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गर्भावस्था के दौरान महिला को एक नहीं, बल्कि कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं से गुजरना पड़ता है। गर्भावस्था में शरीर में दर्द उन्हीं में से एक है। कई बार महिला को प्रेगनेंसी में जॉइंट पेन की परेशानी भी झेलनी पड़ जाती है। ऐसे में यह दर्द असहनीय भी हो सकता है। हालांकि, प्रेगनेंसी में जोड़ों में दर्द कितना सामान्य है, यह जानना जरूरी है। इसलिए, मॉमजंक्शन के इस लेख से हम न सिर्फ प्रेगनेंसी में जोड़ों में दर्द होना कितना सामान्य है, इसके बारे में जानकारी देंगे, बल्कि गर्भावस्था के दौरान जोड़ों में दर्द का कारण और इससे जुड़ी अन्य जानकारियां भी देंगे। इसलिए, प्रेगनेंसी में जोड़ों में दर्द की वजह और अन्य जानकारियों के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ।
सबसे पहले जानते हैं कि जॉइंट पेन यानी जोड़ों का दर्द क्या है।
जोड़ों का दर्द या जॉइंट पेन क्या है?
जोड़ों का दर्द शरीर के जॉइंट में होने वाला दर्द होता है। इसे मेडिकल भाषा में अर्थराल्जिया (Arthralgia) कहते हैं। वहीं, शरीर के दो या दो से अधिक जोड़ों में होने वाले दर्द को पोलीअर्थराल्जिया (Polyarthralgia) कहते हैं (1)।
अब जानते हैं कि गर्भावस्था में जॉइंट पेन होना कितना सामान्य हो सकता है।
क्या प्रेगनेंसी में जॉइंट पेन होना आम है?
हां, गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों में शरीर के अंगों और जोड़ों में दर्द की शिकायत हो सकती है (2)। खासतौर से हाथ के जोड़ों में यह दर्द हो सकता है। संभव है कि यह महिला को तीसरी तिमाही में सबसे ज्यादा प्रभावित करें। फिर भी इसे गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान जोड़ों में दर्द किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या का लक्षण भी हो सकता है (3) (4)। इसके बारे में हम लेख में आगे जानकारी देंगे।
अब जानते हैं कि गर्भावस्था में जोड़ों में दर्द किन कारणों से हो सकता है।
प्रेगनेंसी के दौरान जोड़ों में दर्द के कारण
प्रेगनेंसी के दौरान जोड़ों में दर्द कई कारण हो सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं :
- हॉर्मोनल बदलाव – गर्भावस्था के दौरान शरीर में होने वाले बदलाव और लक्षणों के मुख्य कारणों में से एक है हॉर्मोनल बदलाव। एस्ट्रोजेन, प्रोजेस्टेरोन, कॉर्टिसोल और रिलैक्सिन हॉर्मोन के स्तर में वृद्धि जोड़ों में असुविधा या दर्द का कारण बन सकती है (4)।
- शारीरिक बदलाव – गर्भावस्था के दौरान महिला में शारीरिक बदलाव, जैसे – टिश्यू में किसी प्रकार की सूजन और जोड़ों में ढीलापन (joint laxity) के कारण भी यह दर्द हो सकता है (4)। गर्भावस्था के दौरान बढ़ता वजन भी शरीर व जोड़ों में दर्द का कारण बन सकता है (5)।
- हाइपोथयरॉइडिज्म – जब थायराइड ग्रंथि कम थायराइड हॉर्मोन का निर्माण करती है, तो उस स्थिति को हाइपोथायरायडिज्म कहते हैं। ऐसे में यह न सिर्फ गर्भधारण करने में समस्या हो सकती, बल्कि गर्भावस्था के दौरान भी परेशानी हो सकती है। प्रेगनेंसी में हाइपोथयरॉइडिज्म के कारण भी गर्भवती को जोड़ों में दर्द की समस्या हो सकती है (6)।
- श्रोणि के बढ़ने के कारण – जब गर्भावस्था के दौरान श्रोणि का आकार बढ़ता है, तो सैक्रोइलियक जॉइंट (sacroiliac joint) के दर्द का कारण बन सकता है। सैक्रोइलियक जॉइंट श्रोणि के सेक्रम (sacrum) और इलियाक (iliac) हड्डियों के बीच का जोड़ होता है। सेक्रम रीढ़ को सहारा देता है, जबकि इलियाक दो बड़ी हड्डियां होती हैं, जो श्रोणि को बनाती हैं। सेक्रम, इलियाक हड्डियों के बीच में स्थित होती है (7)।
- कार्पेल टनल सिंड्रोम – यह स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब कलाई के मध्य से जाने वाली नस पर दबाव पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान यह समस्या महिला को हो सकती है। इस कारण उंगलियों और कलाई में दर्द की समस्या हो सकती है। यह दर्द रात के वक्त ज्यादा हो सकता है (8)। यह समस्या अधिक वजन वाली गर्भवती महिलाओं को भी हो सकती है (9)।
- गठिया – गर्भावस्था के दौरान गठिया की समस्या दुर्लभ है, लेकिन कुछ मामलों में प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में यह परेशानी हो सकती है। ऐसे में यह भी गर्भावस्था के दौरान जोड़ों के दर्द का कारण हो सकता है (10)। इसके अलावा, अगर किसी महिला को पहले से ही गठिया की समस्या है, तो उसे भी जोड़ों की दर्द की परेशानी हो सकती है।
अब बात करते हैं गर्भावस्था में जोड़ों के दर्द के लक्षणों के बारे में।
प्रेगनेंसी के दौरान जोड़ों में दर्द के लक्षण
अगर गर्भावस्था के दौरान जोड़ों के दर्द के लक्षणों की बात की जाए, तो यह अपने आप में ही एक लक्षण है। फिर भी इसके कुछ अन्य संकेत भी दिख सकते हैं, जो सामान्य व्यक्तियों की तरह ही होते हैं (11) (12):
- जोड़ों में अकड़न।
- सूजन की समस्या।
- उंगलियों व हाथ में दर्द होना।
- ऐंठन महसूस होना।
- कमजोरी का अहसास होना।
- गर्भावस्था में सुन्नपन या झनझनाहट महसूस होना।
- घुटने, पैर या तलवे में दर्द महसूस होना।
अब जानते हैं कि ऐसा क्या किया जाए कि प्रेगनेंसी में जोड़ों में दर्द न हो।
गर्भावस्था के दौरान जोड़ों में दर्द से बचाव
शारीरिक बदलाव के कारण मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द की समस्या हो सकती है। इसके लिए गर्भवती को मानसिक रूप से तैयार रहना जरूरी है। वहीं, प्रेगनेंसी के दौरान जोड़ों के दर्द से बचने की बात की जाए, तो इसके लिए डॉक्टर की सलाह पर निम्न टिप्स को फॉलो किया जा सकता है (5):
- बहुत देर तक एक ही मुद्रा में खड़े या बैठे न रहें।
- हल्के-फुल्के शारीरिक कार्य, जैसे – मॉर्निंग या इवनिंग वॉक करें।
- डॉक्टर की सलाह के अनुसार योग या व्यायाम का विकल्प चुन सकते हैं।
- वजन को संतुलित रखने की कोशिश करें।
- खुद को चोट लगने से बचाएं।
- रात को सोने से पहले हाथ-पैरों को हल्का स्ट्रेच करें।
- हमेशा बैठते वक्त कमर को तकिये या कुशन से सहारा दें।
- उठते-बैठते वक्त सहारा लें।
- आरामदायक फुटवियर पहनें।
अब जानते हैं कि गर्भावस्था में जॉइंट पेन का निदान कैसे किया जा सकता है।
प्रेगनेंसी में जॉइंट पेन का निदान
जॉइंट पेन की जांच जिस तरह से सामान्य लोगों में की जाती है, वहीं प्रक्रिया गर्भावस्था के दौरान भी अपनाई जाती है। ये तरीके कुछ इस प्रकार हैं (12):
- मेडिकल हिस्ट्री – डॉक्टर गर्भवती से उसके मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानकारी ले सकते हैं। अगर महिला को या महिला के परिवार के किसी सदस्य को किसी प्रकार का ऑटोइम्यून डिसॉर्डर, जैसे – गठिया व मधुमेह रहा हो। ऐसे में डॉक्टर ये सारी जानकारियां ले सकते हैं और उसी अनुसार आगे का उपचार तय कर सकते हैं।
- शारीरिक परीक्षण – डॉक्टर दर्द से प्रभावित अंग को छूकर या दबाकर दर्द की तीव्रता की जांच कर सकते हैं। अगर घुटने या कलाई में दर्द हो, तो डॉक्टर महिला को उस अंग का मूवमेंट करने के बारे में भी कह सकते हैं। इससे भी दर्द ज्यादा है या कम उसका पता चल सकता है।
- ब्लड टेस्ट – कुछ मामलों में डॉक्टर प्रेगनेंसी में सीबीसी ब्लड टेस्ट या ऑटोइम्यून डिसॉर्डर के लिए खून की जांच कराने की सलाह दे सकते हैं।
निदान के बाद अब जानते गर्भावस्था के दौरान जॉइंट पेन के उपचार के बारे में।
गर्भावस्था के दौरान जोड़ों में दर्द का ट्रीटमेंट
हो सकता है गर्भावस्था के दौरान जोड़ों में दर्द का ट्रीटमेंट सामान्य लोगों के मुकाबले थोड़ा अलग हो। प्रेगनेंसी में जोड़ों में दर्द का उपचार कैसे करना है, इसका फैसला डॉक्टर महिला की स्थिति को ध्यान में रखते हुए ले सकते हैं। यहां हम ऐसे ही कुछ उपचार बता रहे हैं।
- दवाइयां – डॉक्टर महिला को जरूरी पोषक तत्वों की दवाइयां दे सकते हैं। इसमें विटामिन, मिनरल व आयरन जैसे पोषक तत्व शामिल हो सकते हैं।
- डाइट – अगर दर्द हल्का हो, तो दवाइयों के अलावा, डॉक्टर डाइट में बदलाव की राय दे सकते हैं। डॉक्टर पौष्टिक आहार युक्त डाइट के बारे में सलाह दे सकते हैं।
- जीवनशैली में बदलाव – महिला की जीवनशैली में बदलाव का सुझाव दे सकते हैं। हल्के-फुल्के व्यायाम या शारीरिक गतिविधि करने की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा, नियमित तौर से आराम करने के बारे में भी बोल सकते हैं।
- कारणों के अनुसार उपचार – अगर दर्द ज्यादा हो, तो डॉक्टर कुछ टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं और उसी रिपोर्ट के अनुसार उपचार कर सकते हैं। देखा जाए, तो जॉइंट पेन के कारण के आधार पर भी उपचार कर सकते हैं।
अब जानते हैं कुछ घरेलू उपायों के बारे में।
प्रेगनेंसी के दौरान जोड़ों में दर्द के लिए घरेलू उपाय
गर्भावस्था के दौरान हल्के-फुल्के जोड़ों के दर्द को कुछ घरेलू उपायों से कम किया जा सकता है। ऐसे ही कुछ आसान घरेलू उपचारों का विकल्प हम यहां दे रहे हैं।
- ओमेगा 3 फैटी एसिड – गर्भावस्था के दौरान जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए ओमेगा 3 फैटी एसिड युक्त आहार का सेवन करें। इसके लिए महिला साल्मन मछली को आहार में शामिल कर सकती हैं (13)।
- विटामिन-डी – ओमेगा 3 के साथ-साथ विटामिन-डी युक्त आहार को डाइट में शामिल किया जा सकता है। विटामिन-डी शरीर में कैल्शियम के अवशोषण में मदद कर सकता है, जो हड्डियों के लिए जरूरी है। इसके लिए दूध या दूध युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है (14)। ध्यान रहे कि अगर किसी महिला को दूध से एलर्जी हो, तो इसका सेवन करने से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें। इसके अलाव, अन्य पौष्टिक आहार जैसे – हरी सब्जियों और फलों को डाइट का हिस्सा बनाएं।
- मालिश – अगर जोड़ों में सूजन या हल्का दर्द हो, तो गुनगुने तेल की मालिश का विकल्प भी चुन सकते हैं। हालांकि, ध्यान रहे कि मालिश हल्की होनी चाहिए (5)।
- गुनगुना सेंक – अगर दर्द घुटने, कमर, हाथ-पैर या उंगलियों में हो, तो दर्द से प्रभावित अंग पर गुनगुने पानी का सेंक भी ले सकती हैं। इससे दर्द से राहत मिल सकती है (15)।
- सही पोस्चर – सही मुद्रा में उठे या बैठें। ज्यादा देर तक किसी अंग को एक ही मुद्रा में न रखें, इससे अकड़न हो सकती है और दर्द हो सकता है। खुद को आराम दें और भारी चीजें न उठाएं।
अब जानते हैं कि गर्भावस्था के दौरान जोड़ों के दर्द में डॉक्टरी सलाह कब लेने की जरूरत हो सकती है।
डॉक्टर से कब मिलें
हो सकता है कुछ मामलों में प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले जोड़ों के दर्द में डॉक्टरी सलाह की आवश्यकता हो। यहां जानते हैं कि किन परिस्थितियों में डॉक्टरी सलाह की आवश्यकता पड़ सकती है।
- अगर घरेलू उपायों के बाद भी जोड़ों के दर्द में कोई आराम न हो।
- जोड़ों का दर्द लगातार कई दिनों तक रहे।
- गर्भावस्था में जोड़ों के दर्द के साथ-साथ बुखार और कमजोरी की समस्या भी हो।
- अगर जोड़ों का दर्द असहनीय हो।
- जोड़ों के दर्द के साथ सूजन भी हो।
ये थे प्रेगनेंसी में दौरान जोड़ों में दर्द से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां। उम्मीद है कि इस लेख से आपको इस समस्या से जुड़े हर सवाल का जवाब मिल गया होगा। अगर किसी गर्भवती को प्रेगनेंसी में जॉइंट पेन की परेशानी हो, तो उन्हें यहां बताए गए उपायों की जानकारी जरूर दें। साथ ही इस लेख को ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर कर सभी को प्रेगनेंसी में जोड़ों के दर्द से जुड़ी जानकारियों से अवगत कराएं। क्या पता आपका एक शेयर किसी महिला के लिए उपयोगी साबित हो जाए और यहां बताए गए उपचारों से उनका दर्द कम हो जाए।
References
2. Pregnancy stages and changes By Better Health Channel
3. Pregnancy-induced arthralgia and arthritis on small joints of hands By AJOG
4. Pain Management in Pregnancy: Multimodal Approaches By NCBI
5. Aches and pains during pregnancy By Medlineplus
6. Hashimoto’s disease By Womenshealth
7. Sacroiliac joint pain – aftercare By Medlineplus
8. Carpal tunnel syndrome By Better Health Channel
9. Who develops carpal tunnel syndrome during pregnancy: An analysis of obesity, gestational weight gain, and parity By NCBI
10. New diagnosis of rheumatoid arthritis during the third trimester of pregnancy By NCBI
11. Musculoskeletal pain and symptoms in pregnancy: a descriptive study By NCBI
12. Joint Pain By Medlineplus
13. Omega-3 Fatty Acids By NIH
14. Vitamin D By Medlineplus
15. The Efficacy of Thermotherapy and Cryotherapy on Pain Relief in Patients with Acute Low Back Pain, A Clinical Trial Study By NCBI
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