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गर्भावस्था के दौरान जरा-सी लापरवाही होने वाले शिशु को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में अधिक शारीरिक गतिविधि वाले व शरीर को झटका पहुंचाने वाले काम से बचना चाहिए। खासकर, तीसरी तिमाही में इस बात का ध्यान रखना जरूरी है। त्योहार के समय तो और भी ध्यान देने की जरूरत होती है, क्योंकि उस दौरान घर में आनंद और अधिक चहल-पहल रहती है। साथ ही तरह-तरह के पकवान भी बनते हैं। ऐसा ही त्योहार होली है, जिसमें शारीरिक गतिवधि ज्यादा होती है। इसलिए, अक्सर गर्भवती महिलाओं के मन में शंका रहती है कि इस अवस्था में होली खेलनी चाहिए या नहीं। मॉमजंक्शन के इस आर्टिकल में हम इसी मुद्दे पर बात करेंगे। साथ ही कुछ काम के टिप्स भी देंगे।

लेख की शुरुआत में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि गर्भवती महिला होली खेले या नहीं।

क्या गर्भावस्था के दौरान होली खेलना सुरक्षित है? | Garbhvastha Mein Holi Khelna Chahiye

यह 3 बातों पर निर्भर करता है:

  1. गर्भावस्था का कौन-सा माह चल रहा है।
  2. किस प्रकार के रंग का इस्तेमाल किया जा रहा है।
  3. साथ ही खेलने की जगह कैसी है।

अगर गर्भवती महिला ने दूसरी तिमाही को पूरा कर लिया है, तो उन्हें भीड़-भाड़ वाले जगह में होली नहीं खेलना चाहिए। साथ ही हर्बल रंगों से होली खेलना ही सबसे बेहतर है। केमिकल युक्त रंग न सिर्फ गर्भवती महिला, बल्कि आम व्यक्ति के लिए भी हानिकारक हैं। इसके अलावा, भीड़भाड़ वाली जगह से बचना चाहिए और भाग-दौड़ नहीं करनी चाहिए। वहीं, होली खेलने से पहले एक बार डॉक्टर से चेकअप करवा के उनकी सलाह जरूर लेनी चाहिए।

चलिए, अब यह जानते हैं कि कौन-सी तिमाही होली के असुरक्षित है।

गर्भावस्था की कौन-सी तिमाही में होली खेलने से परहेज करना चाहिए?

तीसरी तिमाही को सबसे संवेदनशील माना जाता है, क्योंकि इस समय शिशु का आकार बढ़ जाता है। गर्भवती महिला जल्दी थक जाती है और अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है। यही कारण है कि इस दौरान छोटी-सी लापरवाही मां और शिशु दोनों के लिए घातक साबित हो सकती है (1)। अगर फिर भी होली खेलना चाहते हैं, तो एक जगह आराम से बैठकर एक-दूसरे को रंग लगाते हुए होली खेल सकते हैं। ध्यान रहे कि इस दौरान आपके साथ कोई जोर-जबरदस्ती न करे।

अब जानते हैं कि होली के रंग से गर्भवती और होने वाले शिशु को नुकसान हो सकता है या नहीं।

क्या होली के रंग से मुझे या मेरे बच्चे को नुकसान हो सकता है?

हर्बल यानी प्राकृतिक रंग कुछ हद तक सुरक्षित होते हैं, लेकिन केमिकल युक्त रंगों में मुख्य रूप से मरकरी (पारा) पाया जाता है। यह टॉक्सिक (विषैले) पदार्थ होता है (2)। इस तरह के रंग त्वचा पर एलर्जी का कारण बन सकते हैं (3)। साथ ही ऐसे रंग के मुंह में चले जाने से भ्रूण को नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है (4)। इसलिए, गर्भवती महिला को फूलों से बने प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए।

आगे हम होली के संबंध में अन्य जरूरी जानकारियां दे रहे हैं।

अगर मुझे किसी रंग से एलर्जी होती है या गलती से निगल जाती हूं, तो मुझे क्या करना चाहिए?

कुछ गर्भवती महिलाओं की त्वचा अधिक संवेदनशील होती है। ऐसे में होली के रंग से उन्हें रिएक्शन होने का जोखिम उत्पन्न हो सकता है। इससे त्वचा में खुजली और सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इस अवस्था से बचने के उपाय लेख में आगे बताए गए हैं। वहीं, अगर कोई गर्भवती महिला गलती से रंग को निगल लेती है, तो उन्हें ये चीजें करनी चाहिए।

  • गलती से रंग के मुंह में चले जाने पर तुरंत गरारे करने चाहिए।
  • अगर गलती से रंग को निगल लिया है, तो उल्टी करने के लिए नमक वाला पानी, सिरका या कोई अन्य तरल पदार्थ न लें।
  • रंग को शरीर से बाहर निकालने के लिए किसी तरह का घरेलू उपचार न अपनाएं।
  • रंग को निगलने के बाद शरीर में किसी तरह की जलन, रूखापन, लाल निशान या दाने दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

आर्टिकल के अगले भाग में गर्भावस्था में सुरक्षित तरीके से होली खेलने की जानकारी दी गई है।

गर्भावस्था में सुरक्षित तरीके से होली कैसे खेलें?

गर्भवती महिला और होने वाले शिशु को किसी तरह का नुकसान न हो, उसके लिए सुरक्षित तरह से होली खेलने की जरूरत है। इसके लिए निम्न बातों को ध्यान में रखना जरूरी है:

  • गर्भावस्था में होली खेलने के लिए हर्बल रंगों का इस्तेमाल करें।
  • भीड़-भाड़ वाले होली पार्टी से दूर रहें, क्योंकि भीड़ में धक्का लगने से शिशु और गर्भवती को चोट लग सकती है।
  • होलिका दहन के समय थोड़ी दूरी बनाकर रखें, क्योंकि होलिका दहन के आंच और धुएं से गर्भवती महिला को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। इसका असर शिशु पर पड़ सकता है।
  • होली के दिन रंगों से खेलने से पहले त्वचा पर तेल, मॉइस्चराइजर और पेट्रोलियम जेली लगा लें। यह रंग को त्वचा में अवशोषित होने से रोकने में मदद कर सकता है। साथ ही होली खेलने के बाद रंगों को आसानी से निकाला जा सकता है।
  • कोशिश करें कि पानी से होनी न खेलें। अगर पानी से होली खेली भी है, तो गिले कपड़ों को ज्यादा देर तक नहीं पहनना चाहिए। इससे सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।
  • होली के दौरान घर या सड़क पर चलते समय सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि फर्श और सड़कों पर गिरे पानी के कारण फिसलने का जोखिम बढ़ जाता है।

चलिए, अब आर्टिकल के अंतिम भाग में खाने-पीने के संबंध में बात कर लेते हैं।

होली में खाते-पीते समय इन बातों का रखें ध्यान

किसी भी त्यौहार का मजा तब आता है, जब घर में कई तरह के पकवान बनते हैं, लेकिन गर्भवती को खाते-पीते समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  • गर्भवती को ज्यादा तले हुए खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।
  • एक बार में अधिक मात्रा में आहार का सेवन न करें। ऐसा करने पर अपच, सीने में जलन या एसिडिटी की समस्या हो सकती है। इसलिए, थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ न कुछ खाते रहें।
  • होली में ज्यादातर लोग भांग का सेवन करते हैं। ऐसे में गर्भवती को भांग और शराब के सेवन से परहेज करना चाहिए।
  • गर्भवती को अधिक मात्रा में कैफीन के सेवन से बचना चाहिए। कैफीन न सिर्फ कॉफी, चाय और कोल्ड ड्रिंक में होता है, बल्कि चॉकलेट में भी होता है।
  • गर्भवती को थोड़े-थोड़े समय बाद पानी जरूर पीना चाहिए। इससे शरीर को डिहाइड्रेशन से बचाने में मदद मिल सकती है।

इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद यह तो स्पष्ट हो गया कि गर्भवती महिला भी होली खेल सकती है, लेकिन सावधानी के साथ। इन सावधानियों के बारे में आर्टिकल में विस्तार से बताया गया है। उन बातों को ध्यान रखकर होली खेलने से गर्भवती और आने वाले शिशु दोनों सुरक्षित रहेंगे। हम उम्मीद करते हैं कि इस आर्टिकल में दी गई जानकारी से पाठक को जरूर लाभ होगा।

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