान कार ड्राइव करने के खतरे
साल 2014 के एक शोध के मुताबिक, 42 फीसदी से भी ज्यादा गर्भवती महिलाएं (दूसरी तिमाही) ड्राइविंग करते वक्त बड़े हादसे का शिकार हुई थी। वहीं, पहली और तीसरी तिमाही में ड्राइविंग करने के जोखिम भी देखे गए हैं (1)। एक अन्य शोध में भी इसका जिक्र मिलता है। इसमें बताया गया है कि गर्भावस्था के दौरान कार चलाते समय अमूमन 2.3% महिलाओं का रोड एक्सीडेंट हुआ था (2)।
बता दें कि गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में ड्राइविंग को ज्यादा जोखिम भरा बताया गया है। इस दौरान गर्भवती महिला में शारीरिक और मानसिक परिवर्तन आते हैं। अनिद्रा की समस्या भी महिलाओं में ड्राइविंग के दौरान बड़े हादसे का कारण बनती है। सड़क हादसे में गर्भवती महिला और उसके होने वाले शिशु के लिए जान का खतरा भी बन सकता है। गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में महिलाओं को ड्राइविंग करते वक्त सीट बेल्ट बांधना, कार में कंफर्टेबल होकर बैठना और ढीले-ढाले कपड़े पहने की सलाह दी जाती है, ताकि ड्राइविंग के समय कोई चूक न हो जाए।
जानिए गर्भावस्था के दौरान किन स्थितियों में ड्राइविंग करने से परहेज करना चाहिए।
प्रेगनेंसी के दौरान आपको कब कार ड्राइव नहीं करनी चाहिए
प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को किस-किस स्थिति में कार चलाने से बचना चाहिए, आइए उन पर एक नजर डाल लेते हैं।
- जी मिचलाना: गर्भावस्था में जी मिचलाने की समस्या बेहद आम है, जिस वजह से उल्टी और चक्कर आना आदि का सामना करना पड़ सकता है (3)। जिन महिलाओं को जी मिचलाने की समस्या हो रही है, उन्हें ट्रैवलिंग और ड्राइव के समय चक्कर आ सकता है, जिससे दुर्घटना होने का जोखिम बढ़ सकता है।
- कार की सीट पर फिट न होना: गर्भावस्था में सीट को थोड़ा पीछे करके बैठा जाता है, लेकिन सीट को ज्यादा पीछे करने की स्थिति में ब्रेक पेडल पर पैर न पहुंचने की दिक्कत हो सकती है। इसलिए, जब तक सेफ्टी महसूस न हो कार ड्राइव न करें। कार की सीट पर बैठते वक्त पीठ पर कुशन का इस्तेमाल जरूर करें।
- बार-बार ब्रेक लगाने में दिक्कत: कार चलाने वक्त ब्रेक का भी खास ध्यान देना पड़ता है। ज्यादा भीड़भाड़ वाली जगह पर बार-बार ब्रेक लगाने की जरूरत होती है। इस स्थिति में बेबी बंप पर अधिक दबाव पड़ता है और महिलाओं में डीप वेन थ्रोम्बोसिस (Deep Vein Thrombosis) का अधिक खतरा बढ़ जाता है। इसमें महिलाओं के पैरों में खून का थक्का जम जाता है, जो फेफड़ों तक होता हुआ प्रेगनेंसी पर बुरा असर छोड़ता है (4)।
- हिलने-डुलने में परेशानी होना: प्रेगनेंसी में एक समय ऐसा भी आता है, जब महिलाओं को थोड़ा-सा हिलने-डुलने में भी दिक्कत होती हैं। इस दौरान ज्यादा मूवमेंट करने पर महिलाओं को चक्कर आने की समस्या होती है और उनकी आंखों के आगे अचानक अंधेरा-सा छा जाता है। अधिक पीठ दर्द की समस्या भी इस दौरान देखने को मिलती है।
- ध्यान में कमी: गर्भावस्था में कुछ महिलाओं में ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में कमी हो सकती है (5)। ड्राइविंग करते वक्त सड़क पर आगे ही नहीं, बल्कि अगल-बगल और पीछे से आ रहे वाहनों का भी ध्यान रखना पड़ता है। ऐसे में ड्राइविंग के दौरान ध्यान लगाने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। अगर तनाव, चक्कर, मितली और सिरदर्द के कारण ध्यान लगाने में दिक्कत हो रही हो, तब भी कार ड्राइव न ही करें तो बेहतर रहेगा।
- लेबर के समय: डिलीवरी के दिन नजदीक आने लगे तो ध्यान रखें, इस दौरान कार चलाना बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है। लेबर के समय में अगर घर में अकेली हैं, तो एंबुलेंस को बुला सकती हैं।
लेख में आगे हम गर्भवती महिलाओं के ड्राइविंग को लेकर भारत में क्या नियम है, इसके बारे में जानेंगे।
गर्भवती महिलाओं के लिए भारत में क्या ड्राइविंग नियम हैं?
सरकारी नियमों के अनुसार कार ड्राइव करते समय सीट बेल्ट पहनना अनिवार्य है। इसे आगे विस्तार से बिंदुओं के माध्यम से समझें।
- प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में सीट बेल्ट नॉर्मली लगा सकती हैं, लेकिन जब बेबी बंप निकल रहा हो, तो सीट बेल्ट को थोड़ा ढीला करके पहनें।
- इस बात का भी ध्यान रखें कि ब्रेक लगाते वक्त सीट बेल्ट का पेट पर ज्यादा प्रेशर न पड़े।
- ध्यान रहे कि सीट बेल्ट को पेट से नीचे ही बांधें। कंधों के बगल से लेकर बेल्ट को सीने के बीच से निकालें।
- टाइट सीट बेल्ट पहनने से बड़ा जोखिम हो सकता है, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से सीट बेल्ट उपयोगी है।
जानिए गर्भवती महिला को सीट बेल्ट लगाने के सही तरीके के बारे में।
प्रेगनेंसी के दौरान सीट बेल्ट सुरक्षा | गर्भवती होने पर सीट बेल्ट कैसे पहनें?
गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चे की सुरक्षा के लिए सीट बेल्ट को सही तरीके से लगाना जरूरी होता है। इसे किस तरीके से पहना जाए इसे आगे समझिए (6)।
- कई महिलाएं कार में लगी थ्री-पोइंट बेल्ट में सिर्फ नीचे वाली बेल्ट को पेट के नीचे लगा लेती हैं। यह तरीका सही नहीं है।
- सीट बेल्ट को सही तरीके से लगाने के लिए सबसे पहले आराम से कार में बैठें।
- इसके बाद अपनी सीट को एडजस्ट कर लें।
- सीट बेल्ट की पोजीशन को सही रखें।
- इसे गर्दन से दूर रखें, लेकिन कंधे से हटाए नहीं।
- छाती के बीच से निकालते हुए इसे लगा लें।
- साथ ही नीचे वाली बेल्ट को पेट के नीचे जांघों के ऊपर से लगा लें।
- अंत में सीट बेल्ट को क्लिप में सही तरीके से फिट किया है या नहीं, इस बात की तसल्ली जरूर करें।
लेख में आगे जानते हैं कुछ ऐसे टिप्स, जो गर्भवती महिला को सेफ ड्राइविंग में मदद कर सकते हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान कार ड्राइविंग के लिए सेफ्टी टिप्स
गर्भवती महिला की सुरक्षा के लिहाज से कार ड्राइव करते वक्त नीचे बताई गई सभी बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है:
- ढीले कपड़े पहनें: प्रेगनेंसी में शरीर दिनों-दिन बढ़ता रहता है। इसलिए, जरूरी है कि तंग कपड़ों की बजाय कंफर्टेबल कपड़ों का चयन करें। इससे ड्राइव करते समय आराम से बैठ सकेंगी।
- कम न होने दें एनर्जी: प्रेगनेंसी के दिनों में बार-बार भूख लगती है। ऐसे में कार में स्नेक्स कैरी कर सकती हैं। याद रहे हल्की और स्वादिष्ट चीजों का ही सेवन करें, जिससे एक्टिव महसूस करे।
- अच्छी फ्रेगरेंस वाला परफ्यूम: दिनभर में कभी-कभी उल्टी और जी मिचलाना की शिकायत हो सकती है। इसलिए, साथ में एयर फ्रेशनर भी रखें।
- आंखों का ध्यान: कार चलाते समय दिन की तेज रोशनी और हवा से आंखों की रक्षा करने के लिए सन ग्लासेस या वींड शिल्ड का इस्तेमाल करें।
- पानी की कमी न होने दें: ड्राइविंग के वक्त सभी खाने-पीने की उचित चीजें साथ में रखें। समय-समय पर पानी पीना बिल्कुल भी न भूलें। पानी और जूस की बोतल जरूर कैरी करें।
- मोबाइल में फुल बैटरी: घर से अकेले निकलते वक्त मोबाइल की बैटरी फुल चार्ज करके चलें। ड्राइविंग करते वक्त मोबाइल ब्लूटूथ से कनेक्ट कर लें, ताकि बार-बार मोबाइल में न झांकना पड़े।
- इसका भी ख्याल: हमेशा सही रास्ते का चुनाव करें। ऊबड़-खाबड़ वाले रास्तों से जाने से बचें। सीट बेल्ट बांधना बिल्कुल भी न भूलें। कार में एयरबैग जरूर हो। सीट की हाइट का भी खास ध्यान रखें।
अब जानते हैं कि रास्ते में कार खराब होने पर गर्भवती महिला को क्या करना चाहिए।
ड्राइविंग करते समय कार खराब हो जाए, तो क्या करना चाहिए?
अगर बीच रास्ते कार धोखा दे देती है, तो ऐसी कंडीशन में गाड़ी को कहीं साइड और सुरक्षित जगह पर ले जाकर खड़ा कर दें। अगर यह समस्या रात को होती है, तो कार को साइड में लगाने के बाद तुरंत परिजनों को कॉल करें। वहीं, दिन में कार खराब होने पर राहगीरों की भी मदद ले सकती हैं। साथ ही आप विभिन्न कंपनियों की रोड साइड असिस्टेंट सर्विस भी ले सकते हैं।
लेख के अंत में जानते हैं कि सड़क हादसा होने पर गर्भवती महिला को क्या करना चाहिए।
कार का एक्सीडेंट हो जाए, तो क्या करें?
ड्राइविंग करते वक्त दुर्भाग्यवश कोई सड़क हादसा हो जाता है, तो बिल्कुल न घबराएं। इस दौरान खुद को रिलैक्स करें। महसूस करें कि हादसे में पेट और योनी को तो कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। साथ ही यह भी चेक करें कि ब्लीडिंग तो नहीं हो रही है। अगर तकलीफ ज्यादा होने लगे, तो तुरंत एंबुलेंस को कॉल करें। यदि किसी तरह की दिक्कत नहीं हो रही, तो भी डॉक्टर के पास जाएं और अपना चेकअप करवाएं (6)।
गर्भावस्था के दौरान ड्राइविंग करने से जुड़ी जानकारी आपको इस लेख के जरिए मिल गई होगी। यदि ड्राइविंग पर विचार कर रही हैं, तो डॉक्टर से परामर्श के बाद ही फैसला लें। इसके अलावा, प्रेगनेंसी में ड्राइविंग के दौरान लेख में बताई गई सेफ्टी टिप्स का जरूर ध्यान रखें। उम्मीद करते हैं कि हमारे इस लेख में दी गई सभी जानकारियां पाठक के काम आएंगी। गर्भावस्था के संबंध में अन्य जानकारी के लिए आप मॉमजंक्शन के अन्य लेख जरूर पढ़ें।
References
2. Seat Belt use, Counseling and Motor-Vehicle Injury During Pregnancy: Results from a Multi-State Population-Based Survey By Citeseerx
3. Nausea and Vomiting of Pregnancy By NCBI
4. What is Venous Thromboembolism? By CDC
5. Is it difficult to concentrate during the 3rd trimester and postpartum? By NCBI
6. IF YOU’RE PREGNANT SEAT BELT RECOMMENDATIONS FOR DRIVERS AND PASSENGERS By NHTSA
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