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बदलते लाइफस्टाइल के कारण लोग जाने-अनजाने में कई बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। इन्हीं में से एक समस्या गॉल स्टोन की है, जिसे पित्ताशय की पथरी कहा जाता है। यह समस्या हर उम्र के लोगों में देखने को मिलती है और बढ़ती हुई आयु के साथ इसका खतरा भी बढ़ता जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि गर्भावस्था में गॉल स्टोन क्या प्रभाव डाल सकता है? अगर नहीं, तो मॉमजंक्शन के इस लेख को पढ़कर आप जान सकते हैं कि प्रेगनेंसी में पित्ताशय की पथरी के कारण और लक्षण क्या हो सकते हैं। साथ ही यहां हम इससे बचाव के घरेलू उपायों भी चर्चा करेंगे। इस बारे में जानने के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
इस आर्टिकल के पहले भाग में हम बताएंगे कि पित्ताशय की पथरी क्या होती है।
पित्ताशय की पथरी क्या है?
यह एक प्रकार का ठोस पदार्थ होता है, जो पित्ताशय की थैली में पाचक रस के साथ जमा हो जाता है। इसका आकार रेत के दाने से लेकर गोल्फ बॉल जितना हो सकता है (1)। लिवर के नीचे थैलीनुमा छोटा-से अंग के पित्ताशय कहा जाता है। पित्ताशय की थैली में तरल पदार्थ मौजूद होता है, जिसे पित्त (पाचक रस) के नाम से जाना जाता है। यह तरल छोटी आंत से निकलता है और कुछ विशिष्ट पदार्थों की उपस्थिति में पित्ताशय में अपने साथ एक ठोस पदार्थ का निर्माण कर देता है। एक रिसर्च के अनुसार, पित्त पथरी की रचनाएं अलग-अलग होती हैं। इसमें तीन सबसे आम हैं – कोलेस्ट्रॉल पित्त पथरी, ब्लैक पिगमेंट पित्त पथरी और ब्राउन पिगमेंट पित्त पथरी। बता दें कि 90 प्रतिशत पित्त पथरी कोलेस्ट्रॉल पित्त पथरी होती है (2)।
चलिए, अब जानते हैं कि गर्भावस्था पित्ताशय की थैली के कामकाज को कैसे प्रभावित कर सकती है।
गर्भावस्था पित्ताशय की थैली के कामकाज को कैसे प्रभावित कर सकती है?
इसे पित्ताशय रोग से संबंधित उपलब्ध एक शोध के जरिए समझने में मदद मिल सकती है। गर्भावस्था के दौरान शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ने लगता है, जिससे पित्ताशय में मौजूद पाचक रस में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ जाती है। इसके अलावा, प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में प्रोजेस्टेरोन के उच्च स्तर के कारण पित्ताशय की संकुचन क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। यही वजह है कि गर्भावस्था में पित्ताशय से जुड़ी समस्या होने की आशंका अधिक रहती है (3)।
अब जानेंगे कि प्रेगनेंसी में पित्ताशय की पथरी क्यों होती है।
प्रेगनेंसी में पित्ताशय की पथरी के कारण
पुरुषों की तुलना में महिलाओं में पित्त पथरी की समस्या अधिक होती है (1)। गर्भावस्था में पित्ताशय की बीमारी के कई कारण हो सकते हैं, जो लगभग सामान्य व्यक्तियों की तरह ही होते हैं।
- गर्भावस्था के दौरान एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ने से (3)।
- पित्ताशय का पाचक रस को पूरी तरह से खाली न कर पाना (1)।
- अधिक वजन या मोटापा (4)।
पित्ताशय की पथरी के अन्य कारण इस प्रकार हैं (1)–
- बोन मैरो के चलते।
- डायबिटीज के कारण।
- लिवर सिरोसिस और पित्त में संक्रमण होने से।
- किसी बीमारी के कारण ज्यादा लाल रक्त कोशिकाओं का नष्ट होना।
- वजन घटाने की सर्जरी के बाद या बहुत कम कैलोरी वाले आहार खाने से तेजी से वजन घटना।
- लंबे समय तक नस के माध्यम से पोषण प्राप्त करना।
- ब्रथ कंट्रोल पिल्स का सेवन।
आइए, अब पित्ताशय की पथरी के लक्षणों को जानते हैं।
प्रेगनेंसी में गॉल ब्लैडर स्टोन के लक्षण
ज्यादातर मामलों में पित्त की पथरी के कोई लक्षण सामने नहीं आते हैं। इसकी पहचान के लिए रूटीन एक्स-रे या अन्य चिकित्सा प्रक्रिया की जरूरत पड़ सकती है। वहीं, पथरी का आकार बड़ा होने की स्थिति में निम्न लक्षण देखने को मिल सकते हैं, जो गर्भवती महिला और अन्य लोगों में एक प्रकार से ही होते हैं (1) :
- पेट के ऊपरी या मध्य भाग में दर्द। यह कम से कम 30 मिनट के लिए होता है। यह दर्द या ऐंठन तेज या हल्का भी महसूस हो सकता है।
- बुखार होना।
- त्वचा का पीला पड़ना और आंखों का सफेद होना (पीलिया)।
इसके अन्य लक्षण भी हैं:
- मल का रंग बदलना (मिट्टी के रंग का होना)
- मतली और उल्टी
अब हम प्रेगनेंसी में गॉल ब्लैडर स्टोन की जांच के बारे में बताएंगे।
प्रेगनेंसी में गॉल ब्लैडर स्टोन की जांच
प्रेगनेंसी में गॉल ब्लैडर स्टोन की जांच निम्न प्रकार से की जा सकती है (1) –
- अल्ट्रासाउंड (Abdominal ultrasound) – यह एक प्रकार का इमेजिंग टेस्ट होता है, जिसके माध्यम से छोटे गॉल स्टोन का पता लगाया जा सकता है (5)। गर्भावस्था में यह सुरक्षित माना जा सकता है (6)।
- सीटी स्कैन (Abdominal CT scan) – यह भी एक प्रकार का इमेजिंग टेस्ट ही है, जिसमें एक्स-रेज का इस्तेमाल करके कम्प्यूटर की स्क्रीन पर पेट के अंदरूनी भाग का चित्र देखा जा सकता है (7)। इस प्रक्रिया के माध्यम से पित्ताशय की पथरी के कारण होने वाले संक्रमणों और नुकसानों के बारे में जानकारी मिल सकती है (8)।
- एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलएंजियोपैन्क्रीआटोग्राफी (Endoscopic Retrograde Cholangiopancreatography) – पित्त की नलिकाओं में रुकावट पैदा करने वाली पथरियों का पता लगाने के लिए इस प्रकार का टेस्ट किया जाता है। इस दौरान पित्ताशय की पथरी को भी हटाया जा सकता है (9)। गर्भावस्था में यह टेस्ट सुरक्षित माना जाता है (10)।
- गॉलब्लैडर रेडियोन्यूक्लाइड स्कैन (Cholescintigraphy or gallbladder radionuclide scan)- इस टेस्ट में रेडियोएक्टिव विधि द्वारा पित्ताशय की गतिविधि की जांच की जाती है। साथ ही यह जांच प्रक्रिया पित्ताशय में ब्लॉकेज और लीकेज को भी जांचने में मदद कर सकती है। इस टेस्ट के माध्यम से पित्ताशय की सूजन और इन्फेक्शन का भी पता लगाया जा सकता है (11)। ध्यान रहे कि कुछ हद तक इस टेस्ट से गर्भवती को जोखिम भी हो सकता है (11)। इसलिए, इस टेस्ट को करने से पूर्व डॉक्टर सलाह आवश्यक है।
- एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (Endoscopic ultrasound) – यह एक प्रकार का इमेजिंग टेस्ट है। इसके माध्यम से पाचन तंत्र के अंदर और आसपास के अंगों को देखा जा सकता है (12)। गर्भावस्था में यह टेस्ट सुरक्षित माना जा सकता है (13)।
- मैग्नेटिक रेजोनेंस कोलएंजियोपैन्क्रीआटोग्राफी (Magnetic resonance cholangiopancreatography) – यह भी एक प्रकार का इमेजिंग टेस्ट है। इसमें मैग्नेट की सहायता से पित्त और पैनक्रियाज की समस्याओं को देखा जाता है (14)। गर्भावस्था में यह सुरक्षित माना जा सकता है (15)।
- परक्यूटीनियस ट्रांस हेपैटिक कोलेजनियोग्राम (Percutaneous transhepatic cholangiogram) – इसका उपयोग पित्त नलिकाओं के एक्स-रे लेने के लिए किया जा सकता है (16)। हालांकि, गर्भावस्था में इस जांच को थोड़ी जोखिम भरा माना गया है, लेकिन पथरी की गंभीरता को देखते हुए कुछ विशेष स्थितियों में डॉक्टर इस टेस्ट को कराने की सलाह दे सकते हैं (17)।
गॉल ब्लैडर स्टोन के लिए कुछ अन्य ब्लड टेस्ट की सलाह दी जा सकती है (1)–
- बिलीरुबिन (खून में एक पीले रंग का पदार्थ) (Bilirubin)
- लिवर फंक्शन टेस्ट (Liver function tests)
- कंपलीट ब्लड काउंट टेस्ट (Complete blood count)
- पैनक्रियेटिक इंजाइम (Pancreatic enzyme)
गॉल ब्लैडर स्टोन की जांच के बाद हम जानेंगे, इस दौरान होने वाली जटिलताओं के बारे में।
पित्ताशय की पथरी और गर्भावस्था में होने वाली जटिलताएं
यहां हम पित्ताशय की पथरी और गर्भावस्था में होने वाली जटिलताओं का जिक्र कर रहे हैं (18) (19)–
- आकस्मिक गर्भपात का खतरा।
- भ्रूण में असामान्यताएं।
- समय पूर्व प्रसव।
- बच्चे और मां दोनों के लिए मृत्यु का जोखिम।
- कोलीसिस्टाइटिस (पित्ताशय में सूजन)।
- पित्त नली में रुकावट के कारण संक्रमण और पीलिया का खतरा हो सकता है।
- पैंक्रियाटिटिस (पेट के निचले हिस्से के पीछे का अंग में सूजन का खतरा)।
- पित्ताशय की थैली का कैंसर।
अब हम प्रेगनेंसी में गॉल ब्लैडर स्टोन के ट्रीटमेंट के बारे में जानेंगे।
प्रेगनेंसी में गॉल ब्लैडर स्टोन का इलाज
आमतौर पर पित्ताशय की पथरी को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है, जो कि दूसरी और तीसरी तिमाही में पूरी तरह से सुरक्षित है और पित्ताशय की पथरी का इलाज करने के लिए उपयोग की जाती है (20)। कभी-कभी डॉक्टर इसके लिए नॉन सर्जिकल उपचार का भी प्रयोग करते हैं, जिसे कोलेस्ट्रोल स्टोन होने की स्थिति में ही प्रयोग में लाया जाता है (21)। आइए, अब आगे बढ़कर अब हम पित्ताशय की पथरी के लिए उपयोग में लाए जाने वाले सर्जिकल और नॉन सर्जिकल उपचार को विस्तार से समझ लेते हैं।
सर्जरी- सर्जरी के माध्यम से पित्ताशय की पथरी को निकालने के प्रोसेस को कोलेसिस्टेक्टोमी (cholecystectomy) कहा जाता है। इसे दो प्रकार से किया जा सकता है (21)।
- लेप्रोस्पोपिक कोलेसिस्टेक्टोमी (Laparoscopic cholecystectomy) – यह ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें पित्ताशय की पथरी को हटाने के लिए लेप्रोस्कोपी नामक चिकित्सा प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है। लगभग सभी सर्जन लेप्रोस्कोपिक के साथ कोलेसिस्टेक्टोमी करते हैं। इस प्रक्रिया के बाद पेशेंट उसी दिन घर लौटने में सक्षम रहता है। साथ ही तुरंत फिजिकल एक्टिविटी कर सकता है।
- ओपन कोलेसिस्टेक्टोमी (Open cholecystectomy) – यह तब होता है जब, पित्ताशय की थैली में गंभीर रूप से सूजन या संक्रमण होता है। इस सर्जरी के बाद पेशेंट को लगभग एक सप्ताह तक हॉस्पिटल में रहने की आवश्यकता होती है। वहीं, फिजिकल एक्टिविटी करने में भी महीने भर का समय लग सकता है।
नॉन सर्जिकल ट्रीटमेंट- पित्ताशय में कोलेस्ट्रॉल स्टोन होने की स्थिति में ही डॉक्टर नॉन सर्जिकल ट्रीटमेंट का सुझाव देते हैं। नॉन सर्जिकल ट्रीटमेंट में पित्ताशय की पथरी के कारण होने वाली खुजली को हटाने के लिए निम्न तरीकों को इस्तेमाल में लाने की सलाह दी जाती है।
- पथरी के कारण होने वाली खुजली को कम करने के लिए डॉक्टर उर्सोडियोजाइकोलिक एसिड या उर्सोडियोल जैसी दवाओं को लेने की सलाह दे सकते हैं (22)।
- वहीं, पथरी के कारण होने वाली खुजली से बचाव के लिए गर्म या ठंडे पानी की सिकाई भी की जा सकती है। बस ध्यान रहे कि जरूरत से ज्यादा गर्म पानी होने वाले शिशु को नुकसान पहुंचा सकता है।
आगे हम प्रेगनेंसी में गॉल ब्लैडर स्टोन हटाने के घरेलू उपाय बता रहे हैं।
प्रेगनेंसी में गॉल ब्लैडर स्टोन के घरेलू उपचार
पित्ताशय की पथरी को कम करने के लिए घरेलू उपायों को भी अपनाया जा सकता है। नीचे हम ऐसे ही कुछ नुस्खों का जिक्र कर रहे हैं, जिसके जरिए स्टोन को कम किया जा सकता है, लेकिन उससे पहले हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि लेख में बताए गए नुस्खे किसी भी तरह से बीमारी का इलाज नहीं है। ये सिर्फ समस्या को कम करने में मदद कर सकते हैं।
1. हल्दी
सामग्री :
- हल्दी – आधा चम्मच
- शहद – आधा चम्मच
उपयोग करने का तरीका :
- सबसे पहले शहद और हल्दी को अच्छे से मिला लें।
- फिर उस मिश्रण का सेवन करें।
- दिन में एक बार इस मिश्रण का सेवन कर सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद :
पित्ताशय की पथरी को कम करने के लिए हल्दी का उपयोग किया जा सकता है। दरअसल, एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, गॉल स्टोन को कम करने में हल्दी काफी मददगार साबित हो सकती है (23)। वहीं, एक अन्य शोध में हल्दी में पाए जाने वाले करक्यूमिन (Curcumin) को गॉल स्टोन के विकास को रोकने में सहायक माना गया है (24)। वहीं, शहद और हल्दी दोनों ही गर्भावस्था में उपयोग किए जा सकते हैं (25) (26)। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि हल्दी और शहद के मिश्रण का सेवन पित्ताशय की पथरी से राहत दिलाने में कुछ हद तक फायदेमंद हो सकता है।
2. विटामिन-सी
सामग्री :
- एक विटामिन-सी कैप्सूल
उपयोग करने का तरीका :
- विटामिन-सी कैप्सूल का सेवन पानी के साथ कर सकते हैं ।
- डॉक्टर की सलाह पर रोजाना एक विटामिन-सी कैप्सूल का सेवन कर सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद:
पित्ताशय की पथरी को कम करने के लिए विटामिन-सी का भी इस्तेमाल सप्लीमेंट के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। एनसीबीआई की साइट पर प्रकाशित एक शोध में इस बात की जानकारी मिलती है। इस शोध में बताया गया है कि विटामिन-सी कोलेस्ट्रॉल की क्रिया को बढ़ाने में मदद कर सकता है। इससे पित्ताशय में पथरी का विकास रुक सकता है (27)। गर्भवती महिलाएं विटामिन-सी कैप्सूल के इस्तेमाल से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
3. नाशपाती का जूस
सामग्री :
- नाशपाती का रस – आधा गिलास
- गर्म पानी – आधा गिलास
- शहद – दो चम्मच
उपयोग करने का तरीका :
- सबसे पहले गर्म पानी में नाशपाती का रस और शहद को अच्छे से मिला लें।
- अब इस जूस को सिप करते हुए पिएं।
- इस जूस का सेवन दिन में करीब तीन बार कर सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद :
गर्भावस्था के दौरान गॉल स्टोन से छुटकारा पाने के उपायों में नाशपाती का जूस भी शामिल है। दरअसल, नाशपाती का रस बेहद असरकारी माना जा सकता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव मौजूद होता है, जो सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। यही नहीं, यह पित्ताशय की समस्याओं को ठीक करने में भी मदद कर सकता है (28)।
4. ग्रीन टी
सामग्री :
- ग्रीन टी बैग – एक से दो
- गर्म पानी – एक कप
- शहद – एक से दो बूंद
- नींबू – एक से दो बूंद
उपयोग करने का तरीका :
- सबसे पहले ग्रीन टी बैग को 5 से 10 मिनट के लिए पानी में उबाल लें।
- फिर इसे कप में छान लें। अब इसमें शहद और नींबू का रस मिला लें।
- दिन में एक से दो बार इस चाय का आनंद लें।
कैसे है फायदेमंद:
गॉल स्टोन के घरेलू उपचार में ग्रीन टी भी शामिल हैं। एनसीबीआई की साइट पर प्रकाशित शोध के मुताबिक, ग्रीन टी में कैटेचिन नामक कंपाउंड मौजूद होता है, जो पित्ताशय की पथरी के विकास को रोकने में मददगार साबित हो सकता है (29)। बता दें कि गर्भावस्था में ग्रीन टी के सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें, क्योंकि इसका असर मेटाबॉलिज्म पर भी पड़ सकता है (30) ।
5. इसबगोल
सामग्री :
- इसबगोल पाउडर – एक चम्मच
- पानी – एक गिलास
उपयोग करने का तरीका :
- सबसे पहले एक गिलास पानी में एक चम्मच इसबगोल मिलाएं।
- अब इसका सेवन करें।
- रात को सोने से पहले हर रोज या हर दूसरे दिन इसका सेवन करें।
कैसे है फायदेमंद :
गर्भावस्था के दौरान पित्ताशय की पथरी से निजात पाने के लिए इसबगोल का इस्तेमाल भी फायदेमंद हो सकता है। इससे जुड़े शोध में बताया गया है कि इसबगोल में फाइबर की मात्रा पाई जाती है, जो गॉल स्टोन को कम करने में सहायक सिद्ध हो सकता है (31)। वैज्ञानिक शोध के अनुसार, गर्भावस्था में इसबगोल का सेवन किया जा सकता है, लेकिन बेहतर यही होगा कि इसे लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ली जाए (32)।
6. नींबू का रस
सामग्री :
- नींबू का रस – एक चम्मच
- गुनगुना पानी – एक गिलास
उपयोग करने का तरीका :
- सबसे पहले एक गिलास पानी में एक चम्मच नींबू के रस को मिला लें।
- अब दिन में तीन से चार बार इसका सेवन कर सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद :
गॉल स्टोन से छुटकारा पाने के लिए नींबू पानी भी फायदेमंद हो सकता है। इससे जुड़े एक शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि नींबू पित्ताशय की पथरी को गलाने की क्षमता रखता है (33)। वहीं, नींबू विटामिन-सी से समृद्ध होता है (34)। जैसा कि हमने लेख में बताया है कि विटामिन-सी कोलेस्ट्रॉल के उपापचय की क्रिया को बढ़ाने में मदद कर सकता है। इससे पित्ताशय में पथरी का विकास रुक सकता है (27)। वहीं, गर्भावस्था में नींबू का सेवन सुरक्षित माना गया है (35)।
यहां हम गर्भावस्था के दौरान गॉल ब्लैडर स्टोन से बचने के तरीके बता रहे हैं।
गर्भावस्था के दौरान गॉल ब्लैडर स्टोन से बचाव
पित्ताशय की पथरी के जोखिम को कम करने के लिए स्वस्थ आहार का सेवन करना जरूरी है। इसके साथ ही रोजाना फिजिकल एक्टिविटी भी जरूरी है, इससे वजन संतुलित रहता है। आगे हम कुछ और बिंदुओं का जिक्र कर रहे हैं, जिससे गर्भावस्था के दौरान गॉल ब्लैडर स्टोन से बचा जा सकता है (36)।
- ऐसे खाद्य पदार्थ का सेवन करें, जो फाइबर से समृद्ध हों। जैसे – फल, सब्जियां, बीन्स, मटर, भूरे चावल, ओट्स और गेहूं।
- रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और चीनी का सेवन कम करें।
- ऑलिव ऑयल और फिश ऑयल का सेवन कर सकते हैं।
- अनहेल्दी फूड (जैसे – डेसर्ट और तले हुए पदार्थ) के सेवन से बचें।
- इसके अलावा, अगर कोई मधुमेह का रोगी है, तो उसे अपने डायबिटीज को नियंत्रित करने की आवश्यकता है।
चलिए, अब जान लेते हैं कि पित्ताशय की समस्या के लिए डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए।
डॉक्टर से कब परामर्श करें
अगर पित्ताशय की पथरी के लक्षण नजर न आएं, तो इलाज की खास जरूरत नहीं होती है। वहीं, अगर लक्षण गंभीर रूप से दिखाई दें, तो बिना देर किए डॉक्टर के पास जाना चाहिए। नीचे हम ऐसे ही कुछ लक्षणों का जिक्र कर रहे हैं, जिनके सामने आने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए (1)।
- पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द।
- त्वचा का पीला पड़ना या आंखों का सफेद होना।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या पित्ताशय की पथरी बच्चे को चोट पहुंचा सकती है या प्रसव को और जटिल बना सकती है?
नहीं, पित्ताशय की पथरी बच्चे को चोट नहीं पहुंचा सकती है और न ही प्रसव को और जटिल बना सकती है (37)।
क्या प्रसव के तुरंत बाद पित्त पथरी विकसित होने की आशंका आम है?
हां, प्रसव के बाद पहले साल में पित्त पथरी विकसित होने की आशंका हो सकती है (38)।
गर्भावस्था के दौरान छोटी-छोटी चीजों का ख्याल रखना जरूरी होता है। इस दौरान महिलाओं को कई प्रकार की समस्याएं होती हैं और उसका कारण होता है उनके शरीर में होने वाला हॉर्मोनल बदलाव। गॉल स्टोन भी उन्हीं में से एक है, इससे घबराने की जरूरत नहीं है। अगर सही समय पर इसकी पहचान कर ली जाए, तो इससे निजात मिल सकती है। हमें उम्मीद है कि इस लेख में दी गई जानकारी आपको इस समस्या से छुटकारा दिलाने में जरूर मदद करेगी।
References
1. Gallstones – By Medlineplus
2. Cholelithiasis – By NCBI
3. Gallbladder diseases in pregnancy: Sonographic findings in an indigenous African population – By NCBI
4. Gallstones – By NCBI
5. Abdominal ultrasound – By Medlineplus
6. Ultrasound – By Medlineplus
7. Abdominal CT scan– By Medlineplus
8. Abdominal computed tomography during pregnancy for suspected appendicitis: a 5-year experience at a maternity hospital -By NCBI
9. ERCP– By Medlineplus
10. ERCP in Pregnancy – By NCBI
11. Gallbladder radionuclide scan– By Medlineplus
12. Endoscopic ultrasound– By Medlineplus
13. Role of endoscopic ultrasound/SpyScope in diagnosis and treatment of choledocholithiasis in pregnancy – By NCBI
14. Magnetic resonance cholangiopancreatography: the ABC of MRCP-By NCBI
15. The role of MR cholangiopancreatography in the evaluation of pregnant patients with acute pancreaticobiliary disease – By NC
16. Percutaneous transhepatic cholangiogram– By Medlineplus
17. Secondary Sclerosing Cholangitis During Pregnancy – BY NCBI
18. The course and outcomes of complicated gallstone disease in pregnancy: Experience of a tertiary center – BY NCBI
19. Gallstones (Cholelithiasis)– By NCBI
20. Laparoscopic cholecystectomy during pregnancy is safe for both mother and fetus – BY NCBI
21. Treatment for Gallstones – By NIH
22. Evaluating the effectiveness and safety of ursodeoxycholic acid in treatment of intrahepatic cholestasis of pregnancy: A meta-analysis (a prisma-compliant study) _ BY NCBI
23. Turmeric, the Golden Spice – By NCBI
24. Combination of curcumin and piperine prevents formation of gallstones in C57BL6 mice fed on lithogenic diet: whether NPC1L1/SREBP2 participates in this process? – By NCBI
25. Food-borne illnesses during pregnancy – By NCBI
26. Curcumin: Could This Compound Be Useful in Pregnancy and Pregnancy-Related Complications? – By NCBI
27. Vitamin C supplement use may protect against gallstones: an observational study on a randomly selected population – By NCBI
28. Why is pear is so dear – By Researchgate
29. Tea drinking and the risk of biliary tract cancers and biliary stones: A population-based case-control study in Shanghai, China– By NCBI
30. Effect of the consumption of green tea extract during pregnancy and lactation on metabolism of mothers and 28d-old offspring – By NCBI
31. Soluble dietary fiber protects against cholesterol gallstone formation – By NCBI
32. Constipation in pregnancy – By NCBI
33. Gallstones-dissolving capacity of lemon ( Citrus limon ) juice, Herniaria hirsuta L. extract and lemon juice-based natural vinaigrette in vitro – By Semanticscholar
34. Content of phenolic compounds and vitamin C and antioxidant activity in wasted parts of Sudanese citrus fruits – By NCBI
35. An Evaluative Study To Assess The Effectiveness Of Lemon Juice On Pregnancy Induced Hypertension Among Antenatal Mothers In Dommasandra Phc, Bangalore– By Academia
36. Eating, Diet, & Nutrition for Gallstones – BY NIH
37. Surgery for gallstone disease during pregnancy does not increase fetal or maternal mortality: a meta-analysis – By NCBI
38. Risk factors for gallstone-related hospitalization during pregnancy and the postpartum – By NCBI
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