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गर्भावस्था में महिलाएं कई तरह की शारीरिक समस्याओं से गुजरती हैं। इन्हीं में से एक है, गर्दन का दर्द होना। अब गर्भावस्था में गर्दन का दर्द करना कितना सामान्य है और किन स्थितियों में इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए, यह समझने वाली बात है। यही कारण है कि मॉमजंक्शन के इस लेख में हम प्रेगनेंसी में गर्दन दर्द के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। साथ ही यहां आपको प्रेगनेंसी में गर्दन में दर्द होने के कारण से लेकर प्रेगनेंसी में गर्दन में दर्द ठीक करने के उपाय भी पता चलेंगे। इतना ही नहीं यहां आप प्रेगनेंसी में गर्दन के दर्द को दूर करने की आसान एक्सरसाइज भी जान पाएंगे।

तो आइए सबसे पहले प्रेगनेंसी में गर्दन दर्द होना कितना सामान्य है, यह समझ लेते हैं।

क्या प्रेगनेंसी में गर्दन में दर्द होना सामान्य है?

हां, गर्भावस्था के दौरान गर्दन में दर्द होना सामान्य माना जा सकता है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान अधिकतर महिलाओं को बदन दर्द का अनुभव होता हैं, जिनमें से लगभग 12.4 फीसदी महिलाओं को प्रेगनेंसी में गर्दन के दर्द का अनुभव हो सकता है (1) इसके अलावा एनसीबीआई के एक अन्य अध्ययन से यह भी ज्ञात होता है कि पहली और दूसरी तिमाही के मुकाबले, तीसरी तिमाही में गर्दन के दर्द का अनुभव गर्भवतियों को अधिक हो सकता है (2)

अब जानते हैं प्रेगनेंसी के दौरान गर्दन में दर्द होने के कारण।

प्रेगनेंसी के दौरान गर्दन में दर्द के कारण

प्रेगनेंसी के दौरान गर्दन में दर्द होने के कारण कई हैं, जिनके बारे में हम नीचे विस्तार से पढ़ सकते हैं :

1. हार्मोनल और शारीरिक परिवर्तन

एनसीबीआई पर प्रकाशिक रिसर्च पेपर के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान होने वाले हार्मोनल और शारीरिक परिवर्तन के कारण गर्भावस्था में मस्कुलोस्केलेटल संबंधी समस्याओं (हड्डियों, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द की समस्या) का जोखिम बढ़ सकता है। इसमें गर्दन का दर्द भी शामिल है (2)

2. फाइब्रोमायल्जिया

फाइब्रोमायल्जिया (Fibromyalgia) एक चिकित्सीय स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को लंबे समय तक मांसपेशियों में दर्द और तनाव महसूस होता है। यह दर्द पूरे शरीर में फैल सकता है। इसका मुख्य कारण थकान, नींद से जुड़ी समस्याएं, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होना, सिरदर्द, अवसाद और चिंता हो सकता है। ऐसे में इस समस्या के कारण गर्दन में दर्द भी हो सकता है (3)। वहीं गर्भावस्था के दौरान तनाव, चिंता और अवसाद इस समस्या को बढ़ा सकते हैं (4)

3. बैठने की खराब मुद्रा

बैठने या काम करने की खराब मुद्रा भी गर्दन दर्द का जोखिम बढ़ा सकती है। दरअसल, खराब मुद्रा के कारण जोड़ों और मांसपेशियों पर अधिक दबाव पड़ता है, जिससे गर्दन में दर्द की समस्या हो सकती है। यह समस्या अक्सर कंप्यूटर पर काम करते समय या गर्दन झुका कर काम करने जैसी स्थितियों के कारण अधिक देखी जा सकती है (5)इसके अलावा, गर्भावस्था में सोने का सही तरीका न अपनाने स भी गर्दन में दर्द की समस्या हो सकती है (6)

4. गलत तरीके से व्यायाम करना

गर्भावस्था के चरणों में अक्सर महिलाओं के वजन बढ़ जाता है। जिसे कम करने और नियंत्रित करने के लिए व्यायाम करना लाभकारी माना जा सकता है (7)। हालांकि, अगर वे व्यायाम करते समय गर्दन को गलत तरीके से मोड़ती हैं या घुमाती हैं, तो यह भी गर्दन में दर्द का एक कारण बन सकता है (6)

5. गर्दन में चोट लगना

गर्भवती महिलाओं के साथ गर्दन से जुड़ी किसी तरह की दुर्घटना घटित होने या चोट लगने के कारण भी गर्दन में दर्द की समस्या हो सकती है (6)

6. सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस (Cervical Spondylosis) हड्डी से जुड़ा एक विकार है, जो मुख्य तौर पर रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है। इसके कारण रीढ़ की हड्डी में सूजन आ जाती है, जो मुख्य रूप से गर्दन में स्थित सर्वाइकल स्पाइन को प्रभावित कर सकती है। इसके कारण गर्दन की हड्डी, रीढ़ के जोड़ और डिस्क पर अधिक प्रभाव पड़ सकता है। इस वजह से इसे भी गर्दन दर्द का एक कारण माना जा सकता है। आमतौर पर यह समस्या बुजुर्गों में अधिक देखी जाती है (8)। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान भी यह समस्या हो सकती है (9)

यहां अब हम प्रेगनेंसी के दौरान गर्दन में दर्द के लक्षण समझने का प्रयास करेंगे।

प्रेगनेंसी के दौरान गर्दन में दर्द के लक्षण

गर्दन का दर्द स्वयं में ही इसका लक्षण होता है। हालांकि, गर्दन में दर्द की समस्या होने पर अन्य लक्षण भी महसूस हो सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं (6):

  • गर्दन को हिलाने या किसी एक तरफ मोड़ने में कठिनाई महसूस करना।
  • अगर गर्दन में दर्द का कारण सिकुड़ी हुई नसों की वजह से है, तो हाथ में सुन्नता, झुनझुनी या कमजोरी भी महसूस हो सकती है।

लेख के अगले भाग में अब हम गर्भावस्था में गर्दन दर्द के प्रकार जानेंगे।

प्रेगनेंसी के दौरान गर्दन में दर्द के प्रकार

प्रेगनेंसी के दौरान गर्दन में दर्द के प्रकार उसके कारणों के आधार पर निर्भर कर सकते हैं, जिनमें मांसपेशियों, नसों, हड्डियों, जोड़ों और हड्डियों के बीच की डिस्क प्रभावित होने के कारण गर्दन के दर्द की समस्या हो सकती है (6)। नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से हम उन्हें विस्तार से समझाने का प्रयास कर रहे हैं।

  • एक्सियल पेन (Axial Pain) – यह रीढ़ के उस भाग में महसूस होता है, जो गर्दन (सर्वाइकल स्पाइन) से जुड़ा होता है और कभी-कभी इसका दर्द कंधे तक फैल सकता है (10)। इस हड्डी से जुड़ा गर्दन का दर्द कहा जा सकता है।
  • रैडिकुलर पेन (Radicular Pain) – इस तरह का दर्द नसों में होता है, जो सिर के पीछे या बाहों के नीचे महसूस हो सकता है। इस तरह का दर्द आमतौर पर नसों या मांसपेशियों में कमजोरी के कारण हो सकता है। इसके कारण हाथों के कार्य करने की क्षमता और मांसपेशियों की शक्ति भी प्रभावित हो सकता है। साथ ही हाथों में झुनझुनी भी महसूस हो सकती है (10)
  • वस्कुलर पेन (Vascular Pain) – वस्कुलर पेन अक्सर सूजी हुई ग्रंथियों के कारण हो सकता है। जो अक्सर मांसपेशियों पर अधिक तनाव या गर्दन में कैरोटिड धमनी (Carotid Artery – मस्तिष्क को जाने वाली मुख्य धमनी) में सूजन के कारण हो सकता है। इसे भी गर्दन दर्द का एक प्रकार कहा जा सकता है (11)
  • तनाव वाला सिरदर्द तनाव वाला सिरदर्द, सिरदर्द का ही एक आम प्रकार होता है। यह सिर के आगे के भाग, सिर की त्वचा (स्कैल्प) और गर्दन में दर्द या परेशानी का कारण बन सकता है। यह इन क्षेत्रों में मांसपेशियों में खिंचाव के कारण हो सकता है (12)
  • गर्दन की चोट वाला दर्द किसी दुर्घटना या गिरने के कारण गर्दन में चोट लग सकती है, जिससे गर्दन में दर्द हो सकता है (10)
  • नस का दबना कुछ स्थितियों में नस के दबने के कारण भी गर्दन में दर्द महसूस हो सकता है। इसके कारण हाथ में झुनझुनी, सुन्नता या कमजोरी जैसे लक्षण भी महसूस किए जा सकते हैं (6)
  • दूसरे अंगों में फैलने वाला दर्द गर्दन का दर्द सिर के ऊपरी हिस्से से लेकर कंधे, सीने और शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकता है (13)

इस भाग में पढ़ें प्रेगनेंसी में गर्दन में दर्द ठीक करने के उपाय व कुछ कारगर टिप्स।

गर्भावस्था में गर्दन के दर्द को दूर करने के लिए घरेलू इलाज व टिप्स

लेख के इस भाग में हम सामान्य रूप से गर्दन दर्द से राहत दिलाने वाले कुछ उपाय बता रहे हैं, जो प्रेगनेंसी में गर्दन दर्द की समस्या से कुछ हद तक राहत दिला सकते हैं।

1. स्ट्रेचिंग करना

गर्भावस्था में गर्दन दर्द की समस्या का घरेलू उपचार करने के लिए स्ट्रेचिंग का सहारा लिया जा सकता है। स्ट्रेचिंग करने से गर्दन का लचीलापन भी बढ़ सकता है। साथ ही गर्दन को मजबूती भी मिलती है, जिससे गर्दन के दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है (14)

2. बर्फ या हीट पैड से सिकाई करना

एनसीबीआई पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, हीटिंग पैड या कोल्ड पैक के इस्तेमाल से गर्दन और पीठ में होने वाले तनाव को कम करके दर्द से राहत पाई जा सकती है (15) इसके लिए लगभग 30 मिनट तक गर्दन में दर्द होने वाले स्थान पर हीट या कोल्ड पैक लगाने की सलाह दी जाती है।

3. एक्यूपंक्चर

गर्दन दर्द या शरीर के अन्य दर्द को दूर करने के लिए एक्यूपंक्चर का सहारा लिया जा सकता है। मौजूद अध्ययनों के अनुसार यह पता चलता है कि एक्यूपंक्चर क्रोनिक गर्दन के दर्द को कम करने में प्रभावी हो सकता है (16)। दरअसल, एक्यूपंक्चर एक पारंपरिक चीनी उपचार है, जिसकी प्रक्रिया के दौरान दर्द वाले स्थान पर छोटी-छोटी सुइयां लगाई जाती हैं। इससे रक्त के प्रवाह में सुधार हो सकता है और इससे दर्द से राहत मिल सकती है (17)। ऐसे में गर्भावस्था में गर्दन के दर्द से राहत पाने के लिए महिलाएं एक्यूपंक्चर का विकल्प अपना सकती हैं। हालांकि, इसके लिए उन्हें प्रशिक्षित और अनुभवी एक्यूपंक्चर थेरेपिस्ट से ही संपर्क करना चाहिए।

4. मालिश

मालिश से मांसपेशियों में होने वाले दर्द से राहत मिल सकती है। इस बात की पुष्टि मसाज से संबंधित एक शोध से होती है। शोध में जिक्र मिलता है कि अच्छी तरह से गर्दन की मालिश करने से मांसपेशियों का तनाव कम होता है। साथ ही इससे गर्दन के दर्द में भी काफी आराम मिलता है (18)। इस आधार पर कहना गलत नहीं होगा कि गर्दन दर्द की स्थिति में मालिश करने के फायदे प्रभावी हो सकते हैं।

5. मैनिपुलेशन और मोबिलाइजेशन

गर्भावस्था में गर्दन के दर्द का इलाज करने के लिए मैनिपुलेशन और मोबिलाइजेशन (Manipulation and Mobilization) का तरीका भी अपनाया जा सकता है। यह दर्द से राहत दिलाने और जोड़ों की गतिविधियों में सुधार करने में मदद कर सकते हैं। मोबिलाइजेशन में जोड़ों को धीरे-धीरे मूव कराया जाता है। वहीं मैनिपुलेशन में हड्डी व मांसपेशियों पर दबाव डाला जाता है। हालांकि, इस दौरान बेहद सावधानी बरतनी चाहिए। इसे काइरोप्रैक्टिक एडजस्टमेंट (Chiropractic Adjustment) के तौर पर भी जाना जाता है। इस तरह के उपाय मांसपेशियों में खिंचाव कम करके दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं (19)। मैनिपुलेशन और मोबिलाइजेशन एक तरह से मालिश की प्रक्रिया मानी जा सकती है। हालांकि, इसकी विधि मालिश से अलग होती है। इसकी प्रक्रिया में प्रभावित स्थान के नरम उत्तकों को हल्के हाथों से रगड़ा जाता है।

6. गर्भावस्था के लिए तैयार खास तकिया का इस्तेमाल

गलत मुद्रा में सोने के अलावा गलत तकिए का इस्तेमाल करना भी गर्दन दर्द का एक कारण हो सकता है। ऐसे में गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के लिए तैयार किए गए खास मुलायम तकिए का इस्तेमाल कर सकती हैं। हालांकि, इस मामले में लेटेक्स तकिया (रबड़ के पेड़ों से प्राप्त दूधिया सफेद तरल से बनाए गए फोम से तैयार तकिया) का इस्तेमाल अधिक लाभकारी माना जाता है (20)

आगे अब हम प्रेगनेंसी के दौरान गर्दन में दर्द से बचाव संबंधी बातें जानेंगे।

प्रेगनेंसी के दौरान गर्दन में दर्द से बचाव

गर्भावस्था में गर्दन के दर्द की समस्या से बचने के लिए कई उपाय हैं, जिनके लिए इसके कारणों पर गौर करना जरूरी हो सकता है। साथ ही अगर आपका अधिक समय कंप्यूटर या कुर्सी पर व्यतीत होता है, तो निम्न उपायों के जरिए गर्दन के दर्द से बचाव किया जा सकता है (14)

  • थोड़ी-थोड़ी देर पर गर्दन को स्ट्रेच करें।
  • फोन पर बात करते समय हेडफोन का इस्तेमाल करें।
  • कंप्यूटर पर पढ़ते या टाइप करते समय उसका लेवल अपनी आंखों के बराबर रखें।
  • सुविधाजनक कुर्सी का चुनाव करें। इससे पीठ, गर्दन व कंधो आदि पर दबाव नहीं पड़ेगा।

गर्दन के दर्द से बचाव करने के लिए अन्य उपाय भी किए जा सकते हैं:

  • एक ही स्थान पर अधिक समय तक खड़ें न रहें।
  • हाई हील्स पहनने से बचें। इनकी जगह चलने में सुविधाजनक वाले जूते पहनें।
  • अगर आप लंबे सफर के लिए गाड़ी चला रही हैं, तो बीच-बीच में रुक कर थोड़ा आराम करें।
  • जितना संभव हो थोड़ी-थोड़ी देर के लिए आराम करें।

लेख के अगले हिस्से में हम गर्भावस्था के दौरान गर्दन के दर्द को कम करने के लिए सरल व्यायाम बता रहे हैं।

गर्भावस्था के दौरान गर्दन के दर्द को कम करने के लिए सरल व्यायाम

पोस्चर एक्सरसाइज की मदद से गर्दन की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद मिल सकती है (5)। इसलिए गर्भावस्था के दौरान गर्दन के दर्द को कम करने के लिए यहां पर गर्दन की पोस्चर सही करने का एक सरल व्यायाम करने का तरीका बता रहे हैं। इसे अपनाकर गर्भवती महिलाएं काफी हद तक गर्दन के दर्द से राहत पा सकती हैं।

  • सबसे पहले एक कुर्सी पर सीधे बैठ जाएं और सामने की तरफ देंखें।
First of all sit upright in a chair and look at the front.
Image: Shutterstock
  • फिर जितना संभव हो, अपना सिर बाईं तरफ ले जाएं और करीब 15 सेकंड के लिए इसी मुद्रा में सीधे बैठे रहें।
  • समय पूरा होने पर वापस सामान्य अवस्था में आ जाएं।
When the time is up, it will return to its normal state.
Image: Shutterstock
  • बाद में इसी तरह अब दाईं दिशा की तरफ अपना सिर घुमाएं और 15 सेकंड के लिए उसी मुद्रा में बैठे रहें।
  • समय पूरा होने पर वापस अपनी सामान्य अवस्था में आ जाए।
When the time is up, return to normal
Image: Shutterstock
  • अब इसके बाद अपनी ठोड़ी को सीने की तरफ नीचे झुकाएं और 15 सेकंड तक ऐसे ही रहें। समय पूरा होने पर वापस अपनी सामान्य अवस्था में आ जाएं।

अब अंत में गर्दन दर्द होने पर डॉक्टर से कब परामर्श करें, इसके बारे में जानें।

डॉक्टर को कब दिखाएं

कुछ विशेष स्थितियां हैं, जिनके दिखाई देने पर बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क कर लेना चाहिए। यह स्थितियां कुछ इस प्रकार हो सकती हैं (6):

  • बुखार और सिरदर्द के साथ गर्दन में अकड़न होना, जिसके कारण गर्दन को नीचे झुकाने में परेशानी हो, क्योंकि यह मैनिंजाइटिस (दिमाग और रीढ़ की परत में सूजन) का एक लक्षण भी हो सकता है।
  • दिल के दौरे के लक्षण, जैसे सांस लेने में तकलीफ होना, पसीना आना, मतली, उल्टी आना या हाथ या जबड़े में दर्द होना।
  • लेख में बताए गए घरेलू उपाय करने के एक हफ्ते बाद भी गर्दन में दर्द बने रहने पर।
  • हाथों में सुन्नता, झुनझुनी या कमजोरी होने पर।
  • अगर गर्दन की दर्द का कारण किसी तरह की दुर्घटना है।
  • गले की ग्रंथियों में सूजन या गांठ महसूस होने पर।
  • गर्दन दर्द के साथ ही खाना निगलने में कठिनाई होने पर।
  • लेटने या सोते समय गर्दन की दर्द अधिक बढ़ जाने पर।
  • चलने में असंतुलन होने पर।

लेख से यह पता चलता है कि गर्भावस्था में होने वाले बदलाव और शारीरिक गतिविधियों से जुड़ी दैनिक आदतें गर्दन में दर्द का एक सामान्य कारण हो सकती हैं। ऐसे में लेख में दिए उपायों को अपनाकर इस समस्या से राहत पाई जा सकती है। हालांकि, स्थिति गंभीर होने पर इसे नजरअंदाज किए बिना डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। ताकि समस्या के अधिक बढ़ने से पहले ही उसका उपचार किया जा सके। उम्मीद है, यह लेख आपको काफी पसंद आया होगा। गर्भावस्था से जुड़े ऐसी ही अन्य विषयों के बारे में जानना चाहते हैं, तो पढ़ते रहें मॉमजंक्शन।

References

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