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प्रेगनेंसी के समय शारीरिक लक्षणों की अनदेखी व उनके प्रति लापरवाही गर्भवती और उसके गर्भस्थ शिशु के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। इस दौरान महिला के रूबेला संक्रमण के चपेट में आने की भी आशंका होती है। ऐसे में इससे संबंधित संकेत नजर आते ही गर्भवती को सतर्क हो जाना चाहिए। यह बीमारी गर्भावस्था को नाकारत्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। इसी वजह से रूबेला से संबंधित हर तरह की जानकारी गर्भवती को होना जरूरी है। आपको जागरूक करने के मकसद से मॉमजंक्शन के इस लेख में हम गर्भावस्था में रूबेला, इसके कारण और लक्षण जैसी अहम बातों के बारे में बता रहे हैं।
आर्टिकल में हम सबसे पहले बता रहे हैं कि रूबेला क्या होता है।
रूबेला क्या है?
रूबेला, वायरस से होने वाला एक संक्रमण है। इसे जर्मन खसरा रोग भी कहा जाता है। इस दौरान व्यक्ति के पूरे शरीर पर लाल चकत्ते उभर आते हैं। ये लाल चकत्ते या दाने अधिकतर चेहरे पर होते हैं और फिर धीरे-धीरे पूरे शरीर पर फैल जाते हैं। चकत्ते के साथ ही बुखार और कई अन्य लक्षण दिखते हैं। यह इंफेक्शन संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक यह तेजी से फैलता है, क्योंकि यह काफी संक्रामक रोग है। (1)।
लेख में आगे जानिए कि गर्भवती को रूबेला किन-किन कारणों से हो सकता है।
प्रेगनेंसी में रूबेला वायरस होने के क्या कारण होते हैं?
गर्भावस्था में रूबेला होने का सबसे बड़ा कारण प्रेगनेंसी से पहले रूबेला संबंधी टीका न लगवाना है (2)। टीका न लगवाने के कारण रूबेला वायरस महिला को संक्रमित कर देता है। यह वायरस कैसे फैलता है, जानने के लिए लेख को आगे पढ़ें (3) (4)।
- रूबेला वायरस हवा के माध्यम से फैलता है।
- संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर यह वायरस दूसरे व्यक्ति तक पहुंचता है।
- संक्रमित के खांसने, छींकने या छूने पर उसके आसपास रहने वाले व्यक्ति को भी रूबेला रोग हो सकता है।
- इसके फैलने की आशंका शॉपिंग मॉल या भीड़-भाड़ वाले इलाकों में भी हो सकती है।
- घर में या एक ही कार्यालय में संक्रमित व्यक्ति के साथ काम करने से भी रूबैला फैल सकता है।
गर्भावस्था में रूबेला होने के कारणों को जानने के बाद इसके लक्षण को जानते हैं।
प्रेगनेंसी में रूबेला वायरस के लक्षण
रूबेला में आमतौर पर हल्की ठंड लगने जैसे लक्षण दिखते हैं, जिसके बाद दाने निकल आते हैं (4)। इनके अलावा, सामान्य तौर पर रूबेला के कुछ और भी लक्षण दिखा दे सकते हैं, जिनके बारे में हम नीचे बता रहे हैं (3)।
- गर्दन की ग्रंथियाें में सूजन
- सिरदर्द की समस्या
- अस्वस्थ महसूस करना
- दाने दिखाई देने से पहले नाक का बहना
- आंखों में सूजन और आंखें का लाल होना
- मांसपेशियों या जोड़ों का दर्द
यहां तक हुई रूबेला और लक्षणों की बात अब जानते हैं रूबेला होने पर किए जाने वाले परीक्षण के बारे में।
गर्भावस्था में रूबेला होने पर परीक्षण
रूबेला वायरस के निदान के लिए डॉक्टर कुछ परीक्षण करने की सलाह दे सकते हैं। ये टेस्ट कुछ इस प्रकार हो सकते हैं।
- ब्लड टेस्ट : इस परीक्षण में रक्त में मौजूद रूबेला एंटीबॉडी की उपस्थिति की जांच की जाती है। एंटीबॉडी एक प्रकार का प्रोटीन होता है, जो वायरस और बैक्टीरिया जैसे हानिकारक विकारों को पहचान कर नष्ट करता है और शरीर की इनसे सुरक्षा करता है (4)।
- स्वाब टेस्ट : स्वाब टेस्ट के जरिए भी रूबेला का पता लगाया जा सकता है। इस दौरान नेसल यानी नाक या गले से कुछ कण निकालकर वायरस की जांच करने के लिए लैब भेजा जाता है (3)।
आगे हम बता रहे हैं गर्भावस्था में रूबेला के कारण क्या क्या परेशानी हो सकती है।
गर्भावस्था में रूबेला के कारण होने वाली परेशानियां
यदि गर्भावस्था में रूबेला होता है, तो इसके कारण निम्न परेशानियां व समस्याएं हो सकती हैं (5):
- गर्भपात का खतरा
- समय से पहले प्रसव
- भ्रूण के विकास में बाधा
- बच्चों में जन्मजात रूबेला सिंड्रोम
रूबेला वायरस से होने वाली समस्याओं के बाद जानते हैं इसका इलाज किस तरह से होता है।
प्रेगनेंसी में रूबेला का इलाज
महिला को गर्भावस्था से पहले ही रूबेला का परीक्षण करवाकर इससे संबंधित टीका लगवाना चाहिए। अगर गर्भवती ने इससे संबंधित जरूरी टीकाकरण नहीं करवाया है और गर्भवती को रूबेला हो गया है, तो माना जाता है कि इसका कोई इलाज नहीं हो सकता है (4)। हां, गर्भवती होने के बाद रूबेला से बचाव के लिए डॉक्टर पॉलीक्लोनल इम्यूनोग्लोबिन (Polyclonal Immunoglobulin) लेने की सलाह दे सकते हैं (6)।
रूबेला के संक्रमण से बचाने के लिए संक्रमित व्यक्ति से दूर रहने ही सबसे बड़ा इलाज है। यदि फिर भी गर्भवती किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आती है, तो उसे जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए (4)।
रूबेला के इलाज के बाद यहां हम बता रहे हैं कि गर्भावस्था में रूबेला से बचाव कैसे किया जा सकता है।
गर्भावस्था में रूबेला से बचाव के तरीके
गर्भावस्था में रूबेला से बचने के लिए नीचे दी गई सावधानियों को अपनाया जा सकता है (4):
- गर्भावस्था में संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचना
- किसी भी चीज को छूने के बाद हाथ धोना
- हाथों का नाक और मुंह पर न लगाना
- लोगों से एक मीटर की दूरी बनाए रखना
- गर्भाधारण करने की प्लानिंग से पहले एमएमआर वैक्सीन लगवाना
यहां हम जानकारी दे रहे हैं कि गर्भावस्था में रूबेला होने पर शिशु को क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं।
क्या गर्भावस्था में रूबेला होने से मेरे शिशु को नुकसान पहुंच सकता है?
यदि गर्भधारण करने से पहले महिला ने रूबेला का टीका नहीं लगवाया है, तो उसे गर्भावस्था के शुरुआती पांच महीनों में रूबेला हो सकता है। इससे आमतौर पर भ्रूण को निम्न नुकसान हो सकते हैं (4)।
- यदि गर्भवती से भ्रूण को 12वें हफ्ते में रूबेला होता है, तो उसे पैदा होने के बाद शरीर के किसी भी ऑर्गन में असर दिखाई दे सकता है। इससे आंख संबंधी समस्याएं और सुनने में परेशानी भी हो सकता है। साथ ही उसका हृदय भी डैमेज हो सकता है। इसके अलावा, आने वाले बच्चों के मानसिक विकास में रुकावट और जन्म के समय वजन कम हो सकता है।
- यदि गर्भावस्था के 12 से 20वें सप्ताह के बीच भ्रूण को रूबेला होता है, तो उपरोक्त समस्याएं आमतौर पर हल्की हो सकती हैं।
- यदि गर्भावस्था के 20वें हफ्ते के बाद भ्रूण को रूबेला होता है, तो उसे कोई समस्या नहीं होती है।
अंत में जानिए कि गर्भवती रूबेला से सुरक्षित है या नहीं, यह कैसे पता लगाया जाता है।
कैसे पता चलेगा कि मैं रूबेला से सुरक्षित हूं या नहीं?
आप रूबेला से सुरक्षित हैं या नहीं, यह जानने के लिए डाॅक्टर की सलाह पर रक्त परीक्षण करावा सकती हैं। इस बल्ड टेस्ट में एंटीबाॅडी की जांच की जाती है, जिससे इस बात की पुष्टि हो सकती है कि आप रूबेला से सुरक्षित हैं या नहीं (4)।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. प्रेगनेंसी में रूबेला टिटर का क्या मतलब है?
रूबेला टिटर का मतलब है शरीर में मौजूद एंटीबॉडी, जो रूबेला से लड़ने में मदद करते हैं। रूबेला टिटर के लेवल का पता ब्लड टेस्ट से लगाया जाता है।
2. प्रेगनेंसी में रूबेला से बचाव के लिए टीके क्यों जरूरी है ?
गर्भावस्था में रूबेला के टीके नहीं लगाए जाते हैं। रूबेला का टीका प्रेगनेंसी प्लान करते समय या उससे पहले ही लगवाना चाहिए (4)। इस टीके को लगवाने के चार हफ्ते तक गर्भधारण करने की योजना नहीं बनाना चाहिए।
3. क्या प्रेगनेंसी से पहले रूबेला बूस्टर की आवश्यकता होती है?
अगर महिला ने गर्भधारण करने से पहले रूबेला का टीका लगवाया है, तो उन्हें प्रेगनेंसी से पहले बूस्टर खुराक की आवश्यकता नहीं होती है। वहीं, इस दौरान संक्रमण के खतरे को देखने के लिए रूबेला आईजी जी टिटर की जांच की जा सकती है (4)।
सामान्य समय में रूबेला होने पर ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन गर्भावस्था में रूबेला होना काफी खतरनाक होता है (5)। इससे बचने के लिए महिलाओं को गर्भावस्था से पहले ही इससे संबंधित टीका लगवा लेना चाहिए। किसी वजह से ऐसा नहीं हो पाया है, तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें। इससे बचने के कुछ तरीके डॉक्टर बता सकते हैं। अगर कोई महिला गर्भावस्था के समय इसकी चपेट में आ जाती है या फिर इससे संबंधी लक्षण नजर आते हैं, तो बिना किसी लापरवाही के विशेषज्ञ से परामर्श लें।
References
1. Rubella Also called: German measles, Three day measles By MedlinePlus
2. Pregnancy and Rubella By CDC
3. Rubella By MedlinePlus
4. Rubella (German measles) in pregnancy By NCBI
5. Rubella By NCBI
6. Post-exposure passive immunisation for preventing rubella and congenital rubella syndrome By PubMed
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