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प्रेगनेंसी में महिलाओं को कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इनमें से कुछ समस्याएं ऐसी भी होती हैं, जिन्हें वे बताने से हिचकिचाती हैं। जननांग दाद भी उन्हीं समस्याओं में से एक है। इस समस्या के कारण गर्भवती और गर्भस्थ शिशु दोनों को कई तरह के जोखिम हो सकते हैं, जिनसे बचने के लिए इसके बारे में संपूर्ण जानकारी होना जरूरी है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मॉमजंक्शन के इस लेख में हम गर्भावस्था में जेनिटल हर्पीस यानी जननांग दाद के बारे में बता रहे हैं। बस तो हिचकिचाहट को दूर करके जननांग दाद और इसके उपचार के बारे में जानिए।

सबसे पहले जानते हैं कि जेनिटल हर्पीस यानी जननांग दाद क्या होता है।

जेनिटल हर्पीस (जननांग दाद) क्या है? | Genital Herpes In Pregnancy In Hindi

जननांग दाद को अंग्रेजी में जेनिटल हर्पीस कहते हैं। यह एक तरह का यौन संक्रामक रोग (STD) है। यह जननांगों, नितंबों या गुदा क्षेत्र में हो सकता है। यह वायरस अधिकतर नवजात शिशुओं में और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वालों के लिए जोखिम भरा होता है। हर्पीस दो प्रकार के वायरस से होता है (1) :

  • एचएसवी टाइप 1 – यह वायरस मुंह के छालों का और कभी-कभी जननांग दाद का कारण बनता है
  • एचएसवी टाइप 2 – इस वायरस के कारण सिर्फ जननांग दाद होता है।

आगे जानेंगे प्रेगनेंसी में जेनिटल हर्पीस के लक्षणों के बारे में।

प्रेगनेंसी में जेनिटल हर्पीस के लक्षण

अब बारी आती है प्रेगनेंसी में जेनिटल हर्पीस के लक्षणों के बारे में जानने की। देखा जाए, तो गर्भावस्था के दौरान जननांग दाद के लक्षण सामान्य दिनों जैसे ही हो सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं (2):

  • गुप्तांग में छाले या फफोले
  • छालों में जलन की परेशानी
  • फफोले में दर्द की समस्या
  • पेशाब करने के दौरान दर्द महसूस होना
  • योनि स्राव होना
  • बुखार आना
  • भूख कम लगना
  • मांसपेशियों में दर्द होना

अब जानते हैं कि गर्भावस्था में जेनिटल हर्पीस होने के कारण क्या-क्या हैं।

प्रेगनेंसी में जेनिटल हर्पीस के कारण

जैसे कि हमने पहले ही जानकारी दी है कि जेनिटल हर्पीस एचएसवी टाइप 1 और एचएसवी टाइप 2 वायरस के कारण होता है। यह वायरस महिला को कैसे संक्रमित करता है इसका जवाब हम आगे दे रहे हैं (2):

  • अगर पार्टनर इस वायरस से संक्रमित हो, तो महिला को भी जेनिटल हर्पीस हो सकता है।
  • असुरक्षित यौन संबंध बनाने के कारण।
  • संक्रमित व्यक्ति के चीजों का उपयोग करने से।

गर्भावस्था में जेनिटल हर्पीस के कारण के बाद इससे होने वाले खतरों पर एक नजर डाल लेते हैं।

प्रेगनेंसी में जेनिटल हर्पीस से होने वाले खतरे

जेनिटल हर्पीस की कभी अनदेखा न करें। खासकर गर्भावस्था के दौरान, तो बिल्कुल भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। अगर वक्त रहते इसका इलाज करवाने के लिए डॉक्टर से संपर्क न किया जाए, तो कई तरह के खतरे हो सकते हैं। ये खतरे व जोखिम कुछ इस प्रकार हैं (2) (3):

  • गर्भपात का जोखिम
  • समय पूर्व प्रसव
  • मस्तिष्क, लिवर संबंधी परेशानी
  • आंख और शरीर के अन्य अंगों पर नकारात्मक प्रभाव
  • शिशु का गर्भ में सही विकास न होना (Intrauterine growth retardation)
  • कॉन्जेनिटल या निओनेटल हर्पीस, जो मां से बच्चे को होता है।

अब जानते हैं गर्भावस्था में जननांग दाद वायरस के इलाज से जुड़ी कुछ बातें।

प्रेगनेंसी में जेनिटल हर्पीस का इलाज

जेनिटल हर्पीस के इलाज की बात करें, तो सीधे तौर पर इसका कोई इलाज नहीं है (2)। इसके लक्षण और प्रसार को कम करने के लिए डॉक्टर गर्भावस्था के आखिरी महीने में एंटीवायरल दवाइयां लेने की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा, गर्भस्थ शिशु को इस संक्रमण के जोखिम से बचाने के लिए संक्रमित गर्भवती को सी सेक्शन की सलाह भी दी जा सकती है (4)

लेख में आगे जानिए कि शिशु को यह संक्रमण होने पर क्या हो सकता है।

अगर नवजात शिशु को हर्पीस हो जाए तो क्या होगा?

अगर शिशु को यह संक्रमण हो जाए, तो कई सारे जोखिम हो सकते हैं। यह जोखिम और परेशानी कुछ इस प्रकार हैं (3) (2):

  • शिशु को जीवन भर के लिए स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है।
  • इससे विकलांगता का जोखिम बढ़ सकता है।
  • वक्त रहते हर्पिस का इलाज न किया जाए, तो शिशु को एन्सेफलाइटिस यानी दिमागी बुखार हो सकता है।
  • हर्पीस शिशु के मस्तिष्क संक्रमण का कारण भी बन सकता है।
  • वक्त पर इलाज न करने से शिशु की जान को खतरा भी हो सकता है।

अब जानते हैं प्रेगनेंसी में जेनिटल हर्पीस से बचाव संभव है या नहीं।

प्रेगनेंसी में जेनिटल हर्पीस से बचाव

जैसे कि ऊपर हमने जानकारी दी है कि हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस गर्भवती और शिशु दोनों के लिए जोखिम पैदा कर सकता है। ऐसे में प्रेगनेंसी में जेनिटल हर्पीस से बचाव के कुछ उपायों को अपना कर इसके जोखिम से बचा जा सकता है (2) (4):

  • पार्टनर से हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस की बात न छुपाएं।
  • असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने से बचें।
  • हमेशा कंडोम का उपयोग करें।
  • पार्टनर हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस से संक्रमित हो, तो तुरंत जेनिटल हर्पीस का इलाज करवाएं।
  • हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस से संक्रमित व्यक्ति की चीजों का उपयोग करने से परहेज करें।
  • गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में शारीरिक संबंध बनाने से बचें।
  • साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें।

बचाव के टिप्स के बाद आगे पढें कि गर्भावस्था में जेनिटल हर्पीस को लेकर डॉक्टरी परामर्श कब लेनी चाहिए।

डॉक्टर से कब परामर्श करें

प्रेगनेंसी में जेनिटल हर्पीस के लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करें। इसके अलावा, नीचे बताए गए संकेत नजर आने पर बिना किसी देरी के चिकित्सक से परामर्श लें (2)

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

अगर गर्भावस्था की शुरुआत में मुझे हर्पीस हो जाए, तो क्या होगा?

अगर गर्भावस्था से पहले या इसकी पहली तिमाही में हर्पीस संक्रमण होता है, तो इससे संबंधित सावधानियों पर ध्यान देकर हर्पिस के जोखिम से बचा जा सकता है (5)। इसके लिए डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।

अगर गर्भावस्था के अंतिम दिनों में मुझे हर्पीस जो जाए, तो क्या होगा?

यदि गर्भावस्था के अंतिम तिमाही में जननांग हर्पिस होता है, तो नवजात को भी यह संक्रमण हो सकता है। ऐसे में गर्भावतियों को बच्चे की सुरक्षा के लिए डॉक्टर द्वारा सी सेक्शन कराने की सलाह दी जा सकती है (4)

अगर मेरे पति को जेनिटल हर्पीस हो, तो क्या होगा?

अगर आपके पति को जेनिटल हर्पीस है, तो यह आपको भी हो सकता है। ऐसे में गर्भावस्था के समय शारीरिक संबंध बनाने से बचें और उनकी उपयोग की हुई वस्तुओं को भी इस्तेमाल न करें।

क्या हर्पीस होने पर भी मैं शिशु को स्तनपान करवा सकती हूं?

हर्पिस सिम्पलेक्स संक्रमण स्तनपान से नहीं फैलता है, इसलिए हर्पीस होने पर भी आप शिशु को स्तनपान करवा सकती हैं। बस ध्यान रहे कि स्तनों पर इस संक्रमण के कारण छाले या फफोले न हो। अगर ऐसा है, तो शिशु को यह संक्रमण हो सकता है (5)

प्रेगनेंसी में जेनिटल हर्पीस से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां हम इस लेख में दे चुके हैं। जेनिटल हर्पीस यौन संचारित ‎बीमारी है, इसलिए इस बारे में बिना हिचकिचाए अपने पार्टनर से बात करें। ऐसा न करने पर जेनिटल हर्पिस होने वाले शिशु को भी संक्रमित कर सकता है। इससे बचने के लिए खुलकर इस विषय पर बात करना ही बेहतर विकल्प है। साथ ही लेख में दिए गए टिप्स को फॉलो करके भी प्रेगनेंसी में जेनिटल हर्पीस से कुछ हद तक बचाव किया जा सकता है। सतर्क रहें और बीमारियों से बचे रहें!

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