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हर महिला को गर्भवती होने के बाद खुशी का अहसास होता है, लेकिन साथ ही कई उलझनों का भी सामना करना पड़ता है। इस दौरान महिला को कई हिदायतें दी जाती हैं – जिनमें सही खान-पान, सही तरीके से सोना और सही से उठना-बैठना आदि शामिल है। इन सब के साथ गर्भावस्था में कुछ हल्के-फुल्के काम और व्यायाम करने की सलाह भी दी जाती है। वैसे जब गर्भावस्था में व्यायाम या हल्के-फुल्के काम की बात आती है, तो इन सब में कुछ काम ऐसे भी होते हैं, जिसमें झुकना भी पड़ता है। प्रेगनेंसी में झुकना कितना सही है, यह गंभीर विषय है। आइए, मॉमजंक्शन के इस लेख में जानते हैं कि गर्भावस्था में झुकना सही है या नहीं और झुकते समय किन-किन सावधानियों को बरतने की आवश्यकता होती है।

क्या गर्भावस्था में झुकना सुरक्षित है?

जब तक शिशु गर्भ में सही और सुरक्षित है, तब तक गर्भवती के लिए झुकने में कोई परेशानी नहीं है। शिशु गर्भाशय में एमनियोटिक सैक में रहता है, जो एमनियोटिक द्रव से भरी थैली होती है। यह एमनियोटिक द्रव आपके बच्चे के लिए गद्दे का काम करता है। इसलिए, जब आप झुकते हैं, तो उसे अपने शरीर और अंगों को हिलाने की सुविधा देता है। इस तरह आपके झुकने से आपके शिशु को किसी भी तरह की चोट नहीं लगती है (1)। वहीं, बढ़ती गर्भावस्था के साथ और बार-बार झुकने से गर्भपात या वक्त से पहले प्रसव का खतरा भी हो सकता है (2)

इसके अलावा, झुकने से शिशु पर फर्क पड़ेगा या नहीं, यह गर्भावस्था पर भी निर्भर करता है, क्योंकि हर महिला की गर्भावस्था एक जैसी नहीं होती है। डॉक्टर द्वारा किसी को ज्यादा आराम करने की सलाह दी जाती है, तो किसी को शारीरिक कार्य करने या चलने की सलाह थोड़ी ज्यादा दी जाती है। ऐसे में आपके लिए झुकना आपके शिशु पर कितना प्रभाव डाल सकता है या कितना सुरक्षित है, इसका सटीक जवाब आपको अपने डॉक्टर से ही मिल सकेगा।

प्रेगनेंसी में कब झुकना सुरक्षित है और कब नहीं?

पहली तिमाही

पहली तिमाही में महिला का शरीर लचीला होता है, तो महिला के लिए झुकना आसान होता है। अगर गर्भवती को कोई समस्या नहीं है और गर्भावस्था सामान्य है, तो महिला पहली तिमाही में थोड़ा झुक सकती है। साथ ही ध्यान रहे कि झुक कर कोई भारी चीज न उठाएं और न ही भारी काम करें। हालांकि, पहली तिमाही में भ्रूण बहुत छोटा होता है, इसलिए इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि उत्साहित होकर झटके से उठे या बैठे नहीं। ऐसा करने से शिशु पर प्रभाव पड़ सकता है और गर्भपात का खतरा हो सकता है। जब भी आप बैठे या उठें, तो किसी का सहारा जरूर लें।

दूसरी तिमाही

दूसरी तिमाही आते-आते गर्भवती महिला का पेट हल्का बाहर आने लगता है और उन्हें उठने व बैठने में थोड़ी तकलीफ होने लगती है। ऐसे में बेहतर होगा कि आप झुक कर किए जान वाले काम न करें। इसके अलावा, आप इस बारे में डॉक्टर से भी सलाह लें, क्योंकि वो आपकी गर्भावस्था के बारे में बेहतर जानते हैं और उसी के अनुसार वो आपको सलाह भी देंगे।

तीसरी तिमाही

तीसरी तिमाही में आपके गर्भ में पल रहे शिशु का विकास काफी तेजी से होता है। शिशु के विकास के साथ ही महिला के पेट का आकार भी बड़ा हो जाता है। इसके अलावा, इस दौरान थकावट होना और काम करने की इच्छा न होना सामान्य है (3)। इस स्थिति में झुकने से महिला को चक्कर आने या गिरने का डर रहता है और गर्भ में पल रहे शिशु को चोट लगने के अलावा, कई और खतरे भी हो सकते हैं। ऐसे में तीसरी तिमाही में जितना हो सके झुकने से बचें।

नोट : चाहे वो पहली, दूसरी या तीसरी तिमाही हो, ज्यादा झुकने से बचें, क्योंकि ज्यादा झुकने से गर्भपात या वक्त से पहले प्रसव का खतरा हो सकता है (2) इसलिए, ज्यादा से ज्यादा सावधानी बरतें।

लेख के आगे के भाग में जानिए कि गर्भावस्था में झुकने से क्यों बचना चाहिए।

प्रेगनेंसी में आपको झुकने से क्यों बचना चाहिए?

गर्भावस्था के दौरान कुछ मामलों में झुकने से निम्न प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं :

गिरने का डर – जब आप झुकने की कोशिश करते हैं, तो पेट का आकार ज्यादा होने के कारण आपका संतुलन बिगड़ सकता है और गिरने का खतरा हो सकता है। यह खतरा तीसरी तिमाही में सबसे ज्यादा होता है, क्योंकि इस दौरान शिशु का सिर नीचे पेल्विक की तरफ होता है।

चक्कर आना – आगे की ओर झुकने से सिर में रक्त का प्रवाह बढ़ सकता है, जिससे आपको चक्कर आने का खतरा हो सकता है। चक्कर आने से आप गिर भी सकती हैं और गिरने से गर्भपात होने का खतरा भी हो सकता है।

कमर दर्द का कारण – गर्भावस्था के दौरान कमर पर जोर पड़ना या दर्द होना सामान्य है। ऐसे में आगे की ओर झुकना आपकी पीठ पर अतिरिक्त खिंचाव डालता है। इससे रीढ़ की हड्डी में या कमर में दर्द हो सकता है।

गर्भावस्था में झुकने से होने वाले जोखिमों के बारे में जानने के बाद अब गर्भावस्था में झुकने का सही तरीका पता होना भी जरूरी है।

गर्भवती होने पर कैसे झुकें?

प्रेगनेंसी के दौरान अगर कभी आपको झुकना पड़े, तो आप नीचे बताए गए तरीके से झुक सकती हैं ।

  • अपने शरीर को आगे की ओर झुकने के बजाय किसी चीज का सहार लेकर घुटनों के बल बैठकर झुकें।
  • उठते वक्त भी झटके से न उठें, बल्कि एक हाथ से किसी ठोस चीज को पकड़ें, जबकि दूसरे हाथ से घुटने और जांघ का सहारा लेकर उठें।
  • यहां ठोस या भारी चीज से हमारा मतलब उस चीज से है, जो अपनी जगह से हिले या गिरे नहीं, ताकि आपके गिरने का डर न हो।
  • अगर आपको उठने या बैठने में ज्यादा दिक्कत हो, तो किसी की मदद लेने से न हिचकिचाएं।
  • इतना ही नहीं अपने रोज के कामों को करते वक्त भी सावधानी बरतें।

नोट: इसके अलावा, आप अपनी गर्भावस्था के महीने और स्थिति को देखते हुए अपने गायनकोलॉजिस्ट से भी इस बारे में सलाह ले सकती हैं।

लेख के आगे के भाग में हम सही पोस्चर से जुड़े कुछ टिप्स भी दे रहे हैं।

गर्भावस्था में सही मुद्रा (posture) बनाए रखने के लिए टिप्स

गर्भावस्था के दौरान सही मुद्रा बनाए रखने के लिए नीचे बताए गए टिप्स को ध्यान में रखें (4) :

गर्भावस्था के दौरान बैठने के लिए टिप्स

Tips for sitting during pregnancy2
Image: IStock
  • बैठने के लिए हमेशा आरामदायक कुर्सी का चुनाव करें।
  • ध्यान रहे कि आप पहिये वाली कुर्सी का चुनाव न करें, क्योंकि इसमें फिसलने या गिरने का डर हो सकता है।
  • मजबूत कुर्सी का चुनाव करें, जो आपके कमर को अच्छे से सहारा दे सके।
  • कुर्सी की लंबाई इतनी हो कि जब आप उस पर बैठें, तो आपके तलवे जमीन को स्पर्श करें।
  • आप बैठते वक्त पैरों को क्रॉस करके न बैठें, ऐसा करने से रक्त संचार में समस्या हो सकती है।
  • साथ ही थोड़ी-थोड़ी देर में उठकर चलते-फिरते रहें।

गर्भावस्था के दौरान खड़े रहने के लिए टिप्स

Tips for standing during pregnancy
Image: Shutterstock
  • लंबे वक्त तक खड़े रहने से बचें। अगर आप बैठ नहीं सकते हैं, तो थोड़ी-थोड़ी देर में अपनी मुद्रा को बदलते रहें और थोड़ा चलते-फिरते भी रहें।
  • अगर आप लंबे वक्त तक खड़े भी हैं, तो कोशिश करें कि पैरों को थोड़ा फैलाकर खड़े रहें।
  • अगर आपको थोड़े समय के लिए एक स्थान पर खड़े रहना भी है, तो एक पैर को एक छोटे से स्टूल पर रखें, जिसकी ऊंचाई न के बराबर हो। आप कभी बाएं पैर को स्टूल पर रखें और कभी दाएं पैर को। ऐसा करने से आपकी कमर पर ज्यादा जोर नहीं पड़ेगा और आपको खड़े होने में भी आसानी होगी।
  • सिर को सीधा रखकर खड़े हों और बार-बार सिर को झुकाने से बचें।
  • अपने पैरों को एक ही दिशा में रखें और समान रूप से दोनों पैरों पर वजन को संतुलित करें।
  • ऊंची हील न पहनें, क्योंकि इससे फिसलने या गिरने का तो डर रहता ही है, साथ ही खड़े होने या चलने में भी परेशानी हो सकती है।

गर्भावस्था में लेटने के लिए कुछ टिप्स

Some tips for lying down in pregnancy
Image: IStock
  • गर्भावस्था के दौरान अगर सोने के तरीके की बात करें तो इस दौरान लम्बे समय तक पीठ के बल लेटने से बचें, खासतौर पर जब आप लेट प्रेगनेंसी में हों। पीठ के बल सीधे लेटने (Supine position) से हृदय की ओर रक्त ले जाने और वापस शरीर की ओर लाने वाली धमनियों पर अतिरिक्त दबाव के कारण गर्भाशय में रक्तसंचार की प्रक्रिया भी प्रभावित हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप, गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में बाधा आ सकती है। इसके अलावा, ऐसा करने से गर्भावस्था के आखिरी सप्ताह में गर्भ में शिशु की मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है (5)
  • जब आप किसी एक तरफ होकर सोते हैं, तो अपने घुटने को हल्का मोड़कर और शरीर को सीधा करके सोएं।
  • कोशिश करें बाएं (Left) करवट लेकर सोने की। ऐसा करने से हृदय, भ्रूण, गर्भाशय और गुर्दे के बीच रक्त प्रवाह में भी सुधार होता है (6)
  • बेड पर एक तरफ सोते वक्त अपनी पीठ के पीछे, अपने पैरों के बीच और अपने पेट के नीचे सपोर्ट के लिए तकिए की मदद ले सकते हैं। वैसे खासतौर पर गर्भवती महिलाओं के लिए खास किस्म के मैट्रेस भी बाजार में उपलब्ध हैं। आप डॉक्टर की सलाह के अनुसार उनका उपयोग भी कर सकती हैं।
  • बिस्तर से उठने के लिए आप अपने ऊपरी शरीर को अपनी बांहों और हाथों के सहारे बैठने की स्थिति में उठाएं। फिर पैरों को बेड से उतरने वाले साइड में ले जाएं और धीरे से नीचे उतरें। बिस्तर पर लेटते समय भी इसी का विपरीत तरीका आजमायें, झटके से बैठने और लेटने से बचें।

आशा करते हैं इस लेख से आपको प्रेगनेंसी में झुकने से संबंधित सवालों के जवाब मिल गए होंगे। कुछ सावधानियों और इस लेख में बताए गए सही मुद्रा से संबंधित सुझावों को ध्यान में रखकर आप अपनी गर्भावस्था के अनुभव को और खुशहाल बना सकती हैं। साथ ही आप यह लेख अन्य महिलाओं के साथ भी साझा करके उनके गर्भावस्था के समय को सुखद व आरामदायक बना सकती हैं।

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