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गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कई शारीरिक जटिलताओं से गुजरना पड़ता है। प्रेगनेंसी में सांस फूलना ऐसी ही समस्या है, जिसका सामना कोई भी गर्भवती महिला कर सकती है। हालांकि, गर्भावस्था में सांस फूलना एक आम समस्या है, लेकिन कभी-कभी गंभीर बीमारियों का लक्षण भी हो सकता है। इसलिए, जरूरी है कि महिलाएं इस विषय की पूरी जानकारी रखें। मॉमजंक्शन के इस लेख में जानिए गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के सांस फूलने के कारण और इससे निजात पाने के सबसे सटीक घरेलू उपाय।
क्या गर्भावस्था के दौरान सांस फूलना सामान्य है? | Pregnancy Me Saans Phoolna
गर्भावस्था के दौरान सांस फूलना एक आम समस्या है। लगभग 75 प्रतिशत महिलाएं प्रेगनेंसी में इस समस्या से गुजरती हैं, लेकिन गर्भावस्था में सांस फूलने की आशंका तीसरी तीमाही में ज्यादा रहती है (1)।
क्या गर्भावस्था के दौरान सांस फूलना एक गंभीर समस्या का संकेत है?
गर्भवस्था के दौरान सांस फूलने की समस्या को सामान्य नहीं लिया जा सकता है। इस दौरान सांस फूलने की वजह गंभीर भी हो सकती है। नीचे जानिए प्रेगनेंसी में सांस फूलने के कुछ गंभीर कारण :
- अस्थमा : गर्भावस्था के दौरान अस्थमा एक आम समस्या है। लगभग 45% से अधिक महिलाओं को बेहतर चिकित्सा की आवश्यकता होती है। प्रेगनेंसी के दौरान अस्थमा के लिए बरती गई कोई भी लापरवाही मां और शिशु दोनों के लिए घातक परिणाम का कारण बन सकती है (2)।
- एनीमिया : एनीमिया यानी आयरन और फोलेट जैसे पोषक तत्वों की कमी से लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में रुकावट या कमी। गर्भावस्था के दौरान छह में से एक महिला को एनीमिया की शिकायत हो सकती है। इसका एक लक्षण सांस लेने में तकलीफ भी है (3)। अगर गर्भावस्था के दौरान एनीमिया के लक्षण दिखते हैं, तो इसके इलाज में कोई भी लापरवाही न बरतें।
नीचे जानिए गर्भावस्था में सांस फूलने के कारण।
गर्भावस्था में सांस की तकलीफ का कारण क्या है?
गर्भावस्था में सांस की तकलीफ को सामान्य नहीं समझा जा सकता है। इसके होने के पीछे कई गंभीर कारण हो सकते हैं, जिनके बारे में हम नीचे चर्चा करेंगे। जानिए, प्रेगनेंसी की पहली से तीसरी तिमाही में सांस फूलने के विभिन्न कारणों के बारे में :
पहली तिमाही में सांस फूलने के कारण
- एक गर्भवती महिला के शरीर में इस दौरान कई तरह के बदलाव देखे जा सकते हैं, जिसमें हार्मोनल बदलाव भी शामिल है। हार्मोनल बदलाव सांस फूलने या सांस लेने में तकलीफ का कारण बन सकते हैं। वैज्ञानिक शोध के अनुसार, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन का बढ़ता स्तर ऊपरी वायुमार्ग (Upper Airways) में कोशिकाओं (Capillary) में तरल जमाव, अधिक रक्तस्राव (Excess Bleeding) और म्यूकोसा में सूजन (mucosa swelling) को प्रेरित करते हैं, जिससे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है (4)।
- एक गर्भवती महिला का वजन बढ़ सकता है। बढ़ते वजन से गले के कोमल टिशू में फैट जमा हो सकता है, जो फैरिंक्स (मुंह और नेजल कैविटी के पीछे गले का भाग ) को तंग कर सकता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है (5) (4)।
- गर्भवती महिला आम महिलाओं के मुकाबले ज्यादा खर्राटे ले सकती है। ऐसा नाक के मार्ग में रुकावट पैदा होने के कारण होता है। इस स्थिति में गर्भवती महिला सांस फूलने की तकलीफ से गुजर सकती है (4)।
दूसरी तीमाही में सांस फूलने के कारण
- इस दौरान भी वजन बढ़ने के आसार बने रहते हैं, जिससे फैरिंक्स में संकुचन आ सकता है और परिणामस्वरूप एक प्रेग्नेंट महिला सांस फूलने की समस्या से गुजर सकती है (5) (4)।
- दूसरी तिमाही में भी खर्राटे सांस लेने में तकलीफ का कारण बन सकते हैं (4)। ऐसा स्लीप एपनिया के कारण भी हो सकता है। इसलिए, इस लक्षण को गंभीरता से लेना चाहिए।
तीसरी तिमाही में सांस फूलने का कारण
- पहली और दूसरी तीमाही की तरह तीसरी तिमाही में भी नासिका में रुकावट आने पर सांस लेने में परेशानी हो सकती है (4)।
- इस दौरान राइनाइटिस के कारण भी गर्भवती महिलाओं की सांस फूल सकती है। शोध के अनुसार, 42 प्रतिशत महिलाएं इस समस्या से जूझती हैं (4)।
- इस दौरान, गर्भवती महिला में मेटरनल ब्लड वॉल्यूम 40 से 50 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। रक्त का बढ़ा हुआ यह स्तर ऊपरी वायुमार्ग को प्रभावित करता है, जिससे महिला को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है (4)।
- गर्भ में बढ़ता भ्रूण का आकार और गर्भाशय का विस्तार डायाफ्राम को धक्का देता है, जिससे फेफड़ों के लिए जगह सीमित हो जाती है और उनको फैलने में परेशानी आने लगती है। इस वजह से भी एक गर्भवती महिला सांस फूलने की समस्या का सामना कर सकती है (6)।
गर्भावस्था में सांस फूलने के कारण के बाद जानते हैं प्रेगनेंसी में सांस की तकलीफ को कम करने के उपाय।
गर्भावस्था के दौरान सांस की तकलीफ को कैसे कम किया जा सकता है?
गर्भावस्था के दौरान सांस लेने में आई तकलीफ को कुछ हद तक निम्नलिखित तरीकों से रोका जा सकता है। यहां हम सिर्फ सामान्य उपाय बता रहे हैं, लेकिन सटीक इलाज के लिए डॉक्टरी परामर्श जरूरी है। नीचे जानिए सांस फूलने की समस्या पर कैसे काबू पाएं :
- बॉडी पोश्चर : गर्भावस्था के दौरान अपने बॉडी पोश्चर पर जरूर ध्यान दें। बैठते समय अपनी छाती को ऊपर उठाकर और कंधों को पीछे करें। ऐसा करने से छाती को ज्यादा जगह मिलेगी। गर्भावस्था के दौरान बॉडी पोश्चर को लेकर अपने डॉक्टर से जरूर परामर्श लें।
- स्लीपिंग पोश्चर : जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि गर्भावस्था में भ्रूण का बढ़ता आकार डायफ्राम के साथ-साथ छाती के लिए जगह को भी सीमित कर देता है, जिससे एक महिला सांस में तकलीफ का अनुभव करती है (6)। इस दौरान सोने का अपराइट पोजिशन आपकी मदद कर सकता है। वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार यह अवस्था फेफड़ों को पूरी जगह देती है और फेफड़ों की क्षमता भी बढ़ती है (7)। अपराइट पॉजिशन के लिए महिलाएं पीठ के पीछे दो-तीन तकिए लगाकर सोएं।
- खुद को आराम दें : अगर कोई काम करते वक्त आपकी सांस फूलने लगती है, तो काम बंद करें और खुद को आराम दें। कोशिश करें गर्भावस्था के दौरान ज्यादा भारी काम न करें।
- ब्रीथिंग एक्सरसाइज : गर्भावस्था के बढ़ते समय के अनुसार भ्रूण का आकार भी बढ़ता है, जिससे फेफड़ों के साथ डायाफ्राम को सांस लेने-छोड़ने की प्रक्रिया के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल पाती है (6)। गर्भावस्था के दौरान सांस लेने की प्रक्रिया को आरामदायक बनाने के लिए आप ब्रीथिंग एक्सरसाइज कर सकते हैं। ब्रीथिंग एक्सरसाइज प्रेग्नेंट महिला में सांस फूलने की समस्या में सुधार करता है और भ्रूण और मां के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है (8)। नीचे जानिए कैसे करें ब्रीथिंग एक्सरसाइज :
- किसी आरामदायक पॉजीशन में बैठ जाएं या पीठ के पीछे कुछ तकिए लगाकर लेट जाएं।
- अब नाक से गहरी सांस लें और मुंह से छोड़ें।
- यह प्रक्रिया रोजाना कुछ देर करें।
नोट : गर्भावस्था में ब्रीथिंग एक्सरसाइज करने से पहले डॉक्टरी परामर्श जरूर लें।
- एरोबिक एक्सरसाइज : डॉक्टरी परामर्श पर गर्भावस्था के दौरान एरोबिक एक्सरसाइज कर सांस फूलने की समस्या पर काबू पाया जा सकता है। एरोबिक एक्सरसाइज आपके फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है और कार्यप्रणाली में सुधार का काम करता है (9), (10)।
- स्पिरोमीटर : यह एक प्रकार की मशीन होती है, जिसके जरिए सांस लेने की समस्या को कुछ हद तक ठीक किया जा सकता है। ध्यान रहे कि इसे डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए।
- अन्य फिजिकल एक्टिविटी : सांस फूलने की समस्या से आराम पाने के लिए आप कुछ अन्य शारीरिक गतिविधियां कर सकती हैं, जिसमें पैदल चलना, बॉडी स्ट्रेचिंग या हाइड्रोथेरेपी (पानी में एक्सरसाइज) आदि शामिल है।
गर्भावस्था में सांस की तकलीफ के उपचार जानने के बाद आगे जानिए कुछ अन्य टिप्स।
आप गर्भावस्था में सांस की तकलीफ को कैसे रोक सकते हैं? | Sans Lene Me Taklif Ho To Kya Kare
गर्भावस्था में सांस की तकलीफ न हो, उसके लिए कुछ सावधानियों पर ध्यान दिया जा सकता है। ये कुछ जरूरी टिप्स हैं, जिनका पालन कोई भी गर्भवती महिला डॉक्टर की सलाह पर कर सकती हैं :
- डॉक्टरी सलाह पर आयरन युक्त भोजन जैसे पालक व बीन्स आदि का सेवन करें। ये खाद्य पदार्थ शरीर में आयरन की पूर्ति करेंगे और आपको एनीमिया से लड़ने में मदद करेंगे (11)।
- हाई फैट युक्त भोजन का सेवन न करें, क्योंकि गले और छाती पर चढ़ा अतिरिक्त फैट सांस की तकलीफ का कारण बन सकता है (12)।
- उन एक्सरसाइज से बचें, जिससे सांस फूलने की आशंका बनी रहती है।
- डॉक्टरी सलाह पर विटामिन-सी युक्त आहार का सेवन कर सकते हैं, क्योंकि विटामिन-सी शरीर में आयरन की पूर्ति को बढ़ावा देता है (13)।
- अधिक से अधिक पानी का सेवन करना चाहिए।
डॉक्टर से कब मिलना है
गर्भावस्था में सांस फूलना एक आम समस्या है, लेकिन अगर स्थिति गंभीर हो जाती है या अन्य बीमारियों के लक्षण दिखने लगते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। जानिए, प्रेगनेंसी के दौरान सांस की समस्या होने पर कौन सी स्थिती में डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए (14) :
- अचानक सांस लेने में तकलीफ
- लंबे समय तक सांस की तकलीफ बन रहना क्योंकि यह अस्थमा और एनीमिया का लक्षण भी हो सकता है।
इन स्थितियों के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते है, क्योंकि ये समस्याएं सांस में तकलीफ के दौरान सामने आ सकती हैं (15) :
- अगर सांस लेने के लिए ज्यादा जोर लगाना पड़ रहा है।
- सांस की समस्या, जो आपको रात में नींद से उठने को मजबूर कर दे।
- गले में संकुचन होने पर।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
गर्भावस्था में सांस की कमी कितने समय तक रहेगी?
गर्भावस्था में सांस की कमी कब तक रहेगी, इस पर सटीक नहीं कहा जा सकता है। जहां तक अनुमान है, स्वस्थ गर्भावस्था में यह समस्या डिलीवरी के कुछ दिन बाद खत्म हो सकती है। इस विषय पर संबंधित डॉक्टर ही सही प्रकार से बता सकते हैं।
क्या सांस की तकलीफ गर्भ में शिशु को चोट पहुंचाती है?
अगर सांस फूलने की समस्या का कारण अस्थमा और एनीमिया जैसी गंभीर समस्या है, तो इससे पेट में पल रहे बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है (2), (16)।
क्या सांस की तकलीफ प्रारंभिक गर्भावस्था का संकेत हो सकता है?
हां, गर्भावस्था के अन्य संकेतों के साथ सांस की कमी भी प्रारंभिक गर्भावस्था का एक संकेत हो सकता है (17)।
गर्भावस्था के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों का पालन कर आप प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली सांस की समस्या पर काबू पा सकते हैं। ध्यान रहे कि सांस की कमी की वजह अगर अस्थमा या एनीमिया जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या होती है, तो आपको इसकी जांच और इलाज में कोताही नहीं बरतनी चाहिए। आशा है कि गर्भावस्था में सांस फूलने से संबंधी जानकारी और इसके समाधान आपके लिए मददगार साबित होंगे।
References
1.Asthma in pregnancy by ncbi
2.Managing asthma in pregnancy by ncbi
3. Iron-deficiency anemia by womenshealth
4.Sleep and Breathing Disorders by googlebook
5. Stages of pregnancy by womenshealth
6.Breathlessness During Pregnancy by prescriptions.wakehealth
7. Effects of side lying on lung function in older individuals. By ncbi
8. The Effect of Breathing Exercises on Breathing Pattern of Pregnant Women.by academia
9. Physical Activity and Your Heart by nhlbi
10. Pregnancy and exercise by betterhealth
11. Iron by ods
12. Obesity Hypoventilation Syndrome by nhlbi
13. Iron by betterhealth
14. Shortness of breath by nidirect
15.Breathing difficulty by medlineplus
16. Anaemia during pregnancy by nhp
17. Pregnancy – signs and symptoms by betterhealth
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