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प्रेगनेंसी में महिलाओं को कई तरह की शारीरिक समस्याओं से गुजरना पड़ता है। इनमें से कुछ समस्याएं ऐसी होती हैं, जो शरीर के अंदर होती हैं। इन्हीं में से एक हो सकती है पिनवर्म इन्फेक्शन यानी पेट में पिनवर्म कीड़े के कारण होने वाला इन्फेक्शन। यह एक ऐसा संक्रमण है जो आंतों में होता है। मॉमजंक्शन के इस लेख में हम इसी समस्या के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। यहां हम क्या प्रेगनेंसी में पिनवर्म हो सकते हैं या नहीं, यह बताने के साथ ही इससे बचाव के घरेलू नुस्खों का भी जिक्र करेंगे।
तो चलिए, सबसे पहले समझते हैं कि पिनवर्म होता क्या है।
पिनवर्म या पेट के कीड़े क्या होते हैं? | What Is Pinworm
पिनवॉर्म (थ्रेडवर्म) एक प्रकार का परजीवी होता है। जिसे मेडिकल भाषा में एंटरोबियस वर्मिकुलरिस (Enterobius vermicularis) कहा जाता है। यह छोटा, पतला और सफेद रंग का होता है। यह मनुष्य के पेट और गुदा में रहता है। इसकी लंबाई एक स्टेपल पिन (लगभग डेढ़ इंच) जितनी होती है। जब भी कोई इससे संक्रमित व्यक्ति सोता है तो मादा (Female) पिनवर्म गुदा के माध्यम से आंत को छोड़ देती है और गुदा की आसपास की त्वचा पर अपने अंडे जमा करती है (1)।
पिनवर्म आसानी से फैलते हैं। अगर कोई संक्रमित व्यक्ति अपनी गुदा को छूता है, तो अंडे उसकी उंगलियों में चिपक जाते हैं। फिर वे इसी हाथों के जरिए कपड़े, बिस्तर, भोजन, या अन्य दूसरी चीजों तक फैल सकते हैं। बता दें कि यह अंडे दो सप्ताह तक घरेलू सतहों पर रह सकते हैं (2)।
अब हम जानेंगे क्या प्रेगनेंसी में पिनवर्म हो सकते हैं।
क्या प्रेगनेंसी में पिनवर्म हो सकते हैं? | Is Pinworm Common During Pregnancy?
हां, गर्भावस्था के दौरान पिनवर्म हो सकते हैं। एनसीबीआई की शोध के मुताबिक, पिनवर्म एक ऐसा परजीवी है, जो मनुष्यों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। यह मुख्य रूप से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (मुंह से गुदा तक का मार्ग) में पाए जाते हैं। वहीं कुछ स्थितियों में यह वेजाइना (योनि) और ब्लैडर (मूत्राशय) में भी प्रवेश कर सकते हैं (3)।
लेख के इस भाग में हम प्रेगनेंसी के दौरान पिनवर्म होने के लक्षणों के बारे में बता रहे हैं।
प्रेगनेंसी में पिनवर्म होने के लक्षण | Symptoms Of Pinworm In Pregnancy
गर्भवस्था हो या सामन्य स्थिति दोनों समय पिनवॉर्म संक्रमण के लक्षण एक जैसे ही दिखते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं (4):
- रात के दौरान होने वाली खुजली के कारण सोने में परेशानी होना।
- गुदा के आसपास तेज खुजली होना।
- खुजली और अधूरी नींद के कारण चिड़चिड़ापन होना।
- लगातार खरोंच के कारण गुदा के आसपास त्वचा का संक्रमित होना।
- योनि में जलन होना।
- बेचैनी होना।
- भूख और वजन में कमी आना (हालांकि यह असामान्य है, लेकिन गंभीर संक्रमण के दौरान यह सकता है) :
अब बारी है प्रेगनेंसी के दौरान पिनवर्म इन्फेक्शन होने के कारणों को जानने की।
प्रेगनेंसी में पिनवर्म संक्रमण होने के कारण | Causes Of Pinworm During Pregnancy
आसपास साफ-सफाई न रखना पिनवर्म का मुख्य कारण माना जा सकता है। इसके अलावा कई अन्य कारण भी है, जिसका जिक्र हम नीचे विस्तार के कर रहें है। लेकिन उसे पहले हम बता दें कि गर्भावस्था और सामन्य स्थिति दोनों में पिनवर्म फैलने का कारण एक ही होता है। अब पढ़े पिनवर्म इंफेक्शन होने के कारण (4):
- पिनवॉर्म अंडे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में सीधे तौर पर फैल सकते हैं। ये अंडे बिस्तर, भोजन, या अन्य वस्तुओं के माध्यम से भी फैल सकते हैं।
- आमतौर पर, अनजाने में भी पिनवॉर्म से संक्रमित हो सकते हैं। जैसे- अपनी उंगलियों को मुंह में डालना।
- जब मादा वर्म गुदा क्षेत्र में जाती है, खासकर रात में तो यह और अधिक अंडे जमा करती है। जिससे तेज खुजली हो सकती है। खुजली के दौरान जब कोई प्रभावित जगह को खरोंचता है तो अंडे नाखूनों में आ जाते हैं, जिससे ये फिर परिवार के अन्य सदस्यों या वस्तुओं में फैल सकते हैं।
यहां हम गर्भावस्था के दौरान पिनवर्म इन्फेक्शन का निदान कैसे कर सकते हैं, उसकी जानकारी दे रहे हैं।
प्रेगनेंसी में पिनवर्म का निदान कैसे किया जाता है? | Diagnosis Of Pinworm In Pregnancy
आमतौर पर पिनवॉर्म असिम्प्टोमटिक (जिनके लक्षण नहीं दिखते हैं) होते हैं। हालांकि गुदा के आसपास खुजली होना इसका एक सामान्य लक्षण माना जा सकता है। पिनवॉर्म का निदान तीन सरल तकनीकों से किया जा सकता है (5) (6)।
- टेप टेस्ट – इस टेस्ट को ट्रांसपेरेंट चिपकाने वाले वाइट टेप की मदद से किया जाता है। इसके लिए लगातार तीन दिनों तक सुबह उठते ही गुदा के आसपास इस टेप लगाया जाता है। टेप लगते ही पिनवर्म के अंडे उसमें चिपक जाते है। फिर माइक्रोस्कोप की मदद से डॉक्टर उसके उपस्थिति की पुष्टि करते हैं।
- फिंगर नेल सैंपल – इसमें माइक्रोस्कोप का उपयोग करके नाखूनों के नीचे से सैंपल का विश्लेषण कर पिनवर्म का निदान किया जा सकता है। दरअसल, जब खुजली होती है, तो महिलाएं उस जगह को अपने नाखूनों से खुजलाती है। इस कारण उसके कुछ अंश नाखूनों में आ जाते है। जिससे उसके निदान में सहायता मिल सकती है।
- कॉटेन स्वैब – कॉटेन स्वैब (एक तीलीनुमा उपकरण जिसके दोनों छोरों पर रुई का टुकड़ा लिपटा होता है) की मदद से भी पिनवर्म का निदान किया जा सकता है। इसके लिए स्वैब को गुदा क्षेत्र के पास रखा जाता है। फिर, थोड़ी बाद उसे वहां से निकाल कर स्लाइन सॉल्यूशन में रखा जाता है। फिर माइक्रोस्कोप की मदद से सॉल्यूशन की जांच कर पिनवर्म के अंडे का पता लगाया जा सकता है।
चलिए अब हम पिनवर्म से छुटकारा पाने के कुछ घरेलू उपायों को जान लेते हैं।
प्रेगनेंसी में पेट में कीड़े के घरेलू उपाय | Home Remedies For Pinworm During Pregnancy
पेट में कीड़े के कारण और लक्षण जानने के बाद यहां हम कुछ घरेलू नुस्खों के बारे में बता रहे हैं, जिससे इस समस्या से निजात पाने में मदद मिल सकती है :
1. दही
सामग्री :
- दही – एक कप
उपयोग करने का तरीका :
- रोजाना एक कप दही का सेवन किया जा सकता है।
कैसे है फायदेमंद :
पिनवर्म से निजात पाने के लिए दही का उपयोग फायदेमंद माना जा सकता है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की शोध के मुताबिक, दही में लैक्टोबैसिलस प्रोबायोटिक (Lactobacillus probiotic) मौजूद होता है (7), जो शरीर में बैक्टीरिया, वायरस और कई प्रकार के परजीवियों को पनपने से रोकने में मदद कर सकता है (8)। बता दें कि बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्रेगनेंसी में दही खाने की सलाह दी जाती है। इसलिए प्रेगनेंसी में दही का सेवन सुरक्षित माना जा सकता है (9)।
2. लेमन जूस
सामग्री :
- नींबू – आधा
- पानी – एक गिलास
उपयोग करने का तरीका :
- एक गिलास पानी में आधे नींबू के रस को मिलाकर जूस बना लें।
कैसे है फायदेमंद :
पेट के कीड़े से छुटकारा पाने के लिए नींबू एक असरकारी घरेलू नुस्खा माना जा सकता है। दरअसल, इस विषय से संबंधित एक शोध में नींबू के रस को परजीवों से बचाव के लिए कारगर माना गया है (10)। यही नहीं, नींबू के छिल्क में भी परजीवों को खत्म करने की क्षमता होती है (11)। इसके अलावा नींबू से तैयार पेय भी मलेरिया परजीवी के साथ ही अन्य परजीवियों के खिलाफ काम कर सकते हैं (12)। वहीं, गर्भावस्था में इसका इस्तेमाल बेझिझक किया जा सकता है, क्योंकि प्रेगनेंसी में लेमन जूस का सेवन सुरक्षित माना गया है (13)।
3. आंवला
सामग्री:
- आंवला- चार
- पानी – एक ग्लास
- काला नमक – एक चुटकी (स्वाद के लिए)
उपयोग करने का तरीका :
- आंवले के टुकड़े को मिक्सर में डालें और फिर इसमें पानी मिलाएं और अच्छे से इसे पीस लें।
- पिस जाने के बाद इसे गिलास में छान लें।
- अब इसमें एक चुटकी काला नमक मिलाएं और इसका सेवन करें।
कैसे है फायदेमंद :
आंवले के जूस भी पिनवर्म से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकता है। एनसीबीआई की साइट पर प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, आंवला परजीवों और उससे जुड़े रोगों से बचाने में काफी हद तक कारगर साबित हो सकता है (14)। वहीं, प्रेगनेंसी में आंवला का सेवन भी सुरक्षित माना जाता है (15)। ऐसे में पिनवर्म की समस्या से राहत पाने के लिए आंवले का इस्तेमाल लाभकारी माना जा सकता है।
4. लहसुन
सामग्री :
- लहसुन की कलियां – एक से दो
उपयोग करने का तरीका :
- रोज एक से दो लहसुन की कलियों को चबाएं।
कैसे है फायदेमंद :
पिनवर्म से बचाव के लिए लहसुन का सेवन भी उपयोगी माना जा सकता है। एक शोध के मुताबिक, लहसुन में एंटी पैरासिटीक गुण (परजीवों से बचाने वाला) मौजूद होता है (16)। यही कारण है कि पिनवॉर्म से छुटकारा दिलाने में लहसुन का उपयोग लाभकारी माना जा सकता है। बता दें कि प्रेगनेंसी में लहसुन का सेवन सुरक्षित माना जा सकता है (17)।
5. गाजर का जूस
सामग्री :
- गाजर – तीन से चार
उपयोग करने का तरीका :
- सबसे पहले गाजर को अच्छी तरह से धोकर उसे छील लें।
- इसके बाद इसे काटकर ब्लेंडर में पीस लें।
- फिर गाजर के जूस को गिलास में निकाल कर उसका सेवन करें।
कैसे है फायदेमंद :
गाजर का जूस भी पिनवर्म से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। दरअसल, एनसीबीआई की साइट पर उपलब्ध शोध से पता चलता है कि गाजर में मौजूद फेनोलिक कंपाउंड परजीवों को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं (18)। बता दें कि गर्भावस्था में गाजर का सेवन सुरक्षित माना जा सकता है (19)।
लेख के इस भाग में हम गर्भावस्था के दौरान पिनवर्म इन्फेक्शन के ट्रीटमेंट से जुड़ी जानकारी दे रहे हैं।
प्रेगनेंसी में पिनवर्म इन्फेक्शन का इलाज | Treatment Of Pinworm Or Threadworm
गर्भावस्था के दौरान पिनवर्म्स के इलाज के लिए एंटी-वर्म दवाओं का उपयोग किया जाता है। हालांकि ये दवाएं उनके अंडे को नहीं मारती है। ये दवाएं ओवर द काउंटर (सामान्य खरीद) और डॉक्टर के प्रिस्क्रिपशन दोनों ही माध्यमों से उपलब्ध होती है। इस दवा की दूसरी खुराक पहली खुराक लेने के दो हफ्ते बाद ली जाती है। ताकि पिनवर्म को पूरी तरह से शरीर से बाहर किया जा सके (4)। मगर, इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि गर्भावस्था में इस प्रकार की किसी भी दवा का उपयोग बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं किया जाना चाहिए।
दरअसल, स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक वजन कम होना या अनिद्रा की समस्या जैसे पिनवर्म के लक्षण गर्भावस्था को प्रभावित कर सकते हैं। इस स्थिति में जल्द ही उपचार की प्रक्रिया को अपनाने पर डॉक्टर विचार कर सकते हैं। हालांकि, जितना संभव हो इस प्रकार की दवाओं का प्रयोग गर्भावस्था में तीसरी तिमाही के बाद ही किए जाने को वरीयता दी जाती है। वजह यह है कि तीसरी तिमाही में इन दवाओं के उपयोग के दुष्परिणाम बच्चे पर दिखने की कम संभावना रहती है (20)। इसलिए गर्भावस्था में एंटीवर्म दवाओं का उपयोग कब और कैसे किया जाना है, इस बात का निर्धारण केवल डॉक्टर ही कर सकते हैं।
यहां हम गर्भावस्था में पिनवर्म से बचाव के तरीकों की चर्चा कर रहे हैं।
प्रेगनेंसी में पिनवर्म से बचाव संबंधी सावधानियां | Prevention of pinworm in pregnancy
प्रेगनेंसी में पिनवर्म से बचे रहने के लिए जरूरी है, उससे बचाव के तरीकों के बारे में जानना। इसलिए हम नीचे कुछ ऐसी ही महत्वपूर्ण टिप्स का जिक्र कर रहे हैं, जिसे अपनाने से पिनवर्म से बचने में मदद मिल सकती है (21):
- शौचालय का उपयोग करने के बाद हाथों को साबुन और गर्म पानी से धोते रहें।
- नहाने के दौरान शॉवर का प्रयोग करें। इससे पिनवर्म के अंडे पानी में नहीं फैलेंगे।
- पिनवर्म और उसके संक्रमण को रोकने के लिए रोजाना स्नान करें।
- हाथों के नाखूनों को नियमित रूप से काटें।
- गुदे के आसपास खुजलाने से बचें।
- अपने अंडर गारमेंट्स को समय-समय पर बदलते रहें।
- बेडशीट को हमेशा गर्म पानी से धोएं।
- अपने घर को हमेशा साफ-सुथरा रखें। खासकर बेडरूम को।
- अपने हाथों को मुंह में ले जाने से बचें।
- टूथब्रश का इस्तेमाल हमेशा धो कर ही करें।
- गर्भवती महिलाएं पब्लिक टॉयलेट का प्रयोग करने से बचें।
पिनवर्म से बचाव के बाद जानेंगे कि क्या यह गर्भ में पल रहे बच्चे को प्रभावित कर सकता है।
क्या पिनवर्म संक्रमण भ्रूण को प्रभावित कर सकता है? | Threadworm effects on baby
हां, पिनवर्म संक्रमण गर्भ में पल रहे बच्चे को प्रभावित कर सकता है। दरअसल, गर्भावस्था में वर्मइन्फेक्शन से संबंधित एक शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि वर्म इंफेक्शन, भ्रूण को उपलब्ध होने वाले पोषक तत्वों में कमी करके, माइलिनेशन (स्वस्थ तंत्रिका के विकास में सहायक प्रक्रिया) और न्यूरोट्रांसमीटर के विकास के लिए जिम्मेदार तंत्रिका कार्य (neurological ) और संज्ञानात्मक कार्य (cognitive functioning) को प्रभावित कर सकता है। हालांकि यह अध्ययन जानवरों पर किया गया है, मनुष्यों पर इसका कितना प्रभाव पड़ सकता फिलहाल इस बार में अभी और शोध की आवश्यकता है (22)।
चलिए अब जान लेते हैं कि पिनवर्म इन्फेक्शन के दौरान डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए।
डॉक्टर से मिलने कब जाएं | When to visit doctor
लेख में हमने पिनवर्म के लक्षणों को बताया है, अगर उनमें से कोई भी लक्षण गर्भवती महिलाओं को दिखते हैं तो उन्हें बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। वहीं, अगर उनके बच्चे या परिवार में किसी और सदस्य में पिनवर्म दिखता है, तो ऐसी स्थिति में भी गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर से जरूर मिलना चाहिए (4)।
प्रेगनेंसी के दौरान पिनवॉर्म से छुटकारा पाना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन असंभव नहीं है। इस प्रकार के संक्रमण का खतरा छोटे बच्चों वाले घरों में ज्यादा होता है। इसलिए, साफ-सफाई का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। लेख में हमने इससे बचाव के तरीकों के साथ-साथ इससे छुटकारा पाने के घरेलू उपायों के बारे में भी बताया है। इन उपायों को अपना कर गर्भावस्था के दौरान पिनवर्म की समस्या से कुछ हद तक राहत पाई जा सकती है। उम्मीद हैं कि पिनवर्म से जुड़ा यह आर्टिकल सभी को न केवल पसंद आएगा, बल्कि कई लोगों के लिए लाभकारी भी सिद्ध होगा।
References
1. Pinworm Infection – By CDC
2. Pinworms – By MedlinePlus
3. Pinworm in pregnancy – By NCBI
4. Pinworms – By MedlinePlus
5. The Diagnosis and Treatment of Pinworm Infection – By NCBI
6. Diagnosis – By CDC
7. Yogurt Production – By NCBI
8. Probiotics for the Control of Parasites: An Overview – By NCBI
9. Eating right during pregnancy – By MedlinePlus
10. Development stages of the “rope” human intestinal parasite – By Arxiv
11. Anthelmintic effects of citrus peels ethanolic extracts against Ascaridia galli– By NCBI
12. Effects of lemon decoction on malaria parasite clearance and selected hematological parameters in Plasmodium berghei ANKA infected mice– By NCBI
13. An Evaluative Study To Assess The Effectiveness Of Lemon Juice On Pregnancy Induced Hypertension Among Antenatal Mothers In Dommasandra Phc, Bangalore. – By Academia
14. Emblica officinalis (Amla): A review for its phytochemistry, ethnomedicinal uses and medicinal potentials with respect to molecular mechanisms – By NCBI
15. A Literary Review on Emblica Officinalis in Pregnancy Induced Anaemia – By International Journal of Research
16. Anti-Parasitic Activities of Allium sativum and Allium cepa against Trypanosoma b. brucei and Leishmania tarentolae – By NCBI
17. The effect of Allium Sativum (Garlic) on Pregnancy, Fetal Weights, and Some Hematological Parameters in Albino Rats – By Researchgate
18. Phytochemicals in Daucus carota and Their Health Benefits—Review Article – By NCBI
19. Healthy Eating During Pregnancy and Breastfeeding – By Family Health Service
20. Resources for Health Professionals – By CDC
21. Prevention & Control – By CDC
22. Effects of Maternal Worm Infections and Anthelminthic Treatment during Pregnancy on Infant Motor and Neurocognitive Functioning – By NCBI
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