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मां बनना हर महिला के लिए सुखद अनुभव होता है, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। यह वक्त उनके लिए उतार-चढ़ाव भरा होता है और इस दौरान उन्हें खास देखभाल की जरूरत होती है। गर्भावस्था में सबसे पहले महिला के खान-पान पर ध्यान दिया जाता है। गर्भावस्था में आहार बहुत मायने रखता है, क्योंकि इसका सीधा असर मां और शिशु दोनों पर पड़ता है। इसलिए, प्रेग्नेंसी में क्या खाना चाहिए यह जानना तो जरूरी है ही, साथ ही प्रेग्नेंसी में क्या नहीं खाना चाहिए इसका ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है। इस लेख में हम आपको इसी बारे में जानकारी देंगे। आइए, जानते हैं कि गर्भावस्था में खानपान किस प्रकार का होना चाहिए।
गर्भवती महिला के लिए भोजन का चुनाव कैसे मायने रखता है?
प्रेग्नेंसी में क्या खाएं यह लगभग हर महिला के मन में आने वाला पहला सवाल होता है। गर्भावस्था में खानपान का ध्यान रखना न सिर्फ महिला, बल्कि परिवार के अन्य सदस्यों, रिश्तेदारों और दोस्तों की भी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। महिला को गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक भोजन का सेवन करना ही चाहिए। साथ ही खाद्य पदार्थ चुनते वक्त कुछ बातों का ध्यान भी रखना चाहिए। अगर महिला को किसी चीज से एलर्जी है, तो उसका सेवन न करें और ऐसी ही कई छोटी-बड़ी बातें हैं। गर्भवती महिला का खानपान उसके होने वाले शिशु पर प्रभाव डालता है, इसलिए गर्भावस्था में भोजन का चुनाव काफी मायने रखता है।
इस लेख में आगे जानिए कि गर्भावस्था में क्या खाना चाहिए और गर्भावस्था में क्या नहीं खाना चाहिए।
प्रेग्नेंसी में क्या खाना चाहिए – Pregnancy Food in Hindi
प्रेग्नेंसी में क्या खाएं यह दुविधा तो महिलाओं को होती ही है, लेकिन क्या न खाएं यह दुविधा भी रहती है। इसलिए, शुरुआत में हम आपको बताएंगे कि प्रेग्नेंसी में क्या खाना चाहिए। गर्भवती महिला को भोजन में क्या-क्या खाना जरूरी है, यह जानना बेहद आवश्यक है। इसलिए, नीचे हम कुछ खाद्य पदार्थों के बारे में बता रहे हैं, जिनका सेवन गर्भवती महिलाएं कर सकती हैं।
1. गर्भावस्था के दौरान फलों का सेवन
गर्भावस्था में फलों का सेवन बहुत मायने रखता है, इसमें मौजूद पौष्टिक तत्व, होने वाली माँ और शिशु दोनों के लिए ही बहुत जरूरी होते हैं। हालांकि गर्भावस्था में किसी भी फल का चुनाव नहीं किया जा सकता है क्योंकि जरूरी नहीं सारे फल सुरक्षित हो। इसलिए नीचे हम कुछ खास फलों के नाम आपको बता रहे हैं जिसका सेवन गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित हो सकता है।
- एवोकाडो
पोषक तत्वों की बात करें, तो एवोकाडो जिसे बटरफ्रूट भी कहा जाता है, उसमें कई गुण हैं। गर्भवती महिला के लिए एवोकाडो अच्छा फल है। इसमें विटामिन, मिनरल व आयरन जैसे कई पोषक तत्व होते हैं, जो मां और शिशु दोनों के लिए फायदेमंद हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट व फाइबर हैं, जो गर्भावस्था और स्तनपान दोनों वक्त के लिए फायदेमंद है (1)। इसलिए, गर्भवती महिलाएं एवोकाडो को अपने डाइट में शामिल कर सकती हैं।
- संतरा
विटामिन-सी से भरपूर संतरा गर्भवती महिला के लिए फलों में अच्छा विकल्प है (2)। इससे होने वाली मां और शिशु दोनों के ही रोग-प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है (3)। साथ ही यह फल गर्भवती महिला को हाइड्रेट भी रखेगा।
- केला
आसानी से बाजार में उपलब्ध केला भी गर्भावस्था के लिए अच्छा फल है। विटामिन और फाइबर से भरपूर केला गर्भावस्था के दौरान होने वाली कब्ज की समस्या से राहत दिला सकता है। साथ ही इसमें मौजूद डिमेंहाइड्रिनेट
(dimenhydrinate) और विटामिन-बी6 गर्भावस्था के शुरुआती दौर में होने वाले मितली और उल्टी की परेशानी से राहत दिला सकता है (4)।
- सेब
आपने यह कहावत तो सुनी ही होगी कि ‘एन एप्पल ए डे कीप्स द डॉक्टर अवे’। अगर गर्भावस्था के दौरान महिला सेब का सेवन करती है, तो होने वाला शिशु का दमा व अन्य एलर्जिक बीमरियों से बचाव हो सकता है (5)।
- अनार
गर्भवती महिलाएं अनार का सेवन भी कर सकती है। इससे न सिर्फ खून की कमी की समस्या दूर हो सकती है, बल्कि गर्भावस्था में किसी तरह की समस्या से भी बचाव हो सकता है (6)। हालांकि, जिनका खून पतला है, वो डॉक्टर के परामर्श पर ही इसका सेवन करें।
नोट : इन सबके अलावा तरबूज, नींबू, अमरूद व नारियल आदि कई फल हैं, जो गर्भावस्था के दौरान खाए जा सकते हैं। इनके सेवन से पहले विशेषज्ञ या डॉक्टर की सलाह जरूरी है, क्योंकि हर किसी का शरीर और गर्भावस्था एक जैसी नहीं होती है, इसलिए इस दौरानी सावधानी बहुत जरूरी है।
2. गर्भावस्था के दौरान सब्जियों का सेवन
जिस तरह गर्भावस्था के दौरान फलों का सेवन करना जरूरी है, वैसे ही इस दौरान सही सब्जियों का चुनाव करना भी उतना ही जरूरी है। हालांकि, इस सूची में कई सब्जियां हैं, लेकिन हम यहां कुछ खास सब्जियों के बारे में ही बताएंगे। आप गोभी, ब्रोकली, आलू, मटर, गाजर, खीरा, शिमला मिर्च और ज्यादा से ज्यादा हरी पत्तेदार सब्जियों का चुनाव करें (7)। ये मां और होने वाले शिशु दोनों को पोषण प्रदान करेंगे।
नोट : ध्यान रहे कि खाने और पकाने से पहले आप सारी सब्जियों को अच्छे से धो लें।
3. दूध उत्पाद
गर्भवती महिला को अपने होने वाले शिशु के बेहतर विकास और हड्डियों की मजबूती के लिए कैल्शियम व प्रोटीन की आवश्यकता होती है। यहां हम आपको बता दें कि न सिर्फ महिलाओं को, बल्कि गर्भवती महिलाएं जिनकी उम्र 19 से 50 साल तक है, उन्हें रोज 1,000mg कैल्शियम की जरूरत होती है (8)। इसलिए, गर्भवती महिलाएं अपने खानपान में डेरी उत्पादों कों शामिल करें। गर्भवती महिलाएं दही, पनीर और पाश्चुरीकृत (pasteurised) डेयरी उत्पादों का सेवन करें (9)। ये आसानी से बाजार में उपलब्ध होते हैं। आप सोया मिल्क का भी सेवन कर सकती हैं। डेरी उत्पाद और कैल्शियम के सेवन से होने वाला शिशु एक्जिमा जैसी समस्याओं के जोखिम से बच सकता है (10)।
4. गर्भावस्था के दौरान साबूत अनाज
सब्जियों और फल के साथ-साथ गर्भवती महिला के लिए साबूत अनाज का सेवन करना भी जरूरी है। आप अपने नाश्ते में ओट्स, होल वीट ब्रेड (बाजार में उपलब्ध), भूरे चावल व दलिया (जिसमें हर तरह के अनाज हों) को शामिल कर सकते हैं (11)। इन अनाजों में कई तरह के पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं, जैसे – विटामिन, प्रोटीन व फाइबर। इनके सेवन से मां और शिशु दोनों को ही भरपूर पोषण मिलता है।
5. नट्स और बीज का सेवन
गर्भावस्था के दौरान महिला को अपने डाइट में नट्स यानी मूंगफली, काजू, बादाम व अखरोट को शामिल करना चाहिए। ये न सिर्फ पोषण देते हैं, बल्कि शिशु को किसी भी प्रकार की एलर्जी से बचा भी सकते हैं (12)। इसके अलावा, गर्भवती महिला कई तरह के बीज जैसे – सूरजमुखी व तिल आदि का भी सेवन कर सकती है (13)। इनमें कैल्शियम, जिंक व मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो गर्भवती महिला के लिए फायदेमंद हो सकते हैं (14)।
6. बेरी प्रजाति के फल
बेर प्रजाति के फल जैसे – स्ट्रॉबेरी, ब्लैकबेरी, रास्पबेरी आदि का सेवन भी गर्भावस्था में लाभदायक हो सकता है (15)। इनका सेवन संतुलित मात्रा में करें। अगर इन्हें जरूरत से ज्यादा खाया जाए, तो शुगर बढ़ने का खतरा हो सकता है। इसके अलावा, अगर किसी को एलर्जी है, तो इसका सेवन डॉक्टर से पूछ कर करें।
7. गर्भावस्था में शकरकंद का सेवन
गर्भावस्था में आहार की बात करें, तो शकरकंद यानी स्वीट पोटैटो भी अच्छा विकल्प है। विटामिन-ए से भरपूर शकरकंद गर्भवती महिला और होने वाले शिशु के लिए बहुत जरूरी है। विटामिन-ए की कमी से शिशु की आंखों की रोशनी पर प्रभाव पड़ सकता है या उन्हें संक्रमण भी हो सकता है। शिशु के सही विकास के लिए गर्भावस्था के दौरान महिला को विटामिन-ए युक्त आहार के सेवन की सलाह दी जाती है (16)। ध्यान रहे कि आप जरूरत से ज्यादा विटामिन-ए का सेवन न करें, क्योंकि इससे गर्भ में पल रहे शिशु को हानि हो सकती है।
8. लाल मांस (Red Meat)
अगर आप मांसाहारी हैं, तो गर्भावस्था में लाल मांस यानी रेड मीट का भी सेवन कर सकती है। हालांकि, रेड मीट के सेवन से कैंसर के खतरे की बात सामने आई थी, लेकिन फिलहाल ऐसे कोई सबूत नहीं हैं कि यह आहार बच्चे के स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है (17)। फिर भी ध्यान रहे कि गर्भवती महिलाएं अच्छी तरह से पके हुए मीट का ही सेवन करें।
9. बीन्स और दाल
अगर गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक भोजन की बात करें, तो बीन्स और दाल का अहम स्थान है। इसमें मौजूद फोलेट और आयरन शिशु के विकास में मददगार साबित हो सकते हैं (18)। इसलिए, गर्भावस्था में आहार की बात करें, तो दाल और बीन्स को शामिल करना न भूलें।
10. मिनरल्स
गर्भावस्था के दौरान शिशु विकास के लिए मिनरल्स जैसे – विटामिन, कैल्शियम व आयरन की बहुत जरूरत होती है। गर्भावस्था के दौरान फोलेट के सेवन से शिशु में जन्म विकार का खतरा कम हो सकता है। वहीं, विटामिन-डी की कमी से शिशु को रिकेट्स (यह बच्चों में होने वाली हड्डियों से संबंधित बीमारी है) जैसी बीमारी का खतरा रहता है। कैल्शियम शिशु के दांत और हड्डियों के लिए लाभकारी है। इसके अलावा, आयोडीन व जिंक जैसे मिनरल भी गर्भावस्था में काफी लाभकारी हैं। आप अपने आहार में दाल, फलिया, टमाटर व शिमला मिर्च जैसे खाद्य पदार्थ शामिल कर सकते हैं (19)।
11. गर्भावस्था में प्रोटीन
गर्भावस्था में खानपान की बात करें, तो इसमें प्रोटीन युक्त आहार भी जरूरी है। प्रोटीन शिशु के टिश्यू को बनाने में मददगार होता है। साथ ही यह महिला के स्तनों और गर्भाशय के टिश्यू को रिपेयर व विकसित करता है। इतना ही नहीं गर्भावस्था के दौरान यह मांसपेशियों और खून की समस्या से बचाव करता है। गर्भवती महिलाएं मछली, अंडा, दाल, दूध व दूध वाले खाद्य पदार्थ आदि प्रोटीन युक्त चीजों को अपने खाने में शामिल कर सकती हैं (20)।
12. प्रेग्नेंसी में फैट
गर्भावस्था के दौरान फैट भी बहुत जरूरी होता है। इससे ऊर्जा मिलती है और शिशु के नाल व अंगों को बनने में मदद मिलती है। पॉली-अनसैचुरेटेड फैटी एसिड (Poly-unsaturated fatty acids) जिसे ओमेगा-3 फैटी एसिड भी कहते हैं, उसके सेवन से शिशु के मस्तिष्क, तंत्रिका तंत्र व रेटिना के विकास में मदद मिलती है। तैलीय मछली जैसे सैल्मन, ट्राउट और हेरिंग में पॉली-अनसैचुरेटेड फैटी एसिड होता है। इसके अलावा, बादाम, अलसी के बीज और खाना बनाने के तेल में भी पॉली-अनसैचुरेटेड फैटी एसिड मौजूद होता है (20)।
13. सैल्मन (Salmon)
जैसा कि हमने ऊपर आपको बताया कि ओमेगा-3 फैटी एसिड शिशु के विकास के लिए कितना आवश्यक है (21)। इसलिए, गर्भवती महिला के लिए भोजन में सैल्मन मछली को शामिल करना लाभदायक हो सकता है (22) (21)। इसमें मरकरी की मात्रा कम होती है और गर्भवती महिला का वजन भी सही रहता है। इसका सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए, वरना इसका गलत असर भी हो सकता है। गर्भवती महिला इस मछली के हफ्ते में सिर्फ दो बार ही खा सकती है, वो भी दो भागों में (23)।
14. गर्भावस्था में पानी
शरीर को हाइड्रेट रखना बहुत जरूरी है। आम दिनों में ही शरीर को पानी की बहुत जरूरत होती है, तो गर्भावस्था में पानी पीना और जरूरी हो जाता है। गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में कई बदलाव होते हैं, जिसके लिए शरीर को हाइड्रेट रखना जरूरी है। एमनियोटिक द्रव बनाने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। एमनियोटिक द्रव बच्चे को घेरकर सुरक्षित रखता है। इसके अलावा, यह स्तनों में दूध बनने में भी सहायक होता है। वैसे तो गर्भावस्था के दौरान मितली या उल्टी होना सामान्य है, लेकिन कभी-कभी ऐसा ज्यादा होने से महिला के शरीर में पानी की कमी हो जाती है, जिससे वजन घटने का भी खतरा बढ़ जाता है। इस कारण से भी महिला को गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त मात्रा में पानी पीना जरूरी है। गर्भवती महिला को रोज दो लीटर से ज्यादा पानी पीने की जरूरत होती है (24)।
प्रेग्नेंसी में क्या खाएं यह तो आप जान गए हैं, अब बारी है गर्भावस्था में क्या नहीं खाना चाहिए इसके बारे में जानने की। नीचे हम इसी बारे में आपको जानकारी दे रहे हैं।
प्रेग्नेंसी में क्या नहीं खाना चाहिए – Foods to Avoid in Pregnancy in Hindi
प्रेग्नेंसी में क्या खाना चाहिए यह जानने के बाद प्रेग्नेंसी में क्या नहीं खाना चाहिए इस बारे में बात करना भी जरूरी है। गर्भावस्था में क्या नहीं खाना चाहिए यानी ऐसी कौन सी चीजे हैं, जिनका सेवन गर्भवती महिला और होने वाले शिशु दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। नीचे हम कुछ ऐसे ही खाद्य पदार्थों के बारे में बता रहे हैं :
1. कॉफी या कैफीन
आजकल चाय-कॉफी की आदत लगभग हर किसी को है, लेकिन गर्भावस्था के दौरान इससे दूरी बनाए रखना बेहतर है। कई बार डॉक्टर प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को कैफीन की मात्रा कम करने की सलाह देते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि ज्यादा मात्रा में कैफीन का सेवन शिशु के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। इससे भ्रूण का विकास रुक सकता है और गर्भपात होने का खतरा भी हो सकता है। इसके अलावा, ज्यादा कैफीन के सेवन से जन्म के दौरान शिशु के वजन में भी कमी आ सकती है (25) (26)। इसलिए, बेहतर है कि गर्भावस्था के दौरान जितना हो सके कॉफी या कैफीन के उत्पादों से दूर रहें।
2. गर्भावस्था के दौरान कौन से फल नहीं खाने चाहिए
ऊपर हमने आपको कुछ फलों के बारे में बताया था, जिसका सेवन आप गर्भावस्था के दौरान कर सकते हैं। अब हम आपको उन फलों के बारे में बताएंगे, जिनका सेवन गर्भवती महिला के लिए हानिकारक हो सकता है।
- पपीता
इस सूची में सबसे पहला नाम आ रहा है पपीता। भले ही इस फल में कई गुण हों, लेकिन गर्भावस्था के दौरान यह फल हानिकारक हो सकता है। खासकर कच्चा या आधा पका हुआ पपीता, क्योंकि इसमें लैटेक्स होता है, जो गर्भाशय में संकुचन पैदा कर सकता है। इससे वक्त से पहले प्रसव या गर्भपात का खतरा रहता है (27)।
- अंगूर
अंगूर भले ही गुणकारी फल है, लेकिन गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन हानिकारक हो सकता है। अंगूर की तासीर गर्म होती है, जिस कारण यह जल्दी लेबर पेन का या गर्भपात का कारण बन सकता है।
- आम
अगर बात करें फलों के राजा की, तो आम का नाम लिया जाता है। आम कई लोगों को पसंद होता है, लेकिन गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन सोच-समझकर करना चाहिए। आम की तासीर गर्म होती है, जिस कारण इसका सेवन गर्भवती महिला या शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है (28)। अगर आप इसे खाना ही चाहते हैं, तो पहले डॉक्टर से बात कर लें।
- अनानास
अनानास भी एक ऐसा फल है जिसके सेवन से गर्भवती महिला को बचना चाहिए। अनानास के सेवन से गर्भवती महिला को कमर दर्द, वक्त से पहले प्रसव या गर्भपात का खतरा हो सकता है। इसलिए, गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन न करें (28)।
3. बिना धुली सब्जी और फल
गर्भवती महिला के लिए फल और सब्जियां महत्वपूर्ण होती हैं, यह तो आपने जाना लिया, लेकिन इनको खाते वक्त भी ध्यान रखना जरूरी है। फल और सब्जियों को खाने और बनाने के पहले धोना न भूलें। बिना धुले फल और सब्जियों में कई तरह के कीटाणु हो सकते हैं और टॉक्सोप्लाज्मा (Toxoplasma) भी उन्हीं में से एक है (29)। इससे गर्भवती महिला और शिशु दोनों की जान को जोखिम हो सकता है। इसलिए, सब्जी और फलों को अच्छे से धोने के बाद ही सेवन करें।
4. कच्ची समुद्री सामग्री
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कई चीजें खाने का मन करता है और मछली भी उन्हीं में से एक है। गर्भावस्था में मछली खाना खासकर ओमेगा-3 फैटी एसिड वाली मछली ज्यादा फायदेमंद होती है। ध्यान रहे कि जब भी मछली या किसी भी समुद्री खाद्य पदार्थ का सेवन करें, तो पहले उसे अच्छे से पका लें। कच्ची या ठीक तरह से न पकी मछली में परजीवी या बैक्टीरिया हो सकते हैं, जो गर्भवती महिला और शिशु दोनों के लिए हानिकारक हो सकते हैं (30)।
5. कच्चे मांस का सेवन
गर्भावस्था के दौरान अगर आप मीट का सेवन कर रही हैं, तो ध्यान रहे कि वो अच्छे से पका हुआ होना चाहिए। कच्चे मीट में कई तरह के बैक्टीरिया हो सकते हैं। साल्मोनेला(Salmonella), कैंपिलोबेक्टेर (Campylobacter), टॉक्सोप्लाज्मा (Toxoplasma gondii) कुछ से ही बैक्टीरिया हैं, जिससे गर्भपात होने का खतरा हो सकता है (30)।
6. कच्चा अंडा
गर्भावस्था के दौरान कभी भी कच्चे अंडे का सेवन न करें। साथ ही कोशिश करें कि कच्चे अंडे वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें। कच्चे या आधे पके अंडों में साल्मोनेला (Salmonella) नामक बैक्टीरिया हो सकता है। इससे गर्भवती महिला बहुत बीमार हो सकती है और उसका असर शिशु पर भी पड़ सकता है (30)।
7. अनपाश्चराइज्ड जूस
अनपॉश्चराइज्ड जूस का सेवन गर्भवती महिला को नहीं करना चाहिए। इसमें बैक्टीरिया हो सकते हैं, जिससे गर्भवती महिला को पेट की समस्या भी हो सकती है (30)।
8. अनपाश्चराइज्ड दूध उत्पादनों के सेवन से बचें
गर्भवती महिलाएं अनपॉश्चराइज्ड दूध उत्पादनों का सेवन बिल्कुल न करें। अनपाश्चुराइज्ड दूध उत्पादनों में साल्मोनेला (Salmonella), लिस्टिरिया (Listeria), ट्यूबरकुलोसिस (Tuberculosis), कैंपीलोबैक्टर (Campylobacter) जैसे बैक्टीरिया हो सकते हैं, जो गर्भवती महिला को बीमार कर सकते हैं (30)। इसलिए, अनपाश्चराइज्ड दूध उत्पादनों का सेवन करने से बचें और जब भी दूध उत्पाद लें ध्यान रहे कि वो पाश्चराइज्ड हो।
9. सॉफ्ट चीज़ का सेवन न करें
सॉफ्ट चीज़ अनपाश्चराइज्ड दूध से बनता है, जो गर्भवती महिला के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए ब्री (Brie), फेटा (Feta), कैमेम्बर्ट (Camembert), रॉकफोर्ट (Roquefort), केसो ब्लैंको (Queso Blanco), केसो फ्रेस्को (Queso fresco) जैसे चीज़ का सेवन न करें। अनपाश्चराइज्ड दूध से बने चीज़ में लिस्टेरिया नामक बैक्टीरिया होता है, जिससे संक्रमण हो सकता है और गर्भवती महिला व होने वाले शिशु को खतरा हो सकता है (30)।
10. डिब्बाबंद या कैन में बंद खाद्य पदार्थ
गर्भावस्था के दौरान डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों को ज्यादा दिनों तक ठीक रखने के लिए कई तरह के रासायनिक तत्व मिलाएं जाते हैं। इसके सेवन से गर्भवती महिला और उनके शिशु को खतरा हो सकता है। कई बार तो गर्भपात तक का खतरा हो सकता है। इसलिए, जितना हो सके डिब्बाबंद या कैन में बंद खाद्य पदार्थों से दूर रहें (31)।
11. शराब
आजकल महिलाओं का पार्टी में जाकर शराब का सेवन करना कोई बड़ी बात नहीं है। हां, अगर आप गर्भवती हैं, तो यह बात थोड़ी परेशानी वाली हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान बिल्कुल शराब से दूर रहें। गर्भावस्था के दौरान शराब का सेवन होने वाले शिशु के लिए खतरा है। इससे शिशु को फीटल एल्कोहल स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (Fetal Alcohol Spectrum Disorders) हो सकता है, जिसमें शिशु का शारीरिक और मानसिक विकास रुक जाता है। इसलिए, अपने शिशु के स्वस्थ विकास के लिए किसी भी तरह के शराब या शराब युक्त खाद्य पदार्थों से दूर रहें (32)।
12. हर्बल सप्लीमेंट
इतना तो सब जानते हैं कि गर्भावस्था के दौरान कोई भी दवा बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं लेनी चाहिए। वहीं, गर्भावस्था में महिलाओं को छोटी-छोटी शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके लिए वो बार-बार डॉक्टर के पास नहीं जाती हैं और घर में रखी घरेलू चीजें जैसे – अदरक व लहसुन जैसे सामग्रियों का उपयोग हर्बल औषधीय की तरह करती हैं, लेकिन यह सही नहीं है। अगर गर्भवती महिला किसी चीज का सेवन हर्बल औषधि की तरह भी करती है, तो पहले डॉक्टर से जरूर पूछ लें। गर्भावस्था के दौरान हर्बल औषधि भी खतरनाक साबित हो सकती है (33)।
13. घर में बने आइसक्रीम या केक
लोग सोचते हैं कि बाहर से ज्यादा घर में बनी चीज सुरक्षित होती है। बेशक यह काफी हद तक सही है, लेकिन गर्भावस्था के दौरान घर में बनी कुछ चीजें भी हानिकारक हो सकती हैं और आइसक्रीम उन्हीं में से एक है। गर्भावस्था में घर की बनी आइसक्रीम भी नहीं खानी चाहिए। कई बार आइसक्रीम या केक बनाने के लिए कच्चे अंडे का उपयोग किया जाता है, जो गर्भवती महिला के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। कच्चे अंडे से गर्भवती महिला को साल्मोनेला संक्रमण (salmonella) हो सकता है, जो गर्भ में पल रहे शिशु के लिए ठीक नहीं है। इसकी जगह आप बिना अंडे व पाश्चराइज्ड दूध से बनी आइसक्रीम व केक खा सकते हैं, लेकिन पहले डॉक्टर से पूछ लें (30)।
14. वसा से बचाव
फैट शरीर के लिए अच्छा है, क्योंकि इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है। गर्भवती महिला के लिए भी फैट जरूरी है, लेकिन जरूरत से ज्यादा डाइटरी फैट गर्भवती महिला और शिशु के लिए नुकसानदेह हो सकता है (34)। इसलिए, सब्जियों और फलों का सेवन करें, क्योंकि उसमें फैट की मात्रा कम होती है। कम फैट वाले दही और पनीर का सेवन करें (35)। खाना बनाने का तेल, मक्खन, क्रीम व चीज़ के अत्यधिक सेवन से बचें और अगर खाने का मन करे, तो कम फैट वाली सामग्रियों का चुनाव करें।
15. फास्ट फूड या जंक फूड से दूर रहें
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कभी चटपटा, कभी नमकीन, तो कभी मीठा खाने का मन करता है, जोकि सामान्य है। कई बार महिलाएं बिना सोचे-समझे बस अपनी लालसा के लिए खा लेती हैं। ज्यादा तले-भूने व बाहरी खाने से या अत्यधिक मीठा खाने से शिशु को पोषण नहीं मिलेगा, बल्कि इससे और कैलोरी की मात्रा में वृद्धि होगी (35)। इसके अलावा, इस तरह के खाद्य पदार्थ में बैक्टीरिया होते हैं, जिससे महिला और शिशु दोनों को संक्रमण का खतरा रहता है। साथ ही कोल्ड ड्रिंक और कई दिनों से पैक या फ्रिज में रखे खाद्य पदार्थों को भी खाने से बचें (36)। हमेशा याद रखें कि आपके शिशु के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी आप पर निर्भर करती है, इसलिए स्वस्थ खाएं।
16. धूम्रपान से बचें
धूम्रपान न सिर्फ गर्भवती महिला के लिए, बल्कि उनके गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी घातक है। गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने से गर्भ में पल रहे शिशु पर निकोटीन, कार्बन मोनोऑक्साइड और अन्य हानिकारक रसायनों का प्रभाव हो सकता है। इससे अजन्मे बच्चे का विकास रुक सकता है, तय समय से पहले प्रसव हो सकता है, शिशु का वजन कम हो सकता है या शिशु को जन्म के दौरान से ही शारीरिक या मानसिक समस्याएं हो सकती है। इतना ही नहीं, आपके शिशु को अस्थमा व मोटापे जैसी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है (37)। यहां तक कि उसकी मौत भी हो सकती है। इसलिए, अपने शिशु के लिए धूम्रपान से दूर रहें और अगर आसपास कोई धूम्रपान कर रहा हो, तो उससे भी दूर रहें।
गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक भोजन जरूरी है और इसके लिए गर्भावस्था में आहार चार्ट के बारे में जानना भी उतना ही आवश्यक है। इसलिए, नीचे हम आपको गर्भवती महिला के लिए भोजन की सूची में क्या होना चाहिए, उसके बारे में बता रहे हैं।
प्रेग्नेंसी के लिए नमूना आहार चार्ट – Sample Pregnancy Diet Chart in Hindi
अब जब प्रेग्नेंसी में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं ये जान गए हैं, तो अब गर्भावस्था में आहार चार्ट की बात कर लेते हैं। नीचे हम एक सूची आपके साथ शेयर कर रहे हैं, यह सूची नमूने के तौर पर है, ताकि इससे आप अंदाजा लगा सके कि गर्भावस्था के दौरान किस तरह के आहार आप ले सकते हैं।
भोजन का वक्त | क्या खाएं |
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प्रातः सुबह 6 से 7 बजे के बीच | आधे से एक कप दूध, चार से पांच बादाम या एक अखरोट |
नाश्ता – सुबह 9 से 10 बजे के बीच | जो शाकाहारी हैं, वो एक कटोरी दलिया या सब्जियों के साथ पोहा या उपमा या सब्जियों के साथ गेहूं के दो ब्रेड या सब्जी के साथ दो रोटी या फिर गेहूं का या ओट्स का दलिया ले सकते हैं। जो मांसाहारी हैं, वो एक कप दूध या एक कटोरी दही, एक अंडा या एक कटोरी पनीर। |
सुबह 11 बजे – मिड मॉर्निंग स्नैक | अपने पसंद के दो फल जैसे – सेब, केला व संतरा इत्यादि। |
दोपहर का खाना – 1 से 2 बजे के बीच | तीन रोटी, एक कटोरी सब्जी, एक कटोरी दाल, एक कटोरी दही या रायता, एक मध्यम आकार के प्लेट में एक प्लेट सलाद। |
शाम का नाश्ता – 4 से 5 बजे के बीच | एक गिलास दूध, एक छोटी कटोरी भूने चने/बेसन का एक चीला या एक उबला हुआ अंडा या एक कटोरी स्प्राउट्स। |
देर शाम 6 से 7 बजे के बीच | दो पसंदीदा फल |
रात का खाना – 9 से 10 बजे के बीच | तीन रोटी, एक कटोरी दाल, एक कटोरी सब्जी, एक कटोरी दही, एक प्लेट सलाद |
सोने से पहले – 11 बजे के करीब | एक कप दूध और एक पसंदीदा फल (जो हानिकारक न हो) |
नोट : जरूरी नहीं कि सारी गर्भवती महिला का आहार चार्ट एक जैसा हो। हर महिला की गर्भावस्था और सबका शरीर एक जैसा नहीं होता है। इसलिए आहार चार्ट भी अलग-अलग होता है। आहार चार्ट के ज्यादा जानकारी के लिए बेहतर होगा कि आप अपने डॉक्टर से सलाह-परामर्श करें।
प्रेग्नेंसी में क्या खाएं और उससे जुड़े आहार चार्ट के बारे में जानने के साथ-साथ भोजन की मात्रा के बारे में भी जानना जरूरी है, इसलिए नीचे हमने इसके बारे में भी शेयर किया है।
कितनी मात्रा में खाएं?
गर्भावस्था में आहार की मात्रा भी गर्भवती महिला के लिए बहुत मायने रखती है। इसलिए, नीचे हम इसके बारे में आपको बता रहे हैं।
- रोटी, अनाज, चावल, पास्ता व नूडल्स जैसे खाद्य पदार्थ आठ से साढ़े आठ सर्विंग लें – उदाहरण के तौर पर एक ब्रेड या आधा या मध्यम आकार का ब्रेड रोल या आधा कटोरा चावल या पास्ता या नूडल्स या आधा कटोरा दलिया ले सकते हैं। आप एक दिन में 15 ग्राम पॉली या मोनोसैचुरेटेड फैट्स और तेल, जो ब्रेड या रोल पर या अन्य किसी आहार में उपयोग कर सकते हैं।
- सब्जी और फलिया पांच सर्विंग – उदाहरण के तौर पर 1 सर्व 75 ग्राम या आधा कटोरा पकी हुई सब्जी, आधा कटोरा सूखे बीन्स, मटर, दाल या डिब्बाबंद बीन्स, एक कटोरा सब्जियों का सलाद या एक छोटा आलू।
- फल के 2 सर्विंग्स – एक सर्व उदाहरण के तौर पर, एक मध्यम आकार का सेब (150 ग्राम) (खुबानी, कीवी, आलूबुखारा), एक कप कटे हुए फल, आधा कप फलों का जूस, एक या डेढ़ चम्मच सुल्तानास (एक प्रकार का किशमिश)
- दूध, दही, पनीर जैसे खाद्य पदार्थ ढाई से साढ़े तीन सर्विंग – उदहारण के तौर पर एक सर्व 250 मिलीलीटर दूध, 250 मिलीलीटर कैल्शियम-फोर्टिफाइड सोया पेय पदार्थ, 40 ग्राम चीज़ (2 स्लाइस), या 200 ग्राम दही (एक छोटा पैकेट)
- मांस, मछली, मुर्गी, अंडे, नट और फलियां / बीन्स समूह वाले खाद्य पदार्थ साढ़े तीन सर्विंग – उदहारण के तौर पर 1 सर्व मतलब 65 ग्राम पकाया हुआ मांस या चिकन है, पके हुए बीन्स का 1 कप, 100 ग्राम पका हुआ मछली, 30 ग्राम नट या बीज या 2 बड़े अंडे।
नोट : आपको सीरियल्स, मीट, अंडे, चीज़, पीनट बटर और ऐसे ही कई खाद्य पदार्थों से पर्याप्त मात्रा में फैट और तेल मिल जाएगा इसलिए इस सूची में हमने अलग से फैट और तेल को शामिल नहीं किया गया है(38)।
गर्भावस्था (प्रेग्नेंसी) के आहार से जुड़ी कुछ गलत धारणाएं
गर्भावस्था को लेकर कुछ लोग गलत धारणाएं बना लेते हैं। नीचे हम ऐसे ही कुछ मिथकों के बारे में बता रहे हैं।
- मिथक – मूंगफली और डेयरी उत्पाद खाने से आपके बच्चे को एलर्जी हो सकती है।
सच – ये खाद्य पदार्थ तब तक सुरक्षित हैं, जब तक गर्भवती महिला को इनसे एलर्जी न हो या फिर डॉक्टर इन्हें खाने से मना नहीं करता है। हालांकि, ऊपर जैसे हमने आपको बताया कि कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जिनका गर्भावस्था के दौरान सेवन करने से बचना चाहिए। वो कुछ इस प्रकार हैं – कच्चा मांस-मछली, कच्चा या आधा पका अंडा, सॉफ्ट चीज़ व आइसक्रीम (39)।
- मिथक – गर्भवती महिला को ‘दो लोगों का खाना’ खाना चाहिए।
सच – यह बस कहने वाली बातें हैं, इसका कोई प्रमाण नहीं है। जरूरत से ज्यादा खाना आपके और आपके बच्चे दोनों के लिए बुरा हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ व संतुलित आहार का सेवन करना महत्वपूर्ण है (39)।
- मिथक – फुल क्रीम दूध, लो-फैट दूध से ज्यादा पौष्टिक होता है।
सच – ऐसा कुछ नहीं है, क्योंकि लो-फैट दूध में भी उतना ही पोषण होता है, जितना कि फुल क्रीम दूध में होता है।
- मिथक – गर्भावस्था के दौरान सब्जियों के बदले फलों का सेवन कर सकते हैं।
सच – गर्भावस्था के दौरान फलों का सेवन तो जरूरी है ही, लेकिन साथ ही सब्जियों का सेवन भी उतना ही मायने रखता है। फलों और सब्जियों में फाइटोकेमिकल्स नामक यौगिक होते हैं। फाइटोकेमिकल्स विटामिन या खनिज तो नहीं हैं, लेकिन वो आपको संक्रमण, कोशिका क्षति और बीमारी से बचाने में मदद कर सकते हैं। फलों में पाए जाने वाले फाइटोकेमिकल्स के प्रकार सब्जियों में पाए जाने वाले फल से भिन्न होते हैं। इसलिए, ऐसे में फलों के साथ-साथ सब्जियां भी मायने रखती हैं। दोनों में अलग-अलग पोषक तत्व हैं और दोनों ही जरूरी है, इसलिए यहां विकल्प की तो कोई बात ही नहीं है।
- मिथक – गर्भावस्था में समुद्री भोजन खाने से शिशु को स्किन रैशेज या अन्य त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती है।
सच – गर्भावस्था में समुद्री भोजन खाया जा सकता है, लेकिन ध्यान रहे कि जो मछली महिला खा रही है, उसमें मरकरी न हो। ज्यादा मरकरी वाली मछली खाने से शिशु के मानसिक या शारीरिक विकास पर असर हो सकता है। आप ओमेगा-3 फैटी एसिड वाली मछलियों जैसे – सैल्मन, सार्डिन व ट्राउट का सेवन कर सकते हैं, जो आपके बच्चे के मस्तिष्क और आंखों के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। ध्यान रहे कि मछली ताजी हो और अच्छी तरह से पकी हो। हालांकि, इस बात का कोई प्रमाण नहीं हैं कि गर्भावस्था के दौरान सीफूड खाने से शिशु को त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन ज्यादा मरकरी वाली मछली खाने से शिशु के लिए खतरा जरूर हो सकता है।
- मिथक – कुछ हल्के रंग के खाद्य पदार्थों का सेवन करने से शिशु गोरा होता है।
सच – कई बार आपने सुना होगा कि गहरे रंग के खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए, वरना शिशु का रंग भी गहरा हो सकता है, लेकिन यह धारणा बिल्कुल गलत है। त्वचा का रंग आनुवंशिक होता है और कोई भी भोजन इसे बदल नहीं सकता है। इसलिए, खाना रंगों को देखकर नहीं, बल्कि पोषक तत्वों को देखकर चुने, ताकि मां और शिशु दोनों स्वस्थ रहें (40)।
- मिथक – जड़ी-बूटियों और टॉनिक के सेवन से शिशु बुद्धिमान होता है।
सच – कुछ हर्बल चाय और टॉनिक होते हैं, जो गर्भवती महिलाओं को दिए जाते हैं, लेकिन इसका कोई चिकित्सकीय और वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि जड़ी-बूटियों और टॉनिक के सेवन से शिशु बुद्धिमान होता है (40)।
कई गर्भवती महिलाओं, खासकर पहली बार मां बन रही महिलाओं के मन में कई तरह के सवाल होते हैं। उनमें से कुछ सवालों के जवाब हम नीचे आपको बता रहे हैं।
अक्सर पूछे जानें वाले सवाल
क्या मैं गर्भावस्था के दौरान पपीता या अनानास खा सकती हूं?
अगर पपीता पूरी तरह से पका हुआ हो, तो उसका सेवन किया जा सकता है, लेकिन कच्चे पपीते या आधे पके पपीते का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इसमें लैटेक्स होता है, जो गर्भाशय में संकुचन पैदा कर सकता है और गर्भपात का कारण बन सकता है (27)। इसलिए, बेहतर होगा कि पपीते का सेवन न ही किया जाए। वहीं, अनानास से कमर दर्द जैसी समस्या हो सकती है (28)।
क्या मसालेदार भोजन खाने से गर्भपात होता है ?
गर्भावस्था के दौरान मसालेदार भोजन से गर्भपात नहीं होता है, लेकिन मसालेदार भोजन से गर्भवती महिला को गैस, एसिडिटी और सीने में जलन की समस्या हो सकती है। इसलिए, ज्यादा मसालेदार भोजन न करें, बल्कि जितना आप खा सकें, उतना ही तीखा भोजन करें। इसके अलावा, अपने डॉक्टर से भी इस बारे में बात करें और डाइट चार्ट को फॉलो करें।
क्या मैं गर्भवती होने पर चावल खा सकती हूं?
गर्भावस्था के दौरान संतुलित मात्रा में चावल खाए जा सकते हैं। चावल से शरीर को ऊर्जा मिलती है, हड्डियां मजबूत होती हैं, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है व ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। साथ ही यह यूरिनो जेनिटल इंफेक्शन से भी बचाव कर सकता है, लेकिन ज्यादा मात्रा में चावल खाने से वजन बढ़ने की समस्या और सफेद चावल खाने से शुगर या डायबिटीज की परेशानी भी हो सकती है। इसके अलावा, चावल में आर्सेनिक होता है, जिस कारण इसके ज्यादा सेवन से शिशु को नुकसान भी हो सकता है। इसलिए, ज्यादा चावल खाने से बचें और इसे कितनी मात्रा में खाना है इस बारे में डॉक्टर से पूछ लें।
गर्भवती महिला को दिन में कितनी बार खाना चाहिए?
गर्भवती महिला को पहले तिमाही में 1,800 कैलोरी, दूसरे तिमाही में 2,200 कैलोरी और तीसरे तिमाही में 2,400 कैलोरी प्रतिदिन लेने की जरूरत होती है (35)। ऐसे में गर्भवती महिला को एक बार में ज्यादा न खाकर पूरे दिन में छोटे-छोटे मील लेने चाहिए। पूरे दिन में अपने रूटीन में पांच से छह बार खाएं। इसमें तीन बार सही से भोजन करें और फिर बीच-बीच में हल्के-फुल्के स्नैक्स का सेवन करें। कोशिश करें कि हर कुछ घंटे में कुछ हल्का-फुल्का व पौष्टिक खाते रहें, ताकि गैस या एसिडिटी की समस्या न हो। इसके अलावा, अपने डॉक्टर से भी अपने डाइट चार्ट के बारे में बात करें।
क्या गर्भावस्था में आइसक्रीम खाना सही है ?
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि गर्भावस्था के दौरान घर में बनी आइसक्रीम से भी संक्रमण का खतरा हो सकता है। कुछ आइसक्रीम में कच्चे अंडे का उपयोग किया जाता है और इससे गर्भवती महिला को साल्मोनेला संक्रमण (salmonella) हो सकता है। इसलिए, कोशिश करें कि आइसक्रीम न खाएं या फिर घर में बिना अंडे की आइसक्रीम बनाकर उसका सेवन करें। यह आइसक्रीम पाश्चराइज्ड दूध से बनी होनी चाहिए। इसके बावजूद, खाने से पहले डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
क्या मुझे गर्भवती होने के कारण अधिक खाने की जरूरत है?
नहीं, ऐसा नहीं है। जैसा कि हमने ऊपर आपको बताया की पहले, दूसरे और तीसरे तिमाही में कितने कैलोरी का सेवन करना चाहिए। आप बस इतना ध्यान रखें कि आपको और आपके शिशु को जितने पोषक तत्व की जरूरत है, उतना आप जरूर लें। आप संतुलित भोजन कर खुद को और होने वाले शिशु को स्वस्थ रखें।
क्या गर्भावस्था के दौरान खाने की लालसा (food cravings) होना सामान्य है?
हां, यह सामान्य है और कुछ हद तक गर्भावस्था व शरीर पर भी निर्भर करता है। हो सकता है किसी महिला को कुछ खास चीजें खाने की खूब लालसा हो और हो सकता है किसी महिला को बिल्कुल भी खाने की इच्छा न हो। इसलिए, यह बहुत ही सामान्य है।
क्या होता है अगर आप गर्भावस्था में पर्याप्त भोजन नहीं लेते हैं?
गर्भावस्था में खानपान बहुत मायने रखता है, क्योंकि गर्भवती महिला जो भी खाती है, उसका सीधा असर गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है। ऐसे में अगर गर्भवती महिला पर्याप्त भोजन नहीं करती है, तो इससे शिशु को नुकसान हो सकता है। ऐसा करने से गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों को पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिलेंगे, जिस कारण कमजोरी की समस्या हो सकती है और इससे खतरा भी हो सकता है। इसलिए, गर्भावस्था के दौरान डाइटिंग की तो भूलकर भी न सोचें और संतुलित आहार लें (41)।
क्या गर्भवती होने पर कई बार बिना किसी कारण के पेट भरा लगना सामान्य है?
गर्भावस्था के दौरान अपच, सीने में जलन, गैस या एसिडिटी की समस्या भी हो सकती है। इस कारण गर्भवती महिला को कई बार बिना कुछ खाए भी पेट भरा लगने लग सकता है। कई बार ज्यादा देर भूखे रहने से भी ऐसा होता है। इसलिए, ऐसी स्थिति में हर थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ पौष्टिक चीजों का सेवन करें। इससे एसिडिटी और पेट फूलने की समस्या से बचाव हो सकता है। हालांकि, अगर ये परेशानी ज्यादा हो रही हो, तो एक बार अपने डॉक्टर से इस बारे में बात कर सुझाव लें।
इस लेख को पड़ने के बाद प्रेग्नेंसी में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, आपकी यह उलझन दूर हुई होगी। गर्भावस्था के दौरान अपने डॉक्टर से अपनी डाइट के बारे में नियमित रूप से पूछताछ करते रहें, क्योंकि आपके डॉक्टर आपके बारे में ज्यादा जानते हैं और उसी के अनुसार सही सुझाव भी देंगे। गर्भावस्था में आहार के साथ-साथ मन को भी शांत रखें। इसलिए, सिर्फ स्वस्थ भोजन ही नहीं, बल्कि सही सोच भी रखें। चिंता से दूर रहने की कोशिश करें, अच्छा सोचें, खुश रहें, खुद भी स्वस्थ रहें और शिशु को भी सेहतमंद बनाएं। अगर आपके पास गर्भावस्था में भोजन से जुड़ी कोई अन्य जानकारी है, तो उसे हमारे साथ नीचे कमेंट में शेयर कर सकते हैं। इसके अलावा, अगर आपके मन में गर्भावस्था में खानपान से जुड़े कोई सवाल हैं, तो वो भी आप पूछ सकते हैं।
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