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गर्भावस्था में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों का ख्याल रखना महत्वपूर्ण होता है। इसके लिए सही खानपान और दिनचर्या जरूरी है। अच्छी दिनचर्या में मेडिटेशन को भी शामिल किया जा सकता है। अब आप सोच रहे होंगे कि प्रेगनेंसी में कौन से मेडिटेशन करने चाहिए और किस तरीके से, तो इससे जुड़ी पूरी जानकारी आपको मॉमजंक्शन के इस लेख में मिलेगी। यहां हम प्रेगनेंसी के दौरान ध्यान लगाने के फायदे और नुकसान दोनों की जानकारी दे रहे हैं।
आइए, सबसे पहले जान लेते हैं कि मेडिटेशन क्या है।
मेडिटेशन क्या है?
मेडिटेशन (ध्यान) एक ऐसी तकनीक है, जिसकी मदद से मन को शांत रखने के साथ ही मानसिक तनाव से बचा जा सकता है। इस दौरान चुपचाप पालथी मारकर यानी पैरों को मोड़कर बैठना होता है। कमर और गर्दन को सीधा रखते हुए व्यक्ति दोनों आंखों के मध्य भाग यानी ज्ञान चक्र में एकाग्रता से देख सकता है। इसके अलावा, आंख बंद कर एकाग्र होकर किसी बिंदू पर भी ध्यान केंद्रित कर सकते हैं (1)।
दरअसल, मेडिटेशन कैसे किया जाए, यह इसकी तकनीक पर निर्भर करता है। मेडिटेशन के कुछ प्रकार और तकनीक इस प्रकार हैं, सचतेन ध्यान व माइंडफुलनेस, ध्यानपूर्ण अवलोकन, शरीर-केंद्रित ध्यान, दृश्य एकाग्रता, चिंतन, प्रभाव-केंद्रित ध्यान, मंत्र ध्यान और गति के साथ ध्यान। इनमें से किसी भी तरह का ध्यान करते समय व्यक्ति को सामान्य रूप से सांस को लेना और छोड़ना होता है (1)।
इस लेख के अगले हिस्से में हम ध्यान लगाना प्रेगनेंसी में सुरक्षित है या नहीं, इसकी जानकारी दे रहे हैं।
क्या ध्यान गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित है?
जी हां, प्रेगनेंसी के समय मेडिटेशन करना यानी ध्यान लगाना एकदम सुरक्षित होता है। मेडिटेशन को गर्भवती के साथ ही भ्रूण के स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा बताया गया है (2)। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर पब्लिश एक रिसर्च में भी इस बात की पुष्टि हुई है। शोध के अनुसार, माइंडफुलनेस मेडिटेशन करने से मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है। दरअसल, ध्यान लगाने से मन शांत होता है। इससे प्रेगनेंसी में होने वाली चिंता, अवसाद और तनाव से भी राहत मिल सकती है (3)।
आगे जनिए कि गर्भावस्था में मेडिटेशन करने से क्या-क्या फायदे हो सकते हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान ध्यान लगाने के फायदे
प्रेगनेंसी के समय ध्यान लगाने के कई फायदे हो सकते हैं, जिनके बारे में हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं:
1. चिंता और तनाव में कमी – प्रेगनेंसी में महिलाओं को तनाव और चिंता की समस्या होने लगती है। इनसे छुटकारा पाने के लिए मेडिटेशन करना अच्छा रहेगा। एक रिसर्च के अनुसार, ध्यान से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है, जिससे चिंता और तनाव की समस्या को कम करने में मदद मिल सकती है (3)।
2. बेहतर नींद के लिए – मेडिटेशन के लाभ में गर्भावस्था के समय नींद में सुधार होना भी शामिल है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, योग करने व ध्यान लगाने से गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में नींद न आने की समस्या कम हो सकती है। साथ ही नींद की गुणवत्ता भी बेहतर होती है (4)।
3. दर्द में कमी – ध्यान करने से दर्द को कम करने में सहायता मिल सकती है। इससे संबधित एक शोध की मानें, तो नियमित रूप से ध्यान लगाने से प्रेगनेंसी में होने वाले पेल्विक गिर्डल पेन को कम कर सकता है। आंतरिक प्रजनन अंग में दर्द और नीचले पेट व पैरों के बीच स्थित हिस्से के दर्द को कम कर सकता है। साथ ही प्रसव पीड़ा से राहत पाने के लिए भी मेडिटेशन को सहायक माना जाता है (5)।
4. थकान कम करें – गर्भावस्था में होने वाले थकान को कम करने में भी ध्यान अहम भूमिका निभा सकता है। विशेषज्ञों की मानें, तो ध्यान शरीर की मांसपेशियों को आराम देकर थकान को कम का कर सकता है (6)। ऐसे में गर्भवतियां ध्यान करके अपनी थकान को दूर कर सकती हैं।
5. अवसाद से छुटकारा – रिसर्च बताती हैं कि 20 प्रतिशित महिलाएं गर्भावस्था के समय अवसाद से प्रभावित होती हैं। इससे बचने के लिए मेडिटेशन किया जा सकता है। एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक शोध के अनुसार, नियमित रूप से ध्यान लगाने से मन शांत रहता है और अवसाद से बचाव हो सकता है (5)।
6. इम्युनिटी के लिए – शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में भी ध्यान मदद कर सकता है। एक वैज्ञानिक शोध के मुताबिक, ध्यान लगाने से टेलोमेरेस एंजाइम संबंधी गतिविधि को बढ़ावा मिलता है, जिससे प्रतिरक्षा सेल्स की उम्र बढ़ती है। साथ ही यह इम्युनोग्लोबुलिन ए (एंटीबॉडी) के स्तर को बेहतर कर सकता है, जो इम्युनिटी के लिए महत्वपूर्ण होता है (7)।
चलिए, आगे जानते हैं कि प्रेगनेंसी में मेडिटेशन करने से किस तरह के नुकसान हो सकते हैं।
गर्भावस्था में मेडिटेशन करने के नुकसान और सावधानियां
वैसे तो प्रेगनेंसी के दौरान मेडिटेशन करना सुरक्षित होता है। इसके कोई गंभीर नुकसान नहीं होते। हालांकि, एक वैज्ञानिक रिसर्च के दौरान ध्यान करने वालों ने कुछ इस तरह की परेशानी का सामना करने की बात कही है (8)।
- अधिक नींद आना
- ध्यान करते समय कुछ चीजें देखने या सुनने का वहम होना
- कई बार मेडिटेशन से संदेह (कनफ्यूजन) की स्थिति
- भूख कम लगना
- जोड़ों में दर्द होना
- जोड़ों से जुड़ी समस्याओं का गंभीर होना
प्रेगनेंसी के दौरान मेडिटेशन के नुकसान से बचने के लिए कुछ सावधानियों को भी अपनाना जरूरी है, जिनमें ये शामिल हैं:
- प्रेगनेंसी के दौरान अगर कोई उच्च रक्तचाप से जूझ रहा है, तो उन्हें डॉक्टर की सलाह के बाद ही ध्यान लगाना शुरू करना चाहिए।
- घुटनों का ऑपरेशन हुआ है, तो बैठकर ध्यान न लगाएं।
- ज्यादा देर ध्यान न बैठें, वरना घुटनों में दर्द महसूस हो सकता है।
- रीड़ की हड्डी से संबंधी किसी तरह की परेशानी हो, तो बैठकर ध्यान न लगाएं।
- मेडिटेशन के लिए एक ही मुद्रा में बैठे रहने से पेट पर जोर पड़ सकता है।
- ध्यान लगाने पर किसी तरह की परेशानी होती है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- खाना खाने के तुरंत बाद ध्यान पर न बैठें।
अब हम गर्भावस्था के समय ध्यान लगाने के तरीके बताने जा रहे हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान मेडिटेशन करने की तकनीक | pregnancy me meditation kaise kare
प्रेगनेंसी के दौरान ध्यान लगाने की कोई भी तकनीक को चुना जा सकता है। नीचे हम मेडिटेशन करने के कुछ आसान और प्रभावी तरीके बता रहे हैं (1)।
- माइंडफुलनेस मेडिटेशन – यह ध्यान का एक रूप है, जिसकी मदद से विचारों को काबू किया जा सकता है। इस ध्यान का मुख्य उद्देश्य अपने अंदर की शांति को महसूस करना व मन से दूसरे ख्यालों को दूर रखना है। इस ध्यान के दौरान पालथी मारने के बाद आंख बंद करके सांस लेना व छोड़ना होता है।
- मंत्र मेडिटेशन – इस मेडिटेशन में अभ्यासक को निरतर एक मंत्र का उच्चारण करना होता है। यह मंत्र ओम या फिर कोई और शब्द भी हो सकता है, जिसे दोहराते रहना होगा। इस मेडिटेशन को करते समय भी पालथी मारकर बैठ जाएं। इस दौरान आंखों को खुला या बंद रख सकते हैं।
- वॉकिंग मेडिटेशन – यह भी मेडिटेशन करने की एक तकनीक है, जिसमें एक निर्धारित समय तक मन लगाकर एक दूरी तक चलते रहना होता है। इस समय व्यक्ति को अपनी सांसों या कदमों पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
- बॉडी स्कैनिंग – इस ध्यान को करने के लिए किसी शांत स्थान पर हाथ और पैर को हल्का फैलाकर लेटना होता है। फिर अपना ध्यान शरीर के प्रत्येक अंग पर यानी पैर से लेकर सिर तक एक-एक करके लगाना होगा। इससे शरीर के किसी भी भाग में होने वाले दर्द, तनाव व अन्य परेशानियों को समझा जा सकता है।
ऊपर बताए गए इन मेडिटेशन तकनीक से साथ ही नीचे बताए जा रहे स्टेप्स को फॉलो करके भी मेडिटेशन किया जा सकता है।
- सुबह या शाम के समय खुले व शांत स्थान पर मैट बिछाकर पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
- अगर इस मुद्रा में बैठने में परेशानी हो रही है, तो अपने हिसाब से आरामदायक अवस्था में बैठ सकते हैं।
- इस समय शरीर को सीधा तना हुआ रखें।
- अब अपनी दोनों आंखों को बंद कर लें।
- इसके बाद हल्के-हल्के सांस लेते और छोड़ते रहें।
- इस क्रिया के समय ओम या किसी अन्य मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
- कुछ देर बिना रूके मंत्र बोलते रहें।
- बैठने में परेशानी हो रही है, तो मंत्र बोलते हुए हल्के-हल्के टहल भी सकते हैं।
- प्रेगनेंसी के दौरान पहली बार ध्यान लगाने वाले अभ्यासक इसे करीब 5 से 10 मिनट तक कर सकते हैं।
- फिर धीरे-धीरे मेडिटेशन करने का समय बढ़ाया जा सकता है।
लेख के अगले भाग में हम ध्यान लगाने के फायदे पाने के लिए कुछ जरूरी टिप्स बता रहे हैं।
मेडिटेशन का अधिकतम लाभ उठाने के लिए महत्वपूर्ण टिप्स
मेडिटेशन के फायदे सही से तब होंगे, जब इसे पूरी जानकारी के साथ किया जाए। नीचे हम कुछ जरूरी टिप्स बता रहे हैं, जो ध्यान के अधिकतम लाभ दिलाने में सहायक हो सकते हैं।
- इसे रोजाना एक निर्धारित समय पर करें।
- शांत स्थान पर ही मेडिटेशन करने के लिए बैठें।
- ध्यान लगाने से 3 से 4 घंटे पहले भोजन न करें।
- इस समय आरामदायक कपड़े ही पहनें।
- ध्यान लगाने से थोड़ी देर पहले वार्म अप कर सकते हैं।
- प्रेगनेंसी के दौरान सही तरह से ध्यान लगाने के लिए अनुभवी प्रशिक्षक से संपर्क करें।
चलिए, अब प्रेगनेंसी में मेडिटेशन करने से संबंधित कुछ सवालों के जवाब जानते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
गर्भावस्था के दौरान कितनी देर तक ध्यान पर बैठना चाहिए ?
प्रेगनेंसी के दौरान शुरुआत में 10 से 20 मिनट तक ध्यान बैठ सकते हैं। धीरे-धीरे इस वक्त को बढ़ाया जा सकता है। हां, अगर घुटनों में बैठते हुए दर्द महसूस होने लगे, तो ध्यान के समय को कम कर दें या फिर गर्भवती महिला अपने पैरों को मोड़ने की जगह फैलाकर भी ध्यान कर सकती हैं।
क्या प्रेगनेंसी के दौरान मेडिटेशन करना लेबर के लिए सहायक होता है?
जी हां, प्रेगनेंसी के समय ध्यान लगाना प्रसव यानी लेबर के लिए सहायक साबित हो सकता है। दरअसल, मेडिटेशन को लेबर पेन यानी प्रसव पीड़ा को कम करने के लिए जाना जाता है (5)।
गर्भावस्था के समय दिन की शुरुआत कुछ मिनट का ध्यान लगाने से की जाए, तो पूरे दिन मूड अच्छा और मन शांत रह सकता है। इससे गर्भवास्था के समय होने वाले स्ट्रेस और चिंता से बचने में काफी मदद मिल सकती है। प्रेगनेंसी में ध्यान करने से जुड़े रिसर्च भी इस बात का समर्थन करते हैं, जिनका जिक्र हमने ऊपर लेख में किया है। बस तो गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य में सकारात्मक परिवर्तन देखने के लिए ध्यान जरूर करें और खुश रहें।
References
2. Prenatal meditation influences infant behaviors By Science Direct
3. Mindfulness-Based Interventions During Pregnancy: a Systematic Review and Meta-analysis By NCBI
4. Effects of mindful yoga on sleep in pregnant women: a pilot study By NCBI
5. Mindfulness approaches to childbirth and parenting By NCBI
6. Effects of progressive muscle relaxation and mindfulness meditation on fatigue, coping styles, and quality of life in early breast cancer patients: An assessor blinded, three-arm, randomized controlled trial By Researchgate
7. IMPROVING IMMUNITY THROUGH HEARTFULNESS MEDITATION By Researchgate
8. Unwanted effects: Is there a negative side of meditation? A multicentre survey By NCBI
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