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गर्भावस्था में कदम रखते ही हर कोई सलाह देना शुरू कर देता है। कोई कहता है ऐसा करो, तो कोई कहता है वैसा करो। वहीं, कुछ लोग खाने-पीने में क्या परहेज करें, उसकी लिस्ट बनाकर देते हैं। असल में इसके पीछे इन सभी का उद्देश्य यह होता है कि आपका व होने वाले शिशु का स्वास्थ्य बेहतर रहे। वहीं, कुछ लोग गर्भावस्था में केसर का सेवन करने की सलाह देते हैं, लेकिन क्या वास्तव में गर्भावस्था के दौरान केसर का सेवन करना चाहिए? इसी शंका को दूर करने के लिए, हम मॉमजंक्शन के इस लेख में केसर खाने से जुड़े सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे।
क्या गर्भावस्था के दौरान केसर सुरक्षित है? | Pregnancy Me Kesar khana Chahiye
हां, गर्भावस्था के दौरान केसर का सेवन करना सुरक्षित है, बशर्ते उसे सही मात्रा में खाया जाए। किसी भी चीज का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करना बुरा प्रभाव डालता है। ठीक ऐसा केसर के साथ भी है। इसलिए, केसर का इस्तेमाल करने के लिए जरूरी है कि उसकी संतुलित मात्रा पर ध्यान दिया जाए (1) (2)।
गर्भावस्था के दौरान कितना केसर इस्तेमाल किया जाना सुरक्षित है? | pregnancy Me Kesar Kitna Khana Chahiye
गर्भावस्था की दूसरी और तीसरी तिमाही में प्रतिदिन 20-30 एमजी केसर का इस्तेमाल किया जा सकता है, क्योंकि इस दौरान गर्भपात का खतरा कम होता है। आपको बता दें कि एक ग्राम में आपको केसर के तकरीबन 400 रेशे मिलेंगे, ऐसे में 30 एमजी केसर रोजाना खाने से यह पूरे एक महीने तक चल सकता है। केसर के करीब 8-10 रेशे 30 एमजी के बराबर होते हैं। इससे ज्यादा केसर का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही पहली तिमाही में डॉक्टर केसर का इस्तेमाल करने से मना करते हैं, क्योंकि इस दौरान केसर का इस्तेमाल करने से गर्भाशय संकुचन और गर्भपात का खतरा ज्यादा रहता है (2)।
जैसा कि आपको समझ आ ही गया होगा कि गर्भावस्था में कितना केसर खाना चाहिए। अब जानते हैं कि यह कब खाना चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान केसर कब लेना है? | Pregnancy Me Kesar Kab Khaye
कई महिलाओं के मन में यह सवाल भी बार-बार आता है कि आखिर किस महीने से केसर खाना शुरू किया जा सकता है? क्या इसे शुरुआती समय से ही खा सकते हैं या इसे किसी विशेष महीने से लेना शुरू करना चाहिए? यहां हम बता दें कि आप गर्भावस्था में केसर लेने की जल्दबाजी बिल्कुल न करें। अगर शुरुआत में ही केसर खाना शुरू कर दिया, तो गर्भाशय में संकुचन शुरू होने की आशंका रहती है, जिससे गर्भपात का खतरा हो सकता है। आयुर्वेद के स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, गर्भावस्था की दूसरी तिमाही से केसर का इस्तेमाल किया जा सकता है। आप गर्भावस्था के पांचवें महीने से केसर का सेवन शुरू कर सकती हैं, लेकिन खुद से केसर का सेवन न करें, पहले डॉक्टर से इस बारे में सलाह लेना जरूरी है।
आइए, अब जानते हैं कि गर्भावस्था के दौरान केसर खाने से क्या-क्या फायदे होते हैं।
गर्भावस्था के दौरान केसर के लाभ | Pregnancy Me Kesar Ke Fayde
जैसा कि हमने बताया कि अगर गर्भावस्था में मात्रा और सही समय का ध्यान रखते हुए केसर का इस्तेमाल किया जाए, तो इसके कई चमत्कारी फायदे हो सकते हैं। इसलिए, नीचे हम गर्भावस्था में केसर खाने के फायदे बता रहे हैं :
- मूड स्विंग में फायदेमंद : गर्भावस्था के दौरान कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिस कारण गर्भवती को कई तरह के मूड स्विंग होते हैं। कभी गुस्सा आना, चिड़चिड़ाहट होना, बिना किसी बात के रोने जैसा महसूस होना सामान्य है। ऐसे में केसर का सेवन करने से अवसाद दूर हो सकता है (3), जिससे व्यक्ति को अच्छा महसूस होता है। इसलिए, अगली बार जब आपको लगे कि आप तनावग्रस्त हैं, तो केसर युक्त चीज खाएं। इससे आपको अच्छा महसूस होगा।
- उच्च रक्तचाप से राहत दिलाए : गर्भावस्था में महिला को उच्च रक्तचाप की समस्या होती रहती है, जबकि केसर में ऐसे गुण मौजूद हैं, जो उच्च रक्तचाप से राहत दिलाने में मदद करते हैं। आपको बता दें कि केसर में पोटैशियम और क्रोसेटिन होता है, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं (4)।
- मॉर्निंग सिकनेस से राहत : गर्भावस्था में ज्यादातर महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस की परेशानी रहती है। सुबह उठते समय जी-मिचलाना, उल्टी आना, सुस्ती महसूस होने जैसी कई समस्याएं गर्भावस्था में आम हैं। इन समस्या से राहत पाने के लिए केसर काफी मददगार साबित हो सकता है।
- ऐंठन से राहत दिलाए : गर्भावस्था के दौरान जैसे-जैसे शिशु का विकास होगा, आपकी मांसपेशियों में खिंचाव आएगा, जिससे पेट में ऐंठन और दर्द होना स्वाभाविक है। केसर में एंटी-स्पासमोडिक गुण होते हैं (5), जो मांसपेशियों के लिए फायदेमंद होते हैं। ये ऐंठन से राहत दिलाते हैं।
- हृदय संबंधी दिक्कतों से बचाएं : गर्भावस्था में कुछ न कुछ खाने की इच्छा होते रहना सामान्य है। बेशक, इस दौरान आपको ज्यादा कैलोरी लेनी होती है, लेकिन साथ ही यह ध्यान रखने की भी जरूरत है कि कोई दिल संबंधी समस्या खड़ी न हो जाए। ऐसे में केसर आपकी मदद कर सकता है। केसर में क्रोसेटीन, पोटैशियम और एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं, जिससे कोलेस्ट्रोल का स्तर संतुलित रहता है और हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा कम हो जाता है (6)।
- शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ाए : गर्भावस्था में ज्यादातर महिलाओं को एनीमिया की शिकायत रहती है। इसलिए, गर्भवती महिला को आयरनयुक्त चीजों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। केसर में आयरन होता है, जो हिमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद करता है (7)।
- गर्भावस्था में बालों को झड़ने से रोके : हार्मोनल बदलावों के चलते गर्भावस्था में बाल झड़ने लगते हैं। माना जाता है कि केसर और मुलेठी को पीसकर, उसमें दूध मिलाकर बनाए गए पेस्ट को बालों पर लगाने से बालों का गिरना कम हो सकता है।
- अच्छी नींद आती है : गर्भावस्था में नींद की समस्या से सभी महिलाएं परेशान रहती हैं। ऐसे में रात को सोते समय केसर वाला दूध पीने से आपको अच्छी नींद आएगी और आप चैन से सो पाएंगी।
- त्वचा की समस्या दूर करे : गर्भावस्था में हार्मोनल बदलावों के चलते त्वचा संबंधी समस्या, जैसे पिंपल होना सामान्य है। ऐसे में केसर का इस्तेमाल इस समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकता है।
- एलर्जी से बचाए : गर्भावस्था में रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण एलर्जी और इन्फेक्शन जल्दी पकड़ लेता है। ऐसे में केसर आपको एलर्जी से बचाने में मदद करता है। केसर वाला दूध आपको एलर्जी से राहत दिलाने में मदद करेगा।
- बच्चे की हलचल में मददगार : आयुर्वेद में कहा गया है कि केसर से शरीर का तापमान बढ़ता है। जब आप गर्भावस्था में केसर का इस्तेमाल करती हैं, तो इससे शरीर का तापमान बढ़ता है और अंदर शिशु हलचल करने लगता है। गर्भवती के लिए शिशु की हलचल को महसूस करना वाकई में रोमांचक होता है।
- दांतों की संवेदनशीलता को दूर करे : गर्भावस्था में हार्मोनल बदलाव के चलते दांतों से संबंधित परेशानियां होती रहती हैं। आप केसर को पीसकर उसका पाउडर बनाकर, उससे दातों व मसूड़ों की मालिश कर सकती हैं।
फायदों के बाद आइए नजर डालते हैं इसके नुकसान पर।
गर्भावस्था के दौरान केसर के दुष्प्रभाव
केसर प्राकृतिक औषधि है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इसके कोई दुष्प्रभाव नहीं है। जरूरत से ज्यादा केसर का इस्तेमाल गर्भवती के लिए नुकसानदायक हो सकता है। नीचे हम केसर के नुकसान के बारे में बताने जा रहे हैं :
- गर्भपात का खतरा : गर्भावस्था में केसर से गर्भाशय संकुचन शुरू होने का खतरा बढ़ सकता है, जिससे गर्भपात भी हो सकता है (1)। आयुर्वेद के विशेषज्ञों की मानें, तो केसर से शरीर का तापमान बढ़ता है और इससे गर्भपात हो सकता है। इसलिए, हमेशा डॉक्टर की सलाह से ही केसर का इस्तेमाल करें।
- अतिसंवेदनशीलता : किसी-किसी महिला को केसर का सेवन करने के बाद घबराहट, जी-मिचलाना, मुंह सूखना व सिरदर्द जैसी समस्याएं होने लगती हैं। ऐसा होने पर बेहतर होगा कि केसर का इस्तेमाल न किया जाए।
- उल्टी आना : कभी-कभी गर्भावस्था में केसर का इस्तेमाल करने से उल्टी भी हो सकती है। अगर ऐसा हो, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
इन दुष्प्रभाव के अलावा, अगर केसर खाने के बाद नीचे दिए गए लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
- मल या मूत्र में रक्त आना।
- पलकें, होंठ और नाक से रक्तस्राव।
- शरीर का सुन्न होना।
- आंखों के आगे अंधेरा छा जाना।
- चक्कर आना।
- शरीर में पीलापन आना।
ये तो थे केसर के कुछ नुकसान, जिन्हें अनदेखा नहीं करना चाहिए। अब जानिए, गर्भावस्था में केसर के सुरक्षित रूप से सेवन करने के तरीके।
गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित रूप से केसर लेने के सुझाव | Pregnancy Me Kesar Khane Ka Tarika
अगर आप गर्भावस्था में पहली बार केसर लेने के बारे में सोच रही हैं, तो आपके मन में इसे लेने के कई तरह के सवाल होंगे। नीचे हम आपको इससे संबंधित कुछ टिप्स दे रहे हैं :
- दूध के साथ लें : गर्भावस्था में शिशु के विकास के लिए आपको ज्यादा कैल्शियम की जरूरत होती है। जैसे ही आपका 5वां महीना शुरू हो, तो एक गिलास दूध में केसर के कुछ रेशे डाल सकते हैं। आप बादाम के साथ केसर को पीसकर एक पेस्ट बना सकती हैं और उस पेस्ट को दूध में मिलाकर पी सकती हैं।
- चावल या सूप के साथ केसर : किसी भी डिश को सजाने के लिए केसर के कुछ रेशे ऊपर से डाल सकते हैं। इसके अलावा, किसी सूप में भी दो से तीन रेशे केसर के डालकर पी सकती हैं।
- केसर को भिगोकर : आप केसर के रेशों को थोड़े से दूध या पानी में 15 से 20 मिनट के लिए भिगो दें। इससे केसर का रंग और फ्लेवर पानी या दूध में आ जाएगा। फिर इस पानी को अपनी डिश में मिलकार सेवन कर सकते हैं, जबकि दूध को ऐसे ही पी सकती हैं।
- गार्निश करके : अगर आप सलाद बना रही हैं, तो केसर को हाथ से तोड़कर सलाद पर गार्निश कर सकती हैं।
नोट : आप केसर खाने के अन्य सुरक्षित तरीकों को जानने के लिए डॉक्टर से सलाह भी ले सकती हैं।
केसर स्टोर करने के लिए टिप्स
नीचे हम आपको कुछ ऐसे टिप्स दे रहे हैं, जिनकी मदद से आप केसर को लंबे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं, जानिए इन तरीकों को :
- केसर खरीदने के बाद उसे ठंडे और अंधेरे स्थान पर वायुरोधक (एयर टाइट) डिब्बे में रखें। इससे केसर छह महीने तक सुरक्षित रह सकता है और इसकी खुशबू और स्वाद बरकरार रहता है।
- आप केसर को फॉयल पेपर में लपेटकर एक वायुरोधक डिब्बे में डालकर फ्रीज में रख सकते हैं। अगर आप केसर को ठीक से स्टोर कर लेते हैं, तो यह तीन साल तक खराब नहीं होगा। हो सकता है समय के साथ इसका स्वाद थोड़ा फीका पड़ जाए, लेकिन इसके गुण कायम रहेंगे।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या गर्भावस्था के दौरान केसर का सेवन करने से मेरे बच्चे का रंग गोरा हो सकता है?
नहीं, ऐसा नहीं है। गर्भावस्था में केसर लेने से गोरा बच्चा पैदा होगा, यह पूरी तरह से मिथक है। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। बच्चे का रंग उसके जीन पर निर्भर करता है, जो पूरी तरह से अनुवांशिक होता है। बच्चे का रंग किसी खाने-पीने की चीजों से प्रभावित नहीं होता।
असली और नकली केसर के बीच अंतर क्या है?
केसर एक महंगी औषधि है, इस वजह से आपको बाजार में नकली केसर भी मिल सकता है। ऐसे में असली केसर और नकली केसर में कुछ लोग अंतर नहीं कर पाते। नीचे हम आपको असली और नकली केसर में अंतर पता करने के कुछ टिप्स बता रहे हैं :
- असली केसर लाल और नारंगी मिले-जुले रंग का होता है, जिसमें उसका कोना नारंगी रंग का होता है। अगर आपको केसर पूरा सुर्ख लाल रंग का मिले, तो समझ जाएं कि यह मिलावटी है।
- केसर को चख कर देखें, अगर यह मीठा लगे, तो समझ जाइए कि यह नकली है, क्योंकि असली केसर में कड़वाहट होती है।
- ध्यान दें कि केसर में सफेद और पीले रेशे न हों। अगर ऐसा है, तो हो सकता है कि इसमें केसर के फूल के किसी अन्य भाग को भी मिलाया गया हो।
- इसके अलावा, पानी में डालकर भी असली और नकली केसर की पहचान की जा सकती है। केसर के कुछ रेशे पानी में डालें। अगर केसर तुरंत रंग छोड़ना शुरू कर दे, तो यह नकली हो सकता है।
इस लेख से यह तो समझ आ गया कि गर्भावस्था में केसर खाना सुरक्षित है, लेकिन इसकी अधिक मात्रा नुकसानदायक हो सकती है। साथ ही सभी की गर्भावस्था एक जैसी नहीं होती है, इसलिए डॉक्टर से पूछकर ही इसका सेवन करना चाहिए। इसके अलावा, यह लेख सभी परिचित गर्भवती महिलाओं के साथ शेयर करना न भूलें। अगर आप गर्भावस्था के संबंध में और कुछ जानना चाहती हैं, तो मॉमजंक्शन के अन्य लेख जरूर पढ़ें।
References
1. Effect of Saffron (Fan Hong Hua) On the Readiness of The Uterine Cervix In Term Pregnancy By Ncbi
2. Toxicology effects of saffron and its constituents: a review By Ncbi
3. Saffron (Crocus sativus L.) and major depressive disorder: a meta-analysis of randomized clinical trials. By Ncbi.
4. The Effect of Chronic Administration of Saffron (Crocus sativus) Stigma Aqueous Extract on Systolic Blood Pressure in Rats By By Ncbi
5. Smooth muscle relaxant activity of Crocus sativus (saffron) and its constituents: possible mechanisms By Ncbi
6. Cardiovascular effects of saffron: an evidence-based review. By Ncbi
7. Safety Evaluation of Crocin (a constituent of saffron) Tablets in Healthy Volunteers By Ncbi
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