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प्रत्येक प्रेग्नेंट महिला के गर्भ में अपरा (प्लेसेंटा) महत्वपूर्ण अंग होता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि अपरा गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिए रक्षा कवच की तरह काम करता है। इसका एक सिरा गर्भनाल से, तो दूसरा शिशु की नाभी से जुड़ा होता है। सामान्य स्थिति में यह गर्भाशय के साथ ऊपर की तरफ या फिर एक तरफ से होता है (1)। वहीं, कई बार यह गर्भाशय के निचले हिस्से में होता है, जिस कारण गर्भवती को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति को प्लेसेंटा प्रिविया या फिर लो-लाइंग प्लेसेंटा कहते हैं। इस लेख के जरिए, हम आपको प्लेसेंटा प्रिविया के बारे में विस्तार से बताएंगे। साथ ही जानेंगे कि यह किस तरह से गर्भावस्था को प्रभावित करता है और किस तरह इससे निपटा जा सकता है।
क्या और कितना आम है प्लेसेंटा प्रिविया?
जब गर्भावस्था के दौरान अपरा गर्भाशय के नीचे की ओर जाकर ग्रीवा को ढक लेता है, तो इस स्थिति को प्लेसेंटा प्रिविया कहते हैं। ऐसे में डिलीवरी के समय शिशु के लिए योनी मार्ग से निकलने का रास्ता बंद हो जाता है (2)। माना जाता है कि 200 गर्भवती महिलाओं में से किसी एक को इसका सामना करना पड़ता है (3)। यह समस्या उन महिलाओं में आम है, जिनकी पहली डिलीवरी सिजेरियन हुई हो, जिनके गर्भ में दो या दो से ज्यादा भ्रूण हों, शराब व धूम्रपान का सेवन करती हों आदि। प्लेसेंटा प्रिविया किन कारणों से होता है, उस बारे में हमने आगे विस्तार से बताया है।अगर ऐसा गर्भावस्था के शुरुआत में हो, तो यह चिंता का विषय नहीं होता, लेकिन डिलीवरी के पास ऐसा होने पर कई जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।
आगे जानते हैं कि प्लेसेंटा प्रिविया कितने प्रकार के हो सकते हैं।
प्लेसेंटा प्रिविया के प्रकार
वैज्ञानिक तौर पर प्लेसेंटा प्रिविया के तीन प्रकार माने गए हैं (4)।
- मार्जनल प्लेसेंटा प्रिविया : इसमें अपरा ग्रीवा के बिल्कुल किनारे पर होता है।
- पार्शियल प्लेसेंटा प्रिविया : इस स्थिति में अपरा ग्रीवा को हल्का-सा ढक लेता है।
- कंप्लीट प्लेसेंटा प्रिविया : ऐसा तब होता है, जब अपरा पूरी तरह से ग्रीवा के ऊपर आ जाता है।
गर्भावस्था के दौरान कुछ अल्ट्रासाउंड किए जाते हैं, जिससे प्लेसेंटा प्रिविया की पुष्टि हो जाती है। कुछ मामलों में अपरा गर्भाशय से पिछली तरफ भी होता है। ऐसे में जांच के लिए ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड (टीवीएस) का सहारा लिया जाता है। इसमें योनी के अंदर ट्रांसड्यूसर प्रविष्ट करके पता लगाया जाता है कि अपरा किस जगह है (5) (6)।
प्लेसेंटा प्रिविया के कारण व कौन होता है सबसे ज्यादा शिकार? | Pregnancy Me Placenta Niche Hone K Karan
इन परिस्थितियों में प्लेसेंटा प्रिविया होने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है (7) (8) (9)।
- अगर पहली डिलीवरी सिजेरियन हुई हो।
- पहले अगर गर्भपात हुआ हो।
- असामान्य आकार का गर्भाशय।
- फाइब्रॉएड (Abnormal growth) यूट्रेस।
- गर्भवती महिला की उम्र 35 वर्ष या उससे ज्यादा हो।
- गर्भ में जुड़वां या फिर उससे ज्यादा भ्रूण हों।
- धूम्रपान, शराब व तंबाकू का सेवन करने की आदत हो।
- अगर पहली गर्भावस्था में भी प्लेसेंटा प्रिविया की शिकायत रही हो।
- अगर बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स को कद व वजन के अनुपात के अनुसार निकाला जाता है) असंतुलित होता है, तो भी प्लेसेंटा प्रिविया की समस्या का सामना करना पड़ सकता है (10)। आप हमारे ऑनलाइन बॉडी मास इंडेक्स कैलकुलेटर से अपना बीएमआई जांच सकती हैं।
- यूट्रेस से टिश्यू निकालने की प्रक्रिया (Dilation and curettage)
- प्लेसेंटा के आकार का बड़ा होना।
- गर्भाशय संबंधी जन्मजात समस्या।
अब जानते हैं कि किन लक्षणों की मदद से प्लेसेंटा प्रिविया का पता लगाया जा सकता है।
प्लेसेंटा प्रिविया के लक्षण
जिस तरह हर गर्भवती महिला के गर्भावस्था को लेकर व्यक्तिगत अनुभव होते हैं, कुछ उसी तरह प्लेसेंटा प्रिविया से ग्रस्त महिला में भी अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं। इस बारे में हम यहां विस्तार से बता रहे हैं (11)। गर्भावस्था के पहले और दूसरे तिमाही में रूक-रूककर ब्लीडिंग हो सकती है, जिसमें दर्द की समस्या नहीं होती है।
- अगर तीसरी तिमाही में अचानक बिना किसी दर्द के योनी से लगातार रक्तस्राव होने लगे, तो यह चिंता का विषय है। इस दौरान, रक्त गहरा लाल रंग का हो सकता है।
- अगर लेबर पैन की तरह संकुचन लगातार यानी एक घंटे में 5 से 10 मिनट तक होते हैं, तो यह चिंता का विषय है। इस दौरान, पेट व कमर में दर्द हो सकता है (12)।
इनके अलावा, कुछ अन्य लक्षण भी हैं, जिनके बारे में सिर्फ अल्ट्रासाउंड के जरिए ही पता चल सकता है।
- जब अपरा पूरी तरह से ग्रीवा को कवर कर लेता है, तो ऐसे में या तो शिशु का सिर नीचे की तरफ नहीं आ पाता या फिर उसकी दिशा थोड़ी सी तिरछी हो जाती है।
नोट : अगर आप इनमें से कोई भी लक्षण महसूस नहीं करते हैं, तो फिर डॉक्टर जांच के जरिए इसका पता लगा सकते हैं।
कैसे किया जाता है प्लेसेंटा प्रिविया का निदान?
अगर किसी गर्भवती को प्लेसेंटा प्रिविया है, तो दूसरी तिमाही में होने वाले अल्ट्रासाउंड में डॉक्टरों को इसका पता चल जाता है। निम्न प्रकार से प्लेसेंटा प्रिविया का पता लगाया जाता है (11):
- अल्ट्रासाउंड के जरिए।
- भ्रूण की दिशा पता लगाकर।
- कुछ मामलों में ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड (टीवीएस) किया जाता है।
आगे हम कुछ प्रश्न आपके सामने रख रहे हैं, जो अक्सर डॉक्टर जांच के दौरान आप से पूछ सकते हैं :
- आपको पहली बार योनी रक्तस्राव कब हुआ?
- यह रक्तस्राव एक ही बार हुआ या बार-बार हुआ?
- क्या इस दौरान किसी तरह का दर्द या संकुचन महसूस हुआ?
- क्या रक्तस्राव भारी मात्रा में हो रहा था?
- क्या पहले कभी किसी तरह का ऑपरेशन यानी गर्भाशय से रसौली (फाइब्रॉएड) को निकलवाया है या पहले कभी गर्भपात हुआ है?
- इमरजेंसी के दौरान आपको अस्पताल लाने में कितना समय लगा?
- क्या आप धूम्रपान करती हो?
अगर प्लेसेंटा प्रिविया की पुष्टि होती है, तो आप डॉक्टर से ये प्रश्न पूछ सकते हैं :
- क्या इस समस्या के खुद से हल होने की कोई संभावना है?
- इस अवस्था में मैं अपनी देखभाल कैसे कर सकती हूं?
- मैं स्वयं से रक्तस्राव को किस तरह से रोक सकती हूं?
- ऐसे कौन से लक्षण हैं, जो नजर आने पर मुझे तुरंंत अस्पताल जाना चाहिए?
- मुझे फिर से चेकअप के लिए अस्पताल कब जाना चाहिए?
- क्या प्लेसेंटा प्रिविया से गर्भावस्था में आगे चलकर कोई गंभीर समस्या हो सकती है?
- इस हालत में नॉर्मल डिलीवरी की कितनी संभावना रहेगी?
प्लेसेंटा प्रिविया के बारे में इतना कुछ जानने के बाद आगे इसके इलाज के बारे में पता करते हैं।
प्लेसेंटा प्रिविया का उपचार कैसे किया जाता है? | Placenta Previa Ke Upchar
इस समस्या का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि गर्भावस्था को कितना समय हो गया है। डॉक्टर इलाज के दौरान निम्नलिखित पहलुओं पर गौर करते हैं (13)।
- अगर रक्तस्राव कम हो रहा है, तो डॉक्टर घर में ही आराम करने की सलाह देते हैं और अगर ज्यादा हो रहा है, तो गर्भवती को अस्पताल में अपनी निगरानी में रखते हैं। इस दौरान, जरूरत पड़ने पर गर्भवती को रक्त चढ़ाया जा सकता है।
- जब डॉक्टरों को लगता है कि स्थिति सामान्य है, तो उसे घर भेज सकते हैं।
- गर्भावस्था को कितना समय हो गया है और गर्भ में भ्रूण की हालत कैसी है। साथ ही अपरा व भ्रूण किस जगह पर है।
- गर्भावस्था के 36 हफ्ते के बाद कंप्लीट प्लेसेंटा प्रिविया होने पर डॉक्टर सिजेरियन डिलीवरी की सलाह देते हैं, ताकि बच्चे व गर्भवती के जीवन को सुरक्षित किया जा सके। इसके अलावा, अत्यधिक रक्तस्राव होने पर भी डॉक्टर सिजेरियन डिलीवरी की सलाह दे सकते हैं।
- तीसरी तिमाही में भी प्लेसेंटा प्रिविया होने पर डॉक्टर गर्भवती महिला को पूरी तरह से बेड रेस्ट करने की सलाह दे सकते हैं। साथ ही यौन संबंध बनाने, व्यायाम करने व किसी अन्य तरह की शारीरिक गतिविधि को बंद करने के लिए कहते हैं।
इस लेख में आगे लो-लाइनिंग प्लेसेंटा के वैकल्पिक उपचारों के बारे में बताया गया है।
लो-लाइंग प्लेसेंटा के लिए वैकल्पिक उपचार?
सामान्यत: जैसे-जैसे गर्भावस्था आगे बढ़ती है, प्लेसेंटा प्रिविया की समस्या अपने आप ही दूर हो जाती है। ऐसा गर्भाशय का आकार बढ़ने के कारण होता है। वहीं, अगर दूसरी तिमाही में लो-लाइंग प्लेसेंटा का पता चल जाए, तो तीसरी तिमाही के मध्य तक डॉक्टर महिला की स्थिति के अनुसार कुछ सुझाव दे सकते हैं (14)। कुछ मामलों में ही ऐसा होता है, जब समस्या लंबे समय तक चलती है और बाद में सिजेरियन की जरूरत पड़ती है।
वहीं, अगर इस समस्या के लिए वैकल्पिक उपचार की बात करें, तो ट्रेडिशनल चाइनिज मेडिसिन (टीसीएम) पद्धति सबसे प्रचलित है। गर्भावस्था में आने वाली विभिन्न तरह की जटिलताओं से निपटने के लिए इसे सबसे सुरक्षित उपचार माना गया है (15)। इसके जरिए, गर्भवती के रक्तस्राव को नियंत्रित और गर्भ में शिशु के विकास को संतुलित किया जा सकता है। ऐसा हर्बल दवाओं व एक्यूपंक्चर के द्वारा किया जाता है।
- हर्बल दवाइयां : चाइनिज पद्धति में अपरा को सही जगह पर लाने के लिए बु झोंग यी की टैंग (Bu Zhong YI Qi Tang) नामक हर्बल दवा का प्रयोग किया जाता है। इस दवा को गर्भावस्था के लिए सुरक्षित माना गया है।
- एक्यूपंक्चर : सिर के ऊपरी हिस्से में डू-20 नामक एक पॉइंट होता है, जो प्लेसेंटा प्रिविया को ठीक करने के काम आता है।
नोट : ऊपर बताए गए इन पद्धतियों को डॉक्टर की सलाह पर ही अपनाएं।
लो-लाइंग प्लेसेंटा के लिए सावधानियां?
लो-लाइंग प्लेसेंटा जैसी स्थिति से बचने के लिए इन सावधानियों को बरतना जरूरी है (2)।
- जहां तक हो सके अधिक परिश्रम वाली शारीरिक गतिविधियों से परहेज करें, जैसे – वजन उठाना, कार्डियो एक्सरसाइज करना आदि।
- शारीरिक संबंध न ही बनाएं तो बेहतर होगा।
- पूरी तरह से बेड रेस्ट करना सबसे अच्छा विकल्प है।
प्लेसेंटा प्रिविया की जटिलताएं
प्लेसेंटा प्रिविया की स्थिति में निम्न प्रकार की दिक्कतें सामने आ सकती हैं (16) :
- अधिक मात्रा में रक्तस्राव हो सकता है।
- पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलने से भ्रूण की हालत बिगड़ सकती है।
- समय से पूर्व यानी 37वें हफ्ते से पहले ही डिलीवरी हो सकती है।
- बच्चे में कुछ विकार उत्पन्न हो सकते हैं।
- गर्भ में बच्चे का विकास रुक सकता है।
- भ्रूण की सेहत खतरे में पड़ सकती है।
- हालत बिगड़ने पर ऑपरेशन करना पड़ सकता है।
- प्लेसेंटा एक्रिटा जैसी स्थिति से जूझना पड़ सकता है। इसमें गर्भाशय के साथ अपरा गहराई से जुड़ जाता है। आमतौर पर डिलीवरी के बाद अपरा और गर्भाशय अलग-अलग हो जाते हैं, लेकिन एक्रिटा की स्थिति में अपरा डिलीवरी के बाद भी गर्भाशय से जुड़ा रहता है। इससे अत्यधिक मात्रा में रक्तस्राव हो सकता है (17)।
- प्लेसेंटा एक्रीटा व प्रसव के बाद अगर गंभीर रक्तस्त्राव हो, तो सर्जरी के जरिए गर्भाशय को निकालने तक की नौबत आ सकती है।
आगे हम बता रहे हैं कि प्लेसेंटा प्रिविया से कैसे निपटा जाए।
प्लेसेंटा प्रिविया से कैसे निपटें? | Placenta Previa Me Savdhani
- जानकारियां जुटाएं : सबसे पहले तो शंकाओं, डर व चिंताओं को मिटाने की कोशिश करें। साथ ही इस समस्या से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी जुटाएं। इसके अलावा, अपने डॉक्टर से खुलकर बात करें या फिर ऐसे लोगों से बात कर सकते हैं, जो इस प्रकार की समस्या को झेल चुके हैं।
- ऑपरेशन के लिए रहें तैयार : कुछ मामलोंं में प्लेसेंटा प्रिविया के कारण नॉर्मल डिलीवरी की संभावना लगभग खत्म हो जाती है। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है, तो खुद को मानसिक तौर पर ऑपरेशन के लिए तैयार करें।
- स्वयं की देखभाल : स्वयं को शांत करने व मानसिक तनाव को खत्म करने के लिए आप कोई पसंदीदा किताब पढ़ सकती हैं या फिर म्यूजिक का आनंद ले सकती हैं। अपने पति या फिर करीबी दोस्त की मदद से अपना पसंदीदा भोजन बना सकते हो।
- आराम भी जरूरी : कुछ मामलों में डॉक्टर पूरी तरह से बेड रेस्ट करने की सलाह देते हैं। ऐसे में आपके लिए जरूरी है कि इसका पालन करें, ताकि गर्भावस्था में और किसी तरह की जटिलता उत्पन्न न हो।
प्लेसेंटा प्रिविया को कैसे रोकें? | Placenta Previa Ke Upay
जैसा कि हमने इसी लेख में ऊपर बताया है कि किन कारणों से प्लेसेंटा प्रिविया जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। उसी के मद्देनजर, अगर आप भी इन हालातों का सामना कर चुके हो, तो गर्भधारण करने से पहले और गर्भधारण के बाद डॉक्टर से जांच करवाते रहें। साथ ही अगर शराब, सिगरेट व तंबाकू का सेवन करते हो, तो गर्भधारण करने से पहले इसे पूरी तरह से छोड़ दें। अच्छे खानपान के साथ संतुलित जीवन का आनंद लें और जिस प्रकार से डॉक्टर कहे, उसका पालन करते रहें।
यहां हम इस समस्या से जुड़े कुछ प्रश्नों का जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं, जो अक्सर लोगों के जहन में आते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या लो-लाइंग प्लेसेंटा के साथ हवाई यात्रा करना सुरक्षित है?
नहीं, हवाई यात्रा के दौरान रक्तस्राव की समस्या हो सकती है। हवाई यात्रा के दौरान वायु का दबाव कम होने के कारण गर्भवती महिला को कई प्रकार की जटिलताएं हो सकती हैं। इसलिए, जहां तक हो सके हवाई यात्रा न करें (18)।
क्या प्लेसेंटा प्रिविया अनुवांशिक है?
नहीं, अगर आपके परिवार में किसी को इस समस्या से जूझना पड़ा है, तो ऐसा नहीं कि आपको भी प्लेसेंटा प्रिविया हो सकता है। यह पूरी तरह से आपकी शारीरिक स्थिति पर निर्भर करता है।
क्या भविष्य में फिर से गर्भधारण करने पर प्लेसेंटा प्रिविया हो सकता है?
हां, अगर पूर्व में आप सिजेरियन की प्रक्रिया से गुजरें हैं या फिर अन्य शारीरिक समस्याएं हैं, तो फिर से प्लेसेंटा प्रिविया से जूझना पड़ सकता है (7) (19)।
क्या आंशिक प्लेसेंटा प्रिविया के साथ नॉर्मल डिलीवरी होना संभव है?
नहीं, इस स्थिति में अपरा थोड़ा-सा ग्रीवा को ढक लेता है। हालांकि, जैसे-जैसे गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय का आकार बढ़ता है, तो अपरा अपनी सही जगह पर आ जाता है, लेकिन अगर अंतिम तक यही स्थिति बनी रहे, तो नॉर्मल डिलीवरी की आशंका कम हो जाती है।
हमें उम्मीद है कि इस लेख के माध्यम से आपको प्लेसेंटा प्रिविया से जुड़ी हर तरह की जानकारी मिल गई होगी। अगर आपके मन में इस विषय से जुड़ा कोई प्रश्न है, तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स में हमसे पूछ सकते हैं। हम उसका प्रमाण सहित जवाब देने का प्रयास करेंगे। साथ ही आपकी जानकारी में अगर कोई गर्भवती महिला इस समस्या से गुजर रही है, तो उसके साथ यह लेख जरूर शेयर करें।
References
1. Growth and function of the normal human placenta By NCBI
2. Placenta previa By MedlinePlus
3. Placenta previa By NCBI
4. Placenta previa By University of Rochester Medical Centre
5. Placenta previa: the role of ultrasound in assessment during third trimester By NCBI
6. Diagnosis of placenta previa by transvaginal sonography By NCBI
7. Placenta previa By NCBI
8. Placenta Previa By Medlineplus
9. Contemporary Management of Fibroids in Pregnancy By NCBI
10. Inter-pregnancy weight change impacts placental weight and is associated with the risk of adverse pregnancy outcomes in the second pregnancy By NCBI
11. Bleeding in Pregnancy/Placenta Previa/Placental Abruption By CHOP
12. Am I in labor? By MedlinePlus
13. PLACENTA PREVIA By March Of Dimes
14. Outcomes of pregnancies with a low-lying placenta diagnosed on second-trimester sonography By NCBI
15. A survey and analysis of using traditional Chinese medicine during pregnancy By NCBI
16. Obstetric complications of placenta previa percreta By NCBI
17. Placenta Accreta By USF Health
18. ACOG committee opinion. Air travel during pregnancy By NCBI
19. Association of Placenta Previa with a History of Previous Cesarian Deliveries and Indications for a Possible Role of a Genetic Component By NCBI
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